Guruvar vrat katha : हेलो दोस्तों नमस्कार आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से guruvar vrat katha के बारे में बताए गए और गुरुवार व्रत कैसे किया जाता है करने की विधि क्या है उनके बारे में बताएंगे अगर आप गुरुवार के दिन व्रत करते हैं तो श्री बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त होती है साथ ही आपको श्री हरि विष्णु नारायण जी की कृपा भी प्राप्त होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है अगर आप गुरुवार व्रत रखना चाहते हैं और उसकी कथा के बारे में जानना चाहते हैं.
तो इसे अवश्य पढ़ें क्योंकि आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से guruvar vrat katha के बारे में बताएंगे और गुरुवार व्रत कैसे किया जाता है इसकी पूरी विधि क्या है इसमें कौन सी आरती पढ़नी चाहिए गुरुवार व्रत करने की संपूर्ण सामग्री क्या होती है इन सारे विषयों के बारे में जानकारी देने वाले हैं अगर आप इस जानकारी को प्राप्त करना चाहते हैं.
तो हमारे इस लेख में अंत तक अवश्य बने रहे अगर आप कभी भी आगे चलकर गुरुवार व्रत रखते हैं तो यह लेख आपके लिए काम आने वाला है अगर इस लेख के द्वारा आप गुरुवार व्रत रखते हैं और इस कथा को पढ़कर भगवान बृहस्पति को खुश करते हैं तो भगवान बृहस्पति की कृपा आपके ऊपर हमेशा बनी रहती है और उनका आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है इसीलिए अंत तक इसे अवश्य पढ़ें।
PDF Name | गुरुवार व्रत कथा | Guruwar Vrat Katha PDF |
Language | Hindi |
Category | आध्यात्म |
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- 1. Guruvar Prathna Mantra
- 2. बृहस्पति का तंत्रोक्त मंत्र | Brihaspati Tantrokta Mantra
- 3. गुरुवार व्रत कथा | Guruwar Vrat Katha
- 3.1. गुरुवार भगवान की दूसरी कथा
- 4. गुरुवार व्रत की संपूर्ण पूजा विधि pdf | Guruvar vrat sampurn puja vidhi pdf
- 5. गुरुवार व्रत पूजा विधि | Guruwar vrat Puja Vidhi
- 6. गुरुवार व्रत कथा का महत्व | Guruvar vrat katha ka mahatva
- 7. गुरुवार व्रत उद्यापन विधि के लिए आवश्यक सामग्री
- 8. गुरुवार व्रत उद्यापन विधि
- 9. गुरुवार देवा आरती | Guruwar Aarti
- 10. FAQ : guruvar vrat katha
- 10.1. गुरुवार के कितने व्रत करना चाहिए?
- 10.2. गुरुवार का व्रत क्यों रखा जाता है?
- 10.3. गुरुवार के व्रत में क्या क्या खाना चाहिए?
- 10.4. गुरुवार के व्रत पूजन में केले का पेड़ पूजा जाता है।
- 11. निष्कर्ष
Guruvar Prathna Mantra
देवमंत्री विशालाक्षः सदा लोकहितेरतः।
अनेकशिष्यैः संपूर्णः पीडां दहतु में गुरुः।।
बृहस्पति का तंत्रोक्त मंत्र | Brihaspati Tantrokta Mantra
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः।
बुद्धि भूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पितम।
ऊं बृं बृहस्पतये नम:।
ऊं अंशगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव: प्रचोदयात्।
देवानां च ऋषीणां च गुरुं का चनसन्निभम।
गुरुवार व्रत कथा | Guruwar Vrat Katha
एक गांव में एक साहूकार रहता था जिसके घर में अन्य वस्त्र और धन की कोई कमी नहीं थी लेकिन उसकी स्त्री बड़ी ही कृपण थी अगर कोई भिखारी भिक्षा लेने आता था तो वह किसी को भी भिक्षा नहीं देती थी सारा दिन घर के कामकाज में लगी रहती थी 1 दिन कुछ साधु बृहस्पतिवार के दिन उसके द्वार पर आए और उस स्त्री से भिक्षा की याचना की लेकिन स्त्री उस समय अपने घर के आंगन को लिप रही थी.
इसके कारण उस स्त्री ने साधु महाराज से कहा की महाराज इस समय तो मैं अपने घर के आंगन को लिप रही हूं इस समय मैं आपको कुछ भी नहीं दे सकती हूं आप अगले दिन आना स्त्री की यह बात सुनकर साधु महाराज खाली हाथ चले गए उस दिन के बाद साधु महाराज फिर से उसके घर पर आए और उसी प्रकार उससे भिक्षा मांगी तो साहूकारनी ने उस समय अपने बच्चे को खिला रही थी तो उस स्त्री ने कहा महाराज मैं क्या करूं अवसर नहीं है.
इसीलिए मैं आपको भिक्षा नहीं दे सकती हूं जब तीसरी बार वह साधु संत उसके घर पर आए तो उसने फिर से उसे इसी तरह टालना चाहा परंतु महाराज ने उससे कहा अगर तुमको बिल्कुल अवकाश हो जाए तो तुम मुझे भिक्षा दोगी साहूकारनी बोली हां महाराज यदि ऐसा हो जाए तो आपकी बड़ी कृपा रहेगी साधु महाराज बोले अच्छा मैं आपको एक उपाय बताता हूं.
तुम बृहस्पतिवार के दिन सुबह जल्दी उठकर घर पर झाड़ू लगाकर थोड़ा एक कोने में करने के बाद अपने घर में चौका इत्यादि ना लगाओ स्नान आदि से निश्चिंत होने के बाद घर वालों से कहो हजामत अवसर बनाएं रसोई बनाकर चूहे के पीछे रखें सामने नहीं संध्या काल में अंधेरा होने के बाद दीपक जलाओ और बृहस्पतिवार के दिन पीले वस्त्र धारण मत करो और उस दिन ना पीले रंग के भोजन को ग्रहण करो.
दि तुम ऐसा करोगी तो तुम को घर का कोई भी काम नहीं करना पड़ेगा उसके बाद साहूकारनी ने ऐसा ही किया बृहस्पतिवार को सुबह जल्दी उठकर उसने झाड़ू लगाकर उस कूड़े को एक जगह एकत्रित कर दिया और पुरुषों ने हजामत बनवाई और भोजन बनाकर चूहे के पीछे रखा आज सारे बृहस्पतिवार को ऐसा ही करती रही समय बाद उसके घर में खाने को एक दाना नहीं था.
कुछ दिन बाद साधु वापस आए उन्होंने फिर से भिक्षा मांगी तो सेठानी ने कहां महाराज मेरे घर में खाने को अन्न नहीं है तो मैं आप को क्या दे सकती हूं तब महात्मा बोले जब तुम्हारे पास सब कुछ था तब भी तुम कुछ भी नहीं देती थी अब पूरा पूरा अवकाश है तब भी तुम कुछ नहीं दे रही हो तुम क्या चाहती हो वह बोलो तब सेठानी ने हाथ जोड़कर प्रार्थना की महाराज अब कोई ऐसा उपाय बताओ कि मेरे पास पहले जैसा धन-धान्य हो जाए अब मैं आपसे प्रतिज्ञा करती हूं.
अब आप जैसा कहेंगे मैं वैसा ही करूंगी अब महात्मा जी बोले कि बृहस्पतिवार को प्रात काल उठकर स्नान आदि से निश्चिंत होकर घर को गौ के गोबर से लिपो तथा पुरुषों से बोलो वह घर की हजामत ना बनाएं। भूखे को अन्न जल देती रहो ठीक समय काल दीपक जलाओ यदि तुम ऐसा करोगी तो तुम्हारी हर मनोकामना भगवान बृहस्पति की कृपा से पूर्ण हो जाएगी सेठानी ने ऐसा ही किया और उसके बाद घर में धन-धान्य वापस हो गया जैसे कि पहले था इस प्रकार भगवान बृहस्पति जी की कृपा से अनेक प्रकार के सुख भोग कर दीर्घकाल तक जीवित रहे।
गुरुवार भगवान की दूसरी कथा
1 दिन इंद्र बड़े अहंकार से अपने सिंहासन पर बैठे थे और बहुत से देवता ऋषि , गन्धर्व, किन्नर आदि सभा में उपस्थित थे जिस समय बृहस्पति जी वहां आए तो सब उनके सम्मान के लिए खड़े हो गए परंतु इंद्र गर्व के मारे खड़ा ना हुआ यद्यपि वह सदैव उनका आदर किया करता था बृहस्पति जी अपना अनादर समझते हुए वहां से उठकर चले गए.
तब इंद्र को बड़ा शोक हुआ कि देखो मैंने गुरुजी का अनादर किया मुझसे बड़ी भारी भूल हो गई गुरु जी के आशीर्वाद से ही वैभव मिला है उनके क्रोध से सब नष्ट हो जाएगा इसलिए उनके पास जाकर उनसे क्षमा मांगनी चाहिए जिससे उनका क्रोध शांत हो जाए और मेरा कल्याण हो गए ऐसा विचार कर इंद्र उनके स्थान पर गए बृहस्पति जी ने अपने योग्य बल से पहचान लिया कि इंद्र क्षमा मांगने के लिए यहां आ रहा है.
तब क्रोध वर्ष उनसे भेंट करना उचित ना समझ कर अंतर्ध्यान हो गए जब इंद्र ने बृहस्पति को घर पर ना देखा तब निराश होकर लौट आए जब दैत्य के राजा विश्वकर्मा को यह समाचार विदित हुआ तो उसने गुरु शुक्राचार्य की आज्ञा से इंद्रपुरी को चारों तरफ से घेर लिया गुरु की कृपा ना होने के कारण देवता हारने व मार खाने लगे तब उन्होंने ब्रह्मा जी को विनय पूर्वक सब वृतांत सुनाया और कहा कि महाराज दैत्यों से इसी प्रकार बचाएं तब ब्रह्माजी कहने लगे कि तुमने बड़ा अपराध किया है.
जो गुरुदेव को क्रोधित किया अब तुम्हारा कल्याण उसी से हो सकता है कि त्वष्टा ब्राह्मण का पुत्र विश्वरूपा बड़ा तपस्वी और ज्ञानी है उसे अपना पुरोहित बनाओ तो तुम्हारा कल्याण हो सकता है या वचन सुनते ही इंद्र त्वष्टा से कहने लगे कि आप हमारे पुरोहित बनिए जिससे हमारा कल्याण हो तब त्वष्टा ने उत्तर दिया पुरोहित बनने से ततोबल घट जाता है.
परंतु तुम बहुत विनती करते हो इसलिए मेरा पुत्र विश्वरूपा पुरोहित बनकर तुम्हारी रक्षा करेगा विश्वरूपा ने पिता की आज्ञा से पुरोहित बन कर ऐसा किया कि हरि इच्छा से इंद्र विश्वकर्मा को युद्ध में जीता कर अपने इंद्रासन पर स्थापित हुआ विश्वरूप के तीन मुख्य थे एक से वह सोमपल्ली लता का रस निकालकर पीते थे दूसरे मुख से वह मदिरा पीते और तीसरे मुख से अन्य आदि भोजन करते थे.
इंद्र ने कुछ दिनों उपरांत कहा कि मैं आपकी कृपा से यज्ञ कराना चाहता हूं जब विश्वरूपा की अनुराग यज्ञ प्रारंभ हो गया तब एक दैत्य ने विश्वकर्मा से कहा कि तुम्हारी माता दैत्य की कन्या है इस कारण हमारे कल्याण के निमित्य 1 यदुपति देवों के नाम पर भी दे दीजिए तो अति उत्तम होगा.
विश्वरूपा उस दैत्य का कहना मान कर यदुपति देते समय दायित्व का नाम भी धीरे से लेने लगे इसी कारण यज्ञ करने से देवताओं का तेज नहीं बड़ा इंद्र ने यज्ञ वृतांत जानते ही क्रोधित होकर विश्वरूपा के तीनों सिर अलग कर डाले मधपान करने से भंवरा सोमपल्ली पीने से कबूतर और अन्य खाने से मुख में तीतर बना रूपा के मरते ही इंद्र का स्वरूप हत्या के प्रभाव से बदल गया.
देवताओं के 1 वर्ष पश्चाताप करने पर भी हत्या का वह पाप न छूटा तो सब देवताओं के प्रार्थना करने पर ब्रह्मा जी बृहस्पति जी के सहित वहां गए ब्रज हत्या के 4 वाक्य उनमें से एक भाग पृथ्वी को दिया उसी कारण कहीं-कहीं पृथ्वी ऊंची नीची और बीज बोने के लायक भी नहीं होती साथ ही ब्रह्मा जी यह वरदान दिया यहां पृथ्वी में गड्ढा होगा कुछ समय पाकर स्वयं भर जाएगा दूसरा वृक्षो को दिया सेवन में गोंद बनकर बहता है इस कारण गूगल के अतिरिक्त सब गोंद अशुद्ध समझे जाते हैं.
वृक्षों को या वरदान दीया की ऊपर से सूख जाने पर जड़ फिर से फूट जाती है तीसरा भाग स्त्रियों को दिया इस कारण स्त्रियां हर महीने रजस्वला होकर पहले दिन चांडालनी दूसरे दिन राम बृहतिनी तीसरे दिन गोविंद के समान रहकर चौथे दिन शुद्ध होती हैं और संतान प्राप्ति का उनको वरदान क्या चौथा भाग जल को दिया जिससे फेन और सिवाल डीजल के ऊपर आ जाते हैं.
जल को यह वरदान मिला कि जिस चीज में डाला जाएगा वह बोझ मे बढ़ जाएगी इस प्रकार को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त किया जो मनुष्य इस कथा को दया सुनता है उसके सब पाप बृहस्पति महाराज की कृपा से नष्ट होते हैं.
गुरुवार व्रत की संपूर्ण पूजा विधि pdf | Guruvar vrat sampurn puja vidhi pdf
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गुरुवार व्रत पूजा विधि | Guruwar vrat Puja Vidhi
अगर आप गुरुवार पूजा करना चाहते हैं और उसकी संपूर्ण विधि जानना चाहते हैं तो इसे अवश्य पढ़ें।
- गुरुवार पूजा करने के लिए आपको गुरुवार के दिन सुबह जल्द उठना हैं उसके बाद स्नान आदि से निश्चिंत हो जाना है।
- स्नान करने के बाद आपको पीले रंग के वस्त्र धारण करने में है उसके बाद पूजा स्थल पर बैठ जाना है।
- पूजा स्थल पर बैठने से पहले आपको सूर्य भगवान व तुलसी और शालिग्राम भगवान को जल अर्पित करना है।
- उसके बाद अपने पूजा स्थल पर बैठकर भगवान विष्णु की पूजा विधि को प्रारंभ करना है गुरुवार पूजा करने के लिए पीली वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए।
- पूजा शुरू करने से पहले आपको पीले फूल चने की दाल पीली मिठाई पीले चावल और हल्दी का प्रयोग करना है।
- उसके बाद उस केले के पेड़ के तने पर चने की दाल के साथ-साथ पूजा करनी है।
- उसके बाद उस केले के पेड़ में जल में हल्दी मिलाकर केले के पेड़ में चढ़ाना है उसके बाद चने की दाल के साथ-साथ मुन्नके भी चढ़ाएं।
- उसके बाद केले के पेड़ के सामने घी का दीपक जलाना है और उस केले के पेड़ की आरती करनी है पेड़ के पास बैठकर गुरुवार व्रत कथा को पढ़ना है।
- पूरे दिन आपको उपवास रखना है दिन में आपको एक बार ही भोजन करना है और वह भी सूर्य डालने के बाद गुरुवार के व्रत में पीली वस्तु में खाएं तो बेहतर रहेगा गुरुवार के व्रत में गलती से भी नमक का इस्तेमाल ना करें प्रसाद के रूप में आप केले अर्पित कर सकते हैं क्योंकि केले अत्यंत शुभ माने जाते हैं लेकिन जिस दिन आप व्रत रखेंगे उस दिन आप को अकेला नहीं खाना है.
- उस दिन आप उसके लिए को दान करेंगे जैसे ही आप की पूजा समाप्त हो जाती है आपको बृहस्पति देव की कथा जरूर सुनना है कहते हैं कि जो भी व्यक्ति बृहस्पति देव की कथा सुनता है उसकी पूजा संपूर्ण मानी जाती है और जो नहीं सुनता है उसकी पूजा संपूर्ण नहीं होती है और उसको पूर्ण फल भी प्राप्त नहीं होता है।
गुरुवार व्रत कथा का महत्व | Guruvar vrat katha ka mahatva
गुरुवार व्रत करने का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है गुरुवार व्रत करने से समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं और भगवान बृहस्पति प्रसन्न हो जाते हैं तो आपको धन विद्या पुत्र तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति करते हैं और आपके घर में सुख शांति हमेशा बनाए रखते हैं इसीलिए गुरुवार व्रत सर्वश्रेष्ठ अति फलदाई माना जाता है इस व्रत को करने में केले का पूजन किया जाता है.
कथा और पूजन करते समय मन कार्य और वचन से शुद्ध होकर अपनी मनोकामनाओं की इच्छा लेकर बृहस्पति भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए इस व्रत को करने के लिए आप दिन में एक बार ही भोजन कर सकते हैं भोजन में चने की दाल आदि करें नमक बिल्कुल भी ना खाएं गुरुवार व्रत में पीले वस्त्र धारण करने चाहिए पीले फलों का प्रयोग करना चाहिए पीले चंदन से ही पूजा करनी चाहिए पूजा समाप्त होने के बाद बृहस्पति भगवान की कथा अवश्य सुननी चाहिए।
गुरुवार व्रत उद्यापन विधि के लिए आवश्यक सामग्री
कं म . | सामग्री नाम | मात्रा |
1. | धोती | 1 जोड़ा |
2. | पीला कपड़ा | 1.25 मीटर |
3. | जनेउ | एक जोड़ा |
4. | चने की दाल | 1.25 किलो |
5. | गुड़ | 250 ग्राम |
6. | पीला फूल | फूल माला |
7. | दीपक | 1 |
8. | घी | 250 ग्राम |
9. | धूप | 1 पैकेट |
10. | हल्दीपाउडर | 1 पैकेट |
11. | कपूर | 1 पैकेट |
12. | सिंदूर | 1 पैकेट |
13. | बेसन के लडू | 1.25 किलो |
14. | मुन्नका (किशमिश) | 25 ग्राम |
15. | कलश | 1 |
16. | आम के पत्ते | सुपारी |
17. | श्रीफल | पीला वस्त्र |
18. | केला | विष्णु भगवान की मूर्ति | केले का पेड़ |
गुरुवार व्रत उद्यापन विधि
- गुरुवार व्रत का उद्यापन करने के लिए आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निश्चिंत होकर तैयार हो जाए उसके बाद पूजा स्थल पर बैठकर गंगाजल से छिड़काव करें और वहां की साफ सफाई करें।
- जिस दिन आपको गुरुवार व्रत का उद्यापन करना है उस दिन पीले वस्त्र ही पहने पूजा स्थल को साफ करने के बाद 1 आसन बिछाकर उस पर भगवान की प्रतिमा को स्थापित कर दें।
- उसके बाद अपने घर के आस-पास किसी भी मंदिर या फिर किसी स्थान पर केले का पेड़ हो तो उसकी पूजा करें जल चढ़ाकर उस पर दीपक जलाएं।
- उसके बाद में षोडशोपचार पूजन विधि के द्वारा भगवान विष्णु जी की अर्चना करें उसके बाद घर आकर पूजा स्थल पर बैठने के बाद वह कथा सुने या फिर कथा का पाठ करें।
- उसके बाद जो भी प्रसाद आप ने गुरुवार व्रत में छुड़ाया उस प्रसाद को सब लोगों में बांट दें और श्री हरि के मंत्रों का जाप करें अगर आप से कोई गलती हो जाए तो उसे माफ करने की प्रार्थना करें।
गुरुवार देवा आरती | Guruwar Aarti
ॐ जय बृहस्पति देवा
ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे।
जेष्टानंद बंद सो-सो निश्चय पावे।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।
FAQ : guruvar vrat katha
गुरुवार के कितने व्रत करना चाहिए?
गुरुवार का व्रत क्यों रखा जाता है?
गुरुवार के व्रत में क्या क्या खाना चाहिए?
गुरुवार के व्रत पूजन में केले का पेड़ पूजा जाता है।
निष्कर्ष
दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से guruvar vrat katha के बारे में बताया और यह भी बताया कि गुरुवार व्रत कैसे रखें इसकी पूरी पूजा विधि क्या है लास्ट में हमने आपको गुरुवार बृहस्पति भगवान की आरती भी बताइए अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको इन सारे विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।