शव साधना | Sav sadhana kaise ki jati hai ? तंत्र मंत्र की दुनिया में अनेकों साधनाएं की जाती हैं इन साधनों के माध्यम से व्यक्ति बड़े से बड़े काम करता है। साधनाओं के अलग-अलग कानून और नियम है जिनका पालन करते हुए साधना की जाती है। सिद्धि साधना का एक पंथ अघोर पंथ है, जो विभिन्न प्रकार की रहस्यमई सिद्धियां करते रहते हैं। इन्हीं सिद्धियों में एक सिद्ध है शव साधना।
यह साधना श्मशान के अंदर शव के ऊपर की जाती है अघोरियों द्वारा समाशन घाट के अंदर तीन प्रकार की साधनाएं की जाती हैं। जिनमें प्रमुख रूप से शमशान साधना शव साधना और शिव साधना की जाती है।
यह साधना जानने समझने और देखने में बढ़िया आसान परंतु बहुत कठिन होती है क्योंकि इसे काली अंधेरी रात में श्मशान घाट के अंदर किया जाता है. शव साधना श्मशान में स्वयं के शरीर को शव के समान करके अपने उद्देश्य की मानसिक रूप से साधना करना होता है। इसमें से किसी शव को जगाने का कार्य किया जाता है
- 1. शव साधना के लिए आवश्यक क्या है ?
- 1.1. शव साधना मन्त्र
- 2. शव साधना के लिए उपयुक्त समय | Suitable time for dead body
- 3. शव साधना आसान नहीं है | Dead body is not easy
- 4. शव साधना कैसे करें ? | How to do dead body?
- 5. अनुमति लेना जरूरी है | Permission is required
- 6. साधक की रक्षा कैसे करें ? How to protect the seeker
- 6.1. आत्म रक्षा मन्त्र
- 7. भोग क्या क्या होते हैं ? | What are indulgences
- 8. शव साधना से लाभ क्या है ? | Benefits of dead body
शव साधना के लिए आवश्यक क्या है ?
शव साधना मन्त्र
।। “हूं हूं ह्रीं ह्रीं कालिके घोरदंस्ट्रे प्रचंडे चंडनायिकेदानवान द्वाराय हन हन शव शरीरे महाविघ्न छेदय छेदय स्वाहा हूं फट “।।
शव साधना के लिए शव का होना जरूरी है यदि कोई अघोरी स्त्री है तो उसे पुरुष का शव लेना जरूरी होता है और यदि पुरुष है तो उसे स्त्री के शव पर साधना करनी होती है । साधना में किसी चांडाल या दुर्घटना में मरने वाले व्यक्ति अथवा अकारण मरने वाले युवा का शव होना सबसे अधिक उत्तम माना जाता है।
शव साधना के लिए उपयुक्त समय | Suitable time for dead body
शव साधना के लिए अमावस्या या शुक्ल पक्ष अथवा कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन साधना करना सबसे शुभ माना जाता है यदि इन दिनों मंगलवार पड़ जाता है तो और अधिक शुभ माना जाता है
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शव साधना आसान नहीं है | Dead body is not easy
शव साधना इतना आसान नहीं है जितना लोग समझते हैं क्योंकि इस साधना को करते समय श्मशान में कई तरह के दृश्य और अदृश्य बाधाएं उत्पन्न होती हैं जिन को हटाने के लिए एक सिद्ध पुरुष ही अच्छी तरह जानता है इसलिए इस साधना को किसी सिद्ध अघोरी के सानिध्य में करनी चाहिए।
साधना करने से पूर्व उचित स्थान, भूत प्रेत व अन्य प्रकार की बाधाओं से सुरक्षित होना जरूरी होता है जिससे किसी प्रकार की बाधा ना उत्पन्न हो।साधना करते समय अघोरी अपने चारों ओर एक रेखा खींचता है और तुतही बजाते हुए मंत्रों का उच्चारण करता है। इस प्रकार से विधि-विधान पूर्वक साधना करने से किसी प्रकार की बाधाएं नहीं होती हैं।
शव साधना कैसे करें ? | How to do dead body?
शव की साधना करने से पहले उस शव को स्नान करवाकर कपड़े से पोंछ कर उस पर सुगंधित तेलों का छिड़काव करके लाल चंदन का लेप किया जाता है तथा शव के पेट पर साधना यंत्र बनाकर उसी पर बैठकर
“ॐ हूं मृतकाय नमः फट”
मंत्रोचार साधक गुरु पूजन, अघोर पुरुष नमन, दिशा नमन, दिशा कीलन, स्थान कीलन जैसी कई क्रिया की जाती है। शव साधना शव की मर्जी के अनुसार की जाती है अन्यथा मुसीबत बन जाती हैं।
अनुमति लेना जरूरी है | Permission is required
शव साधना करने से पहले जिस शव का उपयोग किया जाता है उस शव से अनुमति लेना जरूरी होता है। उत्तम साधना के लिए उसी व्यक्ति का शव लेना ज्यादा जरूरी और अच्छा माना जाता है जिसकी अकारण मौत हुई हो क्योंकि उसकी आत्मा उसी के पास भटकती रहती है.
जब यह साधना की जाती है तो इस प्रकार से उस व्यक्ति की आत्मा आपकी मदद करती है। साधना समय यदि अघोरी को अन्य भूत-प्रेतों से बचना है तो वह जिस शव पर साधना कर रहा है वह अन्य भूत प्रेतों से लड़ सकता है तभी है अघोरी की साधना पूर्ण हो सकती है।
साधक की रक्षा कैसे करें ? How to protect the seeker
आत्म रक्षा मन्त्र
साधना करने से पहले आत्मरक्षा जरूरी होती है इसलिए आत्मरक्षा है इस मंत्र का जाप करें।
“हूं ह्रीं स्फुर स्फुर प्रस्फुर घोर घोतर तनुरुप चट चट पचट कह शकह वन वन बंध बंध घतपय घातय हूं फट अघोर मं”
साधना के दौरान साधक अपनी रक्षा हेतु गुरु बटुक भैरव योगी और गणेश जी की आराधना करें इसके अलावा भैरव और भैरवी तथा दिगपाल की आराधना भी की जाती है जिसे साधक को साधना के समय किसी भी कार्य की समस्या ना उत्पन्न हो।
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भोग क्या क्या होते हैं ? | What are indulgences
शव साधना में बकरे और मुर्गे की बलि के साथ शराब का चढ़ाना होता है ।ये सभी भोग चढ़ाने के बाद धीरे-धीरे सभी सामग्री समाप्त हो जाते हैं। साधना पूर्ण होते होते सब बोलने लगता है और साधक को सिद्धि प्राप्त हो जाती है।
शव साधना सिद्ध होने पर आधी रात बीतने परसों की आंखें विचलित होने लगती है और शरीर में बदलाव होने लगता है धीरे धीरे स्थिति गंभीर स्थिति गंभीर खतरनाक हो जाती है इस समय साधक का मन मंत्रोचार करने में लगे रहना चाहिए तथा इधर-उधर मन का भटकना नहीं होना चाहिए जिससे साधना पूर्ण हो जाए।
शव साधना से लाभ क्या है ? | Benefits of dead body
शव साधना से धोने के बाद अघोरी के पास तमाम शक्तियां ऐसी हो जाती हैं जो ईश्वर के समान हो जाता है या यूं कहा जाए शव साधना करने के बाद वह ईश्वर से भी अधिक शक्तिशाली हो जाता है।
इस साधना को करने के बाद अघोरी लोग अन्य गुप्त ज्ञान भी प्राप्त कर लेते हैं। इस साधना में शव जीवित इंसान की तरह बात करता है और उसका लोक परलोक से संपर्क हो जाता है जिसके कारण कई प्रकार की गुप्त साधना हो और ज्ञान को बता देता है।
-| चेतावनी disclaimer |-
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