- 1. Prachin shabar mantra
- 2. अति प्राचीन शाबर मंत्र | Ati prachin shabar mantra
- 2.1. 1. धन प्राप्ति के लिए अति प्राचीन ग्रामीण शाबर मंत्र
- 2.2. 2. समस्त कामना सिद्धि ग्रामीण शाबर मंत्र
- 2.3. 3. व्यापार वृद्धि कारक मंत्र
- 2.4. 4. अति प्राचीन सर्व कार्य सिद्धि ग्रामीण शाबर मंत्र
- 2.5. 5. अन्नपूर्णा शाबर मंत्र
- 3. शाबर मंत्र की उत्पत्ति कब हुई ?
- 4. अधिक जानकारी के लिए यह भी पढ़े :
- 5. शाबर मंत्रों का विकास क्या है ?
- 6. शाबर मंत्र का स्वरूप क्या है ?
- 7. शाबर मंत्रों के प्रकार क्या है ?
- 7.1. 1. प्रबल शाबर मंत्र
- 7.2. 2. बर्बर शाबर मंत्र
- 7.3. 3. बराठी शाबर मंत्र
- 7.4. 4. अढैया शाबर मंत्र
- 7.5. 5. डार शाबर मंत्र
Prachin shabar mantra
शाबर shabar मंत्रों Mantra का प्रयोग prayog मनुष्य manushya अपने कष्टों kashto और रोगों rogo को दूर door करने के लिए आदिकाल aadikaal से करता आ रहा है । इसके साथ ही व्यक्ति vyakti के जीवन jeevan में आने वाले संकटों sankato को भी दूर करने में शाबर shabar मंत्रों Mantro का प्रयोग होता है।
यह शाबर shabar मंत्र Mantra इतने अधिक प्रभावशाली prabhavshali होते हैं कि व्यक्ति vyakti को तुरंत ही प्रभाव देखने को मिलता है। शाबर shabar मंत्र mantra के इतिहास itihaas के संदर्भ sandarbh में कहा गया है कि भगवान bhagwan शिव shiv को शाबर shabar मंत्रों mantra का आचार्य aachay माना गया है।
अति प्राचीन शाबर मंत्र | Ati prachin shabar mantra
काला कलवा चौंसठ वीर वेगी आओ माई,
के वीर अजर तोड़ो बजर तोड़ो किले का,
बंधन तोड़ो नजर तोड़ो मुठ तोड़ो,
जहां से आई वही को मोड़ो जल खोलो जलवाई,
खोलो बंद पड़े तुपक को खोलो,
घर दुकान का बंधन खोलो, बंधे खेत खलिहान खोलो,
बंधा हुआ मकान खोलो, बंधी नाव पतवार खोलो,
दस दिशा का बंधन खोलो,
इतना काम मेरा न करे, तो तुझको माता का दूध पिया हराम है,
माता पार्वती की दुहाई, शब्द सांचा फुरो मंत्र ईश्वर वाचा
1. धन प्राप्ति के लिए अति प्राचीन ग्रामीण शाबर मंत्र
“ॐ नमो पद्मावती पदमालय,
लक्ष्मीदायिनी वांछा भूत प्रेत विघ्नवासनी,
सर्व शत्रु संहारिणी दुर्जन मोहिनी,
रिद्धि सिद्धि वृद्धि कुरु कुरु स्वाहा,
ॐ क्लिं श्रीं पद्मावती नमः”
2. समस्त कामना सिद्धि ग्रामीण शाबर मंत्र
ॐ ह्लीं मातसे मनसे ह्लीं नमः
3. व्यापार वृद्धि कारक मंत्र
॥ॐ हनुमंत वीर रखो हद थीर,
करो यह काम, बड़े मोर व्यापार,
तंतर दूर हो, घृणा टूटे, ग्राहक बड़े,
कारज सिद्ध होए, ना होए तो अंजनी की दुहाई॥
4. अति प्राचीन सर्व कार्य सिद्धि ग्रामीण शाबर मंत्र
“ॐ नमो महादेवी सर्व कार्य सिद्धकरणी,
जो पाती पूरे ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देवतन,
मेरी शक्ति गुरु की शक्ति,
श्री गुरु गोरखनाथ की दुहाई,
फुर्रो मंत्र ईश्वरों वाचा”
5. अन्नपूर्णा शाबर मंत्र
ॐ नमो आदेश की श्री गुरु गजानन बीर बसे मसाऊ अब जो शुद्धि का वरदान जो जो मांगू तो कान पांच लड्डू सिर सिंदूर हटा बाटका, माटी मसान की सब रिद्धि सिद्धि हमारे पास पठेस शब्द सांचा फुर्रो मंत्र ईश्वरों वाचा।
शाबर मंत्र की उत्पत्ति कब हुई ?
साबर मंत्र की उत्पत्ति के विषय में एक कथा प्रचलित है । एक बार भगवान शिव एवं माता पार्वती पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आये। पृथ्वी पर मानव जाति को कष्ट में देखकर माता पार्वती अत्यधिक दुखी हुई । तथा भगवान शिव से इन कष्टों के निवारण का हल पूछा ।
माता के आग्रह पर भगवान शिव ने जनसाधारण के लिए सरल मंत्रों की रचना की जिन्हें शाबर मंत्र कहा गया। जिनसे जन सामान्य कष्ट मुक्त हो सके यह मंत्र इतने सरल है कि इनको सिद्ध करना बहुत ही आसान है तथा इनका प्रभाव बहुत ही कम समय में देखने को मिलता है ।
भाषा एवं व्याकरण की दृष्टि से इन साबर मंत्रो की साधना सहज है वैदिक मंत्रों की तरह कठिन नहीं है। साबर मंत्रों की साधना में विधि विधान की जटिलता नहीं है । यह साबर मंत्र जितना पढ़ने में अटपटे लगते हैं उनके प्रभाव उतने ही प्रबल एवं तीव्र होते हैं । ! यह पोस्ट आप OSir.in वेबसाइट पर पढ़ रहे है !
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शाबर मंत्रों का विकास क्या है ?
नाथ संप्रदाय के समय इन साबर मंत्रों की व्यापक रचना एवं विकास हुआ। इनकी संख्या कई करोड़ों में है। समय के अनुसार उनके रचनाकार अलग-अलग कई नाथ सिद्ध हैं। साबर मंत्रों के विशेषता यह है कि कोई भी कहीं भी इन मंत्रों को जप कर सिद्ध कर सकता है ।
हम प्रायः ग्रामीण क्षेत्रों में देखते हैं कि अनपढ़ लोग तरह-तरह के झाड़-फूंक करते रहते हैं । जिनमें प्रायः साबर मंत्रों का प्रयोग ही होता है । नाथ संप्रदाय में भगवान शिव को आदिनाथ तथा माता पार्वती को उदयनाथ कहा गया है। भगवान शिव ने यह विद्या सर्वप्रथम भीलों को प्रदान की थी। बाद में यह विद्या गुरु मत्स्येंद्रनाथ को मिली उन्होंने करोड़ों साबर मंत्रों की रचना की ।
उनके बाद गुरु गोरखनाथ ने इस कार्य को आगे बढ़ाया, तथा नवनाथ एवं 84 सिद्धो ने इसका व्यापक प्रचार प्रसार किया। योगी कानिफनाथ ने 5 करोड़ तथा चरपट नाथ ने 16 करोड़ साबर मंत्रों की रचना की । इसी क्रम में जालंधर नाथ ने 30 करोड़ साबर मंत्रों की रचना की ।
इस प्रकार नाथ योगियों ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया यही कारण है कि किसी भी साबर मंत्र का सम्बन्ध किसी ना किसी नाथ सिद्ध योगी से अवश्य होता है। यह कहना गलत नहीं होगा की साबर मंत्र नाथ योगियों की देन है।
शाबर मंत्र का स्वरूप क्या है ?
जिस प्रकार वैदिक मंत्रों के अंत में स्वाहा शब्द का प्रयोग होता है उसी प्रकार साबर मंत्रों के अंत में –
पिंड काचा शब्द सांचा ।
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ।।
शब्द का प्रयोग किया जाता है।
शाबर मंत्रों के प्रकार क्या है ?
1. प्रबल शाबर मंत्र
इस प्रकार के मंत्र कार्य सिद्धि के लिए प्रयोग किए जाते हैं । इनमें साधक एक याचक के रूप में देवता से याचना करता है।
2. बर्बर शाबर मंत्र
यह प्रबल मंत्र से अधिक तीव्र माने जाते हैं इन मंत्रों में साधक देवता से सौदा करता है की अमुक कार्य होने पर मैं यह भेंट दूंगा। इसमें गाली श्राप दुहाई एवं धमकी का प्रयोग किया जाता है। यह मंत्र बहुत ही ज्यादा उग्र होते हैं।
3. बराठी शाबर मंत्र
इन मंत्रों में देवता से बलपूर्वक कार्य करवाया जाता है । साधक याचक न बनकर देवता को आदेश देता है। आपने देखा होगा कि ओझा लोग जमीन पर जूता या झाड़ू भटकते हैं । जिससे देवता को कष्ट का अनुभव होता है। ! यह पोस्ट आप OSir.in वेबसाइट पर पढ़ रहे है !
4. अढैया शाबर मंत्र
यह सबसे प्रबल मंत्र होते हैं। इन मंत्रों का प्रयोग एवं प्रभाव बहुत ही जल्दी होता है इनकी विशेषता यह है कि यह अढाई पंक्ति के होते हैं ।
5. डार शाबर मंत्र
डार साबर मंत्र एक साथ अनेक देवताओं का एकसाथ दर्शन पाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
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