लिखित संपूर्ण दक्षिणा काली स्तोत्र एवं पाठ विधि एवं जाप के 5 लाभ | Dakshina kali stotra

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दक्षिणा काली स्तोत्र | dakshina kali stotra : हेलो दोस्तों नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इसलिए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से dakshina kali stotra के बारे में बताएंगे हमारे हिंदू धर्म में मां काली के लाखों भक्त हैं मां काली दुर्गा का ही स्वरूप है हमारे हिंदू धर्म के शास्त्रों में देवी के इन सभी रूपों को बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है.

अर्थात काली मां को ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कहा गया है कि इनकी उपासना और आराधना, तांत्रिक क्रिया के लिए की जाती है इसीलिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ ऐसे मंत्र भी बताए गए हैं जिन्हें कोई भी साधक जाप करके अपने हर संकट को टाल सकता है मान्यताओं के अनुसार मां काली के कुछ ऐसे महत्वपूर्ण मंत्र बताए गए हैं जिन का जाप करने से अनेकों प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से दक्षिणा काली स्त्रोत के बारे में जानकारी देने वाले हैं.

इस मंत्र के जरिए हम आपको दक्षिणा काली का आवाहन करने के बारे में बताएंगे हमारे द्वारा दिए गए इन मंत्रों का जाप करने से आप अपने शत्रु का विनाश कर सकते हैं यह मंत्र बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इन मंत्रों के द्वारा आप जल्द ही फल की प्राप्ति कर सकते हैं.

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लेकिन जिस समय आप मां काली के दक्षिणा काली स्त्रोत का पाठ कर रहे होते हैं उस समय आपको कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है जैसे कि मंत्र का जाप करते समय बातचीत ना करें मंत्रों का गलत उच्चारण ना करें ताकि आपको आगे चलकर किसी भी प्रकार की ना हो.

तो चलिए अब हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से dakshina kali stotra के बारे में जानकारी देंगे इसके अलावा दक्षिणा काली स्त्रोत क्या है ? दक्षिणा काली स्त्रोत का अर्थ क्या है ? और संपूर्ण दक्षिणा काली स्त्रोत अर्थात दक्षिणा काली स्त्रोत का पाठ करने की विधि और उसके संपूर्ण लाभ कौन से हैं ?

इन सभी विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे अगर आप दक्षिणा काली स्त्रोत के बारे में संपूर्ण जानकारी चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़े ताकि आप लोगों को इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके.

इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कहा गया है कि अगर किसी भी व्यक्ति का दिल बहुत ही कमजोर है तो वह मां काली की साधना ना करें क्योंकि काली मां की साधना करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना होता है अगर आप सोच रहे हैं कि इन मंत्रों के द्वारा आप किसी भी व्यक्ति का अनहित करना चाहते हैं तो यह भूलकर भी ना करें ऐसा करने से आपको भारी परिणाम उठाना पड़ सकता है.

दक्षिणा काली स्तोत्र क्या है ? | Dakshina kali stotra kya hai ?

वैसे तो आप सभी लोग मां काली की शक्तियों के बारे में जानते ही होंगे मां काली को कालरात्री के नाम से भी जाना जाता है इसीलिए शास्त्रों के अनुसार दशमहाविद्यान्तर्गत भगवती दक्षिणा काली की उपासना की जाती है इसके पीछे एक प्रचलित कथा है कहा गया है कि महाकाल की प्रियतमा काली ही अपने दक्षिण और वाम रूप में प्रकट हुई थी और यह 10 महाविद्याओं के नाम से प्रसिद्ध है.

काली

उसके पश्चात कहा गया है कि रक्त और प्रश्न भेद से काली ही दो रूप धारण की थी जिसे कृष्ण का नाम दक्षिणा और रक्त वर्ड का नाम सुंदरी दिया गया है इसे ही दक्षिणा काली स्त्रोत कहा जाता है.

दक्षिणा काली का अर्थ क्या है ? | Dakshina kali ka arth kya hai ?

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति या जानना चाहता है कि दक्षिणा काली स्त्रोत का अर्थ क्या होता है या फिर दक्षिणा काली किस चीज के लिए कहा गया है बंगाल में मां काली के भक्त अनेकों है बंगाल में मां काली की लोकप्रिय पूजा होती है इसीलिए बंगाल में दक्षिणा काली का सबसे लोकप्रिय रूप है.

बंगाल में मां काली को परोपकारी मां कहां गया है मां काली अपने भक्तों को दुर्घटनाओं और दुर्भाग्य से बचाती है शास्त्रों के मुताबिक ऐसा कहा गया है कि दक्षिणा काली नाम की उत्पत्ति विभिन्न संस्करण के द्वारा की गई है. तो चलिए अब हम आप लोगों को दक्षिणा काली स्त्रोत के बारे में जानकारी देंगे और संपूर्ण दक्षिणा काली स्त्रोत भी पेश करेंगे.

दक्षिणा काली स्तोत्र | Dakshina kali stotra

kali

|| अथ श्रीदक्षिणकाली खड़्गमाला स्तोत्रम् ||

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्रीं हूं ह्रीं ॐ नमस्दक्षिणकालिके 

हृदयदेवि शिरोदेवि शिखादेवि कवचदेवि नेत्रदेवि अस्रदेवि सर्वसम्पतप्रदायकचक्रस्वामिनि जयासिद्धिमयि अपराजितासिद्धिमयि नित्यासिद्धिमयि

अघोरासिद्धिमयि सर्वमंगलमयचक्रस्वामिनि श्रीगुरुमयि परमगुरुमयि परात्परगुरुमयि परमेष्ठिगुरुमयि

सर्वसम्पतप्रदायकचक्रस्वामिनि महादेव्याम्बामयि महदेवानन्दनाथमयि त्रिपुराम्बामयि त्रिपुरभैरवनाथमयि ब्रह्मानन्दनाथमयि

(पूर्वदेवानन्दनाथमयि चलाकिदानन्दनाथमयि लोचनानन्दनाथमयि कुमारानन्दनाथमयि क्रोधानन्दनाथमयि

वरदानानन्दनाथमयि स्मराद्विर्यानन्दनाथमयि मायाम्बामयि मायावत्याम्बामयि विमलानन्दनाथमयि)

कुशलानन्दनाथमयि भीमसुरानन्दनाथमयि सुधाकरानन्दनाथमयि मीनानन्दनाथमयि गोरक्षकानन्दनाथमयि भोजदेवानन्दनाथमयि

देवानन्दनाथमयि प्रजापत्यानन्दनाथमयि मूलदेवानन्दनाथमयि ग्रन्थिदेवानन्दनाथमयि विघ्नेश्वरानन्दनाथमयि

हुताशनानन्दनाथमयि समरानन्दनाथमयि संतोषानन्दनाथमयि सर्वसम्पतप्रदायकचक्रस्वामिनि

कालि कपालिनि कुल्ले कुरुकुल्ले विरोधिनि विप्रचित्ते उग्रे उग्रप्रभे दीप्ते नीले घने बलाके मात्रे मुद्रे मित्रे सर्वेप्सितप्रदायकचक्रस्वमिनि

ब्राह्मि नारायणि माहेश्वरि चामुण्डे कौमारि अपराजिते वराहि नार्सिंहि त्रिलोक्यमोहनचक्रस्वमिनि असिताङ्गभैरवमयि रुरुभैरवमयि चण्डभैरवमयि क्रोधभैरवमयि उन्मत्तभैरवमयि

कपालिभैरवमयि भीषणभैरवमयि संहारभैरवमयि सर्वसंक्षोभणचक्रस्वमिनि हेतुबटुकानन्दानाथमयि त्रिपुरान्तकबटुकानन्दानाथमयि वेतालबटुकानन्दानाथमयि

वह्निजिह्वबटुकानन्दानाथमयि कालबटुकानन्दानाथमयि करालबटुकानन्दानाथमयि एकपादबटुकानन्दानाथमयि भीमबटुकानन्दानाथमयि सर्वसौभग्यदायकचक्रस्वमिनि

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं हूं फट् स्वाहा सिंहब्याघ्रमुखीयोगिनीदेवीमयि सर्पाखुमुखीयोगिनीदेवीमयि मृगमेषमुखीयोगिनीदेवीमयि गजबाजिमुखीयोगिनीदेवीमयि क्रोष्टाखुमुखीयोगिनीदेवीमयि

लम्बोदरीमुखीयोगिनीदेवीमयि ह्रस्वजंघायोगिनीदेवीमयि तालजंघाप्रलमोष्ठीयोगिनीदेवीमयि सर्वार्थदायकचक्रस्वामिनि

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्रीं हूं ह्रीं इन्द्रमयि अग्निमयि यममयि निऋतिमयि वरुणमयि वायुमयि कुबेरमयि ईशानमयि ब्रह्मामयि अनन्तमयि वज्रणि शक्तिनि दण्डिनि खड़्गिनि पाशिनि अङ्कुशिनि गदिनि त्रिशुलिनि पद्मिनि चक्रिणि

सर्वरक्षाकरचक्रस्वामिनि खड़्गमयि मुण्डमयि वरमयि अभयमयि सर्वाशापरिपूरकचक्रस्वामिनि बटुकानन्दानाथमयि योगिनिमयि

क्षेत्रपालानन्दानाथमयि गणनाथानन्दानाथमयि सर्वभूतानन्दानाथमयि सर्वसंक्षोभणचक्रस्वमिनि नमस्ते नमस्ते फट् स्वाहा ।
चतुरस्त्राद् बहिः सम्यक् संस्थिताश्च समन्ततः।

ते च सम्पूजिताः सन्तु देवाः देवि गृहे स्थिताः ॥

सिद्धाः साध्या भैरवाः गन्धर्वाश्च वसवोऽश्विनो ।

मुनयो ग्रहा तुष्यन्तु विश्वेदेवाश्च उष्मयाः ॥

रूद्रादित्याश्चपितरःपन्नगःयक्ष चारणाः ।

योगेश्वरोपासका ये तुष्यन्ति नर किन्नराः ॥

नागा वा दानवेन्द्राश्च भूत प्रेत पिशाचकाः ।

अस्त्राणि सर्व शस्त्राणि मन्त्र यन्त्रार्चन क्रियाः ॥

शान्तिं कुरु महामाये सर्व सिद्धि प्रदायिके ।

सर्व सिद्धि चक्र स्वामिनि नमस्ते नमस्ते स्वाहा ॥

सर्वज्ञे सर्वशक्ते सर्वार्थप्रदे शिवे ।

सर्वमंगलमये सर्वव्याधि विनाशिनि ॥

सर्वाधारस्वरूपे सर्वमंगलदायकचक्रस्वामिनि नमस्ते नमस्ते फट् स्वाहा ।
“ क्रीं ह्रीं हूं क्ष्यीं महाकालाय, हौं महादेवाय, क्रीं कालिकायै, हौं महादेव महाकाल सर्वसिद्धिप्रदायक देवी

भगवती चण्ड चण्डिका चण्ड चितात्मा प्रीणातु दक्षिणकलिकायै सर्वज्ञे सर्वशक्ते श्रीमहाकालसहिते श्री दक्षिणकलिकायै नमस्ते नमस्ते फट् स्वाहा

॥ ह्रीं हूं क्रीं श्रीं ह्रीं ऐं ॐ ॥

॥ इति श्रीरूद्रयामलेदक्षिणकालिकाखड़्गमालास्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

मां काली के मंत्र जाप के नियम | Maa kali ke mantra jaap ke niyam

kali devi mata goddess

 

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति काली मां के किसी भी स्त्रोत या मंत्र का जाप करता है तो आपको काली मां के मंत्र जाप के नियम के बारे में अवश्य जानकारी होनी चाहिए जो कि आज हम आपको विधिपूर्वक बताएंगे मां काली के किसी भी मंत्र का जाप करने के लिए कठिन नियम बताए गए हैं शास्त्रों में कहा गया है कि मां काली के मंत्रों का जाप करने से पहले नियमों का पालन करना आवश्यक है.

  1. जैसे कि मां काली के किसी भी मंत्र का जाप करने के लिए शुद्धता का विशेष ध्यान देना चाहिए.
  2. मां काली के मंत्र का जाप करने के लिए मंत्र का उच्चारण गलत ना करें.

दक्षिणा काली स्तोत्र का पाठ करने की विधि | Dakshina kali stotra ka path karne ki vidhi

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति दक्षिणा काली स्त्रोत का पाठ करना चाहता है तो आपको संपूर्ण विधि पता होनी चाहिए जो कि आज हम आपको बताएंगे.

  1. दक्षिणा काली स्त्रोत का पाठ करने के लिए शुक्रवार का दिन निश्चित करना है क्योंकि काली मां की पूजा शुक्रवार के दिन की जाती है या फिर आप मध्यकाल रात्रि के समय भी मां काली की पूजा कर सकते हैं वह समय भी काली मां के लिए ही होता है.
  2. उसके पश्चात शुक्रवार के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निश्चिंत हो जाए.
  3. उसके बाद मां काली की पूजा में लगने वाली संपूर्ण सामग्री को एकत्रित करे ले.
  4. संपूर्ण सामग्री एकत्रित करने के बाद मां काली की तस्वीर को अपने घर के मंदिर में स्थापित करें या फिर किसी पवित्र स्थान पर बैठे और वहां पर मां काली की मूर्ति को स्थापित करें.
  5. उसके पश्चात संपूर्ण विधि विधान पूर्वक काली माता की पूजा करें.
  6. उनकी पूजा सामग्री में लाई गई वस्तुएं उन्हें अर्पित करें.
  7. उसके पश्चात मां काली की मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर आसन लगाकर बैठ जाए और एक लंबी सांस लेकर दक्षिणा काली स्त्रोत का पाठ प्रारंभ करें.
  8. दक्षिणा काली स्त्रोत का पाठ 1 दिन में एक बार कर सकते हैं चाहे तो आप ब्रह्म मुहूर्त में करें या फिर मध्य रात्रि के समय भी कर सकते हैं.
  9. 41 दिन तक लगातार दक्षिणा काली स्त्रोत का पाठ करने से विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे.

दक्षिणा काली स्तोत्र का पाठ करने के लाभ | Dakshina kali stotra ka path karne ke labh

महाकाली

1. मृत्यु का भय

अगर किसी व्यक्ति को मृत्यु का भय हर समय सताता है और वह अधिक परेशान रहता है परेशान होने की के बजाय अगर आप दक्षिणा काली स्त्रोत का पाठ करेंगे तो आपको मृत्यु का भय कभी भी नहीं सताएगा क्योंकि इस मंत्र के द्वारा आत्म – संयम प्राप्त होता है और साथ ही मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है.

2. विद्यार्थियों के लिए लाभकारी

अगर कोई व्यक्ति विद्यार्थी है तो उसे दक्षिणा काली स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए क्योंकि इस स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति का IQ बढ़ जाता है.

3. सफलता प्राप्ति

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति वैज्ञानिकी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना चाहता है तो उसे दक्षिणा काली स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए.

4. मन की शांति

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा बताया गया है कि अगर कोई भी व्यक्ति दक्षिणा काली स्त्रोत का पाठ करता है तो उस जातक को भौतिक दुनिया में मन की शांति अर्थात संतोष प्राप्त होता है.

5. सकारात्मक ऊर्जा

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति दक्षिणा काली स्त्रोत का पाठ करता है तो वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम हो जाता है अर्थात सकारात्मक ऊर्जा भी प्राप्त होती है.

FAQ : dakshina kali stotra

दक्षिणेश्वर काली को क्या कहा जाता है ?

दक्षिणेश्वर काली मंदिर हमारे हिंदू धर्म के नवरत्न मंदिरों में से एक है दक्षिणेश्वर काली मंदिर कोलकाता पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में है दक्षिणेश्वर काली मंदिर को परम शक्ति काली मां का रूप माना गया है इस मंदिर में आदिशक्ति काली मां के रूप की पूजा की जाती है.

दक्षिणा काली क्या है ?

दक्षिण काली का मंदिर बंगाल में स्थित है दक्षिण काली मां की पूजा बंगाल में लोकप्रिय रूप से मनाई जाती है बंगाल के लोग काली मां की विधि - विधान पूर्वक पूजा करते हैं.

काली का पति कौन है ?

मां काली के पति का नाम भगवान शिव है आप सभी में से किसी ना किसी व्यक्ति ने अक्षर माता काली को अपने पति के ऊपर खड़े या नाचते हुए चित्र को देखा होगा.

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से dakshina kali stotra के बारे में बताया इसके अलावा दक्षिणा काली स्त्रोत का पाठ करने की विधि क्या है ? और दक्षिणा काली स्त्रोत का पाठ करने के लाभ क्या है ? और दक्षिण काली स्त्रोत का पाठ करने के नियम क्या है ? इन सभी विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी दी अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है.

तो आपको इन सभी विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी.

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