कोर्ट मैरिज का मतलब क्या है? कोर्ट मैरिज कैसे करे? नियम और शर्ते जाने! court marriage ka process kya hai

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Court marriage ke kya hai ? भारत के साहित्य में विभिन्न प्रकार के विवाहों का वर्णन किया गया है परंतु आज के दौर में साहित्य के विवाहों से अलग होकर एक नई प्रथा के रूप में जिस विवाह ने जन्म लिया है, उसे हम कोर्ट मैरिज के नाम से जानते हैं।

हालांकि यह विवाह मान्यता प्राप्त बंधनों से युक्त होता है क्योंकि इस विवाह में वर और कन्या दोनों पक्ष के लोगों की सहमति होती है कभी-कभी एक युवक और युवती आपस में प्रेम संबंध के कारण घर परिवार वाले सहयोग नहीं करते हैं तो वे लोग भी कोर्ट मैरिज कर के जीवन यापन करने लगते हैं|

विवाह बंधनों को सरकार ने मान्यता दे रखी है केवल यह ध्यान दिया जाता है कि कोर्ट मैरिज करने वाले लड़का और लड़की बालिग हों|

कोर्ट मैरिज एक प्रकार का सामूहिक विवाह ना होकर किसी न्यायालय में न्यायालय के अधिकारियों के समक्ष तथा वकील आदि के निर्देशन में किया जाने वाला संबंध होता है।

कोर्ट मैरिज के अंतर्गत किसी भी जाति धर्म के लोगों के बीच बालिक युवक और युवती के मध्य परिवार के लोगों की सहमति पर हो जाता है।

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कोर्ट मैरिज एक प्रकार का परंपरागत विवाह ना होकर साधारण से रूप से किया जाने वाला विवाह है| इस प्रकार के विवाह में जाति धर्म तथा देश से हटकर विवाह किया जाता है अर्थात विवाह करने वाले युवक और युवती वह किसी भी जाति धर्म के हो सकते हैं या फिर विदेशी भी हो सकते हैं|

भारत में कोर्ट मैरिज विवाह अधिनियम 1954 में पारित किया गया था जिसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति बिना किसी जाति धर्म की के अलावा विदेशी महिलाओं से भी शादी कर सकता है।

कोर्ट मैरिज के लिए शर्ते क्या हैं ? conditions for court marriage

कोर्ट मैरिज भारतीय संविधान की धारा 4 अध्याय 2 के अनुसार किया जाता है जिसके लिए कुछ आवश्यक शर्तें भी पूरा करना होता है इस प्रकार के विवाह में दोनों पक्षों द्वारा सभी शर्तों का पालन करना होता है|

1. विवाहित ना हो : Not married

कोर्ट मैरिज करने वाली लड़की या लड़के यह ध्यान रखें कि कोर्ट मैरिज करने के समय वह किसी भी प्रकार के विवाह बंधन में बंधे ना हो अर्थात उनका किसी भी अन्य व्यक्ति के साथ वैवाहिक संबंध ना हो| यदि हुआ भी है तो वह तलाकशुदा हों।

इसके अलावा शादी के पहले या तो पत्नी का पति मर गया हो या पति की पत्नी मर गई हो, तो ऐसे हालात में दूसरी शादी कोर्ट मैरिज हो जाती है| कोर्ट मैरिज में यह भी आवश्यक होता है कि यदि किसी भी पक्ष का विवाह पूर्व में हो चुका हो परंतु वह वैद्य ना रह गया हो तो ऐसे हालात में कोर्ट मैरिज की जा सकती है|

2. वैद्य सहमति : Valid consent

कोर्ट मैरिज करने वाले वर और वधू दोनों एक दूसरे से सहमत हो अर्थात दोनों पक्ष एक दूसरे से सहमत होकर ही विवाह कर सकते हैं इसके लिए कोर्ट के समक्ष सहमत पत्र देना पड़ता है|

agreement letter

क्योंकि कभी-कभी किसी एक पक्ष की सहमति के बगैर भी कोर्ट मैरिज कराई जा रही है इसलिए आवश्यक हो जाता है कि दोनों पक्ष कोर्ट मैरिज में सहमत पत्र दे|

3. आयु प्रमाण पत्र : Age certificate

कोर्ट मैरिज करने के लिए भारतीय संविधान में वर्णित आयु लड़के के लिए 21 वर्ष है तथा लड़की की उम्र कम से कम 18 वर्ष से कम ना हो इसके लिए कोर्ट मैरिज के समय दोनों लोगों को आयु प्रमाण पत्र देना पड़ता है।

यदि इसमें किसी भी प्रकार की लीपापोती की जाती है, तो व्यक्ति को दंडित किया जा सकता है।

4. निषिद्ध सम्बन्ध : Forbidden relationship

संवैधानिक नियमों के अनुसार अनुसूची 1 में यह वर्णित किया गया है कि कोर्ट मैरिज करने वाले दोनों पक्षों में निषिद्ध संबंधों की सीमा से बाहर रहे और किसी एक पक्ष के धर्म की परंपरा में इसकी अनुमति अगर है तो शादी की जाएगी अन्यथा शादी अमान्य मानी जाती है।

कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया क्या है ? Court Marriage Process

किसी भी युवक को कोर्ट मैरिज करने से पहले विवाह अधिनियम की शर्तों को पूरा करना अनिवार्य होता है| यदि आप इन शर्तो को पूरा नहीं करते है तो विवाह नहीं हो सकता है |

1. प्रथम शर्त 

कोर्ट मैरिज करने से पहले जिस जिले में शादी कर रहे हैं वहां के विवाह अधिकारियों को सूचित करना आवश्यक होता है यह सूचना दोनों पक्षों द्वारा विवाह में शामिल होने के लिए लिखित रूप से देना पड़ता है|

कोर्ट मैरिज करने के लिए सर्वप्रथम जिले के विवाह अधिकारी को सूचित करना चाहिए। यह सूचना विवाह में शामिल होने वाले पक्षों द्वारा लिखित रूप में होनी चाहिए।

प्रथम चरण में यह भी ध्यान देना है कि जो व्यक्ति कोर्ट मैरिज की सूचना दे रहा है वह व्यक्ति सूचना देने की तारीख से कम से कम 1 माह उस जगह या शहर में निवास जरूर करें क्योंकि लिखित सूचना देने पर साथ में आयु प्रमाण पत्र और निवास प्रमाण पत्र भी देना आवश्यक होता है|

2. दूसरी शर्त :

कोर्ट मैरिज के नियमों के अनुसार लिखित पत्र देने के बाद जिले के विवाह अधिकारी आपके द्वारा दी गई सूचना को प्रकाशित करते हैं सूचना की एक प्रति कार्यालय में तथा दूसरी प्रति दोनों पक्षों को दी जाती है और यह सूचना जिले के विवाह अधिकारी उनके स्थाई निवास पर भेजते हैं|

3. तीसरी शर्त  :

अध्याय 2 अधिनियम के अनुभाग 4 के अनुसार कोई भी व्यक्ति विवाह में आपत्तियां संबंधित जिला के विवाह अधिकारी के यहां प्रस्तुत कर सकता है।

आपत्ति प्रस्तुत करने के बाल विवाह अधिकारी 30 दिन के अंदर जांच पड़ताल करके अपनी रिपोर्ट कार्यालय में प्रस्तुत करते हैं अगर आपत्तियां सही पाई जाती है तो विवाह पर रोक लगा दी जाती है और लिखी शादी संपन्न हो जाती है|

यदि इस प्रकार की कोई आपत्ति होती है तो वैवाहिक संबंध बनाने वाले पक्ष अपनी अपील दर्ज कर सकते हैं यह अपील जिला न्यायालय में विवाह अधिकारी के यहां दर्ज होती है|

4. चौथी शर्त :

विवाह होने की स्थिति में दोनों का और तीन गवाह अधिकारी के समक्ष घोषणा पत्र में हस्ताक्षर करते हैं और विवाह अधिकारी भी उनके समक्ष हस्ताक्षर करता है और घोषणा का प्रारूप अधिनियम के अनुसूची 3 में प्रदान किया गया है|

5. पांचवीं शर्त :

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विवाह न्यायालय अथवा विवाह अधिकारी के कार्यालय में या फिर किसी अन्य जगह पर भी संपन्न कराया जा सकता है अथवा दोनों पक्षों की सहमति से अधिकारी के द्वारा निर्धारित जगह पर भी कराया जा सकता है|

मैरिज सर्टिफिकेट क्या है ? Is Marriage Certificate

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कोर्ट मैरिज अधिनियम की अनुसूची 4 में दिए गए नियमों के अनुसार विवाह अधिकारी विवाह प्रमाण पत्र जारी करता है जिस पर दोनों पक्षों के साथ तीन गवाह के हस्ताक्षर होते हैं, और यह प्रमाण पत्र अदालत में विवाह का निर्णायक प्रमाण पत्र होता है।

विवाह प्रमाणपत्र के प्रारूप कैसा होता है ? Format of marriage certificate

“ मैं विवाह अधिकारी इसके द्वारा प्रमाणित करता हूँ कि ____ 21 __ के __ दिन दूल्हा और दुल्हन मेरे समक्ष उपस्थित हुए और उनमें से प्रत्येक ने मेरी उपस्थिति में तथा तीन गवाहों की उपस्थिति में जिन्होंने वहाँ हस्ताक्षर किए हैं, और हमने धारा 11 के लिए आवश्यक घोषणाएँ की और इस अधिनियम के तहत मेरी उपस्थिति में उनके बीच एक विवाह की घोषणा की गई थी। (हस्ताक्षर)

कोर्ट मैरिज के लिए आवश्यक दस्तावेज कौन कौन से है ? Documents required for court marriage

  • पूरी तरह से भरा हुआ आवेदन पत्र।
  • अनिवार्य शुल्क|
  • पहचान प्रमाणपत्र|
  • आयु प्रमाणपत्र या मैट्रिक का सर्टिफिकेट|
  • दूल्हा और दुल्हन में से किसी का भी किसी और से अवैध रिश्ता नही है, उसका शपथपत्र|
  • वर वधू दोनों के 2-2 फोटोग्राफ|
  • तीनो गवाहों का पैनकार्ड और फोटोग्राफ।
  • पहचान के लिए आधारकार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस या अन्य सरकारी पहचान पत्र|
  • कोर्ट मैरिज की फ़ीस|

विवाह अधिनियम क्या है ? Is marriage act

भारतीय संविधान में विवाह अधिनियम के अंतर्गत आप किसी भी धर्म जाति से रीति-रिवाजों के फेर में ना पड़कर सीधे रजिस्ट्रार से शादी कर सकते हैं और इसमें वर वधू को विवाह अधिकारी के समक्ष अपने विवाह की पूरी सूचना देनी पड़ती है|

इस तरह के विवाह में रजिस्ट्रेशन कराने के बाद कोई भी व्यक्ति 30 दिन के भीतर आपत्ति दे सकता है और आपकी आपत्ति सही पाए जाने के बाद विवाह पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।

विवाह अधिनियम के अनुसार विवाह के समय तीन गवाहों की आवश्यकता होती है तथा अधिकारी द्वारा बताए गए शुल्क को भी जमा करना पड़ता है।
कोर्ट मैरिज की फीस सामान्य तौर पर ₹1000 है|

परंतु विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों तथा अन्य अधिवक्ता आदि की फीस लेकर के 10 से ₹20000 लगता है।

कोर्ट मैरिज से सम्बंधित महत्वपूर्ण बातें क्या है ? Guidelines for Court Marriage?

कोर्ट मैरिज करने वाले दंपत्ति पर विवाह अधिनियम अपने आप लागू हो जाता है| क्यूकि विवाह अधिनियम के अंतर्गत कोई भी कोर्ट मैरिज करने वाला व्यक्ति शादी करने की 1 साल तक एक दूसरे से अलग होने के लिए आवेदन नहीं कर सकता है|

विषम परिस्थितियों में यदि कोई विवाह विच्छेदन के लिए न्यायालय में आवेदन करता है तो न्यायालय उसकी असाधारण कठिनाइयों को ध्यान में रखकर सुनवाई का आदेश देता है |

यदि न्यायालय को लगता है कि धारा 29 के अंतर्गत कोई पक्ष दिग्भ्रमित है, तो न्यायालय प्रभावित होने का आदेश दे सकता है अर्थात न्यायालय विवाह विच्छेदन को स्वीकार करने का आदेश दे देता है|

कोर्ट मैरिज क्यों करते हैं ? Do court marriages

कोर्ट मैरिज व्यक्ति की परिस्थितियों पर निर्भर करता है| क्यूकि बहुत से लोग अपनी गरीबी को ध्यान में रखते हुए कोर्ट मैरिज करते हैं, तो बहुत से लोग जो प्यार मोहब्बत करने के बाद समाज उनके विवाह को स्वीकार नहीं करता है ऐसी स्थिति में कोर्ट मैरिज होती है।

समाज लव मैरिज या अरेंज मैरिज को जब स्वीकार नहीं करता है तो लोग कोर्ट मैरिज का सहारा लेते हैं जिसमें न्यायालय पूरी सुरक्षा के साथ विवाह को संपन्न करा देता है।

अधिकांश लव मैरिज समाज के लोग स्वीकार नहीं करते हैं ऐसे में दंपत्ति के लिए भय का वातावरण बन जाता है| इसलिए वे लोग कोर्ट मैरिज का सहारा लेकर समाज में निर्भरता के साथ रह सकते हैं।

ऐसे मामलों में न्यायालय पूरी सुरक्षा के साथ-साथ वैवाहिक प्रमाण पत्र देकर समाज में रहने का अधिकार भी देता है| लेकिन खास तौर पर लव मैरिज करने वाले लोग कोर्ट मैरिज को सबसे अच्छा विकल्प मानते हैं|

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