साथ में इसको पढ़ने के बाद आपके दुकान में ग्राहक ज्यादा से ज्यादा मात्रा में आने लगेंगे. आज आप लोगों को इस आर्टिकल में दुकान में ग्राहक आने की दुआ के साथ सब कुछ ऐसे दुकान में ग्राहक आने के अमल भी बताएंगे इसको प्रयोग करने से आप को लाभ मिलना लाजमी है .
अल्लाह रब्बुल इज्जत इस अमल के जरिए बरकत अता फरमाएंगे यह अमल हर तरीके से आपके लिए फायदेमंद है अगर आप किसी कंपनी या ऑफिस या दुकान ऐसा जिसको आप रोज खोलते या करते हैं, तो आप इस अमल को उस दुकान या ऑफिस का ताला खोलने से पहले किया करें।
अगर आप रोज कमाने खाने वालों में से हैं जैसे कि फेरी करते हैं या फिर घर पर ही कोई कारोबार करते हैं तो भी आप अपने दुकान में ग्राहक बढ़ाने के लिए दुआ के अमल को कर सकते हैं आपको अपने काम में बहुत ज्यादा बरकत हासिल होगी। तो आइए जानते हैं दुकान में ग्राहक आने की दुआ कौन सी होती है और इस दुआ को पढ़ने का तरीका क्या होता है।
इस दुआ को कब पढ़ना चाहिए और उसके कुछ अमल क्या होते हैं इन सब के बारे में बहुत ही मुकम्मल तरीके से और तफ्सील से जानकारी हासिल करते हैं.
इसके लिए आप हमारे आर्टिकल को आखिर तक पढ़ने अगर आप इसे आखिर तक पढ़ते हैं तो आपको यह सारी जानकारी हासिल हो जाएगी।
दुकान में ज्यादा से ज्यादा ग्राहक आने के लिए आप किस दुआ को पढ़े और इस दुआ को दुकान खोलने से पहले 3 मर्तबा दरूद शरीफ पढ़ें और फिर उसके बाद 70 मर्तबा यह यागनीययो 3 मर्तबा आखिर में फिर दरूद शरीफ पढ़े दोस्तों इसे आप अपनी जिंदगी का मामूल बना सकते हैं और इस दुआ को रोजाना पढ़ने से आपकी दुकान में ग्राहक भी बढ़ेंगे और आपकी कमाई में बरकत नहीं होती।
रोजाना नमाज के बाद 21 मर्तबा दरूद शरीफ पढ़े और और अल्लाह से दुआ करें और आखिर में फिर 21 मर्तबा दरूद शरीफ पढ़ें इंशाल्लाह इससे आपकी दुआ कबूल होगी और आपकी दुकान में ग्राहक भी बढ़ेंगे.
उसके बाद बसों करके कागज पर इस दुआ को लिखना है इसके लिए आप कोई गहरा चलने वाला पहन लेना है जिसकी शादी पक्की होनी चाहिए.
दुआ लिखवाने के बाद जहां पर आप का कारोबार या फिर दुकान है उस जगह पर जाकर सबसे ऊंची जगह पर इस दुआ के लिखे कागज को सॉन्ग है इंशाल्लाह दुआ की बरकत से आप के कारोबार में बहुत ज्यादा मुनाफा होगा और आपकी दुकान में ग्राहक भी आने लगेंगे.
कि किसी को पस्त करेगी किसी को बुलन्द
4. इज़ा रुज्जतिल् – अर्जु रज्जंव्-
जब ज़मीन बड़े ज़ोरों में हिलने लगेगी
5. व बुस्सतिल् – जिबालु बस्सा
और पहाड़ (टकरा कर) बिल्कुल चूर चूर हो जाएँगे
6. फ़ – कानत् हबा – अम् मुम् – बस्संव
फिर ज़र्रे बन कर उड़ने लगेंगे
7. व कुन्तुम् अज़्वाजन् सलास
और तुम लोग तीन किस्म हो जाओगे
8. फ़ – अस्हाबुल् -मैमनति मा अस्हाबुल – मै – मन
तो दाहिने हाथ (में आमाल नामा लेने) वाले (वाह) दाहिने हाथ वाले क्या (चैन में) हैं
9. व अस्हाबुल् – मश् – अ – मति मा अस्हाबुल – मश् – अमः
और बाएं हाथ (में आमाल नामा लेने) वाले (अफ़सोस) बाएं हाथ वाले क्या (मुसीबत में) हैं
10. वस्साबिकू नस् – साबिकून
और जो आगे बढ़ जाने वाले हैं (वाह क्या कहना) वह आगे ही बढ़ने वाले थे
11. उलाइ – कल् – मुकर्रबून
यही लोग (ख़ुदा के) मुक़र्रिब हैं
12. फी जन्नातिन् – नअ़ीम
आराम व आसाइश के बाग़ों में बहुत से
13. सुल्लतुम् – मिनल् – अव्वलीन
तो अगले लोगों में से होंगे
14. व क़लीलुम् मिनल – आख़िरीन
और कुछ थोडे से पिछले लोगों में से मोती
15. अ़ला सुरुरिम् – मौजूनतिम्
और याक़ूत से जड़े हुए सोने के तारों से बने हुए
16. मुत्तकिई – न अ़लैहा मु – तकाबिलीन
तख्ते पर एक दूसरे के सामने तकिए लगाए (बैठे) होंगे
17. यतूफु अ़लैहिम् विल्दानुम् – मु – ख़ल्लदून
नौजवान लड़के जो (बेहिश्त में) हमेशा (लड़के ही बने) रहेंगे
18. बिअक्वाबिंव् – व अबारी – क़ व कअ्सिम् – मिम् – मअ़ीन
(शरबत वग़ैरह के) सागर और चमकदार टोंटीदार कंटर और शफ्फ़ाफ़ शराब के जाम लिए हुए उनके पास चक्कर लगाते होंगे
19. ला युसद् – दअू – न अ़न्हा व ला युन्ज़िफून
जिसके (पीने) से न तो उनको (ख़ुमार से) दर्दसर होगा और न वह बदहवास मदहोश होंगे
20. व फ़ाकि – हतिम् – मिम्मा य – तख़य्यरून
और जिस क़िस्म के मेवे पसन्द करें
21. व लह़्मि तैरिम् – मिम्मा यश्तहून
और जिस क़िस्म के परिन्दे का गोश्त उनका जी चाहे (सब मौजूद है)
22. व हुरुन् अी़न
और बड़ी बड़ी ऑंखों वाली हूरें
23. क – अम्सालिल् – लुअलुइल् – मक्नून
जैसे एहतेयात से रखे हुए मोती
24. जज़ा – अम् बिमा कानू यअ्मलून
ये बदला है उनके (नेक) आमाल का
25. ला यस्मअू – न फ़ीहा लग्वंव् – व ला तअ्सीमा
वहाँ न तो बेहूदा बात सुनेंगे और न गुनाह की बात
26. इल्ला की़लन् सलामन् सलामा
(फहश) बस उनका कलाम सलाम ही सलाम होगा
27. व अस्हाबुल् – यमीनि मा अस्हाबुल् – यमीन
और दाहिने हाथ वाले (वाह) दाहिने हाथ वालों का क्या कहना है
28. फी सिद्रिम् – मख़्जूदिंव्
बे काँटे की बेरो और लदे गुथे हुए
29. व तल्हिम् – मनजूदिंव्
केलों और लम्बी लम्बी छाँव
30. व ज़िल्लिम् मम्दूदिंव्
और झरनो के पानी
31. व माइम् – मस्कूब
और अनारों
32. व फ़ाकि – हतिन् कसी – रतिल्
मेवो में होंगें
33. ला मक्तू – अ़तिंव् – व ला मम्नू – अ़तिंव्
जो न कभी खत्म होंगे और न उनकी कोई रोक टोक
34. व फुरुशिम् – मरफूअ
और ऊँचे ऊँचे (नरम गद्दो के) फ़र्शों में (मज़े करते) होंगे
35. इन्ना अन्शअ्नाहुन् – न इन्शा – अन्
(उनको) वह हूरें मिलेंगी जिसको हमने नित नया पैदा किया है
36. फ़ – जअ़ल्नाहुन् – न अब्कारन्
तो हमने उन्हें कुँवारियाँ प्यारी प्यारी हमजोलियाँ बनाया
37. अुरुबन् अत्राबल्
ये सब सामान
38. लिअस्हाबिल् – यमीन
दाहिने हाथ (में नामए आमाल लेने) वालों के वास्ते है
39. सुल्लतुम् – मिनल् – अव्वलीन
(इनमें) बहुत से तो अगले लोगों में से
40. व सुल्लतुम् – मिनल् – आख़िरीन
और बहुत से पिछले लोगों में से
41. व अस्हाबुशु – शिमालि मा अस्हाबुश् – शिमाल
और बाएं हाथ (में नामए आमाल लेने) वाले (अफसोस) बाएं हाथ वाले क्या (मुसीबत में) हैं
42. फ़ी समूमिंव् – व हमीमिंव्
(दोज़ख़ की) लौ और खौलते हुए पानी
43. व ज़िल्लिम् – मिंय्यह्मूमिल्
और काले सियाह धुएँ के साये में होंगे
44. ला बारिदिंव् – व ला करीम
जो न ठन्डा और न ख़ुश आइन्द
45. इन्नहुम् कानू क़ब् – ल ज़ालि – क मुत् – रफ़ीन
ये लोग इससे पहले (दुनिया में) ख़ूब ऐश उड़ा चुके थे
46. व कानू युसिर्रू – न अ़लल् – हिन्सिल् – अ़ज़ीम
और बड़े गुनाह (शिर्क) पर अड़े रहते थे
47. व कानू यकूलू – न अ – इज़ा मित्ना व कुन्ना तुराबंव् – व अ़िज़ामन् अ – इन्ना ल – मब्अूसून
और कहा करते थे कि भला जब हम मर जाएँगे और (सड़ गल कर) मिटटी और हडिडयाँ (ही हडिडयाँ) रह जाएँगे
48. अ – व आबाउनल् – अव्वलून
तो क्या हमें या हमारे अगले बाप दादाओं को फिर उठना है
49. कुल् इन्नल् – अव्वली – न वल् – आख़िरीन
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगले और पिछले
50. ल – मज्मूअू – न इला मीकाति यौमिम् – मअ्लूम
सब के सब रोजे मुअय्यन की मियाद पर ज़रूर इकट्ठे किए जाएँगे
51. सुम् – म इन्नकुम अय्युहज़्जा़ल्लूनल् – मुकज़्ज़िबून
फिर तुमको बेशक ऐ गुमराहों झुठलाने वालों
52. ल – आकिलू – न मिन् श – जरिम् – मिन् ज़क़्कूम
यक़ीनन (जहन्नुम में) थोहड़ के दरख्तों में से खाना होगा
53. फ़मालिऊ – न मिन्हल् – बुतून
तो तुम लोगों को उसी से (अपना) पेट भरना होगा
54. फ़शारिबू – न अ़लैहि मिनल् – हमीम
फिर उसके ऊपर खौलता हुआ पानी पीना होगा
55. फ़शारिबू – न शुर्बल् – हीम
और पियोगे भी तो प्यासे ऊँट का सा (डग डगा के) पीना
56. हाज़ा नुजुलुहुम् यौमद्दीन
क़यामत के दिन यही उनकी मेहमानी होगी
57. नह्नु ख़लक़्नाकुम् फ़लौ ला तुसद्दिकून
तुम लोगों को (पहली बार भी) हम ही ने पैदा किया है
58. अ – फ़ – रऐतुम् – मा तुम्नून
फिर तुम लोग (दोबार की) क्यों नहीं तस्दीक़ करते
59. अ – अन्तुम् तखलुकूनहू अम् नह्नुल – ख़ालिकून
तो जिस नुत्फे क़ो तुम (औरतों के रहम में डालते हो) क्या तुमने देख भाल लिया है क्या तुम उससे आदमी बनाते हो या हम बनाते हैं
60. नह्नु कद्दरना बैनकुमुल् – मौ – त व मा नह्नु बिमसबूक़ीन
हमने तुम लोगों में मौत को मुक़र्रर कर दिया है और हम उससे आजिज़ नहीं हैं
61. अ़ला अन् – नुबद्दि – ल अम्सा – लकुम् व नुन्शि – अकुम् फ़ी मा ला तअ्लमून
कि तुम्हारे ऐसे और लोग बदल डालें और तुम लोगों को इस (सूरत) में पैदा करें जिसे तुम मुत्तलक़ नहीं जानते
62. व ल – क़द् अ़लिम्तुमुन् – नश्अ – तल् ऊला फ़लौ ला तज़क्करून
और तुमने पैहली पैदाइश तो समझ ही ली है (कि हमने की) फिर तुम ग़ौर क्यों नहीं करते
63. अ – फ़ – रऐतुम् – मा तहरुसून
भला देखो तो कि जो कुछ तुम लोग बोते हो क्या
64. अ – अन्तुम् तज् – रअूनहू अम् नह्नुज् – ज़ारिअून
तुम लोग उसे उगाते हो या हम उगाते हैं अगर हम चाहते
65. लौ नशा – उ ल – जअ़ल्नाहु हुतामन् फ़ज़ल्तुम् तफ़क्कहून
तो उसे चूर चूर कर देते तो तुम बातें ही बनाते रह जाते
66. इन्ना ल – मुग़रमून
कि (हाए) हम तो (मुफ्त) तावान में फॅसे (नहीं)
67. बल् नह्नु महरूमून
हम तो बदनसीब हैं
68. अ – फ – रऐतुमुल् मा अल्लज़ी तश्रबून
तो क्या तुमने पानी पर भी नज़र डाली जो (दिन रात) पीते हो
69. अ – अन्तुम् अन्ज़ल्तुमूहु मिनल् – मुज्नि अम् नह्नुल – मुन्ज़िलून
क्या उसको बादल से तुमने बरसाया है या हम बरसाते हैं
70. लौ नशा – उ जअ़ल्लाहु उजाजन् फ़लौ ला तश्कुरून
अगर हम चाहें तो उसे खारी बना दें तो तुम लोग यक्र क्यों नहीं करते
71. अ – फ़ – रऐतुमुन् – नारल्लती तूरून
तो क्या तुमने आग पर भी ग़ौर किया जिसे तुम लोग लकड़ी से निकालते हो
72. अ – अन्तुम् अन्शअ्तुम् श – ज – र – तहा अम् नह्नुल – मुन्शिऊन
क्या उसके दरख्त को तुमने पैदा किया या हम पैदा करते हैं
73. नह्नु जअ़ल्नाहा तज़्कि – रतंव् – व मताअ़ल् – लिल्मुक़्वीन
हमने आग को (जहन्नुम की) याद देहानी और मुसाफिरों के नफे के (वास्ते पैदा किया)
74. फ़ – सब्बिह् बिस्मि रब्बिकल् – अ़ज़ीम
तो (ऐ रसूल) तुम अपने बुज़ुर्ग परवरदिगार की तस्बीह करो
75. फ़ला उक्सिमु बि – मवाकिअिन् – नुजूम
तो मैं तारों के मनाज़िल की क़सम खाता हूँ
76. व इन्नहू ल – क़ – समुल् – लौ तअ्लमू – न अ़ज़ीम
और अगर तुम समझो तो ये बड़ी क़सम है
77. इन्नहू ल – कुरआनुन् करीम
कि बेशक ये बड़े रूतबे का क़ुरान है
78. फी किताबिम् मक्नून
जो किताब (लौहे महफूज़) में (लिखा हुआ) है
79. ला य – मस्सुहू इल्लल् – मुतह्हरून)
इसको बस वही लोग छूते हैं जो पाक हैं
80. तन्ज़ीलुम् मिर्रब्बिल् – आ़लमीन
सारे जहाँ के परवरदिगार की तरफ से (मोहम्मद पर) नाज़िल हुआ है
81. अ – फ़बिहाज़ल् – हदीसि अन्तुम् मुद्हिनून
तो क्या तुम लोग इस कलाम से इन्कार रखते हो
82. व तज्अ़लू – न रिज् – क़कुम् अन्नकुम् तुकज़्ज़िबून
और तुमने अपनी रोज़ी ये करार दे ली है कि (उसको) झुठलाते हो
83. फ़लौ ला इज़ा ब – ल – गतिल् – हुल्कूम
तो क्या जब जान गले तक पहुँचती है
84. व अन्तुम् ही – न – इज़िन् तन्जुरून
और तुम उस वक्त (क़ी हालत) पड़े देखा करते हो
85. व नह्नु अक्रबु इलैहि मिन्कुम् व लाकिल् – ला तुब्सिरून
और हम इस (मरने वाले) से तुमसे भी ज्यादा नज़दीक होते हैं लेकिन तुमको दिखाई नहीं देता
86. फ़लौ – ला इन् कुन्तुम् गै़ – र मदीनीन
तो अगर तुम किसी के दबाव में नहीं हो
87. तरजिअूनहा इन् कुन्तुम् सादिक़ीन
तो अगर (अपने दावे में) तुम सच्चे हो तो रूह को फेर क्यों नहीं देते
88. फ़ – अम्मा इन का – न मिनल् – मुक़र्रबीन
पस अगर वह (मरने वाला ख़ुदा के) मुक़र्रेबीन से है
89. फ़ – रौहुंव् – व रैहानुंव् – व जन्नतु नअ़ीम
तो (उस के लिए) आराम व आसाइश है और ख़ुशबूदार फूल और नेअमत के बाग़
90. व अम्मा इन् का – न मिन् अस्हाबिल् – यमीन
और अगर वह दाहिने हाथ वालों में से है
91. फ़ – सलामुल् – ल – क मिन् अस्हाबिल् – यमीन
तो (उससे कहा जाएगा कि) तुम पर दाहिने हाथ वालों की तरफ़ से सलाम हो
92. व अम्मा इन् का – न मिनल् मुकज़्ज़िबीनज् -ज़ाल्लीन
और अगर झुठलाने वाले गुमराहों में से है
93. फ़ – नुजुलुम् – मिन् हमीमिंव्
तो (उसकी) मेहमानी खौलता हुआ पानी है
94. व तस्लि – यतु जहीम
और जहन्नुम में दाखिल कर देना
95. इन् – न हाज़ा लहु – व हक़्कुल – यक़ीन
बेशक ये (ख़बर) यक़ीनन सही है
96. फ़ – सब्बिह् बिस्मि रब्बिकल् – अ़ज़ीम
तो (ऐ रसूल) तुम अपने बुज़ुर्ग परवरदिगार की तस्बीह करो
उम्मीद करते हैं आज का हमारा यह आर्टिकल काफी पसंद आया होगा इसमे हमने आप लोगों को बताया कि दुकान में ग्राहक बढ़ाने की दुआ क्या होती है.
और इसे कैसे पढ़ा जाता है। ये सारी जानकारी आप को पढ़ने के बाद समझ गई होगी। अगर आपका कोई दोस्तों या रिश्तेदार इस समस्या से परेशान है तो आप उसे ये आर्टिकल भेज सकते है.