Kundalini shakti kya hai ? कुंडलिनी शक्ति मनुष्य के अंदर निचले चक्र में स्थित होती है जो लगभग 3.5 फेरे लेकर सर्प की भांति होती है। हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं| जिसमें कुंडलनी सबसे निचले चक्र मूलाधार पर स्थित होती है। Kundalini janaran kise kahte hai ?
जब कोई व्यक्ति कुंडलिनी जागरण करता है| तो मूलाधार चक्र में कंपन महसूस होता है। कुंडलिनी एक ऐसी दिव्य शक्ति होती है |
जो हमेशा के लिए किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देती है, इसके जागृत होने पर मनुष्य देवताओं के दर्शन करने लगता है।जब कोई भी कुंडली जागृत करता है तो व्यक्ति को देवदर्शन के साथ-साथ आंखों के सामने काला पीला और नीला रंग का चक्कर आने लगता है ।
कुंडली के जाग्रत होने पर सांसारिक दुनिया से व्यक्ति दूर होने लगता है। व्यक्ति को अपना शरीर हल्का लगने लगता है | सिर में सहस्त्र चक्र पर चीटियां जैसे चलने की अनुभूति होती है और रीढ़ की हड्डी में कंपन होने लगता है |
कुंडली जागृत होने के बाद व्यक्ति सांसारिक दुनिया को छोड़कर अध्यात्म की दुनिया में भ्रमण करने लगता है शारीरिक और मानसिक ऊर्जा में वृद्धि हो जाती है | जिससे व्यक्ति शक्तियों का अनुभव करने लगता है।
कुंडलिनी जागरण का सीधा तात्पर्य ईश्वर की सत्ता को चुनौती देना है | बहुत से लोग यह समझते हैं | कि कुंडलिनी जागरण से आत्मज्ञान और परमात्मा में विलीन होना होता है परंतु यह समझना बिल्कुल गलत है।
जो साधक कुंडली जागरण करते हैं वह ईश्वर को ना मानकर उनकी सत्ता को चुनौती देते हैं |वह स्वयं में भगवान के समान हो जाता है। कुंडली जागरण का पूरी तरह से नास्तिक प्रणाली से संबंध होता है |जागरण करने वाला व्यक्ति अपने भीतर निहित शक्तियों को जागृत करता है |
कुण्डलिनी क्या है ? What is Kundalini
हमारे शरीर में 7 चक्र होते हैं जिसमें मूलाधार स्वाधिष्ठान मणिपुर अनाहत विशुद्ध आज्ञा और सहस्त्रार कमल दल चक्र होते हैं |
इनमें सबसे निचले चक्र जिसे लिंग या योनि और गुदा द्वार के भीतर एक शक्ति निहित होती है| जिसका मूल केंद्र मस्तिष्क से होता है | परंतु उसका स्पंदन केंद्र से मूलाधार है। ईश्वर ने समस्त शक्तियों को मूलाधार में रखा है |
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मूलाधार चक्र कहाँ होता है ? Why is it placed in the base
मूलाधार हमारी वासनाओं का केंद्र होता है तथा सृष्टि को आगे बढ़ाने के लिए मूलाधार ही जिम्मेदार होता है | जब हम संसार से जोड़ते हैं तो पूरी दुनिया हम से जुड़ती है |
इसीलिए कुंडलिनी शक्ति को मूलाधार चक्र में स्थापित किया गया है |क्योंकि यह इच्छाएं उत्पन्न करने वाली होती है | वासना को उत्पन्न करती है।
कुंडलिनी जागरण क्या है ? What is Kundalini Jagran
कुंडली जागरण मैं निहित शक्ति मस्तिष्क के द्वारा होती है | इस शक्ति को अपने मौलिक स्थान से ऊपर की ओर इंद्रियों की गतिशीलता को बढ़ाया जाता है। कुंडलिनी जागरण से समस्त प्रकार की शक्तियों को बांध दिया जाता है।
कुंडली जागरण का सीधा तात्पर्य है कि सभी प्रकार की शक्तियों को उसी जगह पर बांध देना होता है जिससे वह यत्र तत्र ना हो। मस्तिष्क के भीतर नहीं हमारी शक्ति है | जो हमारे आज्ञा चक्र से संपादित होती है।!
मूलाधार चक्र में नहीं सकती के कारण लोग प्रेम करते हैं जो अनाहत चक्र से जुड़ा हुआ तत्व होता है जुड़ा हुआ तब तो मूलाधार का संपुट होता है। इसी के कारण हम मन में इच्छा करते हैं और खोए खोए वासना में डूबे रहते हैं।
मन से उत्पन्न होने वाली इच्छाएं इसी मूलाधार का कारण होती है जिससे हम बहुत सारी इच्छाएं उत्पन्न करते हैं | जैसे धन वाहन वैभव नौकर चाकर दास दासिया हमारे पास हो।
यह जो भावनाएं पैदा होती हैं वह हमारा मूल आधार प्रेरित करता है जब हमें क्रोध पैदा होता है| वाहनों की इच्छा होती है और जब इनकी पूर्ति नहीं होती है तो हमें क्रोध भी आता है मन में बहुत सारे विकार उत्पन्न होने लगते हैं।
सभी प्रकार की शक्तियां हमारे मस्तिष्क के द्वारा संचालित होने के बावजूद भी मूलाधार चक्र में स्थित होती हैं | जब हम उसको मुख्य चक्र से काट डालते हैं तो अनेकों प्रकार के अनुभव होने लगते हैं।
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कुंडलिनी जागरण एक प्रकार की ऊर्जा को जागृत करना है| जो मूलाधार चक्र के लिए मूलाधार चक्र में प्रयोग करके मस्तिष्क में भर देते हैं।
हमारे मन में जितने विचार चलते हैं या जो भी हम सुनते समझते हैं या अनुभव करते हैं उन्हें सुचारू रूप से हमारा मस्तिष्क तैयार करता है निरंतर विचार सिलता और कार्य में लगे रहना मस्तिष्क के कारण होता है।
कुंडलिनी जागरण में मूलाधार चक्र की ऊर्जा ऊपर की ओर आने लगती है | जिसके लिए मस्तिष्क तैयार नहीं होता है क्योंकि मस्तिष्क में पहले से ही बहुत सारे विचार भरे पड़े होते हैं |
जिससे वह अनेक झंझट में फंसा रहता है और कुंडली जागरण करने के बाद मस्तिष्क में और अधिक ऊर्जा समाहित हो जाने के कारण कभी कहीं विचलित हो सकते हैं | मन विचलित हो सकता है।
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