हवन आहुति मंत्र 108 : हवन के सम्पूर्ण मंत्र और सम्पूर्ण हवन विधी pdf | 108 Havan mantra : havan vidhi pdf

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हवन आहुति मंत्र 108 Havan ahuti mantra 108 : प्रणाम गुरुजनों आज हम आप लोगों को हवन आहुति मंत्र 108 के बारे में बताएंगे क्योंकि हिंदू धर्म में कई देवी देवता हैं जिनकी पूजा पाठ की विधि अलग-अलग होती है लेकिन पूजा करने के बाद हवन या पूर्ण आगुति देने का विधान लगभग हर पूजा में किया जाता है.

यह परंपरा ऋषि मुनियों के समय से चली आ रही हैं जिसे आज तक हमारे बड़े बुजुर्ग निभाते हैं ऐसा कहा जाता है कि अगर आप पूजा करने के बाद हवन कर देते हैं तो आपकी पूजा संपूर्ण मानी जाती है क्योंकि हवन करने के बाद वातावरण शुद्ध हो जाता है और आपके घर पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

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हिंदू धर्म में हवन को धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि अगर आप अपने घर पर नियमित रूप से हवन करते हैं तो इसके आपको अनेक फायदे मिलेंगे आइए सब जानते हैं कि आखिर क्यों पूजा के बाद हवन करना आवश्यक माना जाता है.

क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व तो चलिए जानते हैं वह कौन से हवन आहुति मंत्र 108 हैं और इसकी पूजा विधि कैसे की जाती है अगर आपको हवन मंत्र जानना है या फिर हवन मंत्र की विधि जाननी है तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें इसमें आपको हवन की संपूर्ण जानकारी दी जाएगी।

हवन करते समय कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए ?

1. हवन के मंत्र

ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।

ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।

हवन मंत्र | Havan mantra

  1. हवन शुरू करने से पहले आपको मंत्र को बोलते हुए आचमन करना है ओम कृष्णाय नमः, ओम माधवये नमः, ॐ नारायणाय नमः
  2. उसके बाद थोड़ा सा गंगाजल लेकर अपने हाथों को शुद्ध कर लेना है
  3. उसके बाद हवन के सामने बैठकर एक धूप जलाएं धूप जलाने के बाद नीचे दिए गए मंत्र को पढ़ते हुए खुद पर चार बार और चारों दिशाओं में गंगाजल का छिड़काव करके चारों दिशाओं को शुद्ध करें।

ओम कृष्णाय नमः, ओम माधवये नमः, ॐ नारायणाय नमः

1. हवन से पहले शुद्धि का मंत्र

ॐ अपवित्र: पवित्रो सर्वावस्थां गतोपिवा य: स्मरेत पुण्डरीकाक्ष स: वाह्यभ्यतरे: शुचि:

जब भी आप इस मंत्र का जाप कर रहे हो उस समय आपको आचमन करना है और उसके बाद अपने हाथों में थोड़ा सा पानी लेकर अपने हाथों को शुद्ध कर लेना है और उसके बाद आपको अपने हाथों में गंगाजल के साथ नीचे दिए गए मंत्र का जाप करना है और उस गंगाजल को अपने चारों दिशाओं में छोड़कर खुद को और चारों दिशाओं को शुद्ध करना है।

2. अग्नि प्रज्वल करने का मंत्र

चंद्रमा मनसो जात: तच्चक्षो: सूर्यअजायत श्रोताद्वायुप्राणश्च मुखादार्गिनजायत.

हवन करने से पहले शुद्धीकरण करना बहुत ही ज्यादा आवश्यक माना जाता है इसीलिए हवन करते समय नीचे दिए गए अग्नि प्रज्वल मंत्र को पढ़कर कपूर को जला देना है उसके बाद एक अग्नि प्रज्वलित कर देना है।

इस लेख को अंत तक पढ़े क्योकि हमने आप लोगो की सुविधा के लिए हवन आहुति मंत्र 108 pdf और इसके साथ हवन करने की विधि pdf किताब को डाऊनलोड करने के फ्री लिंक दिये है जिससे ये किताब आप अपने फोन या लैपटॉप पर डाऊनलोड करके कभी भी कंही भी पढ़ सको

हवन आहुति मंत्र 108 | Havan ahuti mantra 108

इन मंत्रों का जप करके आपको हवन संपूर्ण करना है.  इतना करने के बाद आपको हवन को चालू कर देना है और नीचे दिए गए हमारे मंत्र का जाप करना है जैसे ही आप मंत्र जब करना शुरू करेंगे उसी के बाद आपको हवन में आहुति देनी है और इसी के बाद हर मंत्र में आपको हवन में आहुति देनी है।

1.ॐ गणपते स्वाहा
2.ॐ ब्रह्मणे स्वाहा
3.ॐ ईशानाय स्वाहा
4.ॐ अग्नये स्वाहा
5.ॐ निऋतये स्वाहा
6.ॐ वायवे स्वाहा
7.ॐ अध्वराय स्वाहा
8.ॐ अदभ्य: स्वाहा
9.ॐ नलाय स्वाहा
10.ॐ प्रभासाय स्वाहा

11.ॐ एकपदे स्वाहा
12.ॐ विरूपाक्षाय स्वाहा
13.ॐ रवताय स्वाहा
14.ॐ दुर्गायै स्वाहा
15.ॐ सोमाय स्वाहा
16.ॐ इंद्राय स्वाहा
17.ॐ यमाय स्वाहा
18.ॐ वरुणाय स्वाहा
19.ॐ ध्रुवाय स्वाहा
20.ॐ प्रजापते स्वाहा

21.ॐ अनिलाय स्वाहा
22.ॐ प्रत्युषाय स्वाहा
23.ॐ अजाय स्वाहा
24.ॐ अर्हिबुध्न्याय स्वाहा
25.ॐ रैवताय स्वाहा
26.ॐ सपाय स्वाहा
27.ॐ बहुरूपाय स्वाहा
28.ॐ सवित्रे स्वाहा
29.ॐ पिनाकिने स्वाहा
30.ॐ धात्रे स्वाहा

31.ॐ यमाय स्वाहा
32.ॐ सूर्याय स्वाहा
33.ॐ विवस्वते स्वाहा
34.ॐ सवित्रे स्वाहा
35.ॐ विष्णवे स्वाहा
36.ॐ क्रतवे स्वाहा
37.ॐ वसवे स्वाहा
38.ॐ कामाय स्वाहा
39.ॐ रोचनाय स्वाहा
40.ॐ आर्द्रवाय स्वाहा

41.ॐ अग्निष्ठाताय स्वाहा
42.ॐ त्रयंबकाय भूरेश्वराय स्वाहा
43.ॐ जयंताय स्वाहा
44.ॐ रुद्राय स्वाहा
45.ॐ मित्राय स्वाहा
46.ॐ वरुणाय स्वाहा
47.ॐ भगाय स्वाहा
48.ॐ पूष्णे स्वाहा
49.ॐ त्वषटे स्वाहा
50.ॐ अशिवभ्यं स्वाहा

51.ॐ दक्षाय स्वाहा
52.ॐ फालाय स्वाहा
53.ॐ अध्वराय स्वाहा
54.ॐ पिशाचेभ्या: स्वाहा
55.ॐ पुरूरवसे स्वाहा
56.ॐ सिद्धेभ्य: स्वाहा
57.ॐ सोमपाय स्वाहा
58.ॐ सर्पेभ्या स्वाहा
59.ॐ वर्हिषदे स्वाहा
60.ॐ गन्धर्वाय स्वाहा

61.ॐ सुकालाय स्वाहा
62.ॐ हुह्वै स्वाहा
63.ॐ शुद्राय स्वाहा
64.ॐ एक श्रृंङ्गाय स्वाहा
65.ॐ कश्यपाय स्वाहा
66.ॐ सोमाय स्वाहा
67.ॐ भारद्वाजाय स्वाहा
68.ॐ अत्रये स्वाहा
69.ॐ गौतमाय स्वाहा
70.ॐ विश्वामित्राय स्वाहा

71.ॐ वशिष्ठाय स्वाहा
72.ॐ जमदग्नये स्वाहा
73.ॐ वसुकये स्वाहा
74.ॐ अनन्ताय स्वाहा
75.ॐ तक्षकाय स्वाहा
76.ॐ शेषाय स्वाहा
77.ॐ पदमाय स्वाहा
78.ॐ कर्कोटकाय स्वाहा
79.ॐ शंखपालाय स्वाहा
80.ॐ महापदमाय स्वाहा

81.ॐ कंबलाय स्वाहा
82.ॐ वसुभ्य: स्वाहा
83.ॐ गुह्यकेभ्य: स्वाहा
84.ॐ अदभ्य: स्वाहा
85.ॐ भूतेभ्या स्वाहा
86.ॐ मारुताय स्वाहा
87.ॐ विश्वावसवे स्वाहा
88.ॐ जगत्प्राणाय स्वाहा
89.ॐ हयायै स्वाहा
90.ॐ मातरिश्वने स्वाहा

91.ॐ धृताच्यै स्वाहा
92.ॐ गंगायै स्वाहा
93.ॐ मेनकायै स्वाहा
94.ॐ सरय्यवै स्वाहा
95.ॐ उर्वस्यै स्वाहा
96.ॐ रंभायै स्वाहा
97.ॐ सुकेस्यै स्वाहा
98.ॐ तिलोत्तमायै स्वाहा
99.ॐ रुद्रेभ्य: स्वाहा
100.ॐ मंजुघोषाय स्वाहा

101.ॐ नन्दीश्वराय स्वाहा
102.ॐ स्कन्दाय स्वाहा
103.ॐ महादेवाय स्वाहा
104.ॐ भूलायै स्वाहा
105.ॐ मरुदगणाय स्वाहा
106.ॐ श्रिये स्वाहा
107.ॐ रोगाय स्वाहा
108.ॐ पितृभ्या स्वाहा

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हवन करने की विधि | Havan karne ki vidhi

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हवन करने से पहले आपको सबसे ज्यादा स्वच्छता पर ध्यान रखना होगा और उसी प्रकार प्रतिदिन की तरह पूजा करने के बाद ही अग्नि स्थापना करते हुए अग्नि स्थापित करने के लिए हवन कुंड के चारों तरफ आम की चौकोर लकड़ी लगाकर उसके अंदर कपूर को रखकर जला दे। उसके बाद हवन मंत्र के साथ साथ हवन कुंड में आहुति देते हुए मंत्र के साथ प्रारंभ करना है फिर आपको नौ ग्रह के नाम से या फिर मंत्रों से आहुति देकर हवन को संपूर्ण करना है। अगर आप प्रकार हवन विधि को करते हैं तो आपका हवन संपूर्ण माना जाएगा।

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हवन करने के फायदे | Havan karne ke fayde

लाखों सालों से या फिर क्यों मान ले कि आदिकाल से ही यह सुख सौभाग्य के लिए हवन आदि की परंपरा चली आ रही है क्या आप जानते हैं कि औषधि युक्त हवन सामग्री से हवन यज्ञ करने से आप का वातावरण भी शुद्ध हो जाता है और इससे कोई भी संक्रमण फैलने का डर नहीं रहता है.

कई वैज्ञानिकों और धर्मगुरुओं ने कोरोनावायरस मारी को दूर करने के लिए इससे छुटकारा पाने के लिए और वातावरण को शुद्ध करने के लिए हवन यज्ञ का अद्भुत लाभ लिया है. इसी प्रकार ऐसी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए और अपने जीवन को सुख सौभाग्य से प्राप्त करने के लिए हवन मंत्र का और हवन यज्ञ का उपयोग कर सकते हैं। तो चलिए आज हम आप लोगों को हवन करने के कुछ अनोखे फायदे बताएंगे जो आप के वातावरण में भी आपको लाभ पहुंचाते हैं।

1. वास्तु दोष का होता है निवारण

अगर आप हवन करते हैं या फिर करवाते हैं तो आप के वास्तु दोष का निवारण हो जाता है ऐसा माना जाता है कि हवन पूजा से ब्राह्मण में स्थित सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ने लगता है उसके पास से आसुरी शक्ति दूर होने लगती है और अगर आप भवन निर्माण करवा रहे हैं.

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तो उसमें भी वास्तु दोष को दूर करने के लिए सबसे आसान तरीका हवन करा देना चाहिए। अगर आप भवन निर्माण करा रहे हैं तो उसको पूरा करने के लिए एक शुभ मुहूर्त निकालें शुभ मुहूर्त निकालने के बाद गृह प्रवेश के समय वास्तु पूजन के साथ साथ हवन भी करवा दें. जिससे आपके घर के अंदर और बाहर का वातावरण शुद्ध और पवित्र हो जाएगा और उसमें रहने वाले किसी भी व्यक्ति के ऊपर किसी भी प्रकार की रोग और पीड़ा से मुक्त रहेंगे और सुख शांति से अपना जीवन व्यतीत करेंगे।

2. ग्रह दोष से मिलती है मुक्ति

ग्रह दोष से मुक्ति पाने के लिए आपको हवन करवाना होगा अगर किसी भी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह अशुभ प्रभाव देता है तो विधि-विधान पूर्वक हवन कराने से आपका ग्रह शुभ प्रभाव देने लगेगा.हवन करते समय पीड़ा देने वाले ग्रह से संबंधित वार को संकल्प करके 11 या 21 व्रत रखकर उसके बाद होम करके पूर्ण आहुति देने से आपके रोग कष्ट और बाधाएं दूर हो जाएंगी हवन करने के बाद जब आपका हमन समाप्त हो जाता है.

तो अपनी श्रद्धा से ब्राह्मणों को धन अन्य फल वस्त्र जैसी वस्तुओं का दान अवश्य करें इससे आपका ग्रह शांत रहता है हवन करते समय इंद्रियों को तांबे के पात्र से जला चमन करना चाहिए इससे आपके शरीर में शारीरिक उर्जा का विकास होता है और आपका स्वास्थ्य हमेशा स्वस्थ रहता है।

अगर आप अपने घर में हवन करवाते हैं तो उस हवन का धुआं प्राणी के आजीवनी शक्ति का संचालन करता है अगर आपके घर में हवन हुआ है तो इस हवन के माध्यम से आपके घर की बीमारियों से आपको छुटकारा मिल जाएगा।

FAQ : हवन आहुति मंत्र 108

घर में रोज हवन करने से क्या होता है?

अगर आप घर में रोज हवन करते हैं तो आपके घर के 94% जीवाणु नष्ट हो जाते हैं और घर की शुद्धता के लिए और घर के हर सदस्य के सेहत के लिए प्रत्येक घर में हवन करवाना चाहिए हवन के साथ कोई मंत्र का जाप करने से आपके घर में सकारात्मक ध्वनि तरंगित होती है और उसी कारण से आपके शरीर में ऊर्जा का संचरण भी होता है आपकी सुविधा अनुसार कोई भी मंत्र बोला जा सकता है। 

हवन करते समय कौन कौन से मंत्र बोले जाते हैं?

स्वधा नमस्तुति स्वाहा। ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा। ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा। 

हवन में कौन सा मंत्र पढ़ा जाता है?

ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा। ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस आर्टिकल के माध्यम से हवन आहुति मंत्र 108 के बारे में बताया अगर आपने हमारे इस आर्टिकल को ध्यान पूर्वक पड़ा है तो आपको हवन आहुति मंत्र 108 जरूर मिले होंगे.अगर आप भी अपने घर में सुख शांति और समृद्धि चाहते हैं तो इस हवन मंत्र का प्रयोग जरूर करें हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा दिया गया है यह लेख आपको अच्छा लगा होगा और आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा।

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