Amar hone ka mantra : दुनिया में कौन चाहता कि वह मर जाए अर्थात अधिकांश लोग यही चाहते हैं कि वह अधिक से अधिक जिंदगी जिए। अत्यधिक जिंदगी जीने के लिए हर व्यक्ति अंतिम सांस तक प्रयास भी करता है और जीने के लिए हर संभव साधन अपनाता है।
अमर होने के लिए हिरण्यकश्यप ने भगवान इस तरह से वरदान मांगा कि उसकी मौत नहीं हो सकती थी फिर भी उसे मरना पड़ा क्योंकि इस मृत्युलोक में जिसका जन्म हुआ है उसका एक ना एक दिन मरना निश्चित है। त्रेता में रावण स्वयं को अमर घोषित करने के बावजूद भी मरना पड़ा।
इस तरह के हमारे पौराणिक ग्रंथों में अनेक उदाहरण मिलते हैं की अमर होने के लिए तरह-तरह की तपस्या साधनाएं की जाती रही परंतु कोई भी व्यक्ति आज तक अमरता को नहीं प्राप्त कर सकें।
लेकिन दूसरी तरफ देखा जाए तो यह लोग आज भी अमर हैं अमर होने का मतलब यह नहीं है कि शरीर के साथ जिंदा रहा जाए बल्कि अमर होने का मतलब मर कर भी इस दुनिया में नाम लोग लेते रहे। सच्चे अर्थों में यही अमरता है।
- 1. अमर होने का मंत्र | Amar hone ka mantra
- 2. महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार है :
- 3. मंत्र क्या है ?
- 4. आत्मा और ब्रह्मांड का मंत्रों से संबंध
- 5. विभिन्न देवताओं के लिए मंत्र
- 5.1. 1. भगवान शिव के लिए मंत्र
- 5.2. 2. भगवान विष्णु के मंत्र
- 5.3. 3. भगवान ब्रह्मा के मंत्र
- 6. FAQ : Amar hone ka Mantra
- 6.1. दुनिया में नाम अमर कैसे करें ?
- 6.2. विज्ञान अमरता के लिए किसे सटीक बताया
- 6.3. दुनिया में कितने लोग अमर हैं?
- 7. निष्कर्ष
अमर होने का मंत्र | Amar hone ka mantra
व्यक्ति के कर्म व्यक्ति को महान बनाते हैं और उसका चरित्र समाज में यश कीर्ति मान सम्मान देता है परंतु amar hone ka mantra यही है कि मर कर भी इस दुनिया में नाम अमर रहे।
आज कॉल मी हमारे महान ऋषि मुनि कुछ ऐसे ऐसे मंत्रों का निर्माण किया जिनके माध्यम से वे अनंत काल तक जीवित रहे और आज भी उनका नाम मरने के बाद अमर है।
अगर आप अमर होना चाहते हैं तो शास्त्रों के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र को अमरता का मंत्र कहा गया है इस मंत्र को जाप करने और सिद्ध करने के बाद व्यक्ति चिरंजीव रहता है और अधिक से अधिक समय तक इस दुनिया में निरोगी होकर जीवित रह सकता है।
महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार है :
ॐ त्रयंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुकमिव बंधनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
विभिन्न प्रकार के धार्मिक ग्रंथ गीता रामायण उपनिषद योग और आयुर्वेद में तमाम ऐसे मंत्र बताए गए हैं जिनके माध्यम से हम अमरता को प्राप्त कर सकते हैं। आयुर्वेद में कायाकल्प करने के तरीके बताए गए हैं जो एक अमर होने की विधि है।
जीवन के साथ मृत्यु निश्चित है हर वक्त इंसान को मृत्यु का भय लगा रहता है कोई भी इंसान चाहे जितना कहे कि हमें मृत्यु से डर नहीं लगता है परंतु जब मृत्यु निकट आती है तो वह निश्चित रूप से यही कहता है कि मुझे बचा ले मैं मरना नहीं चाहता।
परंतु यहां पर हम मर कर भी अमर हो सकते हैं जो अमर होने का सही सिद्धांत है जिसके लिए हजारों लोगों ने तपस्या की, साधनाएं की विभिन्न प्रकार के मंत्रों को अमर होने का मंत्र बताया। इन्हीं मंत्र के माध्यम से तपस्या और साधना करते हैं चिरकाल तक जीवित रहे और आज भी मरने के बाद अमर हैं।
अगर हम अमर होने का मंत्र जानना चाहते हैं तो यहां पर आपको प्रमुख रूप से महामृत्युंजय मंत्र की बात की जाती है क्योंकि यही वह मंत्र है जो आपको चिरकाल तक जीवित रखता है और मरते वक्त आपको किसी भी प्रकार का कोई कष्ट नहीं होता है।
शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र को अगर 1008 बार प्रतिदिन विधि विधान से जाप किया जाता है तो यह मंत्र पूरी तरह से सिद्ध हो जाता है और व्यक्ति के अंदर असीम शक्तियां आ जाती हैं जिनके माध्यम से वह समाज का कल्याण कर सकता है और दुनिया में मान सम्मान यश प्राप्त कर सकता है इसके बाद जब वह दुनिया छोड़कर जाता है तो अपने नाम को छोड़ जाता है।
वास्तव में मंत्र वह ताकत है जो तार्किकता पूर्ण बात को सिद्ध करते हैं और इन मंत्रों के द्वारा व्यक्ति अपने अंदर ईश्वरीय शक्तियों को प्राप्त कर लेता है इसीलिए वह अपनी इन शक्तियों के द्वारा कुछ ऐसे कर्म करता है जिससे अन्य प्राणियों का उद्धार होता है और यही व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के दिल में जगह बनाता है धीरे धीरे विश्व विख्यात होता है।
कोई भी व्यक्ति जब अपने कर्म के माध्यम से समाज के हित में कोई कार्य करता है या देश हित में कोई कार्य करता है तो निश्चित रूप से वह दुनिया में जाना जाता है उसका नाम संपूर्ण संसार में जाना जाने लगता है लोग हजारों वर्ष तक भूल नहीं पाते हैं जब वह दुनिया से जाता है तो उसका नाम श्रद्धा से लोग लेते हैं यही अमरता है।
मंत्र क्या है ?
मंत्र ऐसे शब्द है जो कुछ अक्षरों से मिलकर बने होते हैं और यह सभी धर्मों के सभी भाषाओं के लिए बने हैं इनका सही उच्चारण ही हमें पूर्णता को प्राप्त कराता है। सभी धर्मों में अपनी अपनी भाषा के अनुसार मंत्रों की रचना की है इनका आरंभ कैसे हुआ किस प्रकार से हुआ किसी को कुछ नहीं पता है।
मंत्र एक संकल्प है या तरंग है जिस व्यक्ति की आत्मा जितना अधिक शक्तिशाली होगी उसका संकल्प भी इतने ज्यादा शक्तिशाली होगा यही वो मंत्र है जिनके माध्यम से एक से एक ऋषि मुनि इस ब्रह्मांड को अपने वश में करने में सक्षम थे.
केवल मंत्रों का सही उच्चारण करना आवश्यक है जिससे मंत्र की एक कारण प्रभावित करती है और समस्त वायुमंडल को वश में कर सकते हैं हमारी ऋषि मुनि योग और तक के माध्यम से मंत्रों के सहारे अपनी आत्मा की शक्ति का निर्माण करते थे।
सभी मंत्रों के अधिष्ठात्री देवी या देवता होते हैं जो मंत्रियों में शक्ति देते हैं और हर मंत्र की शक्ति किसी निश्चित कार्य के लिए होती है। जब हम मंत्र का उच्चारण करते हैं तो मंत्र द्वारा उत्पन्न कंपन देवी देवता के पास जाता है जिस से प्रभावित होकर हमें वायुमंडल के देवी देवता मन चाहा फल देते हैं.
इन्हीं मंत्रों के सहारे व्यक्ति अमर हो सकता है केवल मंत्रों का उच्चारण करने के लिए पवित्रता और एकाग्रता की आवश्यकता है व्यक्ति के नैतिकता और विचारों में शुद्धता होनी चाहिए तथा पूरी श्रद्धा और विश्वास होना चाहिए।
जब मंत्रों का उच्चारण होता है तो उनकी तरंगे उस अधिष्ठात्री देवी देवता के पास पहुंच जाती है और मंत्र सिद्ध हो जाता है वह शक्तियां प्राप्त होती है। सभी मंत्रों के उद्देश्य भी अलग हैं जो मंत्र के शब्द तो समझ जाता है उसका उद्देश्य जल्द पूर्ण हो जाता है।
आत्मा और ब्रह्मांड का मंत्रों से संबंध
मंत्र कोई भाषा नहीं है कोई शब्द नहीं है बस आत्मा की संकल्प शक्ति है जब मनुष्य मंत्रों के माध्यम से जो कुछ सोचता है तो वैसा बन्ना प्रारंभ हो जाता है जितनी ज्यादा संकल्प शक्ति होगी उसके अंदर की शक्ति भी उतनी मजबूत होगी अगर स्वार्थ के लिए कोई मंत्र जाप करता है तो उसकी शक्ति कमजोर हो जाती है इसीलिए आज मंत्रों की ताकत को पहचानना कठिन हो गया
देखा जाए तो आज वायुमंडल नकारात्मक ऊर्जा से पूर्ण हो चुका है जिसकी वजह से देवी या देवता गुरु या फकीर की शक्तियां कमजोर हो गई है इसीलिए आज मंदिर या धार्मिक स्थान पर किसी भी मंत्र का उच्चारण करते हैं तो कोई असर नहीं दिखाई देता है।
आज कितना भी हम मंत्र पढ़कर यज्ञ करें किसी भी प्रकार की आहुति दें लेकिन इनका असर नहीं दिखाई देता है नहीं तो एक समय में ही मंत्रों के माध्यम से हमारे ऋषि मुनि बारिश कर सकते थे आग जला सकते थे और जैसा चाहते थे वैसा हो जाता था।
शास्त्रों में अमर होने का मंत्र महामृत्युंजय मंत्र है परंतु आज इसका असर वह नहीं दिखाई देता है जो कभी द्वापर त्रेता सतयुग में दिखाई देता था आज मंदिरों में जोर-जोर से हनुमान चालीसा और गायत्री मंत्र जैसे मंत्रों का उच्चारण होता है परंतु किसी भी मंदिर से कोई चोर उचक्का चोरी कर लेता है परंतु उसके ऊपर कोई असर नहीं पड़ता।
आज वायुमंडल इतना नकारात्मक हो चुका है कि सकारात्मक कंपन या ऊर्जा कोई काम नहीं कर रहा है जिसकी वजह से किसी भी प्रकार के मंत्र हमें अमर बनाने के लिए यह हमारे लिए शक्तियों को खो चुका है।
अधिकांश लोग ओम नमः शिवाय का जाप करते हैं इस मंत्र से भी हम अपार शक्तियां प्राप्त करते हैं क्योंकि इसके अधिष्ठात्री देवता भगवान शिव और ओम शब्द रूप तीनो देवताओं के स्वरूप को देखा जाता है। इस मंत्र को बोलने से ब्रह्मांड के निराकार भगवान शिव तक पहुंचा जा सकता है।
इस मंत्र में कितनी शक्ति है कितनी शुभ होता है और इस मंत्र से सभी इच्छाएं पूरा हो जाती हैं। इस मंत्र को जपने मात्र से भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरा कर देते हैं दूसरी तरफ जब भगवान शिव प्रसन्न होते हैं तो आप उनसे अमरता का वरदान मांग सकते हैं।
शास्त्रों में वर्णित जितने भी मंत्र हैं वह किसी ने किसी देवी देवता से संबंधित हैं और उनको दिल विधान से जाप करने और सिद्ध करने मात्र से कम अपने अंदर असीम शक्तियां प्राप्त कर सकते हैं तथा प्रसन्न होने पर अधिष्ठात्री देवी देवता हमें अमरता का वरदान देते हैं।
विभिन्न देवताओं के लिए मंत्र
अमरता का वरदान केवल ईश्वर ही दे सकता है ऐसे में अगर आप हिंदू धर्म में वर्णित देवताओं के अनुसार किसी मंत्र का जाप करते हैं तो आप पर ईश्वर की कृपा होती है और आपको दर्शन देकर आपकी इच्छा अनुसार वरदान दे देते हैं। आइए हम कुछ देवताओं के नाम और मंत्र बताते हैं।
1. भगवान शिव के लिए मंत्र
ब्रह्मांड के सबसे बड़े देवता के रूप में भगवान शिव को स्थान प्राप्त है ऐसे में भगवान शिव के ऐसे कई मंत्र हैं जिनका जाप करने से आपको भगवान शिव अमरता का वरदान दे सकते हैं जिनको जपने से बहुत से ऋषि मुनि आज तक अमर हैं।
ओम नमः शिवाय
ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्!
2. भगवान विष्णु के मंत्र
सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु हैं इन को प्रसन्न करने के लिए आपको कई प्रकार के मंत्र दिए जा रहे हैं जो इस प्रकार हैं.
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
ॐ विष्णवे नम:
ॐ हूं विष्णवे नम:
ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
3. भगवान ब्रह्मा के मंत्र
सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा को माना गया है और इन्हें प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है जिससे प्रसन्न होकर व्यक्ति अमृता को प्राप्त कर सकता है.
ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥ ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥ ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥
FAQ : Amar hone ka Mantra
दुनिया में नाम अमर कैसे करें ?
विज्ञान अमरता के लिए किसे सटीक बताया
दुनिया में कितने लोग अमर हैं?
निष्कर्ष
अगर आप Amar hone ka Mantra जानना चाहते हैं तो यह जानना आवश्यक है कि हिंदू सनातन धर्म में ऐसे अनेकों मंत्रों का वर्णन है जिनमें से कोई भी मंत्र जाप करके ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है और उससे हम अमरता का वरदान प्राप्त कर सकते हैं।
मंत्रों में वह ताकत है जिसकी वजह से व्यक्ति अपने अंदर असीम शक्तियां पैदा कर सकता है और इन्हीं के सहारे वह अपने जीवन की लंबी यात्रा कर सकता है।
परंतु यह सत्य है कि जो इस मृत्युलोक में जन्म लेता है उसकी मृत्यु भी निश्चित है ऐसे में अमरता का केवल एक ही आशय रह जाता है कि उसका नाम युगो युगो तक चलता रहे यही सच्चे अर्थों में अमरता है।