शिव-पार्वती विवाह- संपूर्ण हरतालिका तीज व्रत कथा, नियम और पूजा विधि, शुभ मुहूर्त | hartalika vrat katha

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हरितालिका व्रत कथा | Hartalika vrat katha : मैं आप सभी मित्रगण का हमारे इस लेख में स्वागत करती हूं आज मैं आपको इस लेख में hartalika vrat katha के बारे में अपनी मधुर वाणी से कुछ शब्द बोलूंगी क्योंकि जहां तक मुझे हरतालिका तीज के बारे में पता है वहां की पूरी जानकारी मैं आपको यहां पर दूंगी हमारे हिंदू धर्म में विभिन्न प्रकार की पूजा पाठ किए जाते हैं इस पूजा पाठ में से एक हरितालिका व्रत है।

जो की बहुत ही प्रसिद्ध है कहा गया है कि हरतालिका व्रत कथा शाम के समय सुनाई जाती है जहां तक मेरे बड़े बुजुर्गों का कहना है कि शाम के समय हरतालिका तीज के लिए सभी महिलाएं श्रृंगार करके पूजा के लिए अपनी संपूर्ण तैयारी के साथ बैठी हैं और उसी के साथ माता हरतालिका के लिए पूजा की संपूर्ण सामग्री और श्रृंगार का सामान एकत्रित करके कथा सुनकर अपने अटल सुहाग की कामना के लिए हरतालिका तीज व्रत का पाठ करती हैं।हरितालिका व्रत कथा, हरतालिका व्रत कथा हिंदी में, हरतालिका व्रत कथा बताइए, हरतालिका तीज पूजा विधि, हरतालिका तीज व्रत नियम , हरतालिका पूजन सामग्री, हरतालिका तीज कब मनाई जाती है , Hartalika Teej kab manaya jati hai, Hartalika Teej Puja Samagri List, artalika Teej Vrat Rules, Hartalika Teej puja vidhi, hartalika vrat katha, hartalika vrat katha pdf, hartalika vrat katha marathi pdf, hartalika vrat katha sunaeye, hartalika vrat katha hindi mein, hartalika vrat katha in hindi download, hartalika vrat katha sunayen, hartalika vrat katha aarti, hartalika teej vrat katha aarti, hartalika teej vrat katha audio, hartalika teej vrat katha audio download, hartalika vrat katha book, हरतालिका तीज व्रत कथा book, hartalika teej vrat katha book in hindi pdf download, hartalika teej vrat katha book, hartalika teej vrat katha book in hindi pdf free download, hartalika vrat ki katha bataiye,

हरतालिका तीज व्रत माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित किया गया है हरतालिका तीज व्रत पूर्ण रूप से संपूर्ण करने के लिए माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है कहा गया है कि इस पूजा को करने के लिए कई प्रकार के वेद बताए गए हैं लेकिन इस लेख को ज्यादा लंबा ना खींचते हुए अब हम आपको यहीं से अपनी वाणी में विराम देते हैं और आगे बताते हैं कि हम आपको इस लेख में क्या-क्या बताएंगे।

आज हम आपको इस लेख में hartalika vrat katha के बारे में बताएंगे और उसी के साथ या भी बताएंगे कि हरतालिका तीज व्रत क्यों किया जाता है हरितालिका तीज व्रत कथा की विधि क्या है और इसे करने के लिए हमें क्या-क्या करना पड़ता है और हरतालिका तीज व्रत करने से हमें कौन से लाभ प्राप्त होते हैं .

तो आईए जानते हैं कि हरतालिका तीज व्रत कथा क्या है और कैसे की जाती है लेकिन इससे पहले आपको हमारा यह पूरा लेख पढ़ने होगा तभी आपको इसकी कथा और संपूर्ण पूजा के बारे में जानकारी हो पाएगी।

हरतालिका तीज व्रत कथा PDF Download | Hartalika Teej Vrat Katha PDF Hindi

हरतालिका तीज व्रत कथा को पढ़ने या फिर जानने के लिए हमारे द्वारा दिए गए पीएफ को डाउनलोड करें इस pdf link से आप बहुत ही आसानी से हरतालिका तीज व्रत कथा पीडीएफ को डाउनलोड कर सकते हैं।

हरतालिका तीज (Hartalika Teej Vrat Katha) PDF HindiDownload PDF

हरतालिका तीज कब मनाई जाती है ? | Hartalika Teej kab manaya jati hai ?

आप में से भोलेनाथ और मां गौरी के बहुत से भक्तों का ऐसा सवाल है कि हरतालिका तीज कब मनाया जाता है वैसे तो हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है कहा गया है कि भाद्रपद का शुक्ल पक्ष सितंबर के महीने में पड़ता है जिसमें तृतीया व्रत मां गौरी का होता है जो की 9 सितंबर को मनाया जाता है।

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हरतालिका पूजन सामग्री | Hartalika Teej Puja Samagri List

हमारे हिंदू धर्म में हरतालिका पूजा व्रत भगवान शिव और गौर पूजा के साथ किया जाता है भगवान शिव और गौर की पूजा में कौन-कौन सी सामग्री यानी कि हरतालिका पूजा में कौन-कौन सी सामग्री का प्रयोग होता है इसकी जानकारी आपको यहां पर दी जाएगी.

हालांकि हरतालिका पूजा का विशेष महत्व माता पार्वती की पूजा होता है क्योंकि यह पूजा पार्वती माता के लिए ही की जाती है कहा गया है कि पति एक अच्छे वर के लिए या फिर उसका वर हमेशा सलामत रहे इसकी दुआ के लिए वह हरतालिका व्रत को रखती है।

हरतालिका पूजा को कजरी तीज के नाम से भी जाना जाता है आज हम आपके यहां पर हरतालिका पूजा में लगने वाली सामग्री के विषय में जानकारी देंगे जिसके माध्यम से आपकी पूजा अवश्य सफल होगी। हरतालिका पूजा के लिए आपको यह सभी प्रकार के फल एवं फूल पत्ते हरतालिका पूजा में चढ़ाए जाते हैं।

  • बेलपत्र
  • शमी पत्र
  • धतूर फल एवं फूल
  • अकाँव का फूल
  • तुलसी
  • मंजरी
  • जनैव
  • नाडा
  • वस्त्र

हरतालिका पूजा में मां गौरी के लिए सुहाग का सामान

हरतालिका पूजा में जब मां गौरी को सजाया जाता है या फिर उन्हें दुल्हन के रूप में तैयार किया जाता है तो कुछ इस प्रकार की सुहागन सामग्री का प्रयोग किया जाता है। जो की निम्नलिखित तरीके से हमने आपको नीचे दी है।

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  1. चूड़ी
  2. बिछिया
  3. काजल
  4. बिंदी
  5. कुमकुम
  6. सिंदूर
  7. कंघी
  8. माहौर
  9. मेहँदी।

हरतालिका पूजा में आपको विशेष रूप से भगवान भोलेनाथ गौरी माता एवं गणेश भगवान के लिए झांकी बनाकर उनकी झांकी को फूलों से सजाना चाहिए और गली काली मिट्टी अथवा बालू रेत से केले के पत्ते से सजावट करनी चाहिए।

भोग के लिए सामग्री

मां गौरी की झांकी में विभिन्न प्रकार के फल और फूल रखना चाहिए। अगर आप चाहे तो हरतालिका पूजा के लिए सुहाग का सामान एकत्रित इधर-उधर से ना करना पड़े इसके लिए आप बाजार में सुहाग पुड़ा ले सकते हैं जिसमें आपको विभिन्न प्रकार की सामग्री दी होगी।

  1. घी
  2. तेल
  3. दीपक
  4. कपूर
  5. कुमकुम
  6. सिंदूर
  7. अबीर
  8. चन्दन
  9. श्री फल
  10. कलश
  11. पञ्चअमृत
  12. दही
  13. शक्कर
  14. दूध
  15. शहद

हरतालिका तीज व्रत नियम | Hartalika Teej Vrat Rules

वैसे तो आप सभी लोग जानते होंगे कि हरतालिका तीज व्रत बहुत ही नियम कानून के साथ किया जाता है हालांकि हमारे हिंदू धर्म में जितने भी व्रत और पूजा पाठ किए जाते हैं वह सभी नियम अनुसार ही होते हैं हर व्रत का एक अलग नियम बनाया गया है उसी प्रकार हरतालिका तीज व्रत का नियम भी है जिसके बारे में हम आपके यहां पर विस्तार से बताएंगे।

mata parvati

  1. जहां तक मैं हरतालिका तीज व्रत के बारे में जाना है हरतालिका तीज व्रत निर्जला किया जाता है इसमें हरतालिका तीज व्रत के 1 दिन पहले यानी की 12:00 बजे रात के बाद अन ,जल त्यागना पड़ता है और पूरा दिन व्रत रखना पड़ता है पूरा दिन एवं रात अगले सुबह सूर्य उदय तक जल ग्रहण नहीं किया जाता।
  2. दूसरे दिन सूर्य उदय से पहले यानी की 4:00 बजे रात्रि के समय हरितालिका व्रत को पूर्ण करने के लिए पूरी और हवा का भोग बनाकर मां गौरा का विवाह भगवान भोलेनाथ के साथ विधि विधान पूर्वक करके अपने व्रत को पूरा किया जाता है।
  3. हरतालिका तीज व्रत को सुहागन औरतें एवं कुंवारी कन्याएं भी रख सकते हैं इस व्रत का कोई नियम नहीं है कि इसे कौन रख सकता है या कौन नहीं हालांकि इस व्रत को विधवा महिलाएं भी रख सकती हैं।
  4. जिस दिन महिलाएं हरतालिका तीज व्रत को रखती है उसे दिन शाम के समय भोलेनाथ और मां गौरी की पूजा आरती करके उनका श्रृंगार करती हैं और उन्हें भोग लगाकर उनकी कथा सुनती है और उसके बाद रात 12:00 बजे तक रतजगा करती हैं कीर्तन भजन के साथ 12:00 बजे रात तक जागती है।
  5. उसी दिन सुहागन और कुंवारी कन्याएं हरतालिका तीज व्रत को नए वस्त्र पहनकर श्रृंगार करके पूजा के लिए बैठी है और पूजा को संपूर्ण करने के बाद नाच गाने भजन कीर्तन करती हैं और दूसरे दिन सुबह 4:00 बजे उठकर मां गौरा की पूजा करती हैं और अपने व्रत को खोलते हैं।
  6. हरतालिका तीज व्रत के नियम में ऐसा बताया गया है कि हरतालिका तीज व्रत एक बार प्रारंभ करने के बाद आप इसे छोड़ नहीं सकते हैं प्रतिवर्ष नियम अनुसार आपको इस व्रत को करना ही होगा इसीलिए इस व्रत को करने से पहले अपने आप को और अपनी आत्मा को मजबूत कर ले।
  7. हालांकि खास तौर पर औरतें हरतालिका तीज व्रत को पूर्ण करने के लिए शंकर और गौर माता के मंदिर जाती है लेकिन आप चाहे तो अपने घर पर ही मिट्टी और बालू से माता गौरा भोलेनाथ और गणेश की मूर्ति को बनाकर घर में झांकी सजाकर इस पूजा को संपूर्ण किया जा सकता है।
  8. लेकिन इस बात के बीच आपको एक चीज का ध्यान रखना है की पूजा का अखंडन नहीं करना है परंपरा और रीति रिवाज द्वारा ही इस पूजा को आप अपने घर में कर सकते हैं। हालांकि सामान्य तौर पर महिलाएं हरतालिका तीज व्रत को मंदिर में जाकर पूरा करती है।

हरतालिका तीज पूजा विधि | Hartalika Teej puja vidhi

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति हरतालिका तीज व्रत को रखता है या फिर रखना चाहता है तो उसे हरतालिका तीज व्रत करने के नियम और उसकी पूजा विधि के बारे में संपूर्ण जानकारी होना आवश्यक है इसीलिए आज हम आपके यहां पर हरतालिका तीज पूजा विधि के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिसके माध्यम से आप हरतालिका तीज व्रत को संपूर्ण और सच्चे मन से विधि विधान पूर्वक कर पाएंगे.

हरतालिका तीज व्रत करने की विधि निम्नलिखित है,

 

  1. हरतालिका तीज व्रत रखने के लिए आपको एक पूरा दिन और एक पूरी रात निर्जला व्रत रखना पड़ता है दूसरे दिन सुबह 4:00 बजे पूजा करके अपना व्रत तोड़ने का समय बताया गया है।
  2. हरतालिका तीज व्रत में व्रत के दिन स्त्री के मायके से सिंगर का सामान और कुछ मेवा मिष्ठान आता है।
  3. हरतालिका तीज व्रत को करने के लिए आपको माता पार्वती और भगवान शिव की तस्वीर की आवश्यकता होती है।
  4. हरतालिका तीज व्रत में व्रत समाप्त होने के अंतिम चरण में हरतालिका तीज की कथा सुनी जाती है।
  5. हरतालिका तीज व्रत हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण उत्सव है जो की भजन और लोक नृत्य से मनाया जाता है।
  6. कथा होने के पश्चात महिलाएं गौरी मां से अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती है और एक अच्छे वर्ग की प्राप्ति के लिए विनती करती है।
  7. इस व्रत को करने के लिए आपको निम्न प्रकार की सामग्री चाहिए होती है जैसे की हरे वस्त्र, हरी चुनरी, हरा लहरिया, हरा श्रृंगार, मेहंदी, झूला-झूलने यह सब सामान व्रत वाले दिन रीति रिवाज के अनुसार अनिवार्य होता है.
  8. हरतालिका तीज व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना करनी चाहिए.
  9. हरतालिका तीज व्रत वाले दिन नियमित रूप से प्रदोष काल में ही स्नान आदि से निश्चिंत होने के पश्चात भगवान शिव और माता पार्वती के समक्ष बैठकर उनके व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूरा दिन निर्जला व्रत रखना चाहिए.
  10. हरतालिका तीज व्रत वाले दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति को एक झांकी बनाकर स्थापित करना चाहिए झांकी के आसपास केले के पत्ते और आम के पत्ते से सजावट होनी चाहिए या इस व्रत को और भी सफल बना देता है.
  11. हरतालिका तीज का व्रत विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और कुंवारी कन्या एन एक अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती है.
  12. हरतालिका तीज के व्रत में पूजा करते दौरान सुहाग की सभी वस्तुओं को माता पार्वती के सामने अर्पित कर कथा सुनकर आरती करनी चाहिए.

हरितालिका व्रत कथा | Hartalika vrat katha

आज हम आपके यहां पर हरतालिका व्रत कथा के बारे में बताएंगे और हरितालिका व्रत की कथा क्या है इसकी जानकारी देंगे।

कहा जाता है कि हरतालिका तीज व्रत कथा माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की है। हरतालिका तीज व्रत कथा भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाई थी क्योंकि भोलेनाथ को माता पार्वती को उनका पिछला जन्म याद दिलाना था इसीलिए उन्होंने माता पार्वती को इस कथा को सुनाया था।

जब भोलेनाथ ने पहली बड़ी माता पार्वती को उनका पिछला जन्म याद दिलाने के लिए उन्होंने इस कथा को प्रारंभ किया था तो उन्होंने सबसे पहले कहा हे गौरा तुमने पिछले जन्म में मुझे अपने के लिए बहुत छोटी उम्र में कठोर तब और घोर तपस्या की थी भगवान भोलेनाथ ने कहा है गौरा तुमने उसे कठोर तप के दौरान ना कुछ खाया था और ना ही कुछ पिया था बस हवा और सूखे पत्ते चबाकर जल देने वाली गर्मी कंपा दिवाली ठंडी लेकर इस कठोर तप को किया था।

तुमने मुझे अपनी के लिए इस कठोर तब में देती रही बारिश में भी तुमने जल नहीं पिया था इसीलिए तुम्हें इस हालत में आपके पिता देख कर बहुत ही दुखी हो गए थे उनको दुखी देखकर नारद मुनि ने भगवान विष्णु के पास यह संदेश भिजवाया था कि वह आपकी कन्या शिव विवाह करना चाहते हैं इसके बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूं।

नारद जी की ऐसी बात सुनकर आपके पिता बोले भगवान विष्णु यह चाहते हैं तो उन्हें कोई निराश नहीं कर सकता और मुझे इस बात से कोई आपत्ति नहीं है।

लेकिन तुम अपने विवाह के बारे में सुनकर दुखी हो गई तुम्हारी एक सहेली ने तुम्हारे दुख का कारण पूछा तो तुमने कहा कि मैं सच्चे मन से भगवान शिव का मनन करती हूं किंतु मेरे पिता ने मेरा विवाह भगवान विष्णु के साथ तय कर दिया है मैं इस बात को लेकर अधिक चिंतित और धर्म संकट में पड़ी हूं अब मेरे पास प्राण त्याग करने के अलावा कोई अन्य उपाय नहीं है।

भगवान भोलेनाथ माता पार्वती से बोले तुम्हारी सखी बहुत ही समझदार थी तो उसने कहा प्राण छोड़ने का यह कारण ही है संकट के समय धैर्य से कम लेना चाहिए क्योंकि हमारे लिए भारतीय नारी के जीवन की यह एक पहेली कड़ी है जिससे मन से पति रूप में मां लेने पर जीवन पर्यंत उसी से निर्वाह करना चाहिए मैं तुम्हें घनघोर वन में ले चलूंगी जहां से आप अपनी समस्या का समाधान निकाल सकते हैं और वहां पर आपके पिता भी नहीं खोज पाएंगे हे पार्वती मुझे पूर्ण विश्वास है कि ईश्वर आपकी सहायता अवश्य करेंगे।

Parvati

भोलेनाथ पार्वती से बोले है प्रिया तुमने जैसा तुम्हारी सखी ने कहा था तुमने वैसा ही किया तुम्हारे पिता तुम्हें घर में न पाकर बहुत ही चिंतित और दुखी थे इधर-उधर खोजने के बाद तुम अपनी सहेली के साथ नदी तट के एक गुफा पर दिखाई दी जहां पर तुम मेरी आराधना में लीन थी.

तुम रेत के शिवलिंग का निर्माण करके कठोर तप के लिए आसन लगाकर बैठ गई थी और सीधे ही तुम्हारे पास पहुंचकर और तुमसे वर मांगने को कहा तब तपस्या के फलीभूति मुझे अपने सामने खड़ा होते देखकर तुमने कहा कि है प्राण पति मैं आपको सच्चे मन से अपने पति के रूप में स्वीकार करना चाहती हूं.

अपनी तपस्या के बलबूते पर मुझे अपने समक्ष पा कर सच्चे मन से मैं आपको अपना पति स्वीकार करती हूं हे शिव अगर आप सचमुच मेरी तपस्या से प्रसन्न हुए हैं तो आप मुझे अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार करें तभी तथास्तु कहकर कैलाश पर्वत पर भगवान भोलेनाथ लौट आए।

इस समय आपके पिता यानी कि गिरिराज अपने बांधों के साथ आपको खोजते हुए वहां पर पहुंचे तभी तुमने सारा विधान बताया और कहा मैं घर तभी जाऊंगी तब आप मेरा विवाह महादेव यानि कि कैलाश पर्वत के सर्वश्रेष्ठ देवता शिव के साथ कराएंगे तो तभी आपके पिता इस बात को लेकर मान गए और उन्होंने कहा तुम्हारा विवाह शिव के साथ ही होगा इस व्रत का में उद्देश्य पूर्ण हुआ और इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक महिला मनोवांछित फल की प्राप्ति करती है.

 

तभी तुम्हारी सखी ने तुम्हारा हरण कर लिया इसीलिए अध्यात्म में हमारे हिंदू धर्म के रीति रिवाज के अनुसार इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत पड़ गया कहा गया है कि इस व्रत से जुड़ी मान्यताएं हर एक स्त्री जो की हरतालिका व्रत को रखती है उसे माता पार्वती के सामने ही सुख-दुख अन्य चीज पानी के लिए शिव श्लोक का पाठ करना चाहिए.

अगर कोई भी स्त्री अपना सुहाग अखंड रूप से बनाए रखने एवं सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त करने के लिए इस व्रत को रखती है तो उसे माता पार्वती का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है पुनः अगर वही अविवाहित स्त्री अपने मन मुताबिक वर प्राप्ति के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखती है.

तो उसे सूर्य उदय से पहले उठकर स्नान आदि से निश्चिंत होने के पश्चात अपना पूरा श्रृंगार करके पूजा के लिए केले के पत्तों का मंडप बनाकर भगवान शिव और पार्वती की प्रतिमा को रखकर माता पार्वती के लिए सुहाग की सामग्री चढ़कर उन्हें हलवा पुरी का भोग लगाकर भजन कीर्तन का जागरण करते हुए आरती करें और माता पार्वती और शिव का विवाह करें पार्वती और शिव की कथा सुनकर अपने व्रत को पूर्ण करें.

यह व्रत माता पार्वती और शिव के लिए रखा गया है कहा गया है कि अगर कोई स्त्री अपने लिए एक अच्छे वर्ग की प्राप्ति करना चाहती है तो उसे 12:00 बजे रात्रि तक कीर्तन भजन करते हुए इस व्रत को पूर्ण करना चाहिए और सुबह प्रातः उठकर स्नान आदि से निश्चिंत होने के पश्चात भक्ति भाव के साथ सुहागन महिला को श्रृंगार सामग्री वस्त्र खाद्य सामग्री फल मेवा मिष्ठान आदि आभूषण दान करके इस व्रत को खीरा खाकर पूर्ण करना चाहिए।

हरतालिका तीज मुहूर्त क्या है ? | Hartalika Teej Muhurat kya hai ?

भोलेनाथ और मां गौरी के बहुत से भक्त हरतालिका तीज मुहूर्त के बारे में जानने के लिए उत्सुक है तो मैं आपको यहां पर हरतालिका तीज मुहूर्त के बारे में बताऊंगी। कहां गया है कि हरतालिका तीज पूजा का मुहूर्त सुबह 6:00 बजे से सुबह 8:34 बजे तक होता है।

कहां गया है कि हरतालिका तीज व्रत पूजन का समय शाम 6:00 बजे से 8:00 बजे तक का होता है जो की प्रदोष काल में किया जाता है।

FAQ: hartalika vrat katha

हरतालिका तीज व्रत कथा क्या है ?

हरतालिका तीज व्रत कथा क्या है बहुत से लोगों का सवाल है हरतालिका तीज व्रत माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ के पर्व के रूप में मनाया जाता है देवी पार्वती ने मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान लिया था इसीलिए यह पर्व मनाया जाता है.कहा गया है कि भगवान भोलेनाथ जब तपस्या में लीन थे तो माता पार्वती ने उनके मन की बात जानकर उनकी सखियां उन्हें जंगल में ले गई थी जिसके बाद वहां पर माता पार्वती का हरण हो गया था और तभी से इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत पड़ गया था।

हरतालिका तीज व्रत में पानी कब पीना चाहिए?

हरतालिका तीज व्रत में पानी पीना चाहिए या नहीं इसकी जानकारी बहुत से लोगों को नहीं है और यह जानकारी प्राप्त करने के लिए यह बहुत ही ज्यादा उत्सुक है तो मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि शुभ मुहूर्त में माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ और गणेश जी की पूजा हरतालिका तीज व्रत कथा के रूप में की जाती है हरितालिका व्रत के दिन सूर्य उदय से लेकर अगले दिन तक निर्जला व्रत रखा जाता है और तृतीय स्थिति को अपना अर्पण करके व्रत खोला जाता है।

हरतालिका व्रत की पूजा कैसे की जाती है?

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति हरतालिका तीज व्रत की पूजा कैसे की जाती है इसकी जानकारी चाहता है तो मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि यह पूर्ण रूप से सुहागन महिलाओं के लिए होता है इसीलिए सुहागन महिलाएं हरतालिका तीज व्रत के दिन पूरा श्रृंगार करके शाम के समय कथा के लिए श्रृंगार की सामग्री को एकत्रित करके रखती हैं.और पार्वती को चढ़कर उन्हें प्रसन्न करती हैं शिव को धतूर और उनके मनपसंद चीज जो की बहुत ही प्रसिद्ध है उनका भोग लगती हैं और किसी ब्राह्मण तथा धोबी को मिष्ठान मेवा और दान करती हैं सुहाग की सामग्री किसी ब्राह्मण और धोबी को दी जाती है और इस पूजा को समाप्त होने के बाद सास के पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से hartalika vrat katha के बारे में जानकारी दी और उसी के साथ हमने आपको इस लेख में हरतालिका तीज व्रत क्या है और कब किया जाता है हरतालिका तीज व्रत करने की पूजा विधि क्या है और हरितालिका व्रत करने के फायदे क्या है?

इन सभी विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है अगर आप हमारे इस लेखक को अच्छे से पढ़ते हैं तो आपको हरतालिका तीज व्रत कथा के बारे में संपूर्ण जानकारी हो जाएगी हरतालिका तीज व्रत माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ के लिए किया जाता है कहा गया है की माता पार्वती जब तपस्या में बैठी थी.

तो भोलेनाथ ने उनकी तपस्या को भंग किया था इसीलिए यह हरतालिका तीज व्रत किया जाता है अगर आप हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ेंगे तो आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी हो जाएगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।

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