Ganesh kavach | गणेश कवच : नमस्कार प्रिय मित्रों आज मैं आप लोगों को इस लेख में ganesh kavach के बारे में बताऊंगी. जिसको सिद्ध कर लेने से मनुष्य मोक्ष को प्राप्त करता है यानी कि वह मृत्यु पर भी विजय प्राप्त करता है .
बस इसके लिए आपको गणेश कवच श्रुतिका रुद्राक्ष की माला के माध्यम से 10 लाख बार जाप करना होगा. उसके बाद यह कवच पूरी तरह से सिद्ध हो जाएगा. जिसको धारण करने से आप किसी भी प्रकार की ऊपरी बाधा, तंत्र-मंत्र , क्रोध, शारीरिक और मानसिक पीड़ा से मुक्ति मिलती है.
लेकिन ऐसा तभी होगा. जब आप लोग गणेश कवच को सिद्ध करेंगे और इसे किस विधि के द्वारा ? किस समय सिद्ध करना है ? इसकी संपूर्ण विधि शायद किसी को सटीक तरीके से मालूम नहीं होती है. जिसकी वजह से उन्हें इस कवच को धारण करने से भरपूर लाभ नहीं मिलते हैं इसीलिए हम यहां पर अपने शास्त्र के अनुसार गणेश कवच धारण करने की संपूर्ण विधि बताएंगे.
अगर आप लोग इस लेख के माध्यम से इस जानकारी को पाना चाहते हैं. तो इस लेख को शुरू से अंत तक अवश्य पढ़ें.
- 1. गणेश कवच | Ganesh kavach
- 2. गणेश कवच | Ganesh kavach
- 3. गणेश कवच को सिद्ध करने की विधि | Ganesh kavach ko sidha karne ki vidhi
- 4. गणेश कवच धारण करने के लाभ | Ganesh kavach dharan karne ke labh
- 5. FAQ: Ganesh Kavach
- 5.1. गणपति जी को खुश कैसे करें ?
- 5.2. गणपति को कौन सा रंग पसंद है ?
- 5.3. गणेश जी को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए ?
- 6. निष्कर्ष
गणेश कवच | Ganesh kavach
यहां पर सम्पूर्ण ganesh kavach पाठ को दर्शाया जा रहा है.
गौरी उवाच
एषोऽतिचपलो दैत्यान्बाल्येऽपि नाशयत्यहो ।
अग्रे किं कर्म कर्तेति न जाने मुनिसत्तम ।।1।।
दैत्या नानाविधा दुष्टा: साधुदेवद्रुह: खला: ।
अतोऽस्य कण्ठे किंचित्त्वं रक्षार्थं बद्धुमर्हसि ।।2।।
ऋषि उवाच
ध्यायेत्सिंहगतं विनायकममुं दिग्बाहुमाद्यं युगे
त्रेतायां तु मयूरवाहनममुं षड्बाहुकं सिद्धिदम् ।
द्वापरे तु गजाननं युगभुजं रक्तांगरागं विभुम्
तुर्ये तु द्विभुजं सितांगरूचिरं सर्वार्थदं सर्वदा ।।3।।
विनायक: शिखां पातु परमात्मा परात्पर: ।
अतिसुंदरकायस्तु मस्तकं सुमहोत्कट: ।।4।।
ललाटं कश्यप: पातु भ्रूयुगं तु महोदर: ।
नयने भालचन्द्रस्तु गजास्यस्तवोष्ठपल्लवौ ।।5।।
जिह्वां पातु गणाक्रीडश्रिचबुकं गिरिजासुत: ।
पादं विनायक: पातु दन्तान् रक्षतु दुर्मुख: ।।6।।
श्रवणौ पाशपाणिस्तु नासिकां चिंतितार्थद: ।
गणेशस्तु मुखं कंठं पातु देवो गणञज्य: ।।7।।
स्कंधौ पातु गजस्कन्ध: स्तनौ विघ्नविनाशन: ।
ह्रदयं गणनाथस्तु हेरंबो जठरं महान् ।।8।।
धराधर: पातु पाश्र्वौ पृष्ठं विघ्नहर: शुभ: ।
लिंगं गुज्झं सदा पातु वक्रतुन्ड़ो महाबल: ।।9।।
गणाक्रीडो जानुजंघे ऊरू मंगलमूर्तिमान् ।
एकदंतो महाबुद्धि: पादौ गुल्फौ सदाऽवतु ।।10।।
क्षिप्रप्रसादनो बाहू पाणी आशाप्रपूरक: ।
अंगुलीश्च नखान्पातु पद्महस्तोऽरिनाशन ।।11।।
सर्वांगनि मयूरेशो विश्र्वव्यापी सदाऽवतु ।
अनुक्तमपि यत्स्थानं धूम्रकेतु: सदाऽवतु ।।12।।
आमोदस्त्वग्रत: पातु प्रमोद: पृष्ठतोऽवतु ।
प्राच्यां रक्षतु बुद्धीश आग्नेय्यां सिद्धिदायक: ।।13।।
दक्षिणस्यामुमापुत्रो नैर्ऋत्यां तु गणेश्वर: ।
प्रतीच्यां विघ्नहर्ताऽव्याद्वायव्यां गजगर्णक: ।।14।।
कौबेर्यां निधिप: पायादीशान्यामीशनन्दन: ।
दिवोऽव्यादेलनन्दस्तु रात्रौ संध्यासु विघ्नह्रत् ।।15।।
राक्षसासुरवेतालग्रहभूतपिशाचत:
पाशांकुशधर: पातु रज:सत्त्वतम:स्मृति: ।।16।।
ज्ञानं धर्मं च लक्ष्मीं च लज्जां कीर्तिं तथा कुलम् ।
वपुर्धनं च धान्यश्र्च ग्रहदारान्सुतान्सखीन् ।।17।।
सर्वायुधधर: पौत्रान्मयूरेशोऽवतात्सदा ।
कपिलोऽजाबिकं पातु गजाश्रवान्विकटोऽवतु ।।18।।
भूर्जपत्रे लिखित्वेदं य: कण्ठेधारयेत्सुधी: ।
न भयं जायते तस्य यक्षरक्ष:पिशाचत: ।।19।।
त्रिसंध्यं जपते यस्तु वज्रसारतनुर्भवेत् ।
यात्राकाले पठेद्यस्तु निर्विघ्नेन फलं लभेत् ।।20।।
युद्धकाले पठेद्यस्तु विजयं चाप्नुयाद्ध्रुवम् ।
मारणोच्चटनाकर्षस्तंभमोहनकर्मणि ।।21।।
सप्तवारं जपेदेतद्दिननामेकविशतिम ।
तत्तत्फलमवाप्नोति साधको नात्र संशय: ।।22।।
एकविंशतिवारं च पठेत्तावद्दिनानि य: ।
काराग्रहगतं सद्यो राज्ञा वध्यं च मोचयेत् ।।23।।
राजदर्शनवेलायां पठेदेतत्तत्त्रिवारत: ।
स राजानं वशं नीत्वा प्रक्रतीश्र्च सभां जयेत् ।।24।।
इदं गणेशकवचं कश्यपेन समीरितम् ।
मुद्गलाय च तेनाथ मांडव्याय महर्षये ।।25।
मज्झं स प्राह कृपया कवचं सर्वसिद्धिदम् ।
न देयं भक्तिहीनाय देयं श्रद्धावते शुभम् ।।26।।
अनेनास्य कृता रक्षा न बाधाऽस्य भवेत्कचित् ।
राक्षसासुरवेतालदैत्यदानवसंभवा ।।27।।
गणेश कवच | Ganesh kavach
संसारमोहनस्यास्य कवचस्य प्रजापति:।
ऋषिश्छन्दश्च बृहती देवो लम्बोदर: स्वयम्॥
धर्मार्थकाममोक्षेषु विनियोग: प्रकीर्तित:।
सर्वेषां कवचानां च सारभूतमिदं मुने॥
ॐ गं हुं श्रीगणेशाय स्वाहा मे पातुमस्तकम्।
द्वात्रिंशदक्षरो मन्त्रो ललाटं मे सदावतु॥
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं गमिति च संततं पातु लोचनम्।
तालुकं पातु विध्नेशःसंततं धरणीतले॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीमिति च संततं पातु नासिकाम्।
ॐ गौं गं शूर्पकर्णाय स्वाहा पात्वधरं मम॥
दन्तानि तालुकां जिह्वां पातु मे षोडशाक्षर:॥
ॐ लं श्रीं लम्बोदरायेति स्वाहा गण्डं सदावतु।
ॐ क्लीं ह्रीं विघन्नाशाय स्वाहा कर्ण सदावतु॥
ॐ श्रीं गं गजाननायेति स्वाहा स्कन्धं सदावतु।
ॐ ह्रीं विनायकायेति स्वाहा पृष्ठं सदावतु॥
ॐ क्लीं ह्रीमिति कङ्कालं पातु वक्ष:स्थलं च गम्।
करौ पादौ सदा पातु सर्वाङ्गं विघन्निघन्कृत्॥
प्राच्यां लम्बोदर: पातु आगन्य्यां विघन्नायक:।
दक्षिणे पातु विध्नेशो नैर्ऋत्यां तु गजानन:॥
पश्चिमे पार्वतीपुत्रो वायव्यां शंकरात्मज:।
कृष्णस्यांशश्चोत्तरे च परिपूर्णतमस्य च॥
ऐशान्यामेकदन्तश्च हेरम्ब: पातु चोर्ध्वत:।
अधो गणाधिप: पातु सर्वपूज्यश्च सर्वत:॥
स्वप्ने जागरणे चैव पातु मां योगिनां गुरु:॥
इति ते कथितं वत्स सर्वमन्त्रौघविग्रहम्।
संसारमोहनं नाम कवचं परमाद्भुतम्॥
श्रीकृष्णेन पुरा दत्तं गोलोके रासमण्डले।
वृन्दावने विनीताय मह्यं दिनकरात्मज:॥
मया दत्तं च तुभ्यं च यस्मै कस्मै न दास्यसि।
परं वरं सर्वपूज्यं सर्वसङ्कटतारणम्॥
गुरुमभ्यर्च्य विधिवत् कवचं धारयेत्तु य:।
कण्ठे वा दक्षिणेबाहौ सोऽपि विष्णुर्नसंशय:॥
अश्वमेधसहस्त्राणि वाजपेयशतानि च।
ग्रहेन्द्रकवचस्यास्य कलां नार्हन्ति षोडशीम्॥
इदं कवचमज्ञात्वा यो भजेच्छंकरात्मजम्।
शतलक्षप्रजप्तोऽपि न मन्त्र: सिद्धिदायक:॥
गणेश कवच को सिद्ध करने की विधि | Ganesh kavach ko sidha karne ki vidhi
ganesh kavach को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस ganesh kavach को 10 लाख बार जाप करने से यह kavach सिद्ध हो जाता हैं. जिसे धारण करने पर मनुष्य वाग्मी, चिरंजीवी, सर्वत्र विजयी और पूज्य हो जाता है.
इसलिए आइए जानते हैं कि ganesh kavach को किस विधि से 10 लाख बार जाप करना चाहिए.
1.गणेश चतुर्थी तिथि को प्रातः काल उठकर सभी कार्य करने के बाद , स्नान आदि से निवृत होकर पीले वस्त्र धारण करें.
2. अब आप अपने घर के ईशान कोण में गणेश भगवान और माता रिद्धि-सिद्धि की फोटो या प्रतिमा स्थापित करें, प्रतिमा स्थापित करने के लिए सबसे पहले उस स्थान को गंगाजल से पवित्र करें. जहां पर आपको गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करना हैं फिर उस स्थान पर पीला या लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े अक्षत डालकर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें साथ में रिद्धि-सिद्धि माता की भी प्रतिमा स्थापित करे.
3. मूर्ति स्थापना के बाद आप पूजा के लिए दूर्वा कनेर के पुष्प, बेल पत्र, धूप बत्ती, अगरबती और मोदक के लड्डू यह सारी सामाग्री पूजा घर में तैयार करके रखें.
4. पूजा की सारी सामग्री तैयार होने के बाद आप पूजा घर में लाल वस्त्र का आसान लगाकर बैठ जाएं.
5. बैठने के बाद आप आम के पत्ते से अपने हाथों में थोड़ा सा गंगाजल लेकर ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याभंतर: शुचि:।।
मंत्र का जाप करके हाथ में लिए जल को पूजा सामग्री, पूजा घर और खुद पर छिड़काकर पवित्री करण करे.
6. पवित्री करण करने के बाद गणेश जी के सामने धूपबत्ती या अगरबत्ती जलाएं, फल-फूल, अक्षत, रोली, सिन्दूर सब कुछ अर्पित करके मोदक के लड्डू का भोग लगाएं.
7. गणेश पूजा के बाद आप ganesh kavach सिद्ध करने के लिए अपने हाथों में जल लेकर ganesh kavach को जीतने दिन में आप जाप करके सिद्ध कर सके उतने दिन के अंदर ganesh kavach को सिद्ध करने का संकल्प ले फिर हाथ में लिए गंगाजल को किसी पात्र में रख दें.
8. ganesh kavach सिद्ध संकल्प लेने के बाद गणेश जी की पंचोपचार, दशोपचार, षोडश उपचार पूजन करें.
9. इनती प्रकिया करने के बाद आप ganesh kavach का जाप प्रारंभ करें.
10. ganesh kavach स्रोत में सबसे पहले विनियोग करे,फिर न्याय और फलश्रुति करें.
11. इस तरह से आपने जीतने दिन के अंदर ganesh kavach को सिद्ध करने का संकल्प लिया हो उतने दिन के अंदर इस स्रोत को पाठ करके समाप्त करे.
12. ganesh kavach के अंतिम दिन आप घी से हवन करें.
13. हवन आहुति के लिए आप मूल मंत्र या गायत्री मंत्र का जाप करें.
14. फिर 180 बार ऊ: गं गणपतये नमः मंत्र बोलकर आहुति दे.
15. अगर आप जनेऊ धारण करते हैं तो गणेश गायत्री मंत्र के जाप की आहुति दे.
16. अंत में सुखा नारियल लेकर और घी लेकर हवन में पूर्ण आहुति दे.
17. अब आप हवन, यज्ञ के बाद आसान छोड़कर अपने आस-पास के लोगों को गणेश भगवान के नाम से लड्डू बांटे.
18. इस विधि के पूर्ण होते ही ganesh kavach सिद्ध हो जाता हैं.
गणेश कवच धारण करने के लाभ | Ganesh kavach dharan karne ke labh
शनैश्चर देव के विनयपूर्ण आग्रह के बाद भगवान श्री विष्णु ने उन्हें गणेश कवच की दीक्षा दी थी , तब भगवान विष्णु ने कहा था. जो भी मनुष्य ganesh kavach को 10 लाख बार जाप करे तो ganesh kavach पूर्णत सिद्ध हो जाएगा जिसको धारण करने से कई आश्चर्य चकित लाभ प्राप्त होगें जैसे-
1. सिद्ध ganesh kavach को धारण करने से व्यक्ति जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता हैं अर्थात् वह मृत्यु पर भी विजय प्राप्त कर सकता हैं.
2. सिद्ध ganesh kavach धारण करने से अज्ञानता दूर होती हैं.
3. सिद्ध ganesh kavach को धारण करने से व्यक्ति को मानसिक रोग , शारीरिक रोग और शोक स्पर्श नहीं कर पाते हैं यानि की जो मनुष्य इस कवच को धारण करता है उसे किसी भी प्रकार का रोग द्वेष नहीं होता है।
4. सिद्ध ganesh kavach धारण से शिक्षा, व्यापार, करियर जैसे क्षेत्रो में सफलता प्राप्त होती हैं.
5. किसी भी कार्य की शुरुआत करने से पहले ganesh kavach का पाठ करने से वह कार्य बिना किसी बाधा के निर्विघ्न संपन्न होता हैं.
FAQ: Ganesh Kavach
गणपति जी को खुश कैसे करें ?
गणपति को कौन सा रंग पसंद है ?
गणेश जी को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए ?
निष्कर्ष
प्रिय मित्रों जैसा कि आज हमने इस लेख ganesh kavach टॉपिक पर विशेष जानकारी प्रदान की है. जिसमें मैंने संपूर्ण ganesh kavach , इसको सिद्ध करने की विधि और इसे सिद्ध करके धारण करने से प्राप्त होने वाले लाभ की जानकारी बताई .
ऐसे में अगर आप लोगों ने इस लेख को शुरू से अंत तक पढ़ा होगा. तो आप लोगों को ganesh kavach टॉपिक से संबंधित विशेष जानकारी प्राप्त हो गई होगी तो मित्रों हम उम्मीद करते हैं कि आप लोगों को हमारे द्वारा बताई गई जानकारी पसंद आई होगी साथ में उपयोगी भी साबित हुई होगी.