जाने आपकी कुंडली में प्रेम विवाह योग है की नहीं? प्रेम विवाह के उपाय | Kundli mein Prem Vivah yog

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कुंडली में प्रेम विवाह योग | Kundli mein Prem Vivah yog : नमस्कार दोस्तों हार्दिक स्वागत है आपका आज के इस लेख में आज इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों को कुंडली में प्रेम विवाह के योग के विषय में जानकारी देंगे क्योंकि ज्यादातर युवाओं की यह इच्छा होती है.

कि उन्हें उनकी पसंद का जीवन साथी मिले लेकिन कई बार कुंडली में ग्रहों की अशुभ स्थिति की वजह से प्रेम विवाह योग प्रभावित हो जाता है जिसकी वजह से वह अपने मनपसंद के जीवनसाथी को पाने में समर्थ नहीं होते है इसीलिए आज इस लेख में हम आप लोगों को बताएंगे.प्रेम विवाह किसे कहते हैं, Prem Vivah kise kahate Hain, कुंडली में प्रेम विवाह योग, kundli mein Prem Vivah yog, कुंडली में प्रेम विवाह योग कैसे बनता है , Kundli mein Prem Vivah yog kaise banta hai, कुंडली में प्रेम विवाह योग ना होने के कारण, Kundli Mein Prem Vivah ke Lakshan , Prem Vivah kaise karen , प्रेम विवाह कब करना चाहिए , Kundli Mein Prem Rog laane ka tarika, शुक्र ग्रह का पूजन के उपाय, kundli mein Prem Vivah yog na hone ke Karan, कुंडली में प्रेम विवाह योग लाने का उपाय, kundli mein Prem Vivah yog laane ke upay,

कि कुंडली में प्रेम विवाह का योग कैसे आता है और वह कौन से कारण हैं जिनकी वजह से कुंडली में प्रेम विवाह का योग प्रभावित होता है इसके साथ ही इस लेख में हम आप लोगों को यह भी बताएंगे कि वे कौन से उपाय हैं जिनका प्रयोग करके कुंडली में प्रेम विवाह के योग को वापस लाया जा सकता है अगर आप में से कोई व्यक्ति प्रेम विवाह करना चाहता है तो हमने इस लेख में प्रेम विवाह योग के विषय में समस्त जानकारी दी है जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे द्वारा दिए गए इस लेख को ध्यान पूर्वक अंतर अवश्य पढ़ें.

प्रेम विवाह किसे कहते हैं ? | Prem Vivah kise kahate Hain ?

प्रेम विवाह एक ऐसा विवाह होता है जो दो जोड़े द्वारा अपने माता पिता की सहमति या फिर उनकी बिना सहमति के भी किया जाता है आज के वर्तमान समय में प्रेम विवाह का प्रचलन काफी तीव्र गति से हो रहा है ज्यादातर युवाओं की यह इच्छा होती है कि उन्हें अपनी मनपसंद का जीवन साथी मिले जिससे वह अपना सुख दुख बांट सके इसीलिए आज के नव युवा प्रेम विवाह को अत्यधिक पसंद करते हैं प्रेम विवाह को अंग्रेजी में लव मैरिज के नाम से जानते हैं.

प्रेम विवाह में आमतौर पर लड़का लड़की की मर्जी शामिल होती है यह विवाह अन्य लोगों की सहमति के बगैर भी संपन्न किया जाता है जब कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका से प्यार करने के बाद शादी कर लेता है तो ऐसे विवाह को प्रेम विवाह के नाम से जानते हैं वैसे तो हिंदू धर्म में प्राचीन काल में अनेक प्रकार के विवाह प्रचलित थे.

लेकिन आज के समय में अन्य विवाह की तुलना में प्रेम विवाह ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस विवाह में लड़का लड़की अपने मनपसंद के प्रेमी से विवाह करते हैं यही वजह है कि आजकल प्रेम विवाह का प्रचलन बहुत ही लोकप्रिय हो गया है.

कुंडली में प्रेम विवाह योग | Kundli mein Prem Vivah yog

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की स्थिति व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है ऐसा कहा जाता है की कुंडली में ग्रहों की वजह से ही प्रेम योग का निर्माण होता है ज्योतिष शास्त्र में कुंडली में ग्रहों की स्थिति का महत्व बताते हुए कहा गया है कि ग्रहों की स्थिति की वजह से ही व्यक्ति का जीवन बदलता रहता है कुंडली में ग्रहों की स्थिति के कारण ही व्यक्ति का सामाजिक आर्थिक एवं वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है प्राचीन ग्रंथो के अनुसार ऐसा माना जाता है.marriage

कि कुंडली में ग्रहों की वजह से ही जातक का प्रेम योग भी प्रभावित होता है अगर किसी जातक की कुंडली में प्रेम का योग बनता है तो उस व्यक्ति को अपना प्यार मिलता है लेकिन जब किसी व्यक्ति की कुंडली में प्रेम का योग नहीं होता है या फिर प्रेम का योग कमजोर होता है.

तो ऐसे व्यक्तियों के लिए प्रेम पाना मुश्किल हो जाता है तो आइए आज इस लेख के माध्यम से जानने का प्रयास करते हैं कि आपकी कुंडली में प्रेम का योग है या नहीं आखिर कुंडली में प्रेम का योग किन कारणों की वजह से होता है और ऐसे कौन से व्यक्ति हैं जिनकी कुंडली में प्रेम का योग नहीं है.

कुंडली में प्रेम विवाह योग कैसे बनता है ? | Kundli mein Prem Vivah yog kaise banta hai ?

जब हम किसी व्यक्ति से प्यार करते हैं तो हमारे मन में यह इच्छा होती है कि वही व्यक्ति हमारा जीवन साथी बने ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की युक्ति हमें इस बात का स्पष्ट संदेश दे सकती है तो चलिए दोस्तों आज जानते हैं कुंडली में ग्रहों की वजह से बनने वाले योग एवं परिवर्तन के बारे में जिनके कारण व्यक्ति के जीवन में प्रेम विवाह का योग आता है.

1. शुक्र ग्रह एवं चंद्रमा

शुक्र ग्रह को प्रेम एवं रोमांस का ग्रह कहा जाता है जब किसी जातक की कुंडली में शुक्र का संबंध पंचम भाव सप्तम भाव एकादश भाव एवं लग्न भाव से होता है तब उस समय वह व्यक्ति प्रेम की ओर अग्रसर होता है जिसके कारण उसका किसी मनचाहे व्यक्ति की ओर आकर्षण होना स्वाभाविक है.

शुक्र ग्रह

  1. जब शुक्र ग्रह एवं चंद्रमा एक दूसरे के साथ होकर एक दूसरे को दृष्टिगोचर करते हैं तब जातक की कुंडली में प्रेम विवाह का योग होता है.
  2. जब किसी व्यक्ति की कुंडली में पंचम भाव एवं नवम भाव का संबंध एक-दूसरे से हो तो उस समय उस व्यक्ति के जीवन में प्रेम विवाह की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं.
  3. जब किसी व्यक्ति की कुंडली में इस तरह के भाव मौजूद रहते हैं तो ऐसा व्यक्ति अपने प्यार का हमेशा के लिए हो जाता है.
  4. इस तरह हम निश्चित रूप से यह कह सकते हैं कि किसी व्यक्ति की कुंडली में पंचम भाव, सप्तम भाव ,एकादश भाव, शुक्र, चंद्रमा एवं मंगल ग्रह का प्रभाव जातकों को प्रेम विवाह की ओर अग्रसर करता है.

2. पंचम सप्तम एवं एकादश भाव

कुंडली में जब राहु एवं शुक्र ग्रह एक दूसरे के साथ होते हैं तो विशेषकर पंचम सप्तम एवं एकादश भाव उत्पन्न होने के कारण प्रेम विवाह की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं ऐसी स्थिति में जातक की कुंडली में प्रेम विवाह का योग भी हो सकता है.

लग्न एवं सप्तम भाव के साथ मंगल ग्रह एवं शुक्र ग्रह की स्थिति कुंडली में प्रेम विवाह के योग को जन्म दे सकती है. अगर किसी जातक की कुंडली में पंचम एवं सप्तम भाव का योग अच्छी तरीके से बना हुआ है उस पर किसी भी ग्रह का दुष्प्रभाव नहीं है तो ऐसे जातकों की कुंडली में प्रेम विवाह का योग जरूर होता है.

3. राहु एवं शुक्र ग्रह

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जिस जातक की कुंडली में राहु एवं शुक्र ग्रह की स्थिति परिपूर्ण तरीके से उचित होती है उस जातक की कुंडली में प्रेम विवाह का योग अवश्य होता है.

अगर कोई व्यक्ति ऐसा है जिसकी कुंडली में मंगल और शुक्र ग्रह की स्थिति अच्छी है तो मंगल एवं शुक्र ग्रह की वजह से उस व्यक्ति का दूसरे लोगों की तरफ आकर्षण बढ़ने लगता है जिसके कारण उसकी कुंडली में प्रेम विवाह का योग पैदा हो सकता है क्योंकि शुक्र ग्रह प्रेम और रोमांस के लिए बहुत महत्वपूर्ण ग्रह है इस ग्रह को प्रेम ग्रह के नाम से भी जानते हैं.

जिस तरह मंगल ग्रह ऊर्जा प्रदान करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है उसी तरह से प्रेम विवाह के योग एवं प्रेम को कायम रखने के लिए शुक्र ग्रह का भी अपना अलग महत्व है क्योंकि इस ग्रह की वजह से ही कुंडली में प्रेम विवाह का योग आता है.

कुंडली में प्रेम विवाह योग ना होने के कारण | Kundli mein Prem Vivah yog na hone ke Karan

जहां तक हम जानते हैं प्यार का साक्षी होना एवं प्यार की सफलता का अनुभव कर पाना बहुत ही मुश्किल कार्य होता है कई बार ऐसा देखा जाता है कि जब किसी व्यक्ति की शादी उसके मनपसंद के जीवनसाथी से हो जाती है लेकिन बाद में कुछ कारणवश उन लोगों को एक दूसरे के साथ रहने में समस्या होने लगती हैं तो आइए दोस्तों जानते हैं कि कुंडली में ऐसी कौन सी स्थितियां उत्पन्न होती हैं जिनके कारण प्रेम विवाह का योग विफल होने लगता है.

1. शुक्र ग्रह की अशुभ स्थिति

किसी भी व्यक्ति की कुंडली में प्रेम विवाह का योग शुक्र ग्रह की वजह से ही आता है जब जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति अशुभ हो जाती है तो ऐसे में उस व्यक्ति की कुंडली में प्रेम विवाह का योग प्रभावित होता है एवं जिस व्यक्ति का प्रेम विवाह हो चुका है उस व्यक्ति के प्रेम विवाह में भी उस समय परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं

कुंडली में प्रेम विवाह योग होने के पीछे पंचम भाव सप्तम भाव एकादश भाव का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है जब किसी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति तो ठीक रहती है लेकिन सभी भाव पर ग्रहों का अशुभ प्रभाव छाया रहता है तो उस समय जातक की कुंडली में प्रेम विवाह का योग नहीं बनता है और जिन लोगों का प्रेम विवाह हो चुका है उस समय उन लोगों के प्रेम विवाह में भी बाधाएं उत्पन्न होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

2. पंचम भाव का अपने स्थान से अलग होना

जब किसी जातक की कुंडली का पंचम भाव अपने स्थान से विचलित होकर अष्टम भाव में जाकर बैठ जाता है तो उस समय व्यक्ति को प्रेम विवाह में धोखा मिलने की संभावना रहती है ऐसा कहा जाता है की पूर्व जन्म के कारण भी प्रेम विवाह में समस्याएं आती हैं लेकिन कुछ हद तक यह तर्क संतुष्टि पूर्ण नहीं है.

कई बार ऐसा होता है की दो प्रेमी का प्रेम विवाह तो हो जाता है लेकिन उन्हें अपने प्रेमी से सुख नहीं प्राप्त होता इसीलिए प्रेम विवाह करने से पहले कुंडली में ग्रहों की स्थिति को अच्छे से जान लेना चाहिए.

3. शुक्र ग्रह छठे और आठवें भाव में

जब किसी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह छठवें, आठवें, एकादश , एवम लग्न भाव में होता है तो उस समय उस व्यक्ति की कुंडली में प्रेम का योग तो होता है लेकिन प्रेम विवाह की संभावनाएं नहीं रहती हैं.

ऐसे जातकों का अगर किसी तरह से करके प्रेम विवाह संपन्न हो जाता है तो बाद में उनके प्रेम विवाह में अड़चनें आने लगती हैं कुंडली में प्रेम विवाह का योग होने के लिए पंचम सत्तम एकादश लग्न भाव का सही जगह पर मौजूद होना बहुत जरूरी होता है क्योंकि शुक्र ग्रह और इन्हीं भाव की वजह से ही कुंडली में प्रेम विवाह का योग आता है.

कुंडली में प्रेम विवाह योग लाने का उपाय | Kundli mein Prem Vivah yog laane ke upay

अगर कोई व्यक्ति ऐसा है जो अपनी मनपसंद के प्रेमी से प्रेम विवाह करना चाहता है लेकिन उसकी कुंडली में प्रेमका योग ना होने की वजह से उसे अपने प्रेम को पाने में अनेक प्रकार की अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है तो इसके लिए आज इस लेख में हम आप लोगों को ऐसे उपायों के विषय में जानकारी देंगे जिनको करके आप अपने प्रेम विवाह योग को लाने में सक्षम होंगे अगर आप हमारे द्वारा दिए गए उपायों को अपनाएंगे तो आपको निश्चित है कि आपके पसंद का जीवनसाथी मिलेगा.marriage

1. शुक्र ग्रह का पूजन के उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि लोगों की कुंडली में प्रेम विवाह एवं प्रेम का योग शुक्र ग्रह की वजह से ही आता है क्योंकि कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही लोगों का जीवन परिवर्तित होता रहता है जब किसी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति सुदृढ़ होती है तो उस समय तो उसके जीवन में प्रेम का योग अच्छा होता है.

लेकिन अगर किसी कारण उस व्यक्ति के जीवन में शुक्र ग्रह की स्थिति अशुभ हो जाए तो उस व्यक्ति की कुंडली में प्रेम के योग में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं शुक्र ग्रह प्रेम एवं रोमांस का ग्रह है जिन लोगों की कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति अशुभ चल रही है.

उन्हें कुंडली में प्रेम विवाह योग को बनाने के लिए शुक्र ग्रह का विधि विधान के साथ पूजन करके शुक्र ग्रह को मनाने का प्रयास करना चाहिए कोई भी व्यक्ति शुक्र ग्रह को प्रसन्न करके प्रेम विवाह के योग को अपनी कुंडली में वापस ला सकता है.

2. सोमवार पूजन का उपाय

शास्त्रों में भगवान शिव को सोमवार का दिन समर्पित किया गया है और ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव मनवांछित जीवनसाथी प्रदान करते हैं इसीलिए अगर कोई जातक ऐसा है जिसके प्रेम विवाह में अड़चनें आ रही हैं तो उसे प्रेम विवाह के योग को सफल बनाने के लिए सोमवार के दिन भगवान शिव जी का विधि विधान के साथ पूजन करना चाहिए.

शिवजी की पूजा का सावन के सोमवार के दिनों में विशेष महत्व होता है इसीलिए प्रेम विवाह में चल रही समस्याओं को दूर करने के लिए भगवान शिव जी का सावन के महीने में उचित विधि अनुसार पूजन करें ऐसा करके आप अपने प्रेम विवाह के योग को अच्छा बना सकते हैं.

3. कृष्ण पूजन का उपाय

जहां तक हमें पता है आप लोग यह तो जानते ही होंगे कि भगवान कृष्ण प्रेम के स्वामी हैं उन्होंने साक्षात राधा जी से प्रेम किया था इसीलिए अगर किसी जातक की कुंडली में प्रेम विवाह का योग नहीं है तो वह अपनी कुंडली में प्रेम विवाह के योग को लाने के लिए भगवान कृष्ण का पूजन कर सकता है शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है.

कि जो व्यक्ति नियमित रूप से भगवान कृष्ण राधा रानी जी का साथ में शास्त्रों में बताई गई विधि के अनुसार पूजा-अर्चना करता है तो उसके जीवन में आने वाली समस्त परेशानियां दूर हो जाती हैं यदि कोई व्यक्ति अपनी कुंडली में प्रेम विवाह के योग को सफल बनाना चाहता है तो उसे भगवान कृष्ण जी के मंदिर में जाकर राधा रानी एवं भगवान कृष्ण जी को बांसुरी के साथ दान अर्पित करना चाहिए ऐसा करने से प्रेम का योग प्राप्त होता है.

FAQ: कुंडली में प्रेम विवाह योग

दोस्तों जैसा कि आज इस लेख के माध्यम से हमने आप लोगों को कुंडली में प्रेम विवाह योग के विषय में जानकारी दी है इस लेख में हमने आप लोगों को बताया प्रेम विवाह किसे कहते हैं कुंडली में प्रेम विवाह योग कैसे आता है और प्रेम विवाह योग कुंडली में ना होने का क्या कारण होता है इसके विषय में हमने आप लोगों को इस लेख में जानकारी दी है.

इसके अलावा इस लेख में हमने आप लोगों को यह भी बताया कि कुंडली में प्रेम विवाह का योग कौन से उपाय करके लाया जा सकता है अगर आपने हमारे द्वारा दिए गए इस लेख को अच्छे से पढ़ा होगा तो आपको कुंडली में प्रेम विवाह योग के विषय में समस्त जानकारी प्राप्त हो गई होगी हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आप लोगों को पसंद आई होगी और निश्चित ही आप लोगों के लिए फायदेमंद साबित हुई होगी.

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