jay hind ka nara kisne diya ? . जय हिंद का नारा किसने दिया . जय हिन्द का नारा किसने दिया ? जैसा कि आप लोग जानते हैं कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ना जाने कितने लोगों ने अपने बलिदान से भारत को अंग्रेजों के हाथों की गुलामी से आजादी दिलाई थी ऐसे में आप लोगों ने आजादी के नारों के बारे में सुना होगा और कई महान नेताओं ने नारों के द्वारा जनता के मन को जागृत कर आजादी के लिए संघर्ष करने के लिए आगे बढ़ाया था. jai hind ka nara kisne diya tha ? jai hind ka nara kisne kisne diya tha ?
अब ऐसे में आप लोगों ने जय हिंद का नारा सुना ही होगा और कई लोगों के द्वारा इस बात की पुष्टि की जाती है कि जय हिंद का नारा सुभाष चंद्र बोस ने नहीं दिया बल्कि सुभाष चंद्र बोस के साथ कार्य करने वाले उनके सचिव ने दिया था.
अब आपके मन मे सवाल आएगा कि ऐसा कैसे हो सकता है .अगर आप भी इस बात को लेकर बहुत ज्यादा कन्फ्यूजन में है तो चिंता की कोई बात नहीं है मैं आपके सभी सवालों का जवाब आर्टिकल के माध्यम से दूंगा जय हिंद का नारा किसने दिया था तो आइए जानते हैं.
जय हिंद का नारा कब दिया गया ? | jay hind ka nara kab diya gya
जय हिंद का नारा कब दिया गया इस विषय में काफी मिले-जुले तथ्य हैं चलिए हम आपको उन सारे तथ्यों के बारे में बताते हैं इसके बाद आप स्वयं तय कर पाएंगे कि आखिर यह नारा कब दिया गया.
सन 1933 में आस्ट्रिया की राजधानी वियना मैं पहली बार नेताजी की मुलाकात पिल्लई जी से हुई और चेम्पाकरमन पिल्लई जी ने नेता जी का स्वागत जय हिंद के नारे से किया तभी से नेता जी को यह नारा बहुत ज्यादा पसंद आ गया.
चेम्पाकरमन पिल्लई जी को ही पहली बार जय हिंद का नारा प्रयोग करने वाला माना जाता है. इनका जन्म 15 सितम्बर, 1891 में तिरुवंतमपूरम में हुआ था आर्यन कॉलेज के पत्ते से ही देश प्रेमी थे और अपने साथ पढ़ने वाले बच्चों के साथ या जय हिंद का नारा का असर प्रयोग करते थे.
इसलिए यह तय करना मुश्किल है कि यह नारा सबसे पहले कब दिया गया था लेकिन इतिहास के मुताबिक अगर तीन तत्वों को ध्यान दिया जाए तो हम क्या कह सकते हैं कि 1933 में या नारा दिया गया जिसे नेताजी सुभाष चंद्र वाला प्रचारित और प्रसारित किया गया.
लेकिन कुछ लोगों का कहना यह भी है कि जब सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद फौज का गठन किया उसी समय इस नारे को प्रचार और प्रसार किया गया और उसे पूछ आज का ऑफिशियल नारा घोषित किया गया.
इस विषय पर विस्तृत जानकारी के लिए आप या विकिपीडिया का आर्टिकल पढ़ सकते हैं जहां से आपको एक सॉलिड जानकारी मिल पाएगी > जय हिन्द – विकिपीडिया
जय हिंद का नारा किसने दिया | jay hind ka nara kisne diya ?
जय हिंद का नारा सुभाष चंद्र बोस के द्वारा नहीं दिया गया था बल्कि उनके साथ काम करने वाले उनके सहयोगी और सचिव जैनुल अबिदीन हसन ने दिया था। जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने केेेेे लिए जर्मनी गया था जहां पर उनकी मुलाकात सुभाष चंद्र बोस के साथ हुई थी ।
इस बात की पुष्टि हैदराबाद की महान शख्सियतों और लघुकथाओं पर आधारित एक किताब मे इस बात का उल्लेख किया गया है। उनकी मुलाकात सुभाष चंद्र बोस के साथ हुई तो उन्होंने उनसे मिलने बाद अपनी इंजीरियरिंग की पढाई छोड़ दी और उनके साथ भारत केेेे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए आजाद हिंद फौज जॉइनिंग किया था।
इसके अलावा इस बात का वर्णन पूर्व नौकर शाह मार्टिन लूथर ने अपनी किताब लेंगेंडोट्स ऑफ हैदराबाद मे उस व्यक्ति के बारे में बताया है जिन्होंनेे यह नारा दिया था। इस किताब केेेे अनुसार जब तृतीय विश्व युद्धध के समय सुभाष चंद्र बोस जर्मनी में हिटलर से मिलनेेे के लिए थे।
इसी दौरान उन्हें युद्ध बंदियों और जर्मनी में रहने वाले कुछ भारतीयों की एक बैठक को संबोधित करने का मौका मिला वहीं पर उनकी मुलाकात जैनुल अबिदीन हसन नाम केेेेेे युवक के साथ हुई थी जो वहां पर इंजीनियर की पढ़ाई कर रहा था
वह नौजवान इतना सुभाष चंद्र के बातों से इतना प्रभावित हुआ कि उन्होंने सुभाष चंंद्र बॉस से कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना चाहते हैंं इसके बाद सुभाष चंद्र बोस नेे कहा की आगे आप अपनी पढ़ाई पूरी करें उसके बाद आजाद हिंद फौज आप ज्वाइन कर सकते हैं।
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जैनुल अबिदीन हसन कौन है ? | Who is Zainul Abidin Hassan?
यह भारत के हैदराबाद में रहने वाला एक डिप्टी कलेक्टर का लड़का था जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए जर्मनी गया था और जहां उनकी मुलाकात सुभाष चंद्र बोस हो गयी और बाद में आपने पढ़ाई छोड़ कर सुभाष चंद्र के बॉस के साथ आजाद हिंद फौज में शामिल हो गये। जहां पर वह नेताजी के सचिव के तौर पर कार्य करने लगे।
आगे चलकर आजाद हिंद फौज में वह मेजर के पद पर भी कार्य किया। वह बचपन से ही देशभक्ति की भावना से बहुत ज्यादा प्रभावित थे यह गांधीजी के साबरमती आश्रम में भी जाया करते थे और जहां गांधी जी के भाषण को काफी ध्यान से सुना करते थे तभी से इनके अंदर देशभक्ति की भावना तेजी के साथ उत्पन्न हुई और देश के लिए कुछ कर गुजरने की इनमें चाहत भी आ गयी ।
भारत के आजादी के बाद भारत के राजनायिका तौर पर डेनमार्क देश में भी काम किया था। 1959 में वह रिटायर हो गए और वापस भारत के हैदराबाद शहर में आ गए जहां उनकी मृत्यु 73 साल की उम्र में हैदराबाद में 1983 में हो गयी थी ।
जय हिंद नारा कैसे उत्पन्न हुआ ? | How Jai Hind slogan originated?
जब जैनुल अबिदीन हसन सुभाष चंद्र बोस के साथ कार्य करने लगे और सुभाष चंद्र बोस को अपनी सेना में जोश भरने के लिए उन्हें एक नारे की जरूरत पड़ी तो इसी बात को लेकर 1 दिन सुभाष चंद्र बोस बैठकर सोच रहे थे तभी उनके सचिव जैनुल अबिदीन हसन आ गए और नेताजी के साथ बैठकर उनसे उन्होंने पूछा कि आप इतना क्या सोच रहे हैं?
इस पर नेताजी ने कहा कि सेना के अंदर जोश भरने केेेे लिए एक ऐसे नारे की जरूरत हैै जिसके द्वारा उनके अंदर और भी ज्यादा देशभक्ति और जोश भरा जा सके। जैसा कि आप जानते हैं कि भारत में जब कोई भी हिंदू जब एक दूसरे के साथ कहीं पर मिलता है तो वाह एक दूसरे का संबोधन राम राम शब्द के द्वारा करते हैं। इसके अलावा जब कोई मुस्लिम किसी मुस्लिम से मिलता है तो आपने संबोधन में सलाम आलेकुम शब्द का इस्तेमाल करता है। इसके विपरीत कोई पंजाबी जॉब मिलता है तो सत श्री आकाल“का इस्तेमाल करता है।
इसी प्रकार नेता जी को भी एक ऐसेे ही नारी की जरूरत है जिसके द्वारा देेश में लोगों के मन को जागृत कियाा जा सके ताकि भारत को आजादी अंग्रेजो के द्वारा दी जा सके। इसी बात को ध्यान में रखते हुए आबिद हसन नेताजी को सबसे पहले hello शब्द का सुझाव दिया था।
लेकिन नेताजी को शब्द बिल्कुल पसंंद नहीं आया फिर बाद में उन्होंने जय हिंद का नारा दिया जो नेताजी को बहुत ही पसंद आया और उसके बाद इस नारा के द्वाराा ही नेता जी ने भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करवाया था।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जय हिंद नारा नेताजी के द्वारा भले ही ना दिया गया हो लेकिन उसका प्रचार और प्रसार नेता जी के द्वारा ही किया गया था और इस बात की पुष्टि तो आप लोगों ने कई प्रकार की किताबों और अखबारों के द्वारा किया होगा.
लेकिन इसमें भी कोई राय नहीं है कि जय हिंद नारा नेताजी के द्वारा नहीं दिया गया था बल्कि उस नारे को देने वाले शख्स का नाम जैसे कि मैंने आपको article के ऊपर बताया है तो अब आपके सारे सवालों के जवाब आपको मिल गए होंगे उसके बाद भी अगर आपका कोई भी कंफ्यूजन है तो आप कोई भी बड़ी ऐतिहासिक पुस्तक का सहारा ले सकते हैं जहां आप इस बात की पुष्टि कर पाएंगे कि हमारे द्वारा जो भी चीज बताई गई है सही या गलत है।
उम्मीद करता हूं कि आपको आर्टिकल पसंद आया होगा अगर पसंद आए तो इसे लाइक और शेयर करें और अगर आपका कोई भी सवाल है तो मेरे कमेंट बॉक्स में पूछे मैं उसका उत्तर देने के लिए हमेशा आपकी सेवा में उपस्थित रहूंगा तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले article में।