देवता बुलाने का मंत्र : देवी देवता खोलने के मंत्र क्या है | देवता को बुलाने का मंत्र

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Devi devta kholne ke mantra kaun kaun se hai ? हिंदू सनातन धर्म Hindu Sanatan Dharma के अनुसार 33 कोटि के देवी देवता माने जाते हैं जो अपना अलग-अलग महत्व रखते हैं और अलग-अलग उनकी शक्तियां होती हैं। इन देवी देवताओं Gods and Goddesses को प्रसन्न करने के लिए उनके अलग-अलग मंत्रों Mantras का भी उपयोग किया जाता है।

ऐसे में किसी भी देवी देवता को प्रसन्न करने के लिए हम विभिन्न प्रकार के नियमों को करते हैं उनके मंत्रों का जाप करते हैं। इन मंत्रों के माध्यम से ही तथा हवन पूजन यज्ञ आदि के माध्यम से संबंधित देवता concerned deity प्रसन्न होते हैं तथा व्यक्ति को मनवांछित फल देते हैं।

विभिन्न प्रकार के देवी खोलने के लिए ऐसे कई उपाय और तरीके बताए गए हैं इन के माध्यम से हम सभी प्रकार के देवी देवताओं को सिद्ध कर सकते हैं अर्थात उनको खोल सकते हैं।

हिंदू सनातन धर्म में बहुत से देवी देवता अपना अलग-अलग स्थान रखते हैं तथा भी किसी ने किसी प्रकार से एक दूसरे से भी संबंधित होते हैं धर्म शास्त्रों religious scriptures  के अनुसार प्रमुख रूप से तीन देवी और तीन देवता माने जाते हैं जो समस्त सृष्टि का संचालन पालन पोषण upbringing और संहार करते हैं ।

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इन्हीं तीनों देवताओं को ईश्वर माना जाता है धर्म शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यही तीनों देवता ईश्वर के चमत्कारी गुणों से भरपूर है जो जैसा चाहे वैसा कर सकते हैं ब्रह्मांड की समस्त शक्तियां इन्हीं तीनों देवताओं में संबंधित हैं इन तीनों देवताओं में ब्रह्मा विष्णु महेश प्रमुख माने जाते हैं ।

सनातन धर्म के अनुसार उमा रमा ब्रह्माणी तीनों ब्रह्मा विष्णु महेश की पत्नी है स्वरूप मानी जाती हैं जिस प्रकार से ब्रह्मा विष्णु महेश ने ब्रह्मांड की समस्त शक्तियां समाई हुई हैं उसी प्रकार से उमा रमा ब्रह्माणी में भी समस्त ब्रह्मांड की शक्तियां समाहित हैं इन्हीं तीनों देवी देवताओं को सिद्ध कर लेने से व्यक्ति भगवान स्वरूप हो जाता है।

आइए इन्हीं तीनों देवी देवताओं के खोलने अर्थात सिद्ध करने के लिए क्या करें कैसे करें अर्थात देवी और देवताओं को कैसे सिद्ध करें इस विषय पर इस लेख के माध्यम से चर्चा करते हैं ।

भगवान शंकर को खोलने का मंत्र कौन सा है ?

सनातन धर्म के अनुसार भगवान शंकर को सृष्टि का संहारक माना जाता है। कहते हैं भगवान शंकर जब प्रसन्न होते हैं तो व्यक्ति को बिना सोचे समझे उसकी इच्छा का फल उसे तुरंत देते हैं परंतु जब गुस्सा होते हैं तो वे अपने तांडव नृत्य से संपूर्ण सृष्टि का विनाश कर सकते हैं |

भगवान शंकर के कई नाम है जिनमें से भोलेनाथ और महादेव सदाशिव नाम प्रमुख रूप से लिए जाते हैं भगवान शंकर इतने भोले हैं कि वे तत्काल प्रसन्न हो जाते हैं जिसकी वजह से इन्हें भोलेनाथ कहा जाता है और तत्काल प्रसन्न होने पर इच्छित वरदान भी दे देते हैं तथा इन्हें देवों में महादेव की उपाधि भी दी जाती है क्योंकि यह सभी देवों से बड़े माने जाते हैं।

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भगवान शंकर को खोलने या सिद्ध करने के लिए बहुत सारे मंत्र प्रयोग किए जाते हैं व्यक्ति को जिस प्रकार की चाहत होती है उसी प्रकार के मंत्र उसे जाप करना होता है प्रमुख रूप से भगवान शंकर या भोलेनाथ जी का मंत्र ओम नमः शिवाय है।

यदि व्यक्ति को धन दौलत और समृद्धि चाहती है तो देखती भगवान शंकर के ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप कर ले इसी मंत्र से संपूर्ण जीवन सुख में रहता है तथा भगवान शंकर की कृपा हमेशा बनी रहती है।

यदि कोई व्यक्ति मरण अवस्था में पहुंच रहा हो तो उस व्यक्ति को भगवान शंकर के इस मंत्र का जाप करने से भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं और उसे मृत्यु से छुटकारा दे देते हैं उसे मोक्ष प्रदान कर देते हैं। इसे महामृत्युंजय मंत्र के नाम से जाना जाता है।

देवता बुलाने का मंत्र 

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ शिव जी का मूल मंत्र: ऊँ नम: शिवाय।।

भगवान शिव के इस मंत्र को अपनी इच्छाओं की पूरा करने के लिए जाप किया जाता है।

ॐ नमोः भगवते रुद्राय

रूद्र गायत्री मंत्र

यह भगवान शंकर का बहुत ही शक्तिशाली मंत्र माना जाता है यह 11 मंत्रों का संग्रहण होता है अर्थात में 11 मंत्रों का समावेश है इसीलिए इस मंत्र को जाप करने से समस्त प्रकार की समस्याएं समाप्त हो जाती हैं |

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो

भगवान भोलेनाथ को खोलने या सिद्ध करने अथवा प्रसन्न करने के अन्य मंत्र

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं । विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ॥

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं । चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥

निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं । गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।

करालं महाकालकालं कृपालं । गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ॥

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं । मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ॥

स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा । लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं । प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ॥

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं । प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ॥

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं । अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ॥

त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं । भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी । सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ॥

चिदानन्दसंदोह मोहापहारी । प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥

न यावद् उमानाथपादारविन्दं । भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।

न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं । प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजां । नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ॥

जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं । प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ॥

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ॥।

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ॥

भगवान विष्णु को खोलने या प्रसन्न करने के मंत्र क्या है ?

हिंदू सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु को जगत का पालनहार माना जाता है भगवान विष्णु शांत और आनंदमई देवता है प्रसन्न करने के लिए ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप किया जाता है इस मंत्र का जाप करने से धन वैभव संपन्नता की कमी नहीं रह जाती है।

भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से करने का मां लक्ष्मी भी बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाती है जिसकी वजह से व्यक्ति के जीवन में धन वैभव की कमी नहीं रह जाती है भगवान विष्णु की पूजा बृहस्पतिवार के दिन करने से भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी और बृहस्पति देव की भी कृपा बरसती है।

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धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु एक अवतारी देवता है जब जब धरती पर किसी भी प्रकार का पाप बढ़ता है तो तो भगवान विष्णु खोलने या सिद्ध करने के लिए नीचे दिए गए मंत्र जाप किए जा सकते हैं –

1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

2. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

3. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

4. ॐ विष्णवे नम:

5. ॐ हूं विष्णवे नम:

6. ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।

दन्ताभये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

ॐ अं वासुदेवाय नम:
ॐ आं संकर्षणाय नम:
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
ॐ नारायणाय नम:

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

ब्रह्मा जी को खोलने या सिद्ध करने के मंत्र क्या हैं ? mantras to open or prove Brahma ji

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ब्रह्मा जी को इस सृष्टि का संचालक माना जाता है ब्रह्मा जी के द्वारा ही समस्त सृष्टि का उद्भव हुआ है। ब्रह्मा जी स्वयं जन्म लेने वाले चतुर्मुखी अर्थात चारों दिशाओं को देखने वाले माने जाते हैं। चार वेदों की रचना किया है।

ब्रह्मा जी की पत्नी स्वयं सरस्वती जी है जो वेद शास्त्रों की ज्ञाता और ज्ञान की माता मानी जाती हैं ब्रह्मा जी को प्रसन करने के लिए नीचे दिए गए मंत्रों का जाप किया जाता है |

देवता बुलाने का मंत्र 

1. ॐ यीम ह्रीं श्रींमकलीम सौह सात चित एकं ब्रह्मा
ॐ ब्रह्मणे नमः

2. प्रातः स्मरामि ह्रदि संस्फुररदात्म तत्त्वं
सच्चितसुखम परामहँसगतिम तुरीयं
यतस्वप्नजागर सुषुप्तिम वैति नित्यम
तदब्रह्मा निष्कलमहं न च भूतसंड्घ

3. ॐ वेदात्मने विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।
ओम चतुर्मुखाय विद्महे कमंडलु धाराय धीमहि
तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।

4. ॐ परमेश्वर्याय विद्महे परतत्वाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।

इस प्रकार से ऊपर दिए गए सभी मंत्र देवताओं के खोलने के मंत्र हैं अर्थात इन मंत्रों के माध्यम से इन देवताओं को प्रसन्न किया जाता है जिससे उनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में हर प्रकार से चौमुखी खुशी प्रसन्नता और धन भाई बहुत संपन्नता आती है।

इसी कड़ी में जहां एक और देवताओं को प्रसन्न करने के मंत्र दिए गए हैं वहीं दूसरी ओर इन देवताओं की पत्नियों अर्थात देवियों को भी खोलने या प्रसन्न करने के कई मंत्र दिए गए हैं जो इस प्रकार से हैं।

आइए हम सर्वप्रथम भगवान भोलेनाथ की पत्नी पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों का विवरण देते हैं |

देवी पार्वती को प्रसन्न करने या खोलने का मंत्र कौन से है ?

माता पार्वती आदिशक्ति के रूप में जानी जाती हैं तथा भक्तों के प्रति बहुत ही उधार और निर्मल हृदय वाली देवी है इनकी आराधना और उपासना करने पर बहुत ही जल्दी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं |

अविवाहित कन्याएं और महिलाएं माता पार्वती की पूजा और व्रत यदि रखती है तो उनका कल्याण तुरंत होता है। माता पार्वती को दुर्गा और काली का रूप माना जाता है। इन्हें अंबे मां की कहा जाता है और मां पार्वती दया ममता करुणा की देवी माना जाता है।

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ऊँ ह्लीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा।

हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।

ऊँ ह्लीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरुकुरु फट् स्वाहा।

मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभु भवानि।

कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि‘।

‘ऊँ साम्ब शिवाय नमः’
’ऊँ पार्वत्यै नमः

अस्य स्वयंवरकलामंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, अतिजगति छन्दः, देवीगिरिपुत्रीस्वयंवरादेवतात्मनोऽभीष्ट सिद्धये मंत्र जपे विनियोगः।

पार्वती को सिद्ध करने के लिए स्त्रोत पाठ कौन सा है ? source text to prove Parvati

विबुधाधिपतेजिनीशकान्ते वदनाभाजितयामिनीशकान्ते .
नवकुन्दविराजमानदन्ते नलिनाभं प्रणमाम्यहं पदं ते ||
विकचाम्बुरुहां विलासचोरैरतिशीतैः प्रवहद्दयाम्बुपूरैः .
शशिशेखरचित्तनृत्तरङ्गैस्तरसालोकय देवि मामपाङ्गैः ||
अवनीधरनायकस्य कन्ये कृपणं मां परिपालयातिधन्ये .
विधिमाधववासवादिमान्ये द्रुतमुन्मूलितभक्तलोकदैन्ये ||
कुचनिन्दितशातकुम्भशैले मणिकाञ्चीवलयोल्लसद्दुकूले .
परिपालय मां भवानि बाले त्रिजगद्रक्षणजागरूकलीले ||
स्वरुचा जिततप्तशातकुम्भे कचशोभाजितकालमेघडम्भे .
परिपालय मां त्रसन्निशुम्भे मकुटोल्लासिसुधामयूखडिम्भे ||
कुसुमायुधजीवनाक्षिकोणे परितो मामव पद्मरागशोणे .
स्मरवैरिवशीकृतप्रवीणे चरणाब्जानतसत्क्रियाधुरीणे ||
गिरिजे गगनोपमावलग्ने गिरितुङ्गस्तनगौरवेण भुग्ने .
वस मे हृदये तवाङ्गलग्ने तव संदर्शनमोदसिन्धुमग्ने ||
सकलोपनिषत्सरोजवाटीकलहंस्यास्तव मे कवित्वधाटी .
कृपयाविरभूदियं तु पेटी वहतु त्वद्गुणरम्यरत्नकोटीः ||

माता लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने या खोलने के मंत्र कौन-कौन हैं ?

लक्ष्मी जी के ये 10 मंत्र हैं अत्यंत प्रभावशाली, जाप से मिलती है मां की अखंड कृपा | मां लक्ष्मी धन की देवी माना जाता है हिंदू सनातन धर्म में मां लक्ष्मी जी की पूजा विधि विधान से करने पर व्यक्ति को आर्थिक और सामाजिक लाभ मिलता है |

माता लक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति की ऊपर किसी भी प्रकार का संकट नहीं आता है इनको प्रसन्न करने से घर में लक्ष्मी की कभी कमी नहीं रहती है।

माता लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने खोलने के कई सारे मंत्र जिन का विधि विधान से जाप करने से व्यक्ति के जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न नहीं होती है नीचे दिए गए विभिन्न प्रकार के मंत्र में से कोई भी मंत्र जाप करने से मां लक्ष्मी इच्छित फल प्राप्त कर देती है |

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:

धनाय नमो नम:

ॐ लक्ष्मी नम:

ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:

लक्ष्मी नारायण नम:

पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:

ॐ धनाय नम:

ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:

ऊं ह्रीं त्रिं हुं फट

माता लक्ष्मी का बीज मंत्र सबसे प्रभावशाली मंत्र है जिसका जाप करने से सभी प्रकार के कार्य सिद्ध हो जाते हैं।

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

मां लक्ष्मी का गायत्री मंत्र

ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥

उपरोक्त सभी मंत्र मनस्वी को खोलने या सिद्ध करने के लिए बनाए गए हैं इन सभी का जाप करने से व्यक्ति की इच्छित कार्य पूरा हो जाते हैं।

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माता सरस्वती जी को सिद्ध कर लिया खोलने के मंत्र कौन-कौन से हैं ?

माता सरस्वती विद्या और समृद्धि की देवी माना जाता है खास तौर पर बसंत पंचमी के दिन की पूजा करना सबसे अहम होता है परंतु सामान्य दिनों में भी इनकी पूजा करने से भी सभी प्रकार के इच्छित फल प्राप्त हो जाते हैं।

माता सरस्वती विद्या की देवी होने के कारण यदि कोई भी व्यक्ति अपने ज्ञान को बताना चाहता है तो वह मां सरस्वती की पूजा दिन प्रतिदिन करता है तो उसके ज्ञान में दिन दूना रात चौगुना उन्नत होती है।

स्वर की देवी सरस्वती को ज्ञान के साथ-साथ गायन कला के क्षेत्र में भी पूजनीय होते हैं क्योंकि इन्हें सभी प्रकार की स्वरों का ज्ञान है और इनकी पूजा करने से व्यक्ति के अंदर गायन कला का भी अच्छा ज्ञान प्राप्त हो जाता है।

माता सरस्वती जी के लिए नीचे दिए गए मंत्रों का जाप करने से मां सरस्वती की कृपा व्यक्ति के ऊपर बरसती है और जड़ से जड़ व्यक्ति भी बुद्धिमान हो जाता है। मां सरस्वती जी को प्रसन्न करने अथवा खोलने के लिए नीचे मंत्र और पाठ दिया गया है –

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेणसंस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः।

विघ्न-बाधाओं को दूर करने के लिए

ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी।

मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।।

सरस्वती देवी का मूल मंत्र

ओम ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।

सरस्वती वंदना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।

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शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥

हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।

वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्॥

मां सरस्वती का संपूर्ण मंत्र

ओम ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।

मां सरस्वती की आरती

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।

सद्गुण वैभवशालिनी, त्रिभुवन विख्याता।।

जय सरस्वती माता…

चन्द्रवदनि, पद्मासिनि द्युति मंगलकारी।

सोहे हंस-सवारी, अतुल तेजधारी।।

सरस्वती मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।

परीक्षा का डर भगाने के लिए मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।।

विद्या में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।

परीक्षा में सफलता के लिए के लिए मंत्र

ॐ नमः श्रीं श्रीं अहं वद वद वाग्वादिनी भगवती सरस्वत्यै नमः स्वाहा विद्यां देहि मम ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा।

हिंदू सनातन धर्म के अनुसार 33 कोटि के देवी देवताओं में जितने भी देवी देवता है उनको खोलने और सिद्ध करने के लिए तमाम तरह के मंत्र दिए गए हैं। यदि किसी भी देवी देवता को खोलने के लिए मंत्रों के विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमें इस लेख में कमेंट करके बताएं जिसे हम अगले लेख में प्रस्तुत करेंगे ।

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