दोस्तों हम सभी ने आत्मविश्वास के बारे में बहुत सी बाते सुन रखी है , की यदि आत्मविश्वास हो तो हम बड़े से बड़े कार्य को बड़ी आसानी से कर सकते है | परन्तु क्या हम यह भी जानते है की यह Self-confidence आत्मविश्वास आख्रिर है क्या ? यह कहाँ से आता है और क्या सच में यह इतना दमदार है ?
इस लिए आज हम आप को बतायेंगे की श्रीमद्भगवद्गीता में श्री कृष्ण ने आत्मविश्वास के बारे में क्या बताया है , आगे के अन्य लेख में इस वेबसाइट osir.in पर हम आप को आत्मविश्वास बढ़ाने के उपायों के बारे में भी बतायेंगे |
आज का हमारा विषय है “आत्मविश्वास” confidence | जी हाँ आत्मविश्वास | हम जब भी जीवन का गहराई से विचार करते है, और जब भी समस्याओं और संकटो का मूल कारण ढूँढने का प्रयास करते है, तब बार-बार एक नया निष्कर्ष और एक नया नतीजा सामने आता है|
हमारी अधिकतर समस्याओं का कारण है- आत्मविश्वस का ना होना | इर्ष्या भी वहीं से जन्म लेती है | क्रोध भी, आलस्य भी और लालसा भी| आत्मविश्वास ही जीवन में सुख और सफलता प्राप्त करने की चाभी है|
किन्तु क्या हम आत्मविश्वास का अर्थ समझते है? कोई भी कार्य हमारे सामने आता है, तो हम निश्चय करते है कि इस कार्य में हम अवश्य सफल होंगे| क्या ये आत्मविश्वास है? और हमारे सिवा कोई अन्य सफल हो ही नहीं सकता, ऐसा भी मान लेते है |
आत्म विश्वास क्या अहंकार का रूप है ?
क्या अहंकार हमेशा संघर्ष को जन्म देता है ?
तो क्या आत्मविश्वास संघर्ष का कारण है ?
आत्मविश्वास क्या है ? What is Self-confidence in Hindi ?
हम अपने अनुभव के आधार पर या अपने प्राप्त ज्ञान के आधार पर कह सकते है कि हम अवश्य सफल होंगे | तब हम उसे आत्मविश्वास कहते है | किन्तु वो बीते हुए कल का सत्य है| आने वाले समय में सत्य सिद्ध हो, ये आवश्यक नही |
ज्ञान की तो कोई सीमा ही नही | कैसे मान लें कि जितना भी आवश्यक है वो सारा ज्ञान हमने पा लिया है अर्थात आत्मविश्वास का अनुभव या ज्ञान है, तो वो आधारहीन है |
आत्मविश्वास का आधार ये भी नही हो सकता कि दूसरों के पास शक्ति कम है| हम सब से अधिक शक्तिमान है| ये अहंकार है| आत्मविश्वास नहीं |
आत्मविश्वास और अहंकार तो अवश्य ही टूटता है और संसार ने बार- बार ये सिद्ध किया है कि उसमें शक्तिमान व्यक्ति आते ही रहते है, तो
आत्मविश्वास का मूल रूप क्या होता है?
आत्मज्ञानी स्वयं या हम स्वयं पर विश्वास करते है तो उसे आत्मविश्वास कहते है| किन्तु प्रश्न ये है कि
क्या हम स्वयं को जानते है ?
विचार कीजिय कितनी बार हमने कुछ ऐसा कहा है जो हमें नही कहना चाहिये था | कितनी बार बिना परिणाम प्राप्त किये क्रोध किया है ? कितनी बार ऐसा हुआ है? हम जिसे कल मित्र मानते थे, वो आज शत्रु दिखाई देता है | यदि हम वास्तव में कुछ जानते है तो हमारे निर्णय बदल क्यों जाते है? क्या है कि प्रतिदिन हम आत्मविश्वास से आईने में मुख देखते है , वो हमारा है किन्तु उस मुख के पीछे मन है, उसका हमें कोई परिचय नही|
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गहराई से विचार करेंगे तो तुरंत आप जान पाएंगे कि आप तो वस्तव में दूसरों की दी गई धारणाओं का मेल मात्र ही हैं | हम सदा वैसे ही जीते है और वैसा ही सोचते है जैसा समाज ने हमें सिखाया है |
वास्तव में हमें स्वयं के विचारों का परिचय ही नही है | आत्म अर्थात स्वयं को हम जानते ही नहीं | यही कारण है कि हमारे पास अहंकार तो है पर आत्मविश्वास नही | वास्तव में आत्मविश्वास और कुछ भी नही, स्वयं का अपने मन और अपनी बुद्धि से परिचय करने का नाम है|
विकिपीडिया Wikipedia में आत्मविश्वास (Self-confidence) के बारे में अत्यंत संछिप्त भाषा में बताया गया है : रिफरेन्स लिंक
आत्मविश्वास (Self-confidence) वस्तुतः एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है। आत्मविश्वास से ही विचारों की स्वाधीनता प्राप्त होती है और इसके कारण ही महान कार्यों के सम्पादन में सरलता और सफलता मिलती है। इसी के द्वारा आत्मरक्षा होती है। जो व्यक्ति आत्मविश्वास से ओत-प्रोत है, उसे अपने भविष्य के प्रति किसी प्रकार की चिन्ता नहीं रहती। उसे कोई चिन्ता नहीं सताती। दूसरे व्यक्ति जिन सन्देहों और शंकाओं से दबे रहते हैं, वह उनसे सदैव मुक्त रहता है। यह प्राणी की आंतरिक भावना है। इसके बिना जीवन में सफल होना अनिश्चित है।