Purnahuti mantra नमस्कार दोस्तों जैसा कि हम जानते हैं जब हम कोई मांगलिक कार्यक्रम या फिर कोई अन्य शुभ कार्य प्रारंभ करते हैं तब हवन अवश्य करवाते हैं ताकि वह कार्य सफलतापूर्वक किया जा सके और वह कार्य की सभी दोष और बाधाओं से मुक्त हो जाए.
ऐसे में हम अपने कार्य को प्रगति शील बनाने के लिए हवन और यज्ञ का आयोजन करते हैं और उसमें हावी पदार्थों की पूर्ण आहुति मंत्रों के साथ आहुति दी जाती है जिससे कि वहां का वातावरण पूर्ण रूप से शुद्ध हो जाता है और वहां की नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है.
जिससे कि हमारे कार्य में कोई बाधा नहीं आती है और सफलतापूर्वक हमारा कार्य एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ता चला जाता है तो आइए जानते हैं कि पूर्ण आहुति मंत्र क्या है और पूर्ण आहुति मंत्र का महत्व और विधि क्या है.
इस आर्टिकल में हम इसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे इसलिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें और विस्तार पूर्वक इसके बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें.
- 1. पूर्ण आहुति मंत्र क्या है ?
- 2. पूर्ण आहुति मंत्र | Purnahuti mantra
- 3. हवन आहुति मंत्र
- 4. पूर्ण आहुति मंत्र विधि | Purnahuti vidhi
- 5. पूर्ण आहुति मंत्र का महत्व
- 6. FAQ : पूर्ण आहुति मंत्र
- 6.1. Q. हवन करते समय कौन सा मंत्र बोले?
- 6.2. Q. पूर्णाहुति कैसे दी जाती है?
- 6.3. Q. स्वाहा शब्द का क्या अर्थ है?
- 7. निष्कर्ष | Conclusion
पूर्ण आहुति मंत्र क्या है ?
हवन करते वक्त सबसे महत्वपूर्ण कार्य पूर्ण आहुति का ही होता है जिसमें हम पूर्ण आहुति मंत्र के साथ हवन कुंड में आहुति पदार्थों की पूर्णाहुति देते हैं अग्नि प्रज्वलित हवन कुंड में शहद घी आदि पदार्थों को अर्पित करके हवन को संपन्न किया जाता है.
कभी न कभी किसी शुभ कार्य में आपके घर में परिवार में कोई न कोई हवन तो किया ही गया होगा उसमें आपने देखा होगा कि हवन करते वक्त कुछ सामग्रियों को हवन कुंड में मंत्रों के उच्चारण के साथ डालते रहते हैं इस प्रक्रिया को पूर्णाहुति कहते हैं.
पूर्णाहुति देने के साथ-साथ आपकी घर की पारस्परिक समस्याएं ठीक हो जाती है आपका जो भी कार्य है वह सफलतापूर्वक हो जाता है आपके घर का वातावरण शुद्ध हो जाता है.
और आपके घर से नकारात्मक शक्तियों का निर्वहन हो जाता है और आपके घर में सकारात्मक और शुद्ध वातावरण का आवाहन होता है.
पूर्ण आहुति मंत्र | Purnahuti mantra
ऊँ पूर्णमद: पूर्णम् इदम् पूर्णात पूर्णादिमं उच्यते, पुणस्य पूर्णम् उदच्यते।।
पूर्णस्य पूर्णभादाय पूर्णमेवावाशिष्यते।।
हवन आहुति मंत्र
- ओम भूः स्वाहा, इदमगन्ये इदं न मम।।
- ओम भुवः स्वाहा, इदं वायवे इदं न मम।।
- ओम स्वः स्वाहा, इदं सूर्याय इदं न मम।।
- ओम अगन्ये स्वाहा, इदमगन्ये इदं न मम।।
- ओम घन्वन्तरये स्वाहा, इदं धन्वन्तरये इदं न मम।।
- ओम विश्वेभ्योदेवभ्योः स्वाहा, इदं विश्वेभ्योदेवेभ्योइदं न मम।।
- ओम प्रजापतये स्वाहा, इदं प्रजापतये इदं न मम।।
- ओम अग्नये स्विष्टकृते स्वाहा, इदमग्नये स्विष्टकृते इदं न मम।।
पूर्ण आहुति मंत्र विधि | Purnahuti vidhi
हवन प्रक्रिया में पूर्ण आहुति मंत्र का विशेष आधार होता है इसके बिना हवन को संपन्न नहीं कराया जा सकता हवन करने में पूर्ण आहुति अति आवश्यक होती है इसमें हावी पदार्थों का समर्पण अग्नि प्रज्वलित हवन कुंड में किया जाता है.
हवन से संबंधित कुछ सामग्रियों का जैसे शहद घी आदि पदार्थों का अर्पण हवन कुंड में पूर्ण आहुति मंत्र के साथ किया जाता है .
उसके पश्चात दिल में छेद करके उसमें घी भर कर लाल तूल लपेटकर धागा बांधकर सुपारी लॉन्ग बताशा व अन्य प्रसाद रखकर पूर्ण आहुति मंत्र बोलना चाहिए इस प्रकार पूर्ण आहुति मंत्र विधि संपन्न होती है.
और आपकी हवन प्रक्रिया में आगे प्रसाद का सभी उपस्थित जनों में वितरण कर दिया जाता है इससे घर में सुख शांति और समृद्धि का विस्तार होता है हवन करने की प्रमुखता यह है.
कि जो भी कार्य आपने प्रारंभ किया है वह सफलतापूर्वक हो जाए उसमें कोई नकारात्मक बाधा ना आए इसलिए हवन का आयोजन किया जाता है.
पूर्ण आहुति मंत्र का महत्व
किसी भी हवन प्रक्रिया को संपन्न कराने में पूर्णाहुति मंत्र का विशेष महत्व होता है इस प्रक्रिया को वैदिक कर्मकांड कहा गया है सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य को प्रारंभ करने या समाप्त करने के पश्चात हवन करना अति आवश्यक माना गया है.
और शास्त्रों की मान्यताओं के मुताबिक हवन करने से वातावरण में शुद्धिकरण होता है धार्मिक प्रतिष्ठा बढ़ती है और भी कई गुणों का उल्लेख किया गया है ऐसा करने से वातावरण में एक औषधि गुण उत्पन्न होता है.
जो कई रोगों के निवारण में लाभकारी साबित होता है इस प्रकार से हवन संपन्न कराने पर उस कार्य में कोई बाधा नहीं आती है वह सफलतापूर्वक संपन्न हो जाए.
FAQ : पूर्ण आहुति मंत्र
Q. हवन करते समय कौन सा मंत्र बोले?
Ans.स्वधा नमस्तुति स्वाहा।।
ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा।।
ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।।
Q. पूर्णाहुति कैसे दी जाती है?
Ans. पूर्ण आहुति मंत्र के साथ हावी पदार्थों का अग्नि कुंड में समर्पित करते हुए दी जाती है.
‘ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।'
Q. स्वाहा शब्द का क्या अर्थ है?
Ans. कोई भी हवन तब तक सफल नहीं माना जाता है जब तक की स्वाहा कहकर हवन कुंड में भोग सामग्री को देवी-देवताओं को अर्पित ना कर दिया जाए स्वाहा के साथ जो भी अन्न भगवान को अर्पित किया जाता है वह उसे ग्रहण करते हैं.
निष्कर्ष | Conclusion
हम आशा करते हैं कि आपको पूर्ण आहुति मंत्र के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो चुकी है यदि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे आप अपने दोस्तों व परिवार और जानने वालों के साथ अवश्य शेयर करें.
ताकि उनको भी इस महत्वपूर्ण जानकारी का लाभ प्राप्त हो सके यदि इससे संबंधित आपका कोई अन्य सवाल है तो हमारे कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं हम आपके सवाल का जवाब जल्द से जल्द देने का प्रयास करेंगे.