लड़कियां जाने ससुराल में बहू का अधिकार नहीं होंगी अनहोनी का शिकार | Sasural me bahu ke adhikar

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ससुराल में बहू का अधिकार sasural me bahu ke adhikar : हेलो दोस्तों नमस्कार आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से बताएंगे ससुराल में बहू के क्या-क्या अधिकार हैं ? क्योंकि जब एक लड़की अपने घर से पूरे रीति-रिवाजों के साथ विवाह करके अपने पति के घर जाती है. यानी कि ससुराल जाती है तो उसे ससुराल में कौन कौन से अधिकार मिलने चाहिए.

ससुराल में बहू का अधिकार

इन सब की जानकारी होनी चाहिए तभी आप अपने अधिकारों के लिए समय आने पर लड़ सकती हैं. क्योंकि बहुत से ससुराल ऐसे होते हैं जो दहेज ना पाने के कारण अपनी बहू पर अत्याचार करते हैं और कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है कि बहू को मौत के घाट भी उतार देते हैं जो कि कानूनी जुर्म है. लेकिन फिर भी लोग दहेज के लिए कुछ भी कर सकते हैं.

यहां तक कि कई बार घर को लेकर बहू पर अत्याचार किए जाते है. जिसमें उसके साथ ससुर और उसका पति उसे यह ताना मारा जाता है कि यह तेरा घर नहीं है तेरा घर जहां है तू वहां जा इसी के तहत उच्च न्यायालय ने ससुराल में बहू के कुछ अधिकार के विषय में नोट्स तैयार किया है जिसमें उन्होंने साफ-साफ लिखा है कि ससुराल में बहू के क्या क्या अधिकार होने चाहिए ?

जिसके माध्यम से आज हम इस आर्टिकल में ससुराल में बहू के कौन-कौन से अधिकार होते हैं इसके विषय में विस्तार पूर्वक से बताएंगे ऐसे में अगर कोई लड़की नई-नई ब्याही गई है और अगर नहीं भी ब्याही गई है तो 1 दिन तो ससुराल जाना ही है इसीलिए ससुराल जाने से पहले ससुराल में बहू के कौन कौन से अधिकार होते हैं.

इन सब की जानकारी को प्राप्त करना अति आवश्यक है ऐसे में अगर आप ससुराल में बहू के क्या अधिकार होते हैं इसकी जानकारी को प्राप्त करना चाहती हैं तो इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक अवश्य पढ़ें

ससुराल क्या है ? | Sasural kya hai ?

ससुराल में बहू के क्या अधिकार होते हैं इसकी जानकारी से पहले हम सभी मां बहन और दीदी लोग को बता देना चाहते हैं कि ससुराल क्या होता है क्योंकि जब आप ससुराल के मायने समझ जाएंगे तो ससुराल को संभालने में आसानी होगी.

बहू के अधिकार

ससुराल ओ होता है जहां हमारे मां-बाप अपने मनपसंद का लड़का ढूंढ कर पूरे रीति-रिवाजों के साथ में लड़की का ब्याह करके दूसरे घर भेजते हैं जहां पर हमे अपनी मां के रूप में सास, पिता के रूप में ससुर और बहन के रूप में नंद, भाई के रूप में देवर, दीदी के रूप में जेठानी, छोटी बहन के रूप में देवरानी, बड़े भाई के रूप में जेड की प्राप्ति होती है.

इसीलिए कभी भी ससुराल में जाकर किसी भी प्रकार का संकोच ना करते हुए ससुराल में हर सदस्य को अपने परिवार का सदस्य मानते हुए मुखिया के द्वारा बनाए गए के अच्छे नियमों का पालन करते हुए जीवन यापन करना चाहिए. इसी के विपरीत हर सास, ससुर और देवर जेठानी सभी को चाहिए कि वह एक पराए घर से आई बेटी को बहू की दृष्टि से नहीं.

बल्कि बेटी की दृष्टि से देख कर उसकी हर परिस्थिति में उसके साथ रहे तो ससुराल में कभी भी लड़ाई झगड़ा की स्थिति नहीं आएंगी. यह तो हो गई ससुराल की परिभासा अब आइए जानते हैं ससुराल में बहु के अधिकार क्या होते हैं

ससुराल में बहु का अधिकार | Sasural me bahu ke adhikar

उच्च न्यायालय में मान्यता अनुसार ससुराल में बहू को निम्न प्रकार के अधिकार प्राप्त हैं जिनके बारे में हम इस लेख में एक क्रम से जानकारी प्रदान करेंगे. ससुराल में बहू के निम्नलिखित अधिकार है जैसे :

1. स्त्रीधन अधिकार

स्त्रीधन उसे कहते हैं जब विवाह समारोह के समय लड़की जो भी गहने, गिफ्ट, तोहफे, बर्तन, कपड़े यानी छोटी से बड़ी समान तक जो भी विवाह समारोह में मिलती है तो उसे स्त्रीधन कहां जाता है जिस पर सिर्फ और सिर्फ उसी लड़की का अधिकार होता है ना कि पति का और ना तो सास ससुर का किसी का भी नहीं होता है.

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अगर वह लड़की चाहे तो अपने स्त्रीधन को कभी भी किसी कार्य के लिए इस्तेमाल में ले सकती हैं क्योंकि उस पर सिर्फ और सिर्फ उसी स्त्री का अधिकार है.

2. 125 के तहत स्त्री बाल बच्चों सहित भरण पोषण का अधिकार

अगर ससुराल में लड़की को किसी भी प्रकार की परेशानी होती है या फिर अपने पति से या ससुराल में किसी से विवाद हो जाता है तो ऐसी स्थिति में अगर पत्नी उस घर में अलग अकेले रहना चाहती हो, तो उसे स्वतंत्र रूप से अकेले अगर उसके बाल बच्चे हैं तो अपने बाल बच्चों सहित रहने का अधिकार है और वह 125 के तहत अपने पति से अपने बाल बच्चों सहित भरण पोषण का खर्च निकालने का अधिकार प्राप्त है जो कि एक पति को देना होता है

3. ससुराल के घर पर अधिकार

1956 के अनुसार हिंदू दत्तक और हिंदू भरण पोषण कानून के तहत एक स्त्री को अपने ससुराल के घर में रहने का अधिकार प्राप्त है चाहे वह घर किराए पर लिया गया हो चाहे वह घर साजे का हो हर स्थिति में स्त्री को उस घर में रहने का अधिकार प्राप्त है

उदाहरण के तौर पर: अगर एक घर है और दो बहू हैं तो दोनों बहू को उस घर में दोनों बहू को रहने के लिए बराबर का हक मिलेगा चाहे इसके लिए घर में दो बंटवारे क्यों ना करने पड़े.

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लेकिन यह अधिकार एक स्त्री को तभी तक प्राप्त होता है जब तक उसका संबंध उसके पति के साथ बना रहता है जिस दिन एक स्त्री अपने विवाहित संबंध को तोड़कर अपने मायके चली जाती है तो उसके बाद इस घर पर उस लड़की का कोई अधिकार नहीं रह पाता है

किसी के विपरीत अगर कोई स्त्री वैवाहिक संबंध रखते हुए अपने पति से अलग रहना चाहती है तो इसके लिए पति को अपनी पत्नी के लिए रहने के लिए पहनने के लिए खाने के लिए अलग व्यवस्था करनी होगी.

अगर स्त्री को बाल बच्चे भी हैं, तो उनकी पढ़ाई लिखाई खानपान की जिम्मेदारी भी पति के ऊपर आ जाती है कहने का सीधा बात पर अगर पत्नी व्यवहारिक संबंध रखते हुए भी पति से अलग रहती है, तो पत्नी के साथ में बच्चों का भरण पोषण करने की जिम्मेदारी पति के ऊपर होती है, जो कि एक स्त्री का अधिकार है.

4. मान सम्मान से जीने का अधिकार

हर मां-बाप अपनी बच्ची को शारीरिक मानसिक रूप से खुश रखने के लिए पूरी मेहनत करते हैं लेकिन जब वही बच्चे अपने घर से दूसरे घर में कदम रखती है तो उसके पैरों में कायदे कानून की बेड़ियां बांध दी जाती है. जिसके चलते ससुराल में एक स्त्री ना तो ससुराल वालों से खुलकर बातें कर पाती है और ना तो अपनी ख्वाहिशों को पूरा कर पाती है.

लेकिन सुप्रीम कोर्ट में बहू को यह अधिकार प्राप्त है कि वह ससुराल में शारीरिक और मानसिक यातनाओ से मुक्त है कहने का मतलब है ससुराल में बहुत जैसे चाहे वैसे रह सकती है अपने पति के मुताबिक लाइफस्टाइल जी सकती है.

5. पति की मृत्यु के बाद संपत्ति पर अधिकार

हिंदू विधवा भरण पोषण फैसले में छत्तीसगढ़ी हाई कोर्ट के द्वारा यह फैसला किया गया है अगर हिंदू स्त्री अपनी आय संपत्ति इन सब के होने के बावजूद भी जीवन जीने में असमर्थ हो रही है तो वह ससुराल वाले लोगों से अपने और अपने बच्चों के लिए भरण-पोषण का दावा कर सकती है

इसी के विपरीत अगर पति की मृत्यु हो जाने के बाद स्त्री ससुराल वालों से अलग रहकर जीवन यापन करना चाहती है तो उसे कानूनी रूप से भरण पोषण का अधिकार प्राप्त है. इसी के विपरीत अगर हिंदू विधवा स्त्री अपना पुनर्विवाह कर लेती है तो उसे अपने पहले पति की संपत्ति को पाने का पूरा अधिकार है.

यहां तक की हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम धारा 15 के तहत यह फैसला सुनाया गया है कि जमीन या घर का बिना वसीयत की हिंदू विधवा स्त्री की मृत्यु हो जाती है तो उसके पति की संपत्ति उसके बेटे बेटी या फिर रक्त संबंधी रिश्तेदार को प्राप्त होगी. इसी के विपरीत उत्तराधिकार धारा 15 के तहत यह भी फैसला किया गया है.

अगर हिंदू विधवा स्त्री दूसरा विवाह करती है और उसके पहले से ही बच्चे हैं, तो उन बच्चों को दूसरे वाले पापा के यहां भी जमीन प्राप्त होगी और पहले वाले ससुराल से भी जमीन प्राप्त होगी और दूसरे ससुराल में जब कोई बच्चा होगा तो उसे भी पहले वाले ससुराल के यहां से जमीन की प्राप्ति होगी. इसीलिए स्त्री को विधवा होने के बाद भी पति की संपत्ति को प्राप्त करने का पूरा अधिकार है.

5. ससुराल की पैतृक और साझा संपत्ति पर बहू का हक

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अगर कोई स्त्री अपने पति के धन से बनाएं घर में रह रही है तो उस पर उसका पूरा अधिकार है इसके बावजूद भी उसे अपने ससुराल की पैतृक और साझा संपत्ति में रहने का पूरा अधिकार है ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ साफ कहा है.

ससुराल की पैतृक और साझा संपत्ति में रहने बहू को कब अधिकार नहीं मिलता है ?

जहाँ पर अदालत ने बहू को पत्रक और साझा संपत्ति में रहने का अधिकार दिया है तो वहीं अदालत में समय-समय पर साझा के घर में कुछ अपवाद भी स्पष्ट किए हैं जिसमें उन्होंने साफ स्पष्ट किया है कि अगर बहू इन हरकतों से गुजरती है तो उसे बटवारे के घर में रहने का कोई अधिकार नहीं होगा जैसे :

1. सास ससुर को पीड़ा पहुंचाना

सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा के विषय पर विचार करते हुए 2022 में फैसला किया है. अगर कोई बहू अपनी सास ससुर को किसी भी प्रकार का कष्ट पहुंचाती है या फिर उन्हें खाना नहीं देती है बीमारी में उनके स्वास्थ्य का ख्याल नहीं रखती है.

ऐसी स्थिति में पीड़ित सास ससुर अपनी बहू को साझा और पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं दे सकते हैं और उन्हें घर से बेदखल कर सकते हैं. क्योंकि सास ससुर को सुकून से जीने का अधिकार होता है. ऐसे में अगर बहू का ससुर के साथ दुर्व्यवहार करती है तो सास-ससुर उन्हें घर खाली करने के लिए कह सकते हैं.

FAQ :

सास ससुर की सेवा क्यों करनी चाहिए ?

वेद पुराणों में कहा गया है एक बेटी अपना घर छोड़कर जाती है तो उसे अपने मां-बाप के रूप में सास ससुर की प्राप्ति होती है इसीलिए उसे अपने सास-ससुर को अपने मां-बाप के रूप में देखते हुए उनकी सेवा अर्चना करनी चाहिए

पति दूरव्यवहार करे तो क्या करना चाहिए ?

अगर कोई पति अपनी स्त्री के साथ दुर्व्यवहार करता है तो पत्नी को यह अधिकार प्राप्त है कि वह अपने बाल बच्चों सहित अपने पति से अलग रह सकती है जिस में रहने के लिए इंतजाम कपड़े का इंतजाम राशन पानी का इंतजाम इन सबकी जिम्मेदारी पति की होगी

ससुराल वाले परेशान करे तो क्या करना चाहिए ?

अगर ससुराल वाले आपको घरेलू हिंसा का शिकार बना रहे हैं तो इसके लिए आपको अपने अधिकार पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए और अपने अधिकार प्राप्त करने की मांग करनी चाहिए

निष्कर्ष

मेरी प्यारी बहनों आज मैंने आप लोगों को ससुराल में बहू का अधिकार क्या होते हैं ? इसकी जानकारी प्रदान की है जिसमें हमने आप लोगों को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा मान्यता प्राप्त बहू के अधिकारों के विषय में बताया है. अगर आप लोगों ने इस लेख को अंत तक पढ़ा होगा तो आप लोगों को बहू के क्या अधिकार है ?

ससुराल में इसके विषय में जानकारी प्राप्त हो गई होगी तो मेरी प्यारी बहनों और दीदी लोगों हम उम्मीद करते हैं आप लोगों को हमारे द्वारा बताई गई जानकारी पसंद आई होगी और हमारा यह लेख आप लोगों के लिए फायदेमंद साबित हुआ होगा.

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