दूरदर्शन सिद्धि की भांति भविष्य काल सिद्धि bhavisy kal siddhi होती है इस सिद्धि में भी उसी प्रकार से साधना करके भूतकाल और भविष्य काल के विषय में देखा जा सकता है। इस सिद्ध के द्वारा भविष्य के लिए कहीं जाने वाली बातें अत्यधिक सही होती हैं।
भविष्य काल साधना bhavisy kal sadhna बहुत ही उग्र होती है और शीघ्र ही लाभ देती है यह साधना जिस व्यक्ति को सिद्ध हो जाती है वह भूत भविष्य और वर्तमान का पूरा पूरा वर्णन कर देता है। इससे भूत काल (जो बीत चुका है ) और भविष्य ( जो होने वाला है) देखने की शक्ति मिलती है |
यह साथ कर्ण पिशाचिनी साधना karna pisachini sadhna के माध्यम से की जाती है कर्ण पिशाचिनी साधना स्वयं में सिद्ध साधना है इसके द्वारा किसी भी प्रकार से कोई असफलता नहीं मिलती है ।मंत्रों द्वारा साधना करने पर यह तत्काल जागृत होती है। सिद्ध हो जाने पर साधक जो भी आदेश करता है वह पूर्ण हो जाता है।
ध्यान रहे कि पिशाचिनी साधना बहुत ही सावधानीपूर्वक करना पड़ता है इसलिए भविष्य काल सिद्धि करने से पहले पिशाचिनी साधना करना जरूरी है परंतु किसी योग्य गुरु के दिशा निर्देशन में ही इस साधना को करना चाहिए।
भविष्य काल की घटनाओं या संबंधित जानकारियों के लिए अंक शास्त्र, ज्योतिष और सामुद्रिक शास्त्र का भी उपयोग किया जाता है। परंतु अंक शास्त्र, ज्योतिष और सामुद्रिक शास्त्र के द्वारा पूर्ण रूप से भविष्य की घटनाओं को प्रमाणिक नहीं माना जाता है |
क्योंकि इनकी अपनी स्वयं एक समय सीमा होती हैं जिससे अपने आप में पूर्ण नहीं होती हैं। ज्योतिष या अंक शास्त्र में वहिर्मन का सहयोग होता है जिस पर कई प्रकार के घात प्रतिघात व्यथित कर देते हैं और अपने आप में स्वतंत्र नहीं होता।
ज्योतिष शास्त्र का परिवेश अत्यधिक लंबा चौड़ा होता है इसलिए भविष्य में जानकारियों की त्रुटि हो जाती है।
उदाहरण के लिए यदि आप अपने भविष्य से संबंधित जानकारी के लिए 10 से 12 ज्योतिषी से विचार करवाइए तो आप देखेंगे उसमें एक या दो की भविष्यवाणी सही होती है या फिर अर्धसत्य होती है कई बार तो पूर्ण रूप से असत्य सिद्ध हो जाती हैं।
इसका मूल कारण यह है जब तक भविष्य कथन में अंतर्मन का योग नहीं होता है तब तक भविष्य अधूरे रहते हैं ।अगर किसी भी भविष्य कर्ता का कोई कथन सही भी हो जाता है तो निश्चित है कि उसका अंतर्मन और वहिर्मन सहयोग करते हैं।
भविष्य कथन को सही करने के लिए जब तक भविष्यवक्ता या ज्योतिष शास्त्र का ज्ञाता आंतरिक मन का सहयोग नहीं लेता है तब तक भविष्य में होने वाली घटनाओं को पूर्ण रूप से सत्य सिद्ध नहीं कर सकता है।! यह पोस्ट आप OSir.in वेबसाइट पर पढ़ रहे है !
ज्योतिष शास्त्र की सीमा होने के कारण किसी भी प्रकार की भविष्य के प्रति कही गई बात त्रुटिपूर्ण या अपूर्ण रह सकती है परंतु अंतर्मन किसी प्रकार की गलती नहीं करता है वह जो कुछ दिखता है वही स्पष्ट करता है अतः अपने मन से सहयोग लेकर ही ज्योतिष शास्त्र सही कथन कर सकता है जिसमें किसी प्रकार की कोई गलती नहीं हो सकती है।
तक किसी भी भविष्य करने वाले साधक को अपने अंतर्मन को ज्यादा से ज्यादा विकसित करके भविष्य देखने का प्रयत्न करें तो निश्चित है सफलता मिल जाती है।
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उदाहरण के तौर पर आप देखते होंगे कि बहुत से विद्वान किसी भी व्यक्ति की कुंडली बनाते समय बहुत सी भविष्यवाणियों को व्यक्त कर देते हैं परंतु समय पर यह आवश्यक नहीं है कि वह सही ही उतरे क्यों की अंतर्मन और वहिर्मन एक साथ सहयोग नहीं करते हैं |
जिससे कुंडली में त्रुटि हो जाती है।। इसलिए भविष्यवक्ता को चाहिए कि सबसे पहले वह अंतर्मन और वहिर्मन को संगठित करके साधना करें। वह दूरदर्शन सिद्धि करने के बाद भविष्य काल सिद्ध करे तो उसके द्वारा भविष्य कथन सही और प्रमाणिक होंगे।
- 1. भविष्य काल सिद्धि कैसे प्राप्त करें ? How to get future time accomplishment in hindi ?
- 2. यक्षिणी साधना कैसे करे ? How to do Yakshini Sadhana?
- 2.1. विधुज्जिव्हा यक्षिणी साधना कैसे करे ? How to do Vidhujjivaha Yakshini Sadhana?
- 2.2. विधुज्जिव्हा यक्षिणी साधना मंत्र क्या है ?
- 2.3. विधुज्जिव्हा यक्षिणी साधना की विधि क्या है ?
- 3. चिंची पिशाचिनी साधना कैसे करे ? How to do a Cinchon vampire practice?
- 3.1. चिंची पिशाचिनी साधना का मंत्र क्या है ?
- 3.2. चिंची पिशाचिनी की विधि क्या है ?
भविष्य काल सिद्धि कैसे प्राप्त करें ? How to get future time accomplishment in hindi ?
भविष्य ज्ञान सिद्धि प्राप्त करने के कई तरीके होते हैं। भविष्य ज्ञान हमारी चेतना से जुड़ा होता है हम अपने चेतना को जिस और जैसे मोड़ पाते हैं वैसे ही हम भविष्य भूत वर्तमान कुछ जान सकते हैं। अपनी चेतना को अपने बस में कर के ही हम भविष्य काल सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। भूत भविष्य वर्तमान को देखने के लिए कुछ सिद्धियां जैसे पिशाचिनी यक्षिणी साधना की जाती हैं।
यक्षिणी साधना कैसे करे ? How to do Yakshini Sadhana?
भूत भविष्य के विषय में जानकारी के लिए यक्षिणी साधना की जाती है। यक्षिणी साधना कई तरह से होती है।
विधुज्जिव्हा यक्षिणी साधना कैसे करे ? How to do Vidhujjivaha Yakshini Sadhana?
यह साधना बहुत ही सरल होती है। भविष्य काल के लिए साधना करना चाहते हैं तो यह साधना आपके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है क्योंकि करना आसान है और किसी भी प्रकार का कोई खतरा भी नहीं है।
विधुज्जिव्हा यक्षिणी साधना मंत्र क्या है ?
ओंकारमुखे विधुजिव्ह ॐ चेटके जय जय स्वाहा।
विधुज्जिव्हा यक्षिणी साधना की विधि क्या है ?
इस साधना की शुरुआत पूर्णिमा के दिन से की जाती हैं साधक को एक रुद्राक्ष की माला और अपने हाथ से बने हुए मीठे को बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर मंत्र जाप करते हुए मीठे भोजन का भोग अर्पण करें।
यदि यह साधना नियम पूर्वक इच्छा शक्ति मजबूत करते हुए करते हैं तो 1 महीने नियमित साधना करने से आपको यक्षिणी देवी स्वयं आकर वरदान देंगी और आपके द्वारा अर्पित मीठे भूख का सेवन भी करेंगी। इसमें वरदान के रूप में यक्षिणी देवी आपको भूत भविष्य के ज्ञान का वरदान देती हैं।
चिंची पिशाचिनी साधना कैसे करे ? How to do a Cinchon vampire practice?
यह साधना भी एक यक्षिणी साधना है जिसमें ही यक्षिणी स्वयं आकर भूत भविष्य कहने लगती हैं।
चिंची पिशाचिनी साधना का मंत्र क्या है ?
ॐ क्रीं चिंची पिशाचिनी स्वाहा
चिंची पिशाचिनी की विधि क्या है ?
साधना को करने से पहले नीले रंग का भोजपत्र गोरोचन दूध और केसर ले ले ।उसके बाद गोरोचन दूध और केसर मिक्स करके भोजपत्र पर अष्टदल बनाएं । प्रत्येक भोजपत्र पर ह्नीं लिखें। इसे अपने सिर के ऊपर रख लें और जाप करें।! यह पोस्ट आप OSir.in वेबसाइट पर पढ़ रहे है !
इस साधना को आप प्रतिदिन दो से 3 घंटे करें और लगातार 7 दिन तक करने के बाद यक्षिणी स्वयं आकर आपको भूत भविष्य का ज्ञान करा देते हैं।
भविष्य दर्शन के लिए कर्ण पिशाचिनी साधना और साबर मंत्र साधना होती है परंतु यह दोनों साधना बहुत ही सावधानी से होनी चाहिए तथा किसी अच्छे गुरु के सानिध्य में करना होता है। क्योंकि यह दोनों साथ में बहुत ही कठिन और खतरनाक होती इसलिए इस साधना को बिना अच्छे गुरु के सानिध्य में रहे, नहीं सीखा जा सकता है।
भविष्य काल सिद्धि के लिए कई सारी सिद्धियां करनी होती हैं यह साधक के ऊपर निर्धारित करता है कि वह इस माध्यम से भविष्य काल का ज्ञान कर लेता है और उसी सिद्ध के सहारे त्रिकालदर्शी हो जाता है।
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