भाग्योदय के लक्षण bhagyoday ke lakshan : दोस्तों भाग्य का खेल बड़ा निराला होता है कभी व्यक्ति को आसमान की ऊंचाइयों तक ले जाता है तो कभी पाताल की गहराइयों तक गिरा देता है ऐसे में भाग्योदय के लक्षण देखा जाए तो बहुत ही अलग अलग दिखाई देते हैं।
दुनिया का हर आदमी चाहता है कि वह जीवन में खुश रहे कभी किसी प्रकार का कोई कष्ट ना हो वह चाहता है कि हमारा भाग्य कुछ इस तरह से रहे कि कभी किसी प्रकार की कोई कमी ना हो। जिसके लिए व्यक्ति दिन भर मेहनत करता है मान सम्मान में कमी ना रहे धन दौलत और शोहरत उसके पास हो।
परंतु कहा जाता है कि मांगने से हर चीज नहीं मिल जाती है बिना किए कुछ भी नहीं प्राप्त होता है कई बार देखा गया है कि कुछ लोग कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी अपनी सफलता में मुकाम नहीं पाते हैं वहीं कुछ लोग बहुत कम मेहनत में एक अच्छी शोहरत और सफलता प्राप्त कर लेते हैं।
- 1. भाग्योदय के लक्षण | bhagyoday ke lakshan
- 2. कुंडली का नवम घर भाग्योदय का लक्षण
- 2.1. 1. नवे घर में बृहस्पति
- 2.2. 2. नवम भाव में सूर्य होना
- 2.3. 3. नवम भाव में चंद्रमा
- 2.4. 4. नवम भाव में शुक्र हो ना
- 2.5. 5. नवम घर में मंगल होना
- 2.6. 6. नवम भाव में बुध होना
- 2.7. 7. नवम भाव में शनि होना
- 2.8. 8. नवम भाव में राहु हो ना
- 3. भाग्योदय के लक्षण और ग्रहों के अनुसार व्यक्तित्व
- 4. सूर्य और जीवन रेखा से भाग्योदय के लक्षण
- 5. शादी के बाद भाग्य उदय का लक्षण
- 6. भाग्य उदय का मंत्र
- 7. राशि के अनुसार भाग्योदय मंत्र
- 7.1. 1. मेष राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
- 7.2. 2. वृषभ राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
- 7.3. 3. मिथुन राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
- 7.4. 4. कर्क राशि का भाग्योदय मंत्र
- 7.5. 5. सिंह राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
- 7.6. 6. कन्या राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
- 7.7. 7. तुला राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
- 7.8. 8. वृश्चिक राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
- 7.9. 9. धनु राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
- 7.10. 10. मकर राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
- 7.11. 11. कुंभ राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
- 7.12. 12. मीन राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
- 8. हाथ की रेखाओं से भाग्योदय के लक्षण
- 9. भाग्योदय के लक्षणों के आधार पर व्यक्तित्व
- 9.1. 1. सूर्य की उपस्थित से व्यक्ति का व्यक्तित्व
- 9.2. 2. चंद्रमा की स्थिति से व्यक्ति का व्यक्तित्व
- 9.3. 3. मंगल की स्थित से व्यक्ति का व्यक्तित्व
- 9.4. 4. बुध की स्थिति व्यक्ति का व्यक्तित्व
- 9.5. 5. गुरु की उपस्थिति से व्यक्ति का व्यक्तित्व
- 9.6. 6. शुक्र की उपस्थित से व्यक्ति का व्यक्तित्व
- 9.7. 7. शनि की उपस्थिति व्यक्ति का व्यक्तित्व
- 9.8. 8. राहु केतु की स्थिति से व्यक्ति का व्यक्तित्व
- 10. FAQ :
- 10.1. धन का स्वामी कौन होता है ?
- 10.2. कौन ग्रह धन की वृद्धि करता है ?
- 10.3. मेरी भाग्य का उदय कब होगा ?
- 11. निष्कर्ष
भाग्योदय के लक्षण | bhagyoday ke lakshan
जीवन में अथक मेहनत करने के बावजूद भी व्यक्ति जब अपने मुकाम पर नहीं पहुंचता है तो उसके अंदर नकारात्मक विचारधारा जन्म ले लेती है किसी भी व्यक्ति के भाग्य का उदय उसके जीवन में ग्रहों और नक्षत्रों के योग से बनता है।
किसी भी व्यक्ति की सफलता और असफलता के पीछे हमारे ग्रहों का योगदान होता है जो भी इंसान की जन्म कुंडली में निर्धारित रहते हैं हालांकि समय-समय पर नक्षत्रों का खेल अलग अलग होता है।
नक्षत्रों के खेल के कारण ही कभी-कभी व्यक्ति छोटी उम्र में बड़े मुकाम को हासिल कर लेता है वहीं कुछ लोग आजीवन संघर्ष करते रहते हैं यह भी देखा गया है कि बहुत से लोग अधिक उम्र पार कर जाने के बाद भी एक सफल मुकाम हासिल करते हैं।
शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि व्यक्ति का भाग्य उदय कब हो जाए पता नहीं है क्योंकि कई ऐसे व्यक्ति हैं जो जीवन के अंतिम चरण में ऐसे मुकाम को हासिल किया है जिसकी कल्पना तक ना किया हो।
हमारे जीवन में जन्म कुंडली के अनुसार अगर कोई भी ग्रह जिस स्थान में बैठता है उस अनुसार हमारे भाग्योदय के लक्षण दिखाई देते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर कुंडली के नवम घर को भाग्योदय का लक्षण कहा जाता है अगर इस घर में जो ग्रह बैठ जाता है तो उसी अनुसार भाग्य प्राप्त होता है इस घर में बैठे ग्रह हमें इस बात को बताते हैं कि आपके पास सुख समृद्धि धन दौलत कब आएगी। कुंडली के नवम घर का भाग्य उम्र के अनुसार अलग-अलग होता है।
अगर व्यक्ति के नवे घर में बृहस्पति गुरु होता है तो ऐसे व्यक्तियों का जीवन 16 साल में भाग्य बदल जाता है अर्थात 16 साल की उम्र में भाग्य प्रबल हो जाता है।
अगर आप की जन्म कुंडली के नवम भाव में सूर्य बैठता है तो 22 साल के बाद भाग्योदय बनता है।
अगर व्यक्ति की जन्म कुंडली में नवम भाव में चंद्रमा का निवास होता है तू 24 साल के बाद भाग्य प्रबल हो जाता है।
अगर जन्म कुंडली के नवम घर में शुक्र बैठता है तो 25 साल बाद भाग्योदय होता है। यह सभी ग्रह भाग्योदय के लक्षण हैं।
अगर कुंडली के नवम भाग में मंगल ग्रह बैठता है तो व्यक्ति का भाग्य 28 साल के बाद चमकता है
किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली के नवम भाव में बुध ग्रह बैठता है तो 32 साल के बाद भाग्योदय होता है
नवम भाव में शनि के बैठने से व्यक्ति का 36 साल बाद अर्थात 36वें साल में भाग्योदय शुरू होता है।
अगर जन्म कुंडली के नवम भाव में राहु केतु बैठे हैं तो व्यक्ति के भाग्य का उदय 42 साल के बाद होता होता है
भाग्योदय के लक्षण और ग्रहों के अनुसार व्यक्तित्व
भाग्योदय के लक्षण और ग्रहों के अनुसार व्यक्ति का व्यक्तित्व भी अलग अलग दिखाई देता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रह और 27 नक्षत्र जीवन को प्रभावित करते हैं उसी अनुसार व्यक्ति व्यवहार भी करने लगता है जो उसका समय के अनुसार व्यक्तित्व बनता है।
सूर्य और जीवन रेखा से भाग्योदय के लक्षण
हाथ में पाई जाने वाली जीवन रेखा की जड़ से सूर्य रेखा निकलकर बृहस्पति पर्वत पर तारक चिह्न में समाप्त होती है तो व्यक्ति का भाग्य प्रबल हो जाता है। इसके अलावा मणिबंध का पहला बने जंजीर दार निर्बाध सूर्य रेखा तिरुपुर के निचले भाग से निकलकर जाती है तो व्यक्ति का जीवन सफल और भाग्य बहुत प्रबल होता है।
शादी के बाद भाग्य उदय का लक्षण
अगर शादी के बाद कुंडली के नवम भाव में स्वामी ग्रह और नवम घर में जो राशि है उसके अनुसार विवाह होता है तो व्यक्ति का भाग्य उदय होता है। व्यक्ति की कुंडली में सप्तमेश नवम भाव या दशम भाव में होता है तो विवाह के बाद व्यक्ति का भाग्य उदय होता है और सफलता मिलती है।
भाग्य उदय का मंत्र
अगर आप का भाग्य कड़ी मेहनत के बावजूद भी साथ नहीं दे रहा है तो अपने भाग्य उदय करने के लिए नीचे दिए गए मंत्र का जाप नियमित करें।
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी, भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्व ।
गुरूश्व शुक्रः शनिश्राहुक, तवःकुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम ।।
राशि के अनुसार भाग्योदय मंत्र
सभी लोगों को अपने भाग्योदय के लिए राशि के अनुसार मंत्र का जाप करना चाहिए जिससे जीवन में मनचाही सफलता मिल जाती हैं।
1. मेष राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
मेष राशि वालों के लिए अपने भाग्योदय मंत्र का जाप प्रतिदिन करना चाहिए जो इस प्रकार है।
ॐ हीं श्रीं लक्ष्मीनारायणाय नमः।।
2. वृषभ राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
वृषभ राशि वालों के लिए भाग्य देव मंत्र इस प्रकार है।
ओम गोपालायै उत्तरध्वाजय नमः
3. मिथुन राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
ॐ ॐ क्लीम कृष्णायै नमः
4. कर्क राशि का भाग्योदय मंत्र
ॐ हिरण्यगर्भायै अव्यक्तरुपिने नमः
5. सिंह राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
ॐ क्लीं ब्रह्माणे जगदाधरायै नमः
6. कन्या राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
ॐ नमो प्रीं पीतांबरायै नमः
7. तुला राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
ॐ तत्वनिरंजाय तारक रामायै नमः
8. वृश्चिक राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
ॐ नारायणाय सुर सिंहायै नमः
9. धनु राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
ॐ श्रीं देवकीकृष्णाय ऊर्ध्वमशतायै नमः
10. मकर राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
ॐ श्रीं वत्सलायै नमः
11. कुंभ राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
ॐ श्रीउपेंद्रायै अच्युताय नमः
12. मीन राशि के लिए भाग्योदय मंत्र
ॐ क्लीं उद्धृताय उद्धरिणे नमः
हाथ की रेखाओं से भाग्योदय के लक्षण
हमारा भाग्य हमारी हाथ की रेखाओं में निहित होता है जिसे देखकर बड़े बड़े ज्योतिषी हमारा भविष्य बता देते हैं इसके अलावा हमारे मस्तिष्क की ललाट पर हमारा भाग्य भी लोगों को मनोवैज्ञानिक तरीके से दिखाई देता है।
ज्योतिष शास्त्र कहता है कि हाथ की रेखाओं में मंगल बुध और बृहस्पति पर्वत पर छोटी रेखाएं बनना शुरू हो जाती है तो हमारा भाग्य उदय होने वाला होता है जिससे व्यक्ति धीरे-धीरे तरक्की की ओर बढ़ता है।
दूसरी तरफ अगर मंगल क्षेत्र से कई रेखाएं निकलकर नीचे की ओर चली जाती है तो व्यक्ति के जीवन में संघर्ष अधिक होता है।
भाग्योदय के लक्षणों के आधार पर व्यक्तित्व
जब व्यक्ति का भाग्य उदय होता है तब व्यक्ति के व्यक्तित्व में भी परिवर्तन देखा जाता है कभी-कभी अचानक व्यक्तित्व परिवर्तन से यह पता चल जाता है कि व्यक्ति का भाग्य कितना प्रबल होने वाला है और कितना निर्बल होने वाला है।
समयानुसार व्यक्ति की जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है उसके व्यक्तित्व में परिवर्तन होता है तो कहीं ना कहीं उसकी राशि, ग्रह और अन्य कई चीजें भाग्य को बदल कर रख देती ऐसे में आइए जानते हैं कि ग्रहों के आधार पर भाग्योदय के लक्षण क्या है और कैसा व्यक्तित्व क्या दिखाता है।
1. सूर्य की उपस्थित से व्यक्ति का व्यक्तित्व
भाग्योदय के लक्षण के आधार पर देखा जाए तो जिस व्यक्ति की कुंडली में भाग्य के स्थान पर सूर्य का निवास होता है वह व्यक्ति स्वाभिमानी और महत्वकांक्षी होता है। ऐसे व्यक्तियों का भाग्य उदय 22 वर्ष में शुरू होता है यह लोग राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं और आर्थिक स्थिति से मजबूत होते हैं।
2. चंद्रमा की स्थिति से व्यक्ति का व्यक्तित्व
जिन लोगों के भाग्य भाव में चंद्रमा निवास करता है वे लोग 16 वर्ष में प्रवेश करने के बाद धार्मिक प्रवृत्ति जैसा व्यवहार करते हैं और दयालुता इनके अंदर जन्म लेती हैं यह वक्त दूसरे स्थान पर जाकर तरक्की करते हैं व्यक्तित्व के आधार पर ही दयालु और धार्मिक हो जाते हैं।
3. मंगल की स्थित से व्यक्ति का व्यक्तित्व
जिनके भाग्य भाव में मंगल का निवास होता है उनका व्यक्तित्व काफी गलत होता है यह धन लाभ के लिए गलत कदम उठाते हैं जिसमें वह कामयाब भी होते हैं यह व्यक्ति प्रमुख रूप से भूमि से संबंधित कार्य में सफल होते हैं।
4. बुध की स्थिति व्यक्ति का व्यक्तित्व
यदि नवम भाव में बुध दिखाई देता है तो व्यक्ति का 32 साल बाद भाग्य प्रबल हो जाता है ऐसे लोग व्यक्तित्व से अच्छे लेखक होते हैं जिन्हें पर्यटन ज्योतिष और गणित जैसे क्षेत्रों में प्रसिद्धि प्राप्त होती हैं
5. गुरु की उपस्थिति से व्यक्ति का व्यक्तित्व
जन्म कुंडली के नवम भाव में गुरु का स्थान होता है तो यह सबसे उत्तम होता है और 24 साल में व्यक्ति का भाग्य प्रबल हो जाता है ऐसे लोग व्यक्तित्व से काफी प्रबल होते हैं जिसकी वजह से इन्हें मान सम्मान मिलता है।
6. शुक्र की उपस्थित से व्यक्ति का व्यक्तित्व
व्यक्ति की जन्म कुंडली के नवम भाव में अगर शुक्र रहता है तो 25 साल बाद भाग्य का उदय जब होता है तो व्यक्ति का व्यक्तित्व साहित्य और कला की ओर ज्यादा उम्र जाता है जिससे इन्हें धन संपत्ति प्राप्त होती है
7. शनि की उपस्थिति व्यक्ति का व्यक्तित्व
वैसे जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि निवास करता है उस व्यक्ति का जीवन कहीं ना कहीं अस्त-व्यस्त हो जाता है ऐसे में अगर आपकी भाग्य भाव में शनि निवास करता है तो तरक्की नहीं होती है ऐसे लोग व्यक्तित्व से चिड़चिड़ा हो जाते हैं। शनि के निवास होने के कारण व्यक्ति का प्रारंभिक जीवन कष्टकारी होता है लेकिन अंतिम जीवन काफी सफल रहता है।
8. राहु केतु की स्थिति से व्यक्ति का व्यक्तित्व
जिन लोगों के भाग्य भाव में राहु केतु निवास करता है तो व्यक्ति का व्यक्तित्व राजनीतिक और सामाजिक हो जाता है जिसकी वजह से इनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो जाती है।
FAQ :
धन का स्वामी कौन होता है ?
कौन ग्रह धन की वृद्धि करता है ?
मेरी भाग्य का उदय कब होगा ?
निष्कर्ष
किसी भी व्यक्ति के जीवन में जितने भी सुख-दुख उतार-चढ़ाव लाभ हानि आदि आते जाते रहते हैं उनका सब का संबंध कहीं ना कहीं राशि और ग्रहों से युक्त होता है ऐसे में भाग्योदय के लक्षण हर व्यक्ति के अलग अलग तरीके से दिखाई देते हैं।
हमारी जन्म कुंडली में नवम भाव भाग्य का भाव होता है जहां पर ग्रहों की स्थिति हमारी उम्र के आधार पर भाग्य के उदय के संबंध में बताता है। अगर नवम भाव में कोई भी ग्रह इधर उधर होता है तो व्यक्ति का भाग्य बदल जाता है।