गौरी शंकर रुद्राक्ष Gauri shankar rudraksha : दोस्तों और रुद्राक्ष के बारे में आप लोग अच्छी तरह से जानते होंगे और यह भी जानते हैं कि रुद्राक्ष की माला आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है इसका आध्यात्मिक और तांत्रिक दोनों रूपों में प्रयुक्त होता है।
रुद्राक्ष भगवान शिव के साथ संबंध को दर्शाता है भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवभक्त रुद्राक्ष की माला से ही जाप करते हैं और उन्हें प्रसन्न करते हैं विभिन्न प्रकार के शिव मंत्र रुद्राक्ष की माला के साथ जाप किए जाते हैं। विभिन्न प्रकार के रुद्राक्ष के रूप में गौरी शंकर रुद्राक्ष भी काफी महत्वपूर्ण है.
यह रुद्राक्ष दांपत्य जीवन को दर्शाता है क्योंकि इस प्रकार का रुद्राक्ष आपस में जुड़ा हुआ होता है इसीलिए इसे गौरी शंकर रुद्राक्ष कहा जाता है वैसे तो रुद्राक्ष अलग-अलग रूप में 21 प्रकार के बताए गए जो मुख के आधार पर वर्णित है।
रुद्राक्ष की माला के साथ हम भगवान शिव का जाप करते हैं और ओम नमः शिवाय मंत्र का मंत्रोचार करते हैं इसे स्त्री और पुरुष दोनों अपने गले में धारण कर सकते हैं लेकिन ज्यादातर स्त्रियां रुद्राक्ष को धारण नहीं करते हैं ज्यादातर भी मोती या अन्य चीजों की बनी माला को धारण करती हैं। लेकिन जहां बात आती है गौरी शंकर रुद्राक्ष की तो यह भी भगवान शिव और पार्वती से जुड़ी हुई होती है
रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई ? | Rudraksha ki utpatti kaise hui ?
कहा जाता है कि त्रिपुरासुर राक्षस को अपनी शक्तियों पर अधिक घमंड था जिससे उसने तमाम ऋषि-मुनियों को सताने लगा उनके धार्मिक कार्यों में बाधाएं उत्पन्न करने लगा जिससे त्रस्त होकर सभी ब्राह्मण और देवता गण भगवान महादेव के पास गए।
भगवान भोलेनाथ को जब इस बात से अवगत कराया गया तो उन्होंने अपनी आंखें बंद कर लिया और जैसे ही खोला तो उनकी आंखों से आंसू गिरे और यही आंसू रुद्राक्ष का पेड़ बन गए। भगवान शिव के पहले आंसू से एक मुखी रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ इसी प्रकार से रुद्राक्ष एक मुखी द्विमुखी तीन मुखी पंचमुखी सप्तमुखी बन गए और रुद्राक्ष के रूप में 21 प्रकार के रुद्राक्ष बने।
इन रुद्राक्ष ओं का प्रयोग प्रार्थना के रूप में मंत्र जाप के रूप में किया जाने लगा इसी प्रकार से गौरी शंकर रुद्राक्ष भी प्राकृतिक रूप से जुड़े हुए दो रुद्राक्ष ओं का समूह होता है इसी को गौरी शंकर रुद्राक्ष कहा गया। यह रुद्राक्ष के पेड़ों से उत्पन्न होने वाला एक बीज होता है।
गौरी शंकर रुद्राक्ष के फायदे | Gauri shankar rudraksh ke fayde
- गौरी शंकर रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति के जीवन में घर परिवार में खुशहाली और शांति आती है जिससे सभी प्रकार के विघ्न दूर हो जाते हैं।
- एक अच्छा जीवन साथी प्राप्त करने के लिए गौरी शंकर रुद्राक्ष पहनना लाभदायक है.
- जिन लड़कियों को अपने जीवन में एक अच्छा जीवन साथी चाहिए उन्हें गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
- गौरी शंकर रुद्राक्ष नव दंपतियों को पहनना चाहिए जिनको संतानोत्पत्ति नहीं हुई है और संतान की कामना रखते हैं।
- मन की शांति के लिए गौरी शंकर रुद्राक्ष लाभदायक होता है.
- गौरी शंकर रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति के अंदर ज्ञान में वृद्धि होती है और जीवन सफल हो जाता है.
- गौरी शंकर रुद्राक्ष के स्वामी शुक्र ग्रह होते हैं इसलिए इसे धारण करने से व्यक्ति को सभी प्रकार से भौतिक सुख की प्राप्ति होती है.
- धन संपत्ति प्राप्त करने प्यार करने वाले लोगों में आने वाली बाधाओं को दूर करने तथा आर्थिक समस्याओं से जूझने वाले व्यक्तियों को रुद्राक्ष धारण करने से समस्याएं दूर हो जाती हैं.
- गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति के व्यापार में वृद्धि होती है जिससे घर परिवार में सुख शांति बनी रहती है।
- अभिमंत्रित रुद्राक्ष को चांदी के कैप में बंद कर के गले में धारण करने से व्यक्तिक आध्यात्मिक बन जाता है जिसे ईश्वर के प्रति स्नेह प्रेम पैदा होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- जिन लोगों के गले में गौरी शंकर रुद्राक्ष होता है उन लोगों पर किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता है.
- अगर आप स्वास्थ्य से हमेशा परेशान रहते हैं तो गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करें इससे व्यक्ति का स्वास्थ्य जल्दी सही हो जाता है और व्यक्ति हमेशा स्वस्थ बना रहता है।
- अगर किसी स्त्री या पुरुष को यौन समस्याएं हैं तो रुद्राक्ष धारण करें जिससे समस्या जड़ से खत्म हो जाती है।
रुद्राक्ष धारण करने की विधि | Rudraksha dharan karne ki vidhi
रुद्राक्ष को धारण करने के लिए आप सोमवार या शुक्रवार के दिन स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहने और घर के पूजा स्थल में या शिव जी के मंदिर में पूजा करने के बाद नीचे दिए गए मंत्र को पूर्व दिशा की ओर मुंह करके 108 बार जाप करें उसके बाद लाल धागे में चांदी या सोने की डिबिया में बंद करके गले में धारण करें।
‘ऊं एं ह्रीं युगल रूपनाए नम:’
निष्कर्ष
दोस्तों गौरी शंकर रुद्राक्ष अन्य रुद्राक्ष से अलग है क्योंकि इसमें दो रुद्राक्ष एक साथ जुड़े होते हैं ऐसे में इस रुद्राक्ष का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है यह रुद्राक्ष एक मुखी और पंचमुखी के रूप में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रखते हैं अधिकांश ज्योतिष शास्त्र के जानकार पंचमुखी और एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की बात करते हैं क्योंकि यह सभी रुद्राक्ष जीवन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
वहीं दूसरी तरफ गौरी शंकर रुद्राक्ष भी जीवन के तमाम परेशानियों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण है इसीलिए हम जब भी कोई मंत्र अभिमंत्रित करते हैं या जॉब करते हैं तो 108 माला की मोतियों के रूप में रुद्राक्ष का चयन करते हैं और विभिन्न प्रकार के मंत्रों को सिद्ध करने के लिए रुद्राक्ष की माला प्रमुख मानी जाती है।