Kitchen kaun se disha mein hona chahiye : खाना किस दिशा में बनाना चाहिए वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में यदि कोई काम किया जाता है तो वह हमारी सफलता का परिचायक बनता है यदि किसी भी प्रकार से कुछ परेशानियां घर में पनपती हैं तो निश्चित रूप से कहीं ना कहीं हमारी गलत धारणाओं की वजह से होता है जिसकी वजह से कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
आइए आज हम आपको भोजन बनाने के लिए सही दिशा के विषय में बताने जा रहे हैं जिससे आपको किसी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े क्योंकि वास्तु शास्त्र के अनुसार गलत दिशा में बनाया गया भोजन घर में कई परेशानियां खड़ा कर देता है इसलिए भोजन बनाने के लिए सबसे पहले हमें अपनी दिशा का निर्धारण करना आवश्यक है।
घर में ग्रहणी यानी कि नारी सभी प्रकार के भोजन को बनाने के लिए सभी प्रकार की पवित्रता को अपनाती है। नारी भोजन को अमृत बना देती जिससे भोजन में बरकत नहीं होती है और मन में शुद्ध विचार भी आते हैं इसलिए भोजन बनाने के लिए किचन संबंधी बहुत सी बातों को ध्यान देना आवश्यक है।
- 1. खाना किस दिशा में बनाना चाहिए ? | Khana kis disha me banan cahiye
- 1.1. 1. चूल्हा या गैस स्टोव कहां पर रखें
- 1.2. 2. पानी की व्यवस्था कहां करनी चाहिए
- 1.3. 3. किचन का रंग कैसा होना चाहिए
- 1.4. 4. सारे बर्तन धो कर रात में सोए
- 1.5. 5. किचन में रैक कहां बनवाएं
- 2. खुले किचन को क्या करें ?
- 3. भोजन करने के तरीके क्या है ? | k?hana khane ka shi tarika
- 3.1. 1. भोजन करने से पहले क्या करें
- 3.2. 2. भोजन का समय
- 3.3. 3. भोजन करने की दिशा
- 3.4. 4. चारपाई पर भोजन ना करें
- 3.5. Q. भोजन के समय मौन क्यों रहना चाहिए ?
- 3.6. Q. खाना किस दिशा में बैठ के खाना चाहिए ? | khana khane ki shi disha
खाना किस दिशा में बनाना चाहिए ? | Khana kis disha me banan cahiye
घर में भोजन बनाने के लिए रसोई को सदैव साफ सुथरा रखना चाहिए और भोजन हमेशा दक्षिण पूर्व दिशा में बनाना चाहिए इस दिशा में बनाने से भोजन भी पौष्टिक होता है और अन्य प्रकार की समस्याएं भी समाप्त होती है कहा जाता है कि इस दिशा में भोजन बनाने से सूर्य की किरणें भोजन पर पढ़ते हैं जिससे विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते हैं और भोजन खराब नहीं होता इसलिए सदैव भोजन को दक्षिण पूर्व दिशा में बनाना चाहिए ?
1. चूल्हा या गैस स्टोव कहां पर रखें
भोजन बनाने के लिए रसोई में अपने चूहे यार स्टोर को दक्षिण पूर्व दिशा में ही रखना चाहिए तथा साथ ध्यान देना चाहिए कि आपका चेहरा दक्षिण पूर्व दिशा की तरफ ही होना चाहिए अपने घरों में रखे जाने वाले सभी प्रकार के मसाले हुआ चीनी आदि को दक्षिण पूर्व दिशा में ही रखें।
2. पानी की व्यवस्था कहां करनी चाहिए
रसोई घर में पानी की व्यवस्था हमेशा उत्तर पूर्व दिशा में करनी चाहिए अर्थात पानी को उत्तर पूर्व दिशा में रखें । यदि आपने पानी की सेल्फ बनवा रखी है तो नल कम से कम आधा इंच नीचे होना चाहिए ?
3. किचन का रंग कैसा होना चाहिए
किचन के अंदर फर्श पर सदैव सफेद या सिल्वर कलर ने करवाना चाहिए जिससे आपको हर प्रकार की गंदगी दिखाई दे कभी भी स्लाइड मार्बल का ना बनाएं यह आपके लिए और सेहत के लिए नुकसानदायक है दीवारों पर गुलाबी रंग का प्रयोग करें हो सके तो इसमें सिल्वर क्रीम कलर भी करवा सकते हैं इसके अलावा कभी भी ब्राउन और काले रंग का प्रयोग ना करें।
4. सारे बर्तन धो कर रात में सोए
रात को सोने से पहले सभी प्रकार के जूठे बर्तनों को धोकर सिंह तो मेरा करें तथा रात में सोने से पहले दुबे हुए बर्तनों को सिंह में हमेशा उल्टा करके रखिए जिससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है भोजन को हमेशा ढक कर ही रखें जिससे किसी प्रकार की जीवाणुओं से कोई नुकसान न होने पाए।
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किचन में रायका को पानी की साइड से लिफ्ट यानी कि बाएं तरफ रखें तथा मसालों को दक्षिण पूर्व या दक्षिण दिशा में ही रखें और बिजली के उपकरण हमेशा दक्षिण उत्तर दिशा में रखे।
खुले किचन को क्या करें ?
यदि आपके घर में किचन खुला हुआ है तो उसमें हो सके चिमनी अवश्य लगाएं क्योंकि खुले हुए रसोई घर में दीवार नहीं होती है ऐसी स्थिति में चूल्हे से निकलने वाला धुआं आपके सब पूरे घर को प्रदूषित कर देता है जिससे बहुत सारी बीमारियां फैलती हैं इसलिए एक मजबूत चिमनी का प्रयोग अवश्य करें जिस से जीत हुआ है वह बाहर निकल जाता है और किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है।
भोजन करने के तरीके क्या है ? | k?hana khane ka shi tarika
हिंदू धर्म के अनुसार भोजन सदैव सात्विकता के साथ अच्छी भावना और अच्छे वातावरण निकलना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है कहा जाता है कि इस प्रकार से नियमों का पालन करते हुए भोजन करने से किसी प्रकार का कोई कष्ट नहीं होता है भोजन करने से पहले निम्न बातों को ध्यान देना आवश्यक है।
1. भोजन करने से पहले क्या करें
भोजन करने से पहले अपने हाथों पैरों और मुंह को अच्छी तरह से धोना चाहिए तथा भोजन करने से पहले अन्य देवता और अन्नपूर्णा मां की विस्तृत के लिए मंत्र जाप करना चाहिए जिससे मन शुद्ध हो जाता है और भोजन भी अच्छे से स्वादिष्ट लगता है भोजन करने से पूर्व गाय कुत्ते या कवि है भोजन को थोड़ा सा निकाल देना चाहिए। भोजन को सभी के साथ बैठकर खाने से परिवार के सदस्यों में आपसी प्रेम और एकता का नियम कायम होता है इसलिए भोजन सदैव परिवार के लोगों के साथ बैठकर ही करना चाहिए।
2. भोजन का समय
भोजन का सही समय प्रातः और सायं करने का विधान शास्त्रों में है शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय से 2 घंटे बाद तक और सूर्यास्त से ढाई घंटे पहले तक भोजन करना शुभ माना जाता है क्योंकि इस समय जठराग्नि बहुत प्रबल होती है जिससे भोजन सही पच जाता है।
3. भोजन करने की दिशा
भोजन करने की सही दिशा पूर्व या उत्तर होती है अर्थात में सदैव भोजन उत्तर या पूर्व की दिशा में मुंह करके खाना चाहिए कभी भी भूल से भी दक्षिण दिशा की ओर भोजन ना किया जाए तथा पश्चिम दिशा में भोजन करने से शारीरिक कष्ट या रोग होते हैं।
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4. चारपाई पर भोजन ना करें
भोजन कभी भी चारपाई पर बैठकर ना करें कभी भी मल मूत्र की भी भूमि पर कल के माहौल में पीपल या बरगद के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन ना करें भोजन के साथ कभी भी क्रोध लोभ भय रोग या द्वेष भाव नही चाहिए तथा परोसे गए भोजन की कभी चबा चबा कर खाना चाहिए परोसे गए भोजन की निंदा ना करें।