भैरव भूत साधना क्या है? बटुक भैरव साधना का मंत्र bhairav bhoot mantra?

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Bhairav bhoot sadhana kaise kare? भैरव भूत साधना एक प्राचीन साधना है। यह साधना किसी बंद कमरे में और शांत वातावरण में की जाती है। यदि साधना करने के लिए घर का माहौल उचित नहीं है तो इसे किसी खंडहर या नदी के किनारे शांत स्थान में करना उचित रहता है। यह खतरनाक साधना है इसलिए इसे करने से पहले सुरक्षा हेतु बृह्म चक्र को धारण करना अनिवार्य है। Bhairav bhoot sadhna karne ke liye kya kare?

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रुद्राक्ष की माला लेकर गोमुखी रखकर 11 बार माला का मंत्र के साथ दाहिने हाथ के अंगूठा और बीच की उंगली से जाप करें। पूर्व दिशा की ओर मुंह करके कुश आसन या लाल कंबल के आसन पर बैठकर मंत्र जाप करें।

भैरव भूत साधना की विधि क्या है? What is the method of Bhairav Bhoot Sadhana?

साधना से पहले लोबान की धूप जलाएं और टेल का चिराग जलाए जो कम से कम 8 घंटे तक जले। भैरव कि मूर्ति लगाकर उस पर सिंदूर लगाएं तथा माथे पर तिलक लगाएं। साधना के समय लाल वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात वास्तु दोष, पवित्र करण गुरु पूजन आदि करें। इसके बाद भैरव जाप करने के लिए मंत्र का उच्चारण करें। यह एक तीव्र साबर मंत्र है।

मंत्र उच्चारण करते हुए जब 11 ही बार माला का मंत्र के साथ जॉब करेंगे तो धुएं में आकृति बनेगी जो भूत के समान दिखाई देती है। जब इस प्रकार की आकृति दिखाई देने लगी तो मंत्र जाप पूरा करके उससे वचन ले। जब आपको वचन मिल जाए तब आप जल पात्र से जल लेकर उसके ऊपर छिड़क दें। इस प्रकार से वह आपके वश में हो जाएगा।

जब आपके वशीभूत हो जाएगा तो आप उसे कोई भी कार्य करवाने के लिए आदेश दे सकते हैं जैसे मारण वशीकरण आदि कार्य करवा सकते हैं।

 भैरव साधना कितने प्रकार की होती है ? What are the types of Bhairav Sadhana?

भैरव को शिव का अवतार मना जाता है और तंत्र साधना में भैरव के प्रमुख आठ रूपों का की साधना की जाती है। जो इस प्रकार हैं,

  1. असितांग भैरव|
  2. रु-रु भैरव|
  3. चण्ड भैरव|
  4. क्रोधोन्मत्त भैरव|
  5. भयंकर भैरव|
  6. कपाली भैरव|
  7. भीषण भैरव|
  8. संहार भैरव|

इन सब में प्रमुख रुप से काल भैरव और बटुक भैरव की साधना की जाती है। बटुक भैरव को शांत भैरव माना जाता है और काल भैरव को सबसे उग्र भैरव माना जाता है ।

जो लोग धन संपत्ति वैभव को प्राप्त करना चाहते हैं वह लोग बटुक भैरव की साधना करते हैं परंतु विकराल रुप साधना के रूप में तांत्रिक लोग काल भैरव की साधना करते हैं। काल भैरव को मृत्यु का देवता माना जाता है।

बटुक भैरव की साधना कैसे करें? How to do Sadhana of Batuk Bhairav?

बटुक भैरव दुर्गा के पुत्र माने जाते हैं और इनकी साधना करके लोग सांसारिक कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं। बटुक भैरव तुरंत प्रसन्न होने वाले देवता माने जाते हैं।।

बटुक भैरव साधना का मंत्र क्या है ? What is the mantra of Batuk Bhairav Sadhana?

।।ॐ ह्रीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकाये ह्रीं बटुकाये स्वाहा।।

इस मंत्र का प्रतिदिन 11 माला 21 मंगलवार करना होता है।

बटुक भैरव साधना यंत्र के बारे में जाने : Know about Batuk Bhairav Sadhana Yantra

बटुक भैरव की साधना करने के लिए बटुक भैरव यंत्र लाकर साधना के स्थान पर भैरव जी के चित्र को लाल वस्त्र पर रख दे।
चित्र के ऊपर फल फूल और काले उड़द चढ़ाकर पूजा करें तथा लड्डू का भोग लगाएं।

भैरव काल साधना कैसे की जाती है? What should be Bhairav Sadhana Kaal?

यह साधना को मंगलवार के दिन करें या फिर विशेष रूप से अष्टमी के दिन करें तथा समय शाम से 7:00 बजे से 10:00 बजे की बीच ही करें।
ध्यान देने योग्य बातें, साधकों को साधना के दौरान शुद्ध खानपान संयम  के साथ वाणी में शुद्धता रखें किसी पर क्रोध न करें तथा स्त्री से सहवास न करें।

काल भैरव की महिमा के बारे में कैसे जाने? How to know about the glory of Kalabhairav

काल भैरव की साधना मनोकामना को पूर्ण करने के लिए किया जाता है यह साधना दक्षिण दिशा में मुंह करके रुद्राक्ष की माला लेकर रात्रि में की जाती है इसके लिए साधक को लाल या काले वस्त्र धारण करके तेल का दीपक जला कर पूजा करें |

हर मंगलवार को लड्डू का भोग पूजन करने के बाद कुत्तों को खिला कर नया भोग रख दें भैरव को भोग अर्पित करने के बाद उसी स्थान पर साधक को भी होगा ग्रहण करना चाहिए |

भैरव की पूजा यदि दैनिक कर रहे हैं तो रविवार को चावल दूध की खीर, सोमवार को मोतीचूर के लड्डू, मंगलवार को घी गुण अथवा गुड़ से बनी लपसी या लड्डू, बुधवार को दही बूरा, गुरुवार को बेसन के लड्डू और शुक्रवार को भुने हुए चने तथा शनिवार को तले हुए पापड़, उड़द के पकोड़े या जलेबी का भोग लगाएं।

-: चेतावनी disclaimer :-

सभी तांत्रिक साधनाएं एवं क्रियाएँ सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से दी गई हैं, किसी के ऊपर दुरुपयोग न करें एवं साधना किसी गुरु के सानिध्य (संपर्क) में ही करे अन्यथा इसमें त्रुटि से होने वाले किसी भी नुकसान के जिम्मेदार आप स्वयं होंगे |

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