पीपल के पेड़ से प्रेतराज की साधना कैसे करें ? सावधानियाँ और मंत्र जाने ! How to practice a phantom ghost king with a Peepal tree in hindi ?

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आज के इस आर्टिकल में हम आपको पीपल से भयंकर प्रेत ghost की साधना sadhna कैसे की जाती है,उसके बारे में जानकारी देने वाले हैं| हमारे हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ का काफी महत्व है| पीपल के पेड़ के सभी पदार्थ हमारे लिए काफी उपयोगी है, फिर चाहे वह पीपल का पत्ता peepal ka ptta हो, पीपल का पेड़ हो या फिर पीपल की जड़ हो | वैसे भी पीपल हमारे लिए धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है|

इसके अलावा अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो पीपल का पेड़ ऑक्सीजन को शुद्ध करने का काम करता है, साथ ही गर्मियों के मौसम में पीपल के पेड़ के नीचे बैठने से ठंडक की प्राप्ति होती है|

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पीपल के पेड़ का वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही नजर से काफी महत्व है| अगर धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की विशेष तौर पर पूजा की जाती है, क्योंकि जब किसी व्यक्ति को शनि की साढ़ेसाती sani sadhsati या फिर शनि की ढैया का सामना करना पड़ता है तब पंडित लोग उसे इस समस्या से बचने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह के समय जल चढ़ाने के लिए कहते हैं|

और शनिवार के दिन ही शाम को पीपल के पेड़ के पास सरसों का दीपक जलाने के लिए भी कहते हैं|ऐसा करने से उस व्यक्ति के ऊपर से शनिदेव की कुदृष्टि धीरे-धीरे कम हो जाती है और उसके जीवन में आ रही कठिनाइयां धीरे-धीरे अपने आप दूर होने लगती हैं| इसीलिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ को हमारे भारत में विशेष तौर पर पूजा जाता है|

पीपल के पेड़ का इस्तेमाल सात्विक और तांत्रिकों दोनों विधियों में किया जाता है| लोग इसका इस्तेमाल अपने अपने हिसाब से करते हैं| खैर आज के इस आर्टिकल में हम आपको तांत्रिक विधि के बारे में बताने वाले हैं|

आज के इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि कैसे आप पीपल के पेड़ की साधना करके प्रेत भूत को प्रगट कर सकते हैं और उससे अपना मनचाहा काम करवा सकते हैं, तो चलिए जानते हैं पीपल के पेड़ से भूत प्रेत की सिद्धि कैसे की जाती है|

पीपल के पेड़ की साधना करने से पहले सावधानी : Caution before cultivating the Peepal tree

हम आपको इस साधना को चालू करने से पहले यह साफ-साफ बता दें कि, आपको किसी भी प्रकार के भूत प्रेत की साधना नहीं करनी चाहिए,क्योंकि अगर आप यह साधना करते हैं तो कभी कभी ऐसा भी हो सकता है कि यह आप को नुकसान पहुंचा दें|

इसीलिए अगर आपको यह साधना करनी है, तो आपको किसी गुरु के दिशा निर्देश में ही इस प्रकार की साधनाएं करनी चाहिए और अगर आपके पास गुरु नहीं है तो आपको कोई उचित गुरु ढूंढ लेना चाहिए| बिना किसी गुरु के आपको इस प्रकार की साधना नहीं करनी चाहिए,वरना आपको नुकसान हो सकता है|

पीपल से प्रेत साधना : peepal pret Sadhna

प्रेतराज की यह साधना बहुत ही ताकतवर है और इस साधना को रात के समय 10:00 बजे से लेकर 12:00 बजे के बीच रविवार की रात को करना होता है|

साधना को करने के लिए आप को रात को 10:00 बजे एक सरसों का दीपक और मिट्टी के बर्तन के अंदर पानी लेकर पीपल के पेड़ के पास जाना है और आपको इसे पीपल के जड़ के अंदर रख देना है और वहां पर आपको दीपक जला देना है और फिर आपको पीपल को प्रणाम करके अपने घर चले जाना है|

इस प्रकार से ऐसा कहा जाता है कि 10 दिन के बाद प्रेतराज बोलना शुरू कर देता है परंतु साधक को उससे बात नहीं करनी चाहिए| यह प्रयोग लगातार आपको 21 दिन तक यह प्रयोग करना है और 21वे दिन आपको थोड़ा सा मीठा चावल ले जाकर पीपल के पेड़ पर रख आना है| उस दिन आपके सामने प्रेतराज प्रत्यक्ष रुप से आता है, वह आपके सामने आ जाए तब आप अपनी इच्छा के अनुसार उनसे 3 वर ले सकते हैं|

‌‌‌प्रेतराज से कौन से वचन मांगे : What words should you ask for phantom

जब प्रेतराज आपके सामने प्रकट हो जाए तब आपको उनसे तीन वचन मांगना है, जिसमें सबसे पहले आपको उनसे यह वचन मांगना है कि मैं जो भी काम बोलूंगा वह आपको करना होगा|

दूसरा वचन यह मांगना है कि मैं जब भी आपको बुलाऊंगा तब आपको आना होगा और तीसरा वचन आपको उनसे यह मांगना है कि आप मुझे और मेरे परिवार तथा मेरे परिवार से संबंधित किसी भी व्यक्ति को कभी भी किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचाएंगे|

पीपल के पेड़ से प्रेत साधना करने की दूसरी विधि : The second method of performing meditation with the Peepal tree

आप इस उपाय के द्वारा भी पीपल के पेड़ से प्रेत की साधना कर सकते हैं| इस उपाय में आपको रात को 10:00 से 12:00 के बीच थोड़ी सी अगरबत्ती लेकर पीपल के पेड़ के पास जाना है और वहां पर अगरबत्ती को माचिस की सहायता से जलाना है और पीपलू को प्रणाम करके आपको बिना पीछे देखे हुए अपने घर चले जाना है|

प्रेतराज ‌‌‌म आगच्छ नम: ‌‌

इसके अलावा आपको वहां पर जाने से पहले एक रोज मिट्टी का कटोरा पानी में भरकर ले जाना है,साथ ही आपको मोतीचूर का लड्डू भी लेकर जाना है और नीचे दिए गए मंत्रों को आपको 21 बार जाप करना है| मंत्र इस प्रकार है|

प्रेत साधना करने से पहले रक्षा कवच का इस्तेमाल आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, किसी भी प्रकार की साधना को करने के पहले रक्षा कवच का इस्तेमाल अवश्य कर लेना चाहिए| रक्षा कवच आपके शरीर की सुरक्षा करता है और अगर आपके पास रक्षा कवच नहीं है तो आपको किसी भी प्रकार की तांत्रिक साधना नहीं करनी चाहिए|

रक्षा कवच क्या होता है : What Is Raccha Kawach

रक्षा कवच एक ऐसा मंत्र होता है, जिसका इस्तेमाल करने पर आपका शरीर मंत्रों के द्वारा अपने आप बंध जाता है, जिसके कारण साधना के दरमियान कोई भी नेगेटिव एनर्जी आपके ऊपर अपना अधिकार नहीं जमा पाती है, ना ही वह आपको किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाए पाती है|इसीलिए साधना करने से पहले रक्षा कवच अवश्य धारण कर लेना चाहिए|

साधना करने वाला पीपल एकांत में होना चाहिए : The meditator must be in solitude

प्रेत की साधना करने के लिए जिस पीपल का चुनाव करें वह किसी एकांत जगह पर होना चाहिए|आपको कभी भी शमशान के अंदर स्थित पीपल के पेड़ की साधना नहीं करनी चाहिए| इसके साथ ही आपको साधना उस जगह पर करनी चाहिए, जहां पर आपको साधना करते समय कोई देख ना पाए|

बिना गुरू के साधना ना करें : Do not practice without a teacher

अगर आपका कोई गुरु नहीं है, तो आपको इस साधना को नहीं करना चाहिए, वरना अगर आपसे साधना के दरमियान कोई गलती हो जाती है, तो प्रेतराज आपकी जान भी ले सकता है| इसीलिए इस साधना को करने के पहले आपको एक अच्छे गुरु की तलाश कर लेनी चाहिए, ताकि आपकी साधना बिना किसी रूकावट के और बिना किसी नुकसान के सफल हो|

‌‌‌पीपल के पेड़ के पास कोई मंदिर ना हो : There is no temple near the Peepal tree

पीपल के पेड़ के शक्तिशाली टोटके

आपको प्रेतराज की साधना करने के लिए किसी भी ऐसे पीपल के पेड़ का चुनाव नहीं करना है जिसके आसपास कोई मंदिर हो|क्योंकि मंदिर में देवी देवताओं का निवास होता है और प्रेतराज वहां पर कभी भी प्रकट नहीं होते हैं, इसीलिए आपको किसी एकांत जगह पर स्थित पीपल के पेड़ का ही चुनाव साधना करने के लिए करना चाहिए

-: चेतावनी disclaimer :-

सभी तांत्रिक साधनाएं एवं क्रियाएँ सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से दी गई हैं, किसी के ऊपर दुरुपयोग न करें एवं साधना किसी गुरु के सानिध्य (संपर्क) में ही करे अन्यथा इसमें त्रुटि से होने वाले किसी भी नुकसान के जिम्मेदार आप स्वयं होंगे |

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