Havan karne ki vidhi evam mantra नमस्कार दोस्तों जैसा कि हम जानते हैं किसी भी शुभ कार्य से पहले हवन करना अति आवश्यक माना गया है हवन करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
जो हमारे जीवन के लिए लाभकारी साबित होता है हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए शास्त्रों के मुताबिक हवन करना उचित बताया गया है किसी भी पूजा के बाद हवन करना जरूरी माना जाता है.
क्योंकि इससे वातावरण में पवित्रता आती है यदि आप हवन की संपूर्ण प्रक्रिया जानना चाहते हैं तो आर्टिकल को पूरा पढ़ें हमने इस आर्टिकल में हवन में लगने वाला पूरा सामान और हवन करने की विधि एवं मंत्रों को विस्तार पूर्वक बताया है.
जिसके द्वारा आप आसानी से हवन करने में सक्षम हो सकते हैं तो आइए जानते हैं कि हवन करने की विधि एवं मंत्र क्या है?
हवन के लिए आवश्यक सामग्री
जब कोई शुभ कार्य किया जाता है तब उस कार्य से पहले हवन अवश्य किया जाता है कार्य को सफलतापूर्वक होने के लिए हवन करना अति आवश्यक है हवन में बहुत सारी सामग्री का इस्तेमाल होता है.
जैसे हवन कुंड, सूखी लकड़ियां, कलावा, सूखा नारियल का गोला, लाल रंग का कपड़ा, अश्वगंधा, मुलेठी की जड़, नीम, बेल, पीपल की छाल, कपूर, चावल, लोबान, गूगल ,जौ, इलायची और शक्कर आदि हवन सामग्री होती है जो हवन प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए पर्याप्त होती है.
हवन करने की विधि
हवन करने के लिए सबसे पहले एक साफ सुथरा पूजा स्थल चुने और फिर वहां पर हवन कुंड को लाकर रख दे उसके पश्चात हवन से संबंधित सभी सामग्रियां वहां पर व्यवस्थित कर दें जिससे कि हवन करते वक्त कोई समस्या ना आए.
हवन कुंड में सूखी लकड़ियां रखकर कपूर की मदद से अग्नि प्रज्वलित कर दे इसके पश्चात मंत्रों के उच्चारण के साथ आप हवन की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं हवन करने के लिए सभी आवश्यक मंत्र नीचे दिए गए हैं.
जिनके उच्चारण के साथ हवन सामग्री की आहुति हवन कुंड में करते रहना है इस प्रकार आप सफलतापूर्वक हवन संपन्न कर सकते हैं और सुख समृद्धि की ओर पहला कदम बढ़ा सकते हैं.
हवन करने के मंत्र
- ओम शिवाय नम: स्वाहा।।
- ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा।।
- ओम कुल देवताय नम: स्वाहा।।
- ओम आग्नेय नम: स्वाहा।।
- ओम विष्णुवे नम: स्वाहा।।
- ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा।।
- ओम गणेशाय नम: स्वाहा।।
- ओम गौरियाय नम: स्वाहा।।
- ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा।।
- ओम भैरवाय नम: स्वाहा।।
- ओम दुर्गाय नम: स्वाहा।।
- ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा।।
- ओम हनुमते नम: स्वाहा।।
- ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा।।
- स्वधा नमस्तुति स्वाहा।।
- ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।।
- ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा।।
- ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।।
अब सूखे नारियल में लाल वस्त्र या कलावा बांधकर पान, बतासा सुपारी, लौंग, खीर ,पूरी आदि उसके शीर्ष पर स्थापित करें और फिर उसको हवन कुंड में बीचो बीच रख देना चाहिए अब जो भी हवन सामग्री बची है उसे इस मंत्र के साथ एक बार में आहुति दें.
ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।।
हवन का महत्व
शास्त्रों में हवन का विशेष महत्व बताया गया है और हम उसी महत्वता के साथ इन परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए आज भी हर शुभ कार्य के पश्चात या प्रारंभ में हवन करवाना अति आवश्यक माना गया है हिंदू धर्म में किसी भी पूजा के दौरान हवन करना आवश्यक माना जाता है.
हवन करने से घर के वातावरण में शुद्धिकरण होता है धार्मिक प्रतिष्ठा बढ़ती है हवन सामग्री के निर्वहन से औषधि गुण उत्पन्न होते हैं जो कई रोगों के निवारण में सहायक होते हैं धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक हवन एक वैदिक कर्मकांड है.
किसी भी शुभ कार्य को सफलतापूर्वक करने के लिए हवन करवाना बहुत आवश्यक होता है ऐसा करने से वह कार्य बिना किसी रूकावट के आसानी पूर्वक पूर्ण हो जाता है ऐसा माना जाता है की हवन करना सभी समस्याओं का निवारण होता है.
FAQ : हवन करने की विधि एवं मंत्र
Q. घर में स्वयं हवन कैसे करें?
Ans. हवन करने के लिए आपको एक स्वच्छ स्थल चुनना है और वहां पर एक हवन कुंड रखकर उसमें अग्नि प्रज्वलित करके मंत्रोच्चार के साथ हवन सामग्री की आहुति देकर हवन को प्रारंभ करना है.
Q. हवन करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
Ans. हवन करते वक्त इस मंत्र को बोलना अति आवश्यक माना गया है.
।।ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा। ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते। ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।।
Q. हवन कितने प्रकार के होते हैं?
Ans. शास्त्रों के मुताबिक हवन पांच प्रकार की होते हैं हिंदू पौराणिक ग्रंथों में इसका उल्लेख किया गया है.
निष्कर्ष | Conclusion
हम आशा करते हैं कि आपने हवन करने की विधि एवं मंत्र अच्छे से जान लिया होगा और हम उम्मीद करते हैं कि अब आपको सफलतापूर्वक हवन करने में कोई समस्या नहीं आएगी यदि आपको हमारी जानकारी पसंद आई हो.
तो इसे अपने दोस्तों और जानने वाले लोगों के साथ अवश्य शेयर करें यदि इससे संबंधित कोई अन्य सवाल आपको पूछना है तो हमारे कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं हम आपके सवाल का जवाब जल्द से जल्द देने का प्रयास करेंगे.