राम स्तुति श्लोक संस्कृत में और राम रक्षा स्तोत्रम्: डिटेल में पढ़े | Ram stuti shlok sanskrit

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राम स्तुति श्लोक संस्कृत | Ram stuti shlok sanskrit : दोस्तों त्रेता युग में राम अवतार हुआ जो स्वयं विष्णु के अवतार माने जाते हैं और उनका नाम राम अपने में एक गुरु मंत्र है केवल राम के नाम को जपने मात्र से व्यक्ति दुनिया के मृत्यु लोक से सदा सदा के लिए मोक्ष को प्राप्त हो जाता है।

राम स्तुति श्लोक संस्कृत | Ram stuti shlok sanskrit

आइए हम आपको अपने इस लेख में राम स्तुति श्लोक संस्कृत में कैसे करें इसके बारे में जानकारी देंगे। राम नाम जपने से व्यक्ति सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा पा जाता है स्वयं उनके भक्त हनुमान ने हमेशा उनके नाम का गुणगान किया करते थे।

हमारे महान कवियों ने राम के नाम की महिमा को अपनी-अपनी भाषाओं में किया। भारत के श्रेष्ठ कवियों में बाल्मीकि ने रामायण महाकाव्य को लिखकर राम के चरित्र का एक उत्कृष्ट आदर्श प्रस्तुत किया है।

राम स्तुति श्लोक संस्कृत | Ram stuti shlok sanskrit

आज दुनिया में भगवान राम की महिमा को हर व्यक्ति घर घर गायन करता है अगर आप राम स्तुति श्लोक संस्कृत में करना चाहते हैं तो हम आपको यहां पर राम स्तुति श्लोक संस्कृत से संबंधित छंद के बारे में बता रहे हैं।

श्री राम गायत्री मंत्र

ॐ दाशरथये विद्महे जानकी वल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात् ||

श्री राम वंदना | Shree ram vandana

भगवान श्रीराम की वंदना करने के लिए आपको राम स्तुति श्लोक संस्कृत ने लिखा गया यह छंद बहुत ही अच्छा है जिसे आप प्रतिदिन गायन कर सकते हैं और भगवान श्री राम के चरणों में ध्यान लगा सकते है।

श्री राम वंदना : श्री राम स्तुति श्लोक संस्कृत

उदर पीड़ा निवारक साबर हनुमान मंत्र क्या है ?

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम् ।
नवकंज लोचन, कंज मुख, कर कंज, पद कन्जारुणम ॥1॥

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम ।
पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमी जनक सुतावरम् ॥2॥

भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम् ।
रघुनंद आनंदकंद कौशलचंद दशरथ नन्दनम ॥3॥

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारू उदारु अंग विभुषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-दूषणं ॥4॥

इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनम् ।
मम् हृदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम् ॥5॥

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरों ।
करुना निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो ॥6॥

एही भांती गौरी असीस सुनि सिय सहित हिय हरषी अली ।
तुलसी भवानी पूजि पूनि पूनि मुदित मन मंदिर चली ॥7॥

दोहा- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ॥

राम रक्षा स्तोत्रम्: | Ram raksha stotra

भगवान श्री राम की वंदना के लिए उनकी कृपा पाने के लिए और अपनी रखा के लिए आप राम रक्षा स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं इसके लिए आपको यह राम रक्षा स्त्रोत तम पाठ करना शुभ है।

हनुमान

चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥1॥

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं ॥2॥

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥3॥

रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥4॥

कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥5॥

जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः ।
स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥6॥

करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥7॥

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।
उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः ॥8॥

जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः ।
पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः ॥9॥

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत ।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥10॥

पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः ।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥11॥

रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन ।
नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥12॥

जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥13॥

वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत ।
अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥14॥

आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।
तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥15॥

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः ॥16॥

तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥17॥

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥18॥

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥19॥

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम ॥20॥

Hanuman

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ॥21॥

रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ॥22॥

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।
जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः ॥23॥

इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥24॥

रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरः ॥25॥

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं,
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम ।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं,
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम ॥26॥

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥27॥

श्रीराम राम रघुनन्दनराम राम,
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम,
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥28॥

श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि,
श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि,
श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥29॥

माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी,
रामो मत्सखा रामचन्द्रः ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं,
जाने नैव जाने न जाने ॥30॥

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मज ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ॥31॥

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं ।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥32॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ॥33॥

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम ॥34॥

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥35॥

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥36॥

रामो राजमणिः सदा विजयते,
रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता,
निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं,
रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयः,
सदा भवतु मे भो राम मामुद्धराः ॥37॥

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥38॥

श्री राम रक्षा विनियोग

राम ram

अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः ।
श्री सीतारामचंद्रो देवता ।
अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः ।
श्रीमान हनुमान कीलकम ।
श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः ।

श्री राम रक्षा अथ ध्यानम्‌:

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपदमासनस्थं,
पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिनेत्रम् प्रसन्नम ।
वामांकारूढ़ सीता मुखकमलमिलल्लोचनम्नी,
रदाभम् नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलम् रामचंद्रम ॥

एक श्लोकी रामायण

आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम् ||
वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम् || ||
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम् ||
पश्चाद्‌ रावण कुम्भकर्ण हननम्‌, एतद्धि रामायणम् ||

राम जी का मूल मंत्र

” ॐ राम ॐ राम ॐ राम ह्रीं राम ह्रीं राम श्रीं राम श्रीं राम – क्लीं राम क्लीं राम। फ़ट् राम फ़ट् रामाय नमः

सर्वार्थसिद्धि श्री राम स्तुति श्लोक संस्कृत ध्यान मंत्र

सभी कार्यों की सिद्धि हेतु श्री राम के इस ध्यान मंत्र को जाप करें।

ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम, लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम ! श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !

राम स्तुति श्लोक संस्कृत संकट निवारण मंत्र

राम ram

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।

कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥

— आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्। लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्।।

ग्रह क्लेश निवारण और सुख संपत्ति दायक राम स्तुति श्लोक संस्कृत

चहुओर सफलता के लिए राम स्तुति श्लोक संस्कृत

” ॐ राम ॐ राम ॐ राम ह्रीं राम ह्रीं राम श्रीं राम श्रीं राम – क्लीं राम क्लीं राम। फ़ट् राम फ़ट् रामाय नमः ।

प्रतिदिन प्रभु के स्मरण हेतु राम स्तुति श्लोक संस्कृत

|| श्री राम जय राम जय जय राम ||

मनोकामना पूर्ति हेतु राम स्तुति श्लोक संस्कृत

|| श्री रामचन्द्राय नमः ||

विपत्ति में रक्षा हेतु राम स्तुति श्लोक संस्कृत

श्री राम जय राम जय जय राम || श्री रामचन्द्राय नमः ||

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ||
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने ||

मुक्ति और प्रभु प्रेम हेतु राम स्तुति श्लोक संस्कृत

राम ram

|| नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट ||

|| लोचन निजपद जंत्रित जाहि प्राण केहि बाट

लक्ष्मी प्राप्ति के लिये राम स्तुति श्लोक संस्कृत मंत्र

जिमि सरिता सागर महुँ जाही।
जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख संपति बिनहिं बोलाएँ।
धरमसील पहिं जाहिं सुभाएँ।।

श्री रामाष्टक

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा ||
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा || ||
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते ||
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्

राम स्तुति श्लोक संस्कृत तारक मंत्र

श्री राम, जय राम, जय जय राम ||

ॐ जानकीकांत तारक रां रामाय नमः |

बाल्मीकि रामायण में राम स्तुति श्लोक संस्कृत मंत्र

बाल्मीकि रामायण सात खंड है और पूरी रामायण का अध्ययन करना उसको समझना तथा राम की आराधना करना कठिन है ऐसे में सभी खंडों से कुछ राम स्तुति श्लोक संस्कृत यहां पर दिए जा रहे हैं जिनका जाप राम की कृपा पाने के लिए किया जा सकता है।

बालकाण्ड में राम मन्त्र एवं श्लोक

राम

शुद्धब्रह्मपरात्पर राम्॥१॥

कालात्मकपरमेश्वर राम्॥२॥

शेषतल्पसुखनिद्रित राम्॥३॥

ब्रह्माद्यामरप्रार्थित राम्॥४॥

चण्डकिरणकुलमण्डन राम्॥५॥

श्रीमद्दशरथनन्दन राम्॥६॥

कौसल्यासुखवर्धन राम्॥७॥

विश्वामित्रप्रियधन राम्॥८॥

घोरताटकाघातक राम्॥९॥

मारीचादिनिपातक राम्॥१०॥

कौशिकमखसंरक्षक राम्॥११॥

श्रीमदहल्योद्धारक राम्॥१२॥

गौतममुनिसम्पूजित राम्॥१३॥

सुरमुनिवरगणसंस्तुत राम्॥१४॥

नाविकधावितमृदुपद राम्॥१५॥

मिथिलापुरजनमोहक राम्॥१६॥

विदेहमानसरञ्जक राम्॥१७॥

त्र्यम्बककार्मुकभञ्जक राम्॥१८॥

सीतार्पितवरमालिक राम्॥१९॥

कृतवैवाहिककौतुक राम्॥२०॥

भार्गवदर्पविनाशक राम्॥२१॥

श्रीमदयोध्यापालक राम्॥२२॥

राम् राम् जय राजा राम् ||

राम् राम् जय सीता राम्॥

अयोध्याकाण्ड में राम मन्त्र एवं श्लोक

ramayan

अगणितगुणगणभूषित राम्॥२३॥

अवनीतनयाकामित राम्॥२४॥

राकाचन्द्रसमानन राम्॥२५॥

पितृवाक्याश्रितकानन राम्॥२६॥

प्रियगुहविनिवेदितपद राम्॥२७॥

तत्क्षालितनिजमृदुपद राम्॥२८॥

भरद्वाजमुखानन्दक राम्॥२९॥

चित्रकूटाद्रिनिकेतन राम्॥३०॥

दशरथसन्ततचिन्तित राम्॥३१॥

कैकेयीतनयार्थित राम्॥३२॥

विरचितनिजपितृकर्मक राम्॥३३॥

भरतार्पितनिजपादुक राम्॥३४॥

राम् राम् जय राजा राम् ||

राम् राम् जय सीता राम्॥

अरण्यकाण्ड में राम मन्त्र एवं श्लोक

दण्डकवनजनपावन राम्॥३५॥

दुष्टविराधविनाशन राम्॥३६॥

शरभङ्गसुतीक्ष्णार्चित राम्॥३७॥

अगस्त्यानुग्रहवर्धित राम्॥३८॥

गृध्राधिपसंसेवित राम्॥३९॥

पञ्चवटीतटसुस्थित राम्॥४०॥

शूर्पणखार्तिविधायक राम्॥४१॥

खरदूषणमुखसूदक राम्॥४२॥

सीताप्रियहरिणानुग राम्॥४३॥

मारीचार्तिकृदाशुग राम्॥४४॥

विनष्टसीतान्वेषक राम्॥४५॥

गृध्राधिपगतिदायक राम्॥४६॥

शबरीदत्तफलाशन राम्॥४७॥

कबन्धबाहुच्छेदक राम्॥४८॥

राम् राम् जय राजा राम् ||

राम् राम् जय सीता राम्॥

किष्किन्धाकाण्ड में राम मन्त्र एवं श्लोक

Ramayan

हनुमत्सेवितनिजपद राम्॥४९॥

नतसुग्रीवाभीष्टद राम्॥५०॥

गर्वितवालिसंहारक राम्॥५१॥

वानरदूतप्रेषक राम्॥५२॥

हितकरलक्ष्मणसंयुत राम्॥५३॥

राम् राम् जय राजा राम् ||

राम् राम् जय सीता राम्॥

सुन्दरकाण्ड में राम मन्त्र एवं श्लोक

कपिवरसन्ततसंस्मृत राम्॥५४॥

तद्‍गतिविघ्नध्वंसक राम्॥५५॥

सीताप्राणाधारक राम्॥५६॥

दुष्टदशाननदूषित राम्॥५७॥

शिष्टहनूमद्‍भूषित राम्॥५८॥

सीतावेदितकाकावन राम्॥५९॥

कृतचूडामणिदर्शन राम्॥६०॥

कपिवरवचनाश्वासित राम्॥६१॥

राम् राम् जय राजा राम् ||

राम् राम् जय सीता राम्॥

लंका काण्ड में राम मन्त्र एवं श्लोक

रावणनिधनप्रस्थित राम्॥६२॥

वानरसैन्यसमावृत राम्॥६३॥

शोषितसरिदीशार्थित राम्॥६४॥

विभीषणाभयदायक राम्॥६५॥

पर्वतसेतुनिबन्धक राम्॥६६॥

कुम्भकर्णशिरच्छेदक राम्॥६७॥

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राक्षससङ्घविमर्दक राम्॥६८॥

अहिमहिरावणचारण राम्॥६९॥

संहृतदशमुखरावण राम्॥७०॥

विधिभवमुखसुरसंस्तुत राम्॥७१॥

खस्थितदशरथवीक्षित राम्॥७२॥

सीतादर्शनमोदित राम्॥७३॥

अभिषिक्तविभीषणनत राम्॥७४॥

पुष्पकयानारोहण राम्॥७५॥

भरद्वाजादिनिषेवण राम्॥७६॥

भरतप्राणप्रियकर राम्॥७७॥

साकेतपुरीभूषण राम्॥७८॥

सकलस्वीयसमानत राम्॥७९॥

रत्नलसत्पीठास्थित राम्॥८०॥

पट्टाभिषेकालङ्कृत राम्॥८१॥

पार्थिवकुलसम्मानित राम्॥८२॥

विभीषणार्पितरङ्गक राम्॥८३॥

कीशकुलानुग्रहकर राम्॥८४॥

सकलजीवसंरक्षक राम्॥८५॥

समस्तलोकाधारक राम्॥८६॥

उत्तरकाण्ड में राम मन्त्र एवं श्लोक

आगतमुनिगणसंस्तुत राम्॥८७॥

विश्रुतदशकण्ठोद्भव राम्॥८८॥

सीतालिङ्गननिर्वृत राम्॥८९॥

नीतिसुरक्षितजनपद राम्॥९०॥

विपिनत्याजितजनकज राम्॥९१॥

कारितलवणासुरवध राम्॥९२॥

स्वर्गतशम्बुकसंस्तुत राम्॥९३॥

स्वतनयकुशलवनन्दित राम्॥९४॥

अश्वमेधक्रतुदीक्षित राम्॥९५॥

कालावेदितसुरपद राम्॥९६॥

आयोध्यकजनमुक्तिद राम्॥९७॥

विधिमुखविबुधानन्दक राम्॥९८॥

Ramayan

तेजोमयनिजरूपक राम्॥९९॥

संसृतिबन्धविमोचक राम्॥१००॥

धर्मस्थापनतत्पर राम्॥१०१॥

भक्तिपरायणमुक्तिद राम्॥१०२॥

सर्वचराचरपालक राम्॥१०३॥

सर्वभवामयवारक राम्॥१०४॥

वैकुण्ठालयसंस्थित राम्॥१०५॥

नित्यानन्दपदस्थित राम्॥१०६॥

राम् राम् जय राजा राम्॥१०७॥

राम् राम् जय सीता राम्॥१०८॥

राम् राम् जय राजा राम् ||

राम् राम् जय सीता राम्॥

FAQ : राम स्तुति श्लोक संस्कृत

एक श्लोकी रामायण मंत्र क्या है ?

आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम् || वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम् || || बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम् || पश्चाद्‌ रावण कुम्भकर्ण हननम्‌, एतद्धि रामायणम् || ||

राम मंत्र कितने प्रकार के होते हैं ?

श्रीरामचन्द्राय नम:। रामाय नम:। ह्रीं राम ह्रीं राम। क्लीं राम क्लीं राम। फट् राम फट्। श्रीं राम श्रीं राम। ॐ राम ॐ राम ॐ राम। श्रीराम शरणं मम्। ॐ रामाय हुं फट् स्वाहा। ‘श्रीराम, जयराम, जय-जय राम’।

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