मूलाधार चक्र कि वजह से कौन से रोग होते है? : मूलाधार चक्र जाग्रत विधि | मूलाधार चक्र के रोग : Muladhara chakra ke rog

❤ इसे और लोगो (मित्रो/परिवार) के साथ शेयर करे जिससे वह भी जान सके और इसका लाभ पाए ❤

मूलाधार चक्र के रोग Muladhara chakra ke rog : मनुष्य के शरीर में सात चक्र होते हैं जिन को जागृत करने के बाद व्यक्ति असीम शक्तियों से परिपूर्ण हो जाता है और व्यक्ति के अंदर किसी भी प्रकार का कोई रोग नहीं होता है परंतु यह भी माना जाता है कि जब व्यक्ति अपने चक्र को जागृत कर लेता है तो कई प्रकार की समस्याएं भी सामने आ जाती हैं जिन्हें मूलाधार चक्र के रोग के नाम से हम कह सकते हैं।

मूलाधार चक्र के रोग Muladhara chakra ke rog

वास्तव में मानव के शरीर में पाए जाने वाले चक्र में पहला चक्र मूलाधार चक्र है जो योग साधना या संकल्पना का चक्र कहा जाता है यह मनुष्य के गुदाद्वार के पास स्थित होता है जो मनुष्य के अंदर चेतना को जागृत करता है इस चक्र का संबंध अचेतन मन से है यह चक्र कर्म सिद्धांत के प्रारंभ को निर्धारित करता है।

दोस्तों मनुष्य के अंदर असीम शक्तियां निवास करती हैं जो शरीर के अंदर पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के सात चक्रों में निहित है जिसे दूसरे रूप में कुंडली जागृत करना कहते हैं। आदिकाल से ही विभिन्न ऋषि-मुनियों ने इन्हीं चक्र को कुंडली के रूप में जागृत करके ऐसी शक्तियों को प्राप्त किया है जो असंभव को संभव कर दिखाया। इन चक्रों में उपस्थित शक्तियां ब्रह्मांड का ज्ञान करा देती हैं और संपूर्ण ब्रह्मांड इन्हीं चक्रों से जुड़ा हुआ है।

मूलाधार चक्र क्या है ? | muladhara chakra kya hai ?

मूलाधार चक्र का संबंध व्यक्ति की सुरक्षा और अस्तित्व तथा उसकी क्षमता से होता है यह गुप्तांग और गुदा के बीच स्थित होता है जब व्यक्ति इसी प्रकार के ऐसे व्यवधान में फंसता है जहां पर उसकी जिंदगी को खतरा होता है वहां पर मूलाधार चक्र उसे मरने और मारने के लिए प्रेरित करता है. इसी चित्र में मनुष्य की यौन क्रिया प्रेरित होती है। जनन क्रिया इसी चक्र से संचालित होने वाली होती है मूलाधार चक्र लाल रंग का चार पंखुड़ियों वाला कमल है.

yantra sadhana

यह कामवासना लालसा को प्रेरित करता है और भावनात्मक रूप से तथा आध्यात्मिक रूप से सुरक्षा की भावना नियंत्रित करता है. मनुष्य के अंदर मूलाधार चक्र जागृत होने पर ब्रह्मांड की उर्जा व्यक्ति के अंदर संचालित होने लगती है और व्यक्ति साधना से शक्तियों का स्वामी बन जाता है. यह एक दिव्य चक्र है। मनुष्य की चेतना इसी चक्कर में निहित होती है। इसी चक्र के कारण व्यक्ति के जीवन में भोग संभोग और निंद्रा अधिक होती है तथा संपूर्ण ऊर्जा इसी चक्कर में निहित रहती है।

मूलाधार चक्र जगाने की विधि | muladhara chakra jagane ki vidhi

सामान्य रूप से लोग इसी चक्र से जीते रहते हैं अर्थात अधिकांश मनुष्य विभिन्न प्रकार के ऐसे कर्म अधिक करते हैं जिनसे उनका सहस्त्रनाम होता है जैसे योगनिद्रा संभोग अपने जीवन में अधिक करते हैं परंतु इसे जगाने पर व्यक्ति के अंदर निर्भीकता वीरता और आनंद की प्राप्ति होती है.

इसे जगाने के लिए व्यक्ति को प्रतिदिन इसी चक्र पर ध्यान लगाना होता है और जब धीरे-धीरे जागृत होने लगता है, तो व्यक्ति के अंदर स्वत निर्भीकता आने लगती है, व्यक्ति धैर्य और संयम से काम लेने लगता है, काम क्रोध मोह लोभ भोग संभोग पर विजय प्राप्त कर लेता है।

yantra sadhana

शरीर के अंदर निहित सभी प्रकार के चक्रों को जगाने के लिए हमें प्रतिदिन केवल ध्यान करना होता है और उसी के अंदर यम नियम से साधना करनी होती है केवल ध्यान लगाने मात्र से शरीर का मूलाधार चक्र जागृत होने लगता है और कुछ समय बाद जब जागृत हो जाता है तो व्यक्ति होता है कई प्रकार की अति से दूर होने लगता है। मूलाधार चक्र को जगाने का केवल एक तरीका यही है कि दित्य को दिन प्रतिदिन ध्यान की मुद्रा में बैठना होता है।

मूलाधार चक्र के रोग | Muladhara chakra ke rog

दोस्तों शरीर के अंदर सात चक्रों में मूलाधार चक्र पहला चक्र होता है जो गुदाद्वार के पास स्थित होता है और इसे जागृत करने से व्यक्ति के अंदर वीरता साहस आ जाते हैं परंतु साधनाएं बहुत कठिन होती हैं. इसलिए अगर हम अपनी इस साधना के माध्यम से मूलाधार चक्र को जागृत कर लेते हैं, तो हमें स्वयं पर विजय प्राप्त करने में मदद प्राप्त होती है परंतु इसको जागृत करने के बाद भी हमें कई प्रकार की समस्याएं मिल सकती हैं आइए हम आपको मूलाधार चक्र के रोगों के बारे में बताते हैं।

chakra-kundali

मूलाधार चक्र को जागृत करने के बाद व्यक्ति के अंदर किसी भी प्रकार के रोग होने की संभावना ही नहीं रह जाती हैं बल्कि इससे पहले आपको किसी भी प्रकार की समस्याएं हैं तो उनसे छुटकारा मिल सकता है. क्योंकि शरीर में अधिकांश बीमारियां इसी चक्र से जागृत होती हैं। मूलाधार चक्र के कारण कई प्रकार की समस्याएं या रोग हमारे जीवन में दिखाई देते हैं जो हमारे लिए बहुत ही घातक हो जाते हैं।

1. भोग और संभोग

मूलाधार चक्र भोग और संभोग को प्रेरित करता है. जिसकी वजह से व्यक्ति दिन प्रतिदिन आवश्यकता से अधिक संभोग की कामना करता है और वह भोग व संभोग करता रहता है. जिसकी वजह से भी जीवन में कई प्रकार की समस्याएं बनना प्रारंभ हो जाती हैं. माना जाता है कि व्यक्ति के अंदर सबसे ज्यादा बीमारियां अत्यधिक भोग और संभोग के कारण उत्पन्न होते हैं।

love

मूलाधार चक्र भोग और संभोग को अधिक प्रेरित करता है. इसीलिए व्यक्ति बलात्कार जैसे जघन्य अपराध करता है, इसके अलावा व्यक्ति इसी चक्र से प्रेरित होकर हत्या, लड़ाई-झगड़ा, मरने मारने की कोशिश करना जैसे कृत्य करता है।

2. मानसिक तनाव और चिंता

mood change

व्यक्ति के अंदर अगर किसी भी प्रकार से मानसिक तनाव और चिंता उत्पन्न होती है, तो उसका कारण भी मूलाधार चक्र होता है. जब व्यक्ति के सामने किसी भी प्रकार की विषम परिस्थितियां आती है, तो वह मानसिक रूप से तनावग्रस्त और चिंता युक्त हो जाता है. जिसकी वजह से व्यक्ति के अंदर आत्महत्या जैसे विचार आते हैं।

3. निष्क्रियता

मूलाधार चक्र के कारण ही व्यक्ति के अंदर निष्क्रियता उत्पन्न होती है. जिसकी वजह से व्यक्ति का मन किसी भी कार्य में नहीं लगता है. बल्कि वह हमेशा अपने आवश्यक कार्य से भी दूर भागने लगता है. जिसकी वजह से जीवन में कई प्रकार के उपायुक्त अवसरों को गवा देता है और व्यक्ति अपने जीवन में सफलता की ओर बढ़ जाता है।

4. आत्म केंद्रण

मूलाधार चक्र की प्रेरणा से व्यक्ति के अंदर आत्म केंद्र की कमी पाई जाती है. परंतु जब जागृत हो जाता है, तो उसके अंदर आत्म केंद्र बढ़ जाता है. इंसान अपने ऊपर केंद्रित हो जाता है और निर्णय लेने में सक्षम रहता है. इसी चक्र से व्यक्ति चट्टान की तरह मजबूत हो जाता है. परंतु समय के साथ खराबी आने लगती हैं, जिसकी वजह से वह अपना नियंत्रण खो बैठता है।

5. आलस्य

मूलाधार चक्र ही व्यक्ति के अंदर आलस्य पैदा करता है जिसकी वजह से व्यक्ति किसी भी प्रकार के कार्य करने से दूर भागने लगता है और धीरे-धीरे व्यक्ति पतन की ओर अग्रसर हो जाता है. क्योंकि आलस्य जीवन का सबसे बड़ा मूलाधार चक्र का रोग है इसीलिए व्यक्ति को बार-बार इस बात की प्रेरणा दी जाती है कि जीवन में आलस्य ना रखें, आलसी व्यक्ति हर तरह से अपना नुकसान उठा लेता है।

feeling tired

हालांकि जागृत होने के बाद व्यक्ति के अंदर हालत से दूर हो जाता है चैतन्य मन से सारे कार्य करता है. लेकिन धीरे-धीरे अगर अभ्यास नहीं करता है, तो समय के साथ फिर से आलस्य उसके ऊपर हावी हो जाता है।

निष्कर्ष

स्वस्थ मनुष्य के शरीर के अंदर पाए जाने वाले सात चक्र मूलाधार चक्र प्रमुख चक्र माना जाता है तथा सहस्त्रार चक्र और आज्ञा चक्र अंतिम चक्र के रूप में प्रबल होते हैं परंतु इन चक्रों को लगाने का क्रम अनुसार होता है जो साधना और ध्यान से जागृत हो जाते हैं परंतु जागृत होने के बाद भी मनुष्य के अंदर मूलाधार चक्र के कई प्रकार के नुकसान भी दिखाई देते हैं।

मूलाधार चक्र के रोग तब ज्यादा प्रभावी हो जाते हैं जब जागृत करने के बावजूद भी उन पर अनियंत्रित हो रह पाता है। जिसकी वजह से ही व्यक्ति कुछ ऐसे गलत कार्यों में देख तो हो जाता है जो उसके जीवन के लिए घातक बन जाते हैं।

❤ इसे और लोगो (मित्रो/परिवार) के साथ शेयर करे जिससे वह भी जान सके और इसका लाभ पाए ❤

Leave a Comment