एकादशी व्रत किसको करना चाहिए ? एकादशी व्रत के 11 नियम | Ekadashi vrat ka mahatva : Ekadashi vrat kisko karna chahiye

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एकादशी व्रत किसको करना चाहिए Ekadashi vrat kisko karna chahiye : हेलो दोस्तों नमस्कार आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से बताएंगे एकादशी व्रत किसको करना चाहिए क्योंकि हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति एकादशी व्रत को करता है वह समस्त देवी देवताओं की पूजा करने जैसा फल प्राप्त करता है.

एकादशी व्रत किसको करना चाहिए

और जब पूर्ण रूप से व्रत सफल हो जाता है तो वह व्यक्ति पापों से मुक्ति प्राप्त कर लेता है और उसके जीवन के सभी बिगड़े हुए कार्य बन जाते हैं लेकिन आपको एकादशी व्रत करने का शुभ फल तभी मिलेगा जब आप इस व्रत को निश्चित समय और शास्त्रों के अनुसार बताए गए नियम के अनुसार करते हैं इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि यह व्रत कुछ लोगों को नहीं करना चाहिए .

इसीलिए आज हम इस लेख में बताएंगे एकादशी व्रत किन लोगों को करना चाहिए और किन लोगों को नहीं करना चाहिए, और एकादशी व्रत को करने का शुभ समय और नियम क्या होते हैं. ऐसे में अगर आप भी एकादशी व्रत को करना चाहते हैं लेकिन आपको एकादशी व्रत से संबंधित जानकारी प्राप्त नहीं है कि इस व्रत को कैसे रखना चाहिए तो कृपया करके इस लेख को शुरू से अंत तक अवश्य पढ़ें.

एकादशी व्रत किसको करना चाहिए ? | Ekadashi vrat kisko karna chahiye ?

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो महिला पुरुष एकादशी व्रत को रखने की इच्छा रखते हैं वह लोग एकादशी व्रत को पूरे नियम और विधि विधान के साथ रख सकते हैं और इस दिन भूलकर भी किसी को भी कटु वचन और किसी जीव की हत्या, मांस, मछली का सेवन नहीं करना चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से एकादशी व्रत सफल नहीं होता है.

एकादशी व्रत किन लोगों को नहीं करना चाहिए ?

जैसा कि हमने आप लोगों को बताया है एकादशी व्रत रखने वाले जातक जातिका को 2 दिन पहले से ही मांस, मछली, लहसुन, प्याज. इन सबका सेवन बंद कर देना चाहिए ऐसे में अगर कोई व्यक्ति इन सबका सेवन नियमित रूप से करता है, तो उस व्यक्ति को एकादशी का व्रत भूल कर भी नहीं रखना चाहिए नहीं तो आपके जीवन में भयंकर अंधेरा आ जाएगा.

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क्योंकि एकादशी व्रत स्वछता पूर्वक रखा जाता है और शुद्ध सुपाच्य भोजन किया जाता है इसीलिए जो व्यक्ति शराब मांस मछली का सेवन करते हैं उन्हें यह व्रत नहीं रखना चाहिए और अगर रखना चाहते हैं तो दो-तीन दिन से पहले ही मांस मछली का सेवन बंद करना होगा और व्रत रखने के 1 महीने बाद तक भी आपको इसका सेवन नहीं करना चाहिए.

एकादशी व्रत को करने के नियम | Ekadashi vrat ko karne ke niyam

जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं हर धर्म में हर व्रत को करने के अपने अपने अलग-अलग नियम होते हैं और जब हम उन्हीं नियम के अनुसार व्रत को रखते हैं तभी शुभ फल मिलता है इसी तरह से हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को करने के कुछ खास नियम बनाए गए हैं.

अगर एकादशी व्रत रखने वाला कोई भी जातक नियमों का पालन करके एकादशी व्रत को पूर्ण करता है तो उसके जीवन में खुशहाली आ जाती है और वह पाप मुक्त हो जाता है इसलिए हम यहां पर एकादशी व्रत को करने के मुख्य नियम बताएंगे. एकादशी व्रत को करने के निम्नलिखित नियम है जैसे,

  • जो व्यक्ति एकादशी व्रत को रखता है उसे 1 दिन पहले से ही अपने घर की अच्छे से साफ सफाई कर देनी चाहिए और 1 दिन पहले या 2 दिन पहले से मांस मछली लहसुन प्याज मसूर की दाल का सेवन भी बंद कर देना चाहिए.
  • एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को अपने मन में किसी भी प्रकार का क्रोध और लालच नहीं लाना चाहिए.
  • एकादशी व्रत को करने वाली महिला तथा पुरुष दोनों को उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
  • एकादशी वाले दिन आप किसी भी हारे पौधे और जीव जंतु को हानि ना पहुंचाएं .
  • एकादशी व्रत वाले दिन व्रत रखने वाले जातक को नीम की दातून से दांत को साफ करना चाहिए.
  • एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए. क्योंकि चींटी और अन्य छोटे जीवो की मृत्यु होने का भय रहता है और अगर घर में झाड़ू लगाए तो बहुत संभाल कर लगाएं किसी भी जीव की हत्या ना होने पाए नहीं तो आपका व्रत सफल नहीं होगा.

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  • एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्ति को उस दिन किसी से भी ज्यादा देर तक वार्तालाप नहीं करना चाहिए और सोच समझकर ही कोई शब्द बोलना चाहिए.
  • एकादशी व्रत वाले दिन भूलकर भी बाल नहीं कटवाने चाहिए.
  • एकादशी के दिन जितना हो सके आप गरीबों को दान करें और अगर कोई आपको खाने के लिए अन्न दे रहा है तो आप उन्हें ग्रहण ना करें.
  • एकादशी व्रत को महीने में दो बार रखना चाहिए पहला अमावस्या होने पर और दूसरा पूर्णिमा होने पर.
  • एकादशी व्रत को करने वाले जातक जातिका को उस दिन जमीन पर आसन बिछाकर सोना चाहिए.

दोस्तों यह एकादशी व्रत के नियम है जिनका पालन करना बेहद आवश्यक होता है.

एकादशी व्रत को करने का शुभ समय | Ekadashi vrat ko karne ka shubh samay

  1. जैसा कि आप सभी लोग जानते होंगे एकादशी व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का व्रत है इसीलिए एकादशी व्रत को करने वाले जातक को एकादशी व्रत करने के लिए सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए और फिर घर की अच्छे से साफ सफाई करके स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ कपड़े पहन लेना चाहिए.
  2. उसके बाद गरुड़ पर विराजमान दिव्य भगवान विष्णु की पूजा करें और उनके सामने धूपबत्ती अगरबत्ती जलाकर आरती करें और पंचामृत से भगवान विष्णु का अभिषेक करें और उनके दिव्य मूर्ति के सामने अक्षत फल फूल मेवा मोली आदि अर्पित करें.
  3. उसके बाद दोनों हाथ जोड़कर एकादशी व्रत में बनाए गए नियमों का पालन करने का संकल्प लें इसके अलावा आपका व्रत सफल हो जाए इसके लिए आप भगवान से प्रार्थना करें हे त्रिलोकीनाथ मेरी लाज आपके हाथ में है अतः आप हमें इस प्रण को पूरा करने की शक्ति प्रदान करें.
  4. उसके बाद ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें और एकादशी की कथा सुने.
  5. इस तरह से आप एकादशी व्रत को पूर्ण करें.

एकादशी व्रत में क्या खाएं और क्या ना खाएं ?

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  1. एकादशी व्रत को करने वाले जातक-जातिका को मांस, मछली, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए इसके अलावा अगर आप 11 दिन की एकादशी का व्रत रखते हैं तो शलजम गाजर गोभी पालक इन सबका सेवन 2 दिन पहले से ही बंद कर देना चाहिए.
  2. एकादशी व्रत वाले दिन व्रत रखने वाले जातकों को केला, आम, अंगूर, पिस्ता, बादाम जैसे फलों का सेवन करना चाहिए.

एकादशी व्रत का महत्व | Ekadashi vrat ka mahatva

शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत को करने का विशेष महत्व है ऐसी मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति से जाने अनजाने में किसी जीव की हत्या हो जाती है तो इस व्रत से वह व्यक्ति पाप मुक्त हो जाता है. इसके अलावा यह भी कहा गया है.

इस व्रत को करने से शारीरिक और मानसिक परेशानियां ठीक हो जाती हैं और घर में आर्थिक स्थिति बेहतर बनी रहती है. इसीलिए हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है जिसे हर जातक जातिका अपनी इच्छा अनुसार रख सकता है.

एकादशी व्रत की शुरुआत कैसे हुई ?

एकादशी व्रत की शुरुआत को लेकर भगवत गीता में कहा गया है एक बार धर्मराज युधिष्ठिर अपने समस्त दुखों से मुक्ति पाने के लिए हजारों यज्ञ और अनुष्ठान कर रहे थे तभी वहां पर पुरुषोत्तम राम यानी कि श्री कृष्ण भगवान आए और उन्होंने महाराज युधिष्ठिर को समस्त दुखों से मुक्ति पाने के लिए हजारों यज्ञ और अनुष्ठान करने की तुलना में एकादशी व्रत रखने की प्रेरणा दी.

NARAYAN VISHNU BHAGWAN

और उन्होंने कहा इस व्रत को करने के जो नियम है उनका पालन करते हुए आप इस व्रत को पूर्ण करें तो आप समस्त दुखों से मुक्ति पा जाएंगे और फिर युधिष्ठिर महाराज ने इस व्रत को विधि विधान से किया और वह समस्त दुखों से छुटकारा पा गए इस तरह से हिंदू धर्म में एकादशी व्रत की शुरुआत हुई.

FAQ : एकादशी व्रत किसको करना चाहिए

एकादशी में किस भगवान का व्रत रखना चाहिए ?

एकादशी में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करके इनका व्रत रखना चाहिए.

एकादशी व्रत कब आता है ?

एकादशी व्रत महीने में दो बार रखना चाहिए एक पूर्णिमा होने के बाद, और दूसरा अमावस्या के बाद और इस व्रत को पूरे नियम और विधि विधान के साथ करने पर शुभ फल मिलता है और व्यक्ति मानसिक, शारीरिक ,कष्ट और जाने अनजाने में किए पापों से मुक्ति पा जाता है.

एकादशी व्रत कब करना चाहिए ?

जो जातक जातिका एकादशी व्रत को रखने के इच्छुक हैं वह लोग किसी भी शुक्ल पक्ष के बाद एकादशी व्रत को रखने की शुरुआत कर सकते हैं.

निष्कर्ष

तो हमारे प्रिय मित्रों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से बताया है एकादशी व्रत किन लोगों को करना चाहिए और इस व्रत को करने के नियम, शुभ समय और एकादशी व्रत का क्या महत्व होता है यह सारी जानकारी विस्तार पूर्वक से प्रदान की है.

अगर आप लोगों ने इस लेख को शुरू से अंत तक पढ़ा होगा तो आप लोगों को एकादशी व्रत से संबंधित विशेष जानकारी प्राप्त हो गई होगी जिसके अनुसार हाथों में एकादशी व्रत को पूरे विधि विधान के साथ रख सकते हैं तो दोस्तों हम उम्मीद करते हैं आप लोगों को हमारे द्वारा बताई गई जानकारी पसंद आई होगी और हमारा यह लेख आप लोगों के लिए उपयोगी साबित हुआ होगा.

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