Damodarastakam दामोदर अष्टकम Damodar ashtakam Lyrics in Sanskrit and hindi : प्रणाम गुरुजनों आज हम आप लोगों को दामोदर अष्टकम के बारे में बताने जा रहे हैं आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताएंगे कि दामोदर किस भगवान को कहा जाता है दामोदर भगवान कृष्ण के बचपन का नाम है यह जानने से पहले एक बार इस पर नजर डाल लीजिए कि यह खूबसूरत अष्टकम किसकी रचना है पदम पुराण में वर्णित दामोदरष्टकम कृष्ण द्वैपायन व्यास द्वारा रचित है ।
कार्तिक महीने में जहां कृष्ण भगवान बचपन की शरारती पूर्ण लीलाओं को याद करते हैं दामोदर अष्टकम कृष्ण के बारे में है जो माता यशोदा द्वारा प्रेम के तार से बंधा हुआ कार्तिक महीने में शुभ दामोदर अष्टकम का पाठ भगवान श्री कृष्ण के भक्ति और प्रेम को गहरा करने के लिए किया जा सकता है। अगर आप भी भगवान कृष्ण को प्रसन्न करना चाहते हैं और उनकी भक्ति में लीन रहना चाहते हैं.
तो आपको यह दामोदर अष्टकम पाठ जरूर करना चाहिए इससे भगवान श्रीकृष्ण अवश्य प्रसन्न होंगे तो चलिए आज हम सबसे पहले आपको बताते हैं कि दामोदर अष्टकम क्या है और इसकी पूजा विधि कौन सी है और इसका मंत्र क्या है अगर आप इन विषयों को जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े तभी आपको पता चलेगा कि दामोदर अष्टकम क्या है और वह कौन सा अष्टक है जिससे भगवान श्री कृष्ण की कृपा आपके ऊपर हमेशा बनी रहेगी।
- 1. दामोदर अष्टकम मंत्र | Damodar ashtakam mantra
- 2. दामोदर अष्टकम क्या है ? | Damodar ashtakam kya hai ?
- 3. दामोदर अष्टकम पूजा विधि | Damodar ashtakam puja vidhi
- 4. दामोदर अष्टकम | Sampurna Damodar ashtakam
- 5. Damodarastakam lyrics in English
- 6. FAQ : दामोदर अष्टकम
- 6.1. दामोदर अष्टक क्या है?
- 6.2. दामोदर किसको बोला जाता है?
- 6.3. दामोदर अष्टकम मंत्र कौन सा है?
- 7. निष्कर्ष
दामोदर अष्टकम मंत्र | Damodar ashtakam mantra
मुहुः श्वास-कम्प-त्रिरेखाङ्क-कण्ठस्थित-ग्रैवं दामोदरं भक्ति-बद्धम् ॥ २॥
दामोदर अष्टकम क्या है ? | Damodar ashtakam kya hai ?
दामोदर अष्टकम में भगवान श्री कृष्ण की लीला का वर्णन किया गया है ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक मास के दौरान अगर आप दामोदर अष्टकम का पाठ करते हैं और अगर आप भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आप इस अष्टक का पाठ जरूर करें क्योंकि इससे भगवान की विशेष कृपा आपके ऊपर हमेशा बनी रहती है इसके साथ अगर आप हर रोज तुलसी जी के समक्ष एक घी का दीपक या फिर सरसों के तेल का दीपक जलाते हैं और तुलसी जी के समक्ष दीप दान का पाठ करते हैं.
तो भगवान की कृपा आपके ऊपर हमेशा बनी रहेगी अब हम आपको दामोदर अष्टकम के पाठ के बारे में बताने जा रहे हैं आप इस दामोदर अष्टकम का नित्य पाठ जरूर करें। अगर आप दामोदर अष्टक का पाठ करते हैं तो आपको 2 गुना फल प्राप्त होता है शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति दामोदर अष्टकम पाठ करता है तो भगवान की कृपा उस पर विशेष रूप से बनी रहती है।
दामोदर अष्टकम पूजा विधि | Damodar ashtakam puja vidhi
- क्या आप जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण को वनस्पति तुलसी बहुत ज्यादा पसंद है पुण्यक्षेत्रों में द्वारकापुरी, तिथियों में एकादशी के महीनों में कार्तिक विशेष प्रिय है कृष्णप्रियो हि कार्तिक:, कार्तिक: कृष्णवल्लभ:। इस कार्तिक मास को बहुत ही ज्यादा पवित्र और पूर्ण दायक माना जाता है क्योंकि अगर आप इस दिन कोई भी पूजा या पाठ करते हैं तो यह बहुत ही जल्द पूर्ण हो जाता है।
- क्या आप जानते हैं कि दामोदर किस भगवान का नाम है दामोदर कृष्ण भगवान के बचपन का नाम है जब श्री कृष्ण बचपन में बहुत ही ज्यादा लीलाएं और शैतानियां करते थे तब इनका नाम दामोदर पड़ गया था।
- सभी लोगों से हमारा यह निवेदन है कि जो भी व्यक्ति हरीभक्ति से निवेदन है वह भगवान दामोदर का पूजन जरूर करें।
- आप अपने घर में भगवान श्री कृष्ण का एक चित्र और माता यशोदा का एक ओखल के संग रख दे।
- दामोदर अष्टकम इन 8 लोगों से भगवान कृष्ण की प्रार्थना जरूर करें जिसे हर कार्तिक महीने में गाना चाहिए या फिर सुनना चाहिए अगर आप चाहे तो इसे लिखित रूप में रख सकते हैं या फिर फोन में सर्च करके ऑडियो या वीडियो देख सकते हैं।
- कार्तिक मास के महीने में माता तुलसी की पूजा विशेष रूप से होती है और यह बहुत शुभ मानी जाती है।
- भगवान श्री कृष्ण के सामने दामोदर अष्टकम का गीत सुनाए और उनके सामने एक दीपक को प्रज्वलित करके रख दे।
- पवित्र दामोदर अष्टकम भगवान श्री कृष्ण को अत्यंत प्रिय है अगर आप उसे कार्तिक मास के महीने में करते हैं तो हरि नाम का जाप करें और दान करें या फिर मिट्टी का दीपक या दीपक दान करें इससे आपको कई गुना ज्यादा फल प्राप्त होगा।
दामोदर अष्टकम | Sampurna Damodar ashtakam
।। श्री दामोदर अष्टकम ।।
नमामीश्वरं सच्-चिद्-आनन्द-रूपं
लसत्-कुण्डलं गोकुले भ्राजमनम्
यशोदा-भियोलूखलाद् धावमानं
परामृष्टम् अत्यन्ततो द्रुत्य गोप्या ॥ १॥
वे भगवान जिनका रूप चित , सत और आनंद से भर पूर्ण है जिनके मर्को के आकार से कुंडल इधर-उधर खेल रहे हैं जो गोपाल अपने धाम में नित्य कर रहे हैं जो दूध दही और मटकी फोड़ देख रहे हैं जो मां यशोदा के डर से ओखल से कूद कूद कर अत्यंत तेजित हो रहे हैं और मां यशोदा कान्हा के दौड़ने पर उड़ के पीछे जाकर उन्हें पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं ऐसे ही भगवान को मैं नमस्कार करती हूं।।
रुदन्तं मुहुर् नेत्र-युग्मं मृजन्तम्
कराम्भोज-युग्मेन सातङ्क-नेत्रम्
मुहुः श्वास-कम्प-त्रिरेखाङ्क-कण्ठ
स्थित-ग्रैवं दामोदरं भक्ति-बद्धम् ॥ २॥
कान्हा मां यशोदा के हाथ में छड़ी देख कर रो देते हैं और अपने कमल जैसे कोमल हाथों से दोनों नेत्रों को मसल देते हैं उनकी आंखें भय से भरी हुई होती हैं और उनके गले का मोतियों का हार जो संत के भांति त्रिरेखा से युक्त है रोते हुए जल्दी-जल्दी श्वास लेने के कारण इधर-उधर खेलाढुला रहे हैं ऐसे भगवान श्री कृष्ण को मैं सत सत नमन कहती हूं।।
इतीदृक् स्व-लीलाभिर् आनन्द-कुण्डे
स्व-घोषं निमज्जन्तम् आख्यापयन्तम्
तदीयेषित-ज्ञेषु भक्तैर् जितत्वं
पुनः प्रेमतस् तं शतावृत्ति वन्दे ॥ ३॥
ऐसे बाल्यकाल की लीलाओं के कारण भगवान श्री कृष्ण वृंदावन वासियों के दिल में वास करते थे और वह अत्यधिक प्रेम के आनंद कुंड में डूबे रहते थे और वह अपने संपूर्ण ज्ञानी भक्तों को यह बता रहे थे कि मैं अपने ऐश्वर्य हीर और प्रेम भाव से हर एक व्यक्ति का दिल जीत लेता हूं ऐसे ही भगवान श्रीकृष्ण को मैं शत शत नमन करती हूं।।
वरं देव मोक्षं न मोक्षावधिं वा
न चन्यं वृणे ‘हं वरेषाद् अपीह
इदं ते वपुर् नाथ गोपाल-बालं
सदा मे मनस्य् आविरास्तां किम् अन्यैः ॥ ४॥
हे भगवान कृष्ण मैं सभी प्रकार के वर देने में सक्षम होने पर भी मैं आप से मोक्ष की कामना करती हूं ऐसा नहीं है कि मोक्ष सर्वोत्तम स्वरूप श्री बैकुंठ की इच्छा रखती हूं मैं सिर्फ आपसे यही प्रार्थना करती हूं कि आपका यह बाल रूप मेरे हृदय में समा जाए जिससे कि हमको अन्य और किसी वस्तु का लाभ ना हो ।
इदं ते मुखाम्भोजम् अत्यन्त-नीलैर्
वृतं कुन्तलैः स्निग्ध-रक्तैश् च गोप्या
मुहुश् चुम्बितं बिम्ब-रक्ताधरं मे
मनस्य् आविरास्ताम् अलं लक्ष-लाभैः ॥ ५॥
हे प्रभु आपका यह श्याम रंग और जो यह मुख कमल है वह कुछ घुंघराले बाल बालों से अच्छा दिखता है यशोदा मैया के द्वारा चुंबन किया जा रहा है और आपके होंठ बहुत ही कोमल हैं आपका यह सुंदर कमल रूपी मुख मेरे हृदय में विराजमान है इससे अन्य सहस्त्रो का वरदान मुझे कोई उपयोग नहीं है।
नमो देव दामोदरानन्त विष्णो
प्रसीद प्रभो दुःख-जालाब्धि-मग्नम्
कृपा-दृष्टि-वृष्ट्याति-दीनं बतानु
गृहाणेष माम् अज्ञम् एध्य् अक्षि-दृश्यः ॥ ६॥
हे प्रभु मेरा आपको नमन है हे दामोदर हे विष्णु हे अनंत आप मुझ पर प्रसन्न रहा करो क्योंकि मैं संसार रूपी दुख के समुंदर में डूबी जा रही हूं मुझे इस इन पर आप अपनी अमृत में कृपा बनाए रखें और कृपया मुझे दर्शन दीजिए जिससे मैं इस समुंदर से बाहर निकल सकूं।।
कुवेरात्मजौ बद्ध-मूर्त्यैव यद्वत्
त्वया मोचितौ भक्ति-भाजौ कृतौ च
तथा प्रेम-भक्तिं स्वकां मे प्रयच्छ
न मोक्षे ग्रहो मे ‘स्ति दामोदरेह ॥ ७।।
नमस् ते ‘स्तु दाम्ने स्फुरद्-दीप्ति-धाम्ने
त्वदीयोदरायाथ विश्वस्य धाम्ने
नमो राधिकायै त्वदीय-प्रियायै
नमो ‘नन्त-लीलाय देवाय तुभ्यम् ॥ ८॥
हे दामोदर आपके उदर से बंधी हुई है आप को मेरा शत-शत प्रणाम और आपके उदर जो निखिल ब्रह्म तेज का आश्रम है और जो संपूर्ण ब्राह्मण का धाम है उस धाम को भी प्रणाम करती हूं आप की सबसे प्रिय श्रीमती राधा जी को भी प्रणाम करती हूं और ही आनंद लीलाएं करने वाले भगवान आपको भी मैं शत-शत प्रणाम करती हूं।
Damodarastakam lyrics in English
namamisvaram saccidananda rupam
lasat-kuṇḍalam gokule bhrājamanam
yaśodā-bhiyolūkhalād dhāvamānam
parāmṛṣṭam atyantato drutya gopyā || 1 ||
rudantam muhur netra-yugmam mṛjantam
karāmbhoja-yugmena sātańka-netram
muhuḥ śvāsa-kampa-trirekhāńka-kaṇṭha-
sthita-graivam dāmodaram bhakti-baddham || 2 ||
itīdṛk sva-līlābhir ānanda-kuṇḍe
sva-ghoṣam nimajjantam ākhyāpayantam
tadīyeṣita-jñeṣu bhaktair jitatvam
punaḥ prematas tam śatāvṛtti vande || 3 ||
varam deva mokṣam na mokṣāvadhim vā
na canyam vṛṇe ‘ham vareṣād apīha
idam te vapur nātha gopāla-bālam
sadā me manasy āvirāstām kim anyaiḥ || 4 ||
idam te mukhāmbhojam atyanta-nīlair
vṛtam kuntalaiḥ snigdha-raktaiś ca gopyā
muhuś cumbitam bimba-raktādharam me
manasy āvirāstām alam lakṣa-lābhaiḥ || 5 ||
namo deva dāmodarānanta viṣṇo
prasīda prabho duḥkha-jālābdhi-magnam
kṛpā-dṛṣṭi-vṛṣṭyāti-dīnam batānu
gṛhāṇeṣa mām ajñam edhy akṣi-dṛśyaḥ || 6 ||
kuverātmajau baddha-mūrtyaiva yadvat
tvayā mocitau bhakti-bhājau kṛtau ca
tathā prema-bhaktim svakām me prayaccha
na mokṣe graho me ‘sti dāmodareha || 7 ||
namasthesthu dāmne sphurad-dīpti-dhāmne
tvadīyodarāyātha viśvasya dhāmne
namo rādhikāyai tvadīya-priyāyai
namo ‘nanta-līlāya devāya tubhyam || 8 ||
Ithi Srimadpadmapurane Sri damodarastakam sampurnam ||
FAQ : दामोदर अष्टकम
दामोदर अष्टक क्या है?
दामोदर किसको बोला जाता है?
दामोदर अष्टकम मंत्र कौन सा है?
निष्कर्ष
दोस्तों जैसा कि आज मैंने आप लोगों को दामोदर अष्टकम के बारे में बताया आज हमने आपको इस लेख के माध्यम से दामोदर अष्टकम Damodar ashtakam क्या है इसके बारे में बताया और इसके अंदर हमने आपको दामोदर अष्टक भगवान श्री कृष्ण को बोलते हैं यह भी बताया है.
भगवान श्री कृष्ण का नाम दामोदर तब पड़ा जब भगवान श्री कृष्ण बचपन में अनेकों प्रकार की लीलाएं करते हुए दिखते थे तो कुछ दिनों बाद उनका नाम दामोदर पड़ गया था अगर आपको इसे डिटेल से जानना है तो इसलिए तो पूरा जरूर पढ़ें उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा बताया गया यह लेख आपको अत्यंत प्रिय लगा होगा और आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा।