जब यह बात वायरल हुई कि एलोन मस्क मंगल पर बस्तियां बसाना चाहते हैं तो मीडिया ने उनसे तरह-तरह के सवाल पूछने शुरू कर दिए कि आप पृथ्वी को छोड़कर मंगल ग्रह पर क्यों जाना चाहते हैं ? तो एलोन मस्क ने यह कहा कि हमारे पास सिर्फ दो रास्ते हैं|
पहला हम पृथ्वी पर रहे और भविष्य में होने वाली किसी भी विनाशकारी घटना का इंतजार करें जैसे पहले उल्का पिंड के टकराने से डायनासोर नष्ट हो गये थे इसलिये, यह भविष्य में आगे भी हो सकता है |
अतः इंसान प्रजाति को बचाने के लिए हमें ऐसे रास्तों की खोज करनी चाहिए जो हमारी प्रजाति को नष्ट होने से बचा सके।
- 1. एलोन मस्क को मंगल ग्रह ही क्यों पसंद है ? Why mars is good ?
- 2. मंगल ग्रह पर हालात कैसे है ? How are things on Mars?
- 3. मंगल ग्रह पर मानवीय बस्ती बसाने के लिए एलन मस्क का प्लान क्या है ? What is Elon Musk’s plan to establish a human settlement on Mars?
- 3.1. 1. पुनर्प्रयोग : Re usability
- 3.2. 2. फिर से भरना (पृथ्वी की कक्षा में ही फ्यूल भरना) : Refilling
- 3.3. 3. मंगल पर प्रोपेलेंट बनाना : Making propellant on mars
- 3.4. 4. सही ईंधन का चुनाव : Choose the right propellant
एलोन मस्क को मंगल ग्रह ही क्यों पसंद है ? Why mars is good ?
एलन मस्क के मुताबिक मंगल ग्रह हमारे सौर मंडल में सबसे बेहतर ग्रह है, क्योंकि अन्य ग्रह सूर्य के काफी करीब या फिर हमसे बहुत दूर है |
जहां पर इंसानी बस्ती बसाना बहुत ही मुश्किल है लेकिन मंगल ऐसा ग्रह है | जहां पर जाना और वहां पर रहना लगभग सभी ग्रहों से आसान है।
मंगल ग्रह पर हालात कैसे है ? How are things on Mars?
मंगल पृथ्वी के मुकाबले सूर्य से अधिक दूर है इसलिए यहां का तापमान -60 डिग्री C तक होता है यहां के वातावरण में अधिकतर 96% मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड है बाकी 1.9% नाइट्रोजन और 2% ऑर्गन और ऑक्सीजन मात्र 0.174% ही है |
मंगल का व्यास पृथ्वी के व्यास का लगभग आधा है लेकिन सौरमंडल में यह ऐसा ग्रह है जो लगभग पृथ्वी के करीब आकार का है अन्य या तो पृथ्वी से काफी छोटे या फिर बहुत बड़े हैं |
मंगल पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के मुकाबले 1/3 है मंगल और पृथ्वी लगभग एक ही चाल से सूर्य की परिक्रमा करते हैं मंगल का 1 दिन पृथ्वी के 1 दिन से मात्र 40 मिनट बड़ा होता है।
सितंबर 2016 में एलन मस्क ने अपने इस मिशन और इस में काम में आने वाले समस्त तकनीकी पहलुओं को बताया था जिसने मंगल पुरानी बस्ती बसाने की बात कही मस्क के मुताबिक मंगल पर जाने के लिए उतना ही पैसा चाहिए जितना कि एक घर खरीदने मैं खर्च होता है इसके लिए इलोन मास्क ने 4 बातें बताई :
1. पुनर्प्रयोग : Re usability
रॉकेट जैसी बहुत महंगी चीज जो इस मिशन में काम आने वाली है दोबारा यूज़ किया जाएगा आमतौर पर अभी इसका अधिक बार प्रयोग नहीं किया जा सकता है लेकिन यदि इसे यूज करने में सफलता मिली तो इसके खर्च को और कम किया जा सकता है |
आपको बता दें न्यूज़ गिरिडीह के मामले में स्पेस-एक्स सबसे आगे हैं और उसने इस क्षेत्र में काफी उपलब्धि हासिल की है।
2015 में स्पेस-एक्स ने फाल्कन को आर्बिटल लॉन्च के बाद दोबारा इसे सही सलामत जमीन पर उतारा था जिसके कुछ महीने बाद इसे एक ड्रोन शिप पर लैंड कराया गया इस तकनीकी से मिशन का खर्च काफी हद तक कम हो जाता है |
2. फिर से भरना (पृथ्वी की कक्षा में ही फ्यूल भरना) : Refilling
एक रॉकेट फ्यूल लेकर पृथ्वी की कक्षा में तैनात कर दिया जाएगा जो पृथ्वी की परिक्रमा करेगा उसके बाद में स्पेसशिप पृथ्वी पर आएगा तो उसमे ईंधन की फिलिंग स्पेस में ही कर दी जाएगी |
यह रॉकेट की 4 से 5 बार ईंधन की फिलिंग कर सकेगा जब इसमें ईंधन ख़त्म हो जायेगा तो यह फिर से धरती पर आ जायेगा |
3. मंगल पर प्रोपेलेंट बनाना : Making propellant on mars
एलन मस्क का कहना है कि उनके मिशन की सबसे खास बात यह है कि मंगल ग्रह पर ही फ्यूल का निर्माण किया जा सके क्योंकि इस मिशन में फ्यूल की खपत अधिक होगी जिसके कारण बार-बार ईंधन को इधर ले जाना काफी महंगा पड़ेगा इसी कारण एलन मस्क इस मिशन पर है कि मंगल पर ही एक निधन उत्पादन इकाई बनाई जाए |
यदि ऐसा नहीं किया गया तो मंगल स्पेसशिप का कब्रिस्तान बन जाएगा मास के अनुसार ऐसा करने से कुल खर्च 5 गुना कम किया जा सकता है, क्योंकि मंगल पर प्रोपेलेंट बनाने के लिए सही माहौल है | वहां की वायुमंडल में CO2 की अधिकता है और जमीन के नीचे से पानी भी निकाला जा सकता है जिससे मिथेन गैस बनाई जा सकती है।
रॉकेट के लिए तीन प्रकार के ईंधन का यूज किया जा सकता है | पहला केरोसीन दूसरा हाइड्रोजन ईंधन तीसरा मीथेन एलन मस्क के आधार पर मीथेन पर आधारित प्रोपेलेंट सबसे सही रहेगा जिसे मंगल पर आसानी से बनाया भी जा सकता है |
एलोन मस्क के मुताबिक इन चार बातों को ध्यान में रखकर वहां जाने और आने का खर्च काफी हद तक कम किया जा सकता है।
इस पूरी प्रक्रिया में रॉकेट स्पेस स्टल को इसकी कक्षा को छोड़ेगा फिर व राकेट दोबारा पृथ्वी पर वापस लौट आएगा |
जो ऊपर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है उसमें फ्यूल भर देगा यह नियम लगातार चलता रहेगा या तीन से चार बार किया जा सकता है फिर उसके बाद या मंगल की कक्षा में प्रवेश करेगा इस दौरान यह स्पेसशिप सौर ऊर्जा का प्रयोग करेगा |
एलोन मस्क के अनुसार पृथ्वी पर मंगल पर जाने के लिए कई हजार स्पेस शिप होंगे यह सभी स्पेस-शिप मंगल की ओर एक साथ जाएंगे यह तभी संभव होगा जब मंगल अपनी सही स्थित पर होगा क्योंकि पृथ्वी और मंगल अलग-अलग चाल से सूर्य की परिक्रमा करते हैं प्रत्येक 26 महीने में एक ऐसा समय आता है जब पृथ्वी से मंगल पर स्पेस शिप भेजा जा सकता है |
इस समय अवधि को लांच विंडो कहा जाता है जब यह समय आएगा तब यह सारे जहाज मंगल की ओर एक साथ निकलेंगे ऐसी ही योजना रखते हैं लोन मस्क।
एलोन मस्क मंगल पर 10 लाख लोगों को भेजना चाहते हैं जो शुरुआत में सिर्फ 100 लोगों और उसके साथ उनके प्रयोग का समस्त सामान ही होगा इसके लिए रॉकेट को 10,000 बार उड़ान भरनी होगी एलोन मस्क के अनुसार 10 लाख लोगों को मंगल पर ले जाने में 40 से 100 साल तक लग सकते हैं।