Digpal sadhana kya hai ? digpal sadhana kaise kare ? आज हम आपको दिगपाल साधना के बारे में जानकारी देने वाले हैं, दोस्तों आपने इस बात पर अवश्य ध्यान दिया होगा कि हम जब भी कोई अच्छा या फिर शुभ काम करते हैं तो हमें उसे शुभ काम को शुरू करने से पहले दिशा की पूजा अवश्य करनी होती है जिसे दिशा पूजन कहा जाता है|
पंडित लोग भी किसी भी शुभ काम को चालू करने से पहले सभी दिशाओं की पूजा अवश्य करते हैं,सामान्य तौर पर बहुत से लोग यही जानते हैं कि दिशाएं सिर्फ 4 तरह की होती है|
परंतु यह बात सच नहीं है दिशाएं 4 से भी अधिक प्रकार की होती है, जब पंडित लोग पूजा करते हैं तो पूजा करने के पहले वो तंत्र मंत्र के द्वारा अपनी सुरक्षा के लिए सभी दिशाओं का किलन कर देते हैं|
ऐसे में आप यह अवश्य सोचते होंगे कि तंत्र मंत्र की साधनाओं में साधक अपने शरीर की सुरक्षा के लिए अपने शरीर को मंत्रों से बांध देते हैं तो क्या वे दिशाओं को भी बांधते हैं? क्या इसका वशीकरण से कोई लेना-देना है|
अगर आपके मन में भी यह सवाल उठते रहते हैं तो चिंता बिल्कुल ना करें क्योंकि आज आपको सारे जवाब मिल जाएंगे, सबसे पहले तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिगपाल की साधना सफलतापूर्वक पूरा कर लेने से साधक को दूर आकर्षण की शक्ति प्राप्त हो जाती है| digapaal sadhna kaise ki jati hai ?
दिगपाल का संबंध सभी दिशाओं से है ऐसी मान्यता बहुत दिनों से चली आ रही है और जब किसी दिशा का बंधन किया जाता है तो हम दूरी के प्रभाव को कम कर पाते हैं|
अगर आप अपने घर पर ही बैठ कर अपने से बहुत दूर रहने वाले किसी व्यक्ति पर वशीकरण का प्रयोग आजमाना चाहते हैं या फिर किसी दूसरे व्यक्ति पर अपना आकर्षण डालना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले अंगुल साधना से अपनी शुरुआत करनी चाहिए|
अगर आप नहीं जानते कि अंगुल साधना क्या होती है तो हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अंगुल साधना में साधक अपनी अंगुलियों के आकर्षण की साधना करते हैं और अंगुल के जरिए साधक दिगपाल यानी कि हर अंगुली से जुड़े हुए देवताओं की साधना करते हैं|
हमारे हाथों में टोटल 10 अंगुलियां होती है, इसमें अंगूठा भी शामिल है और यह सभी 10 अंगुलियां अलग-अलग दिशाओं से जुड़ी हुई है और इनसे अलग अलग प्रकार के देवता भी जुड़े हुए हैं|
हम वशीकरण के लिए जिस दिशा का इस्तेमाल करते हैं उसके अनुसार ही दिगपाल की साधना की जाती है और वशीकरण किया जाता है|
हमारे भारत देश के कई गांवों में आज भी दिगपाल की साधना की जाती है और ऐसा माना जाता है कि दिगपाल उस दिशा से हमें सुरक्षा प्रदान करता है|
साथ ही हमारी अन्य कई समस्याओं का भी समाधान करता है, आज भी बहुत सी जगह कुछ बीमारियों के इलाज के लिए दिगपाल की पूजा भी की जाती है|
- 1. दिकपाल साधना क्या है ? What Is Dig pal Sadhana ?
- 2. दिकपाल क्या होते है ? Who Is Dikpal ?
- 3. कैसे करे अंगुली पर नियंत्रण करने की साधना ? How to practice finger control?
- 4. दिकपाल साधना का अभ्यास कैसे करे ? How to practice Dikpal Sadhana?
- 5. दिगपाल साधना का मंत्र क्या है ? What is the mantra of Digpal Sadhana?
- 6. दिकपाल साधना के दौरान हमे क्या करना चाहिए ? What should we do while practicing Digpal Sadhna
दिकपाल साधना क्या है ? What Is Dig pal Sadhana ?
अगर साधक वशीकरण की साधना कर रहा है तो उसे अपने किसी नजदीकी व्यक्ति पर वशीकरण का प्रभाव डालने में काफी आसानी हो सकती है परंतु ऐसी अवस्था में क्या हो सकता है जब साधक जिस व्यक्ति पर वशीकरण का प्रभाव डालना चाहता है वह व्यक्ति साधक से हजारों किलोमीटर दूर हो|
ऐसी अवस्था में साधक के लिए वशीकरण का प्रभाव डालना काफी मुश्किल हो जाता है, परंतु इस दुनिया में ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिसका समाधान ना हो|
अगर कोई साधक घर बैठ कर ही हजारों किलोमीटर दूर रहने वाले व्यक्ति पर वशीकरण का प्रभाव डालना चाहता है तो उसे दिगपाल की साधना अवश्य करनी चाहिए|
क्योंकि इस साधना के माध्यम से वह दूर बैठे व्यक्ति पर वशीकरण का प्रभाव डाल सकता है, दिगपाल मतलब दिशा का रक्षक और हर दिशा में किसी जगह पर इनका वास होता है|
जो व्यक्ति दिगपाल की साधना कर लेता है तो उसके बाद उसका अपने हाथों की सभी उंगलियों पर नियंत्रण हो जाता है|
इसके बाद दिगपाल दूरी को कम कर देते हैं और फिर व्यक्ति दूर बैठे किसी व्यक्ति पर अपने आकर्षण का प्रभाव डाल सकता है|
इस साधना का इस्तेमाल साधक जनकल्याण के कामों के लिए कर सकता है परंतु बिना फीस के यह काम ना करें और जितनी भी फीस आपको काम के बदले मिलती है, उसका दसवां हिस्सा दिगपाल को अवश्य भेंट करें|
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दिकपाल क्या होते है ? Who Is Dikpal ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिगपाल को दिशा के लिए ही नियुक्त किया जाता है और धर्म के अनुसार टोटल 10 दिशाएं हैं और सभी दिशा से सुरक्षा को प्राप्त करने के लिए दिशा पूजन और किलन किया जाता है,इन 10 दिशा के अनुसार उनके नियुक्त किए गए दिकपाल इस प्रकार है|
- उर्ध्व : ब्रह्मा
- ईशान : शिव
- पूर्व : इंद्र
- आग्नेय : अग्नि देव
- दक्षिण : यम
- नैऋत्य : नऋति
- पश्चिम : वरुण
- वायव्य : वायु देव
- उत्तर : कुबेर
- अधो : अनंत
उर्ध्व दिशा को ब्रह्मा जी के अधीन माना जाता है और ब्रह्मा जी को उर्ध्व दिशा का संरक्षक भी कहा जाता है, इसलिए अगर आपको कुछ मांगना है तो आकाश से मांगे क्योंकि आकाश हमारी सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है इसीलिए जो भी इच्छा रखे वह ब्रह्मांड से रखें|
राहु पुराण के अनुसार जब ब्रह्मांड की रचना ब्रह्मा जी कर रहे थे और जब वह ध्यान में थे तब उनके कानों से 10 कन्याओं का सृजन हुआ था और उन्हें 10 कन्याओं में से 6 मुख्य और गौण थी और फिर ब्रह्मा जी ने इन सभी कन्याओं से अपनी अपनी दिशा का चयन करने के लिए कहा था और उसी के अनुसार पति का चयन करने के लिए कहा, तब उन कन्या ने अपने पति का चुनाव किया जो की निम्न था|
- पूर्व के इंद्र
- दक्षिण-पूर्व के अग्नि
- दक्षिण के यम
- दक्षिण-पश्चिम के सूर्य
- पश्चिम के वरुण
- पश्चिमोत्तर के वायु
- उत्तर के कुबेर
- उत्तर-पूर्व के सोम।
ऊपर आकाश की और ब्रह्मा स्वयं गए और पाताल मे उन्होने शेष या अनंत को प्रतिष्ठित किया|
कैसे करे अंगुली पर नियंत्रण करने की साधना ? How to practice finger control?
जो साधक दिगपाल की साधना करना चाहता है उसे सबसे पहले अंगुल साधना करनी होती है,आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिगपाल की साधना काफी आसान होती है|
परंतु इस साधना को करने के लिए साधक के अंदर संयम अवश्य होना चाहिए और इस साधना को शुरू करने से पहले अपने आप को मानसिक रूप से तैयार अवश्य कर लेना चाहिए|
और उसके बाद ही साधना का अभ्यास चालू करना चाहिए, अंगुल साधना करने के लिए सबसे पहले अपने हाथों की चारों उंगलियों का आपस में चिपका ले, इसी तरह दूसरे हाथ की भी चारो अंगुलियो को आपस मे चिपका ले। आगे की ओर मोड़ कर थोड़ा सा झुका ले|
इसके बाद अपने दोनों हाथों की उंगलियों को आमने सामने रखें और इन दोनों हाथों के बीच अधिक से अधिक एक सूत की दूरी ही रखें, फिर दोनों हाथ के अंगूठे को सीधा करें और अनामिका उंगली के ऊपर सामने रखें|
इस मुद्रा को हम अंबुज मुद्रा कहते हैं और यह मुद्रा हमारी आंखों से ठीक 9 इंच की दूरी पर बनती है,इसके बाद हमें अपनी नजर को दोनों हाथों के बीच जो खाली जगह होती है वहां पर रखनी होती है|
और बिना किसी संकल्प के इस अभ्यास को हमें लगातार 1 मिनट तक करना होता है, लगातार एक महीने के अभ्यास से यह मुद्रा साधक सीख लेता है और प्रयोग के लिए तैयार हो जाता है|
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दिकपाल साधना का अभ्यास कैसे करे ? How to practice Dikpal Sadhana?
दिगपाल साधना शुरू करने के लिए सबसे पहले साधक अपने शरीर के दाहिने हाथ के अंगूठे के तीन हिस्सों में से एक हिस्से पर लाल चंदन या फिर मसूर की दाल को पीसकर लगा ले|
और फिर अपने बाएं हाथ के अंगूठे पर काजल लगा ले और फिर इन दोनों अंगूठे को सामने रखें और नजर को अंगूठे के ऊपर स्थिर करते हुए मन ही मन “हू” बीज मंत्र का 108 बार जाप करें|
इसी तरह यह अभ्यास साधक को टोटल 11 दिनों तक करना है और फिर 12वे दिन साधक जिस व्यक्ति पर वशीकरण का प्रयोग इस्तेमाल करना चाहता है उसके फोटो को जमीन पर रखें और दोनों अंगूठे को उस पर दबा दें और नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें, इस मंत्र का जाप 108 बार करना है|
दिगपाल साधना का मंत्र क्या है ? What is the mantra of Digpal Sadhana?
झां झां झां हां हां हें हें हूं
जब साधक इस मंत्र का 108 बार जाप करता है तब साधक जिस व्यक्ति पर वशीकरण करना चाहता है उस पर तुरंत ही आकर्षण का प्रभाव होना चालू हो जाता है|
दिकपाल साधना के दौरान हमे क्या करना चाहिए ? What should we do while practicing Digpal Sadhna
- दिगपाल की साधना बहुत ही सरल और अच्छी साधना होती है, बहुत से लोग जो यह साधना करते हैं वह ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और लगभग सभी साधनों में ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी होता है|
- इस साधना में भी आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी है, इसके अलावा इस साधना को आपको किसी एकांत जगह पर ही करना है|
- आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वशीकरण को इस्तेमाल करने के लिए उत्तर दिशा और पूरब दिशा को अच्छा माना जाता है|
- इसीलिए जब आप किसी पर वशीकरण करने की इच्छा रखते हो तो आपको उत्तर या फिर पूरब दिशा की ओर अपना मुंह करके बैठना चाहिए और वशीकरण का प्रयोग करना चाहिए|
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