Brihaspati dev Ki aarti : हेलो दोस्तों नमस्कार आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से brihaspati dev Ki aarti बताएंगे और उसके साथ-साथ बृहस्पति भगवान की पूजा कैसे की जाती है उनकी पूजा विधि भी बताएंगे हिंदू शास्त्रों के अनुसार ऐसा बताया गया है कि बृहस्पति का दिन भगवान विष्णु का दिन माना जाता है या दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति देव को समर्पित किया जाता है बृहस्पति देव देवों के गुरु होने के कारण गुरुवार के दिन की पूजा की जाती है.
बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु की बृहस्पति देव के रूप में पूजा की जाती है ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति विधि-विधान पूर्व भगवान श्री हरि विष्णु की आरती और व्रत करता है तो भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से brihaspati dev Ki aarti के बारे में बताएंगे और बृहस्पति भगवान की पूजा कैसे की जाती है उनकी पूरी पूजा विधि बताएंगे अगर आप यह जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
- 1. बृहस्पति भगवान की पूजा क्यों की जाती है ?
- 2. बृहस्पति भगवान की पूजा कैसे करें ? | Brihaspati bhagwan ki puja kaise kare ?
- 3. बृहस्पति भगवान की पूजा विधि | Brihaspati bhagwan ki puja vidhi
- 4. बृहस्पति देव की आरती | Brihaspati dev Ki aarti
- 5. FAQ : brihaspati dev Ki aarti
- 5.1. बृहस्पति पूजा कैसे किया जाता है?
- 5.2. बृहस्पति भगवान की पूजा करने से क्या फल मिलता है?
- 5.3. बृहस्पति भगवान का मंत्र क्या है ?
- 6. निष्कर्ष
बृहस्पति भगवान की पूजा क्यों की जाती है ?
भगवान बृहस्पति की पूजा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए की जाती है ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति भगवान बृहस्पति की पूजा करता है तो उसके पेट के सभी लोग उनकी पूजा के मदद से दूर हो जाते हैं उसकी सभी बीमारियां ठीक होने लगती हैं दीर्घायु प्राप्त होती है, निःसंतान दंपतियों को संतान, धन और प्रसिद्धि भी मिलती है.
बृहस्पति भगवान की पूजा कैसे करें ? | Brihaspati bhagwan ki puja kaise kare ?
आज की व्यस्त जीवन शैली में हमारे पास समय की कमी होती है काफी लंबी पूजा विधि के लिए समय नहीं निकल पाते है ऐसे में बृहस्पतिवार को विष्णु भगवान और बृहस्पति देव की पूजा की जाती है साथ ही अगर केला का पेड़ घर के अगल-बगल या घर में उपलब्ध है तो आप केले के पेड़ की पूजा कर सकते हैं इसकी पूजा करना सर्वोत्तम माना जाता है बृहस्पतिवार के व्रत से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है कुंवारी लड़कियां इस व्रत को इस लिए रखती हैं.
ताकि उनके विवाह में रुकावट ना आए ऐसा कहा जाता है अगर आप 1 साल तक गुरुवार का व्रत रखते हैं तो आपके घर में पैसों की कमी नहीं होगी बृहस्पति गुरू उनका हमारे जीवन में बहुत ही ज्यादा प्रभाव होता है सुख समृद्धि व्यवहारिक जीवन परिवार शांति विद्या पुत्र इन सबके दाता वह भगवान बृहस्पति देव की पूजा करने से हमें समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है भगवान बृहस्पति जी को भगवान विष्णु का अंस माना जाता है और भगवान विष्णु का वास केले के पेड़ पर होता है.
इसीलिए हमें गुरुवार के दिन भगवान विष्णु गुरु बृहस्पति और केले का पूजन करना चाहिए आपको 1 वर्ष में 16 गुरुवार के व्रत रखने चाहिए 16 गुरुवार व्रत रखने से आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और 17 गुरुवार को आपको इसका उद्यापन करना चाहिए आप इस व्रत को माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार से आप इस व्रत को शुरू कर सकते हैं शुक्ल पक्ष बहुत ही शुभ समय माना जाता है और किसी भी नए काम को शुक्ल पक्ष में ही शुरू करना चाहिए।
बृहस्पति भगवान की पूजा विधि | Brihaspati bhagwan ki puja vidhi
बृहस्पति की पूजा विधि बहुत ही सरल है साथ ही हमें जिन चीजों की जरूरत होती है वह हमारे घर में बहुत आसानी से उपलब्ध हैं चने की दाल, गुड , हल्दी , केला , उपला हवन करने के लिए और भगवान विष्णु की फोटो अगर केले का पेड़ उपलब्ध है तो बहुत अच्छा हैं व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठ जाएं स्नान आदि से निश्चिंत हो जाए साफ-सुथरे कपड़े पहने और जहां आपको पूजा करनी है उसको भी साफ कर ले वहां भगवान विष्णु की फोटो रख लीजिए अगर आपको केले के पेड़ के नीचे पूजा करनी है.
तो वहां साफ कर ले वहां पर भगवान विष्णु की फोटो रख लीजिए अब हाथ में चावल और एक पीला फल लीजिए 16 गुरुवार व्रत करने का संकल्प भगवान के सामने दोहराई साथ ही अगर आप किसी मनोकामना के लिए पूजा कर रहे हैं तो मनोकामना को दोहराई और कहिए 16 गुरुवार व्रत अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए कर रहे हैं.
चावल और फूल भगवान की तस्वीर के सामने चढ़ा दीजिए साथ ही एक छोटा पीला कपड़ा भगवान के फोटो पर अर्पित कर दीजिए एक छोटे से लोटे में जल रख लीजिए उसमें थोड़ी सी हल्दी डाल दीजिए इस हल्दी वाले जल से भगवान विष्णु को स्नान कराइए अब उस लोटे में गुड़ और चने की दाल डालकर रख लीजिए इस गुड और चने को फोटो पर चाहिए अब तिलक कीजिए हल्दी , चंदन लगाइए पीला चावल चढ़ाएं धूप दीप दिखाएं प्रसाद चढ़ाएं केले को प्रसाद के रूप में अर्पित करें.
अब इसके बाद आपको कथा पढ़नी होती है कथा के बाद उपले का हवन करें उपले को गर्म करके उसमें भी डालिए और जैसे ही अग्नि प्रज्ज्वलित हो जाए उस में हवन सामग्री के साथ गुड़ और चने की दाल की आहुति देनी चाहिए और हमें आप आहुति 5-7 बार ही देनी चाहिए और हमें आहुति देते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए ऊं बृं बृहस्पतये नम:। स्वाहा उसके बाद आपको भगवान विष्णु जी की आरती करनी चाहिए और अंत में आपको क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए।
बृहस्पति देव की आरती | Brihaspati dev Ki aarti
ॐ जय बृहस्पति देवा
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥
जो कोई आरती तेरी,
प्रेम सहित गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर,
सो निश्चय पावे ॥
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥
सब बोलो विष्णु भगवान की जय ।
बोलो वृहस्पतिदेव भगवान की जय ॥
FAQ : brihaspati dev Ki aarti
बृहस्पति पूजा कैसे किया जाता है?
बृहस्पति भगवान की पूजा करने से क्या फल मिलता है?
बृहस्पति भगवान का मंत्र क्या है ?
निष्कर्ष
जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से बताया कि brihaspati dev Ki aarti बताया और बृहस्पति भगवान की पूजा कैसे की जाती है इसके बारे में बताया अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको बृहस्पति भगवान की पूजा के बारे में अच्छी जानकारी प्राप्त हो गई होगी और उनकी आरती भी आपको मिल गई होगी तो उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।