Pradosh vrat kya hota hai ? हमारा हिंदू धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है,क्योंकि दुनिया में सबसे पहला धर्म हिंदू धर्म ही उत्पन्न हुआ था| हिंदू धर्म में टोटल 33 कोटि देवी देवताओं का वर्णन किया गया है और सभी देवी देवताओं के अलग-अलग नाम हैं, जिनकी पूजा उनके भक्तों के द्वारा की जाती है|
इस दुनिया के रचयिता के तौर पर ब्रह्मा,विष्णु और महेश को जाना जाता है| इसके अलावा भी ऐसे कई असंख्य देवी देवता है, जिनकी पूजा हिंदू धर्म में मानने वाले लोग करते हैं, साथ ही हिंदू धर्म से जुड़े हुए कई साधु और सन्यासी भी हैं, जिनकी पूजा हिंदू धर्म के लोग करते हैं|
हमारे हिंदू धर्म में हर साल कई त्यौहार आते हैं|अगर व्यवहारों की बात की जाए तो हमारे धर्म में महाशिवरात्रि, होली,दीपावली, उत्तरायण, नवरात्रि जैसे त्योहारों का काफी महत्व है| इसके अलावा भी एक ऐसा त्यौहार आता है जो महिलाओं में काफी लोकप्रिय है| इसे त्यौहार के साथ-साथ व्रत का दिन भी कहा जाता है, हम बात कर रहे हैं प्रदोष व्रत की|
हमारे हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व बताया गया है| हर महीने में दो प्रदोष व्रत होते हैं|पहला प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है और दूसरा व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है| इस व्रत का हिंदू धर्म में काफी महत्व बताया गया है|
हिंदू कैलेंडर के अनुसार देखा जाए तो वैशाख का महीना साल का दूसरा महीना होता है और सामान्य तौर पर यह अप्रैल या फिर मई के महीने में चालू होता है|इस महीने में प्रदोष व्रत का भी अधिक महत्व होता है, आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और इसका महत्व|
प्रदोष व्रत की तिथि क्या होती है ? Date of Pradosh Vrat
पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत पौष माह में पड़ता है | सभी प्रदोष व्रत का अपना अलग-अलग महत्व होता है और हर दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत रखा जाता है|
उदाहरण के स्वरूप सोमवार को सोमवार को सोम प्रदोष व्रत, बुधवार को भौम प्रदोष, शुक्रवार को शुक्र प्रदोष और शनिवार को शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। इस बार मई का पहला प्रदोष व्रत शनिवार को है और शनि प्रदोष में भगवान शंकर की पूजा करना विशेष रूप से लाभदायक बताया गया है|
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प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त कब होता है ? Shubh Muhurat of Pradosh Vrat
प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है और प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल यानी कि शाम के समय जब सूरज ढलने होता है, तब उसके 45 मिनट पहले से चालू किया जाता है और इस दिन विधि विधान से व्रत और पूजा करने से भगवान शंकर काफी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं|
ऐसी मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में भगवान शंकर की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है, आइए जानते हैं कि इस महीने में प्रदोष का शुभ मुहूर्त कौन सा है|
- वैशाख त्रयोदशी तिथि आरंभ- 08 मई 2021 शाम 05 बजकर 20 मिनट से
- वैशाख त्रयोदशी तिथि समाप्त- 09 मई 2021 शाम 07 बजकर 30 मिनट पर
- पूजा समय- 08 मई शाम 07 बजकर रात 09 बजकर 07 मिनट तक
- पूजा की पूर्ण अवधि 02 घंटे 07 मिनट रहेगी।
शनि प्रदोष व्रत का क्या महत्व है ? Importance of Pradosh Vrat
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है और इसीलिए जो भक्त भगवान शंकर की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए|खासतौर पर महिलाओं को यह व्रत अवश्य करना चाहिए|
इस बार वैशाख के महीने में प्रदोष व्रत का दिन शनिवार को पड़ रहा है, जिसके कारण इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है| भगवान शंकर को शनि देव के गुरु के तौर पर जाना जाता है| इसीलिए शनि प्रदोष में इनकी पूजा करने से शनि भगवान के अशुभ प्रभाव से लोगों को मुक्ति मिलती है|
शनिवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने पर भगवान शंकर और भगवान शनिदेव की एक साथ पूजा करने से भक्तों को उनके सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है| इसके साथ ही साथ नौकरी,बिजनेस और धन से संबंधित उनकी सभी समस्याएं भी धीरे-धीरे दूर होने लगती है, साथ ही जो महिलाएं संतान प्राप्ति की इच्छा रखती है, उनके लिए भी यह व्रत काफी फायदेमंद माना जाता है|
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प्रदोष व्रत की पूजा कैसे करें ? How to Do Pradosh Vrat
- प्रदोष व्रत करने के लिए सबसे पहले आपको प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठ जाना है और सबसे पहले आपको नहा धोकर साफ और स्वच्छ कपड़े पहनने हैं|
- इसके बाद आपको अपने पूजा घर के पास जाना है और अपने पूजा के स्थान को आपको अच्छी तरह से साफ करना है|
- इसके बाद आपको भगवान शंकर की मूर्ति और शिवलिंग को स्नान करवाना है|
- इसके बाद एक चौकी में सफेद कपड़ा बिछाकर आपको उसके ऊपर भगवान शंकर की मूर्ति या फिर शिवलिंग की स्थापना करनी है|
- इसके बाद आपको भगवान शंकर को चंदन लगाना है और उन्हें नए कपड़े अर्पण करने हैं|
- शनि प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर फूल, धतूरा और भांग चढ़ाएं या ताजे फलों का भोग अर्पित करें|
- इस तरह पूजा करने के बाद आपको पूरे दिन तक व्रत के नियमों का पालन करना है और आपको फलाहार ग्रहण करना है और जहां तक हो सके आप को व्रत करने के दरमियान नमक का इस्तेमाल खाने के लिए नहीं करना है और अगर आपको नमक का इस्तेमाल करने की आवश्यकता पड़ती है, तो आपको सेंधा नमक का इस्तेमाल करना है|
- फिर प्रदोष काल में शुभ मुहूर्त के अनुसार भगवान शंकर की पूजा करें और प्रदोष व्रत की कथा सुने तथा पढ़ें|
- इसके बाद भगवान शंकर की आरती करने के बाद आपको प्रसाद को सभी लोगों में बांट देना है और खुद भी प्रसाद ग्रहण करना है|
- इस तरह से शनि प्रदोष व्रत में शुभ मुहूर्त में भगवान शंकर की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा आपके ऊपर बनेगी और वह आपके सभी दुखों को हर लेंगे तथा आपके घर में सुख समृद्धि प्रदान करेंगे|
- प्रदोष व्रत महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि महिलाएं प्रदोष व्रत करके अपने घर की सुख समृद्धि के लिए भगवान शंकर से प्रार्थना करती है और अगर मन में सच्ची श्रद्धा और लगन होती है तो उनकी प्रार्थना भगवान अवश्य सुनते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान देते हैं|