श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली : लक्ष्मी जी के 108 नाम एवं जाप विधि और लाभ | lakshmi ashtottara shatanamavali

लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली | lakshmi ashtottara shatanamavali : हेलो दोस्तों नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से lakshmi ashtottara shatanamavali के बारे में बताने वाले हैं यह स्त्रोत माता लक्ष्मी को समर्पित किया गया है जिस प्रकार सप्ताह के सभी दिन किसी ना किसी आपको समर्पित किए गए हैं.

उसी प्रकार माता लक्ष्मी को बुधवार का दिन समर्पित किया गया है बुधवार के दिन माता लक्ष्मी की विधि विधान पूर्वक पूजा करने से माता लक्ष्मी जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं माता लक्ष्मी को सभी देवी देवताओं में पूजनीय माना जाता है किन की पूजा करने से धन और वैभव की प्राप्ति होती है और घर में आर्थिक आर्थिक तंगी दूर हो जाएगी ।

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इस स्त्रोत का पाठ करने से घर का वातावरण प्रसन्नता से भरा रहता है। मां लक्ष्मी के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा करते हैं लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि उसी पूजा में आप अगर lakshmi ashtottara shatanamavali का पाठ करेंगे तो आपको मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी इसीलिए आज हम आपको इस लेख के माध्यम से lakshmi ashtottara shatanamavali के बारे में बताएंगे.

इसके अलावा lakshmi ashtottara shatanamavali स्त्रोत के बारे में बताएंगे और इस स्त्रोत का पाठ करने की विधि क्या है और इनके कौन से फायदे हैं इसके बारे में भी जानकारी देंगे अगर आप इन सभी विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी चाहते हैं तो हमारे इस लेख को अवश्य पढ़ें ।

लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली : लक्ष्मी जी के 108 नाम | lakshmi ashtottara shatanamavali

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माता लक्ष्मी के 108 नाम बहुत ही प्रसिद्ध है अगर आप में से कोई भी लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ करेंगे तो आपको ज्यादा लाभ प्राप्त होगा।

वन्दे पद्ममकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां, हस्ताभ्या-अभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम ।

भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहर-ब्रह्मादिभि: सेवितां, पाश्र्वे पंकज-शंख-पद्म-निधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभि:।।

सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुक-गन्ध-माल्य-शोभे ।

भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे।

त्रिभुवन-भूतिकरि प्रसीद मह्यम।।

  1. ऊँ प्रकृत्यै नम:।
  2. ऊँ विकृत्यै नम:।
  3. ऊँ विद्यायै नम:।
  4. ऊँ सर्वभूत-हितप्रदायै नम:।
  5. ऊँ श्रद्धायै नम:।
  6. ऊँ विभूत्यै नम:।
  7. ऊँ सुरभ्यै नम:।
  8. ऊँ परमात्मिकायै नम:।
  9. ऊँ वाचे नम:।
  10. ऊँ पद्मालयायै नम:।
  11. ऊँ पद्मायै नमः।
  12. ऊँ शुचय़ै नमः।
  13. ऊँ स्वाहायै नमः।
  14. ऊँ स्वधायै नमः।
  15. ऊँ सुधायै नमः।
  16. ऊँ धन्यायै नमः।
  17. ऊँ हिरण्मयै नमः।
  18. ऊँ लक्ष्म्यै नमः।
  19. ऊँ नित्यपुष्टायै नमः।
  20. ऊँ विभावर्यै नमः।
  21. ऊँ अदित्यै नमः।
  22. ऊँ दित्यै नमः।
  23. ऊँ दीप्तायै नमः।
  24. ऊँ वसुधायै नमः।
  25. ऊँ वसुधारिण्यै नमः।
  26. ऊँ कमलायै नमः।
  27. ऊँ कान्तायै नमः।
  28. ऊँ कामाक्ष्यै नमः।
  29. ऊँ क्रोधसंभवायै नमः।
  30. ऊँ अनुग्रहप्रदायै नमः।
  31. ऊँ बुद्धयै नमः।
  32. ऊँ अनघायै नमः।
  33. ऊँ हरिवल्लभायै नमः।
  34. ऊँ अशोकायै नमः।
  35. ऊँ अमृतायै नमः।
  36. ऊँ दीप्तायै नमः।
  37. ऊँ लोकशोकविनाशिन्यै नमः।
  38. ऊँ धर्म-निलयायै नमः।
  39. ऊँ करुणायै नमः।
  40. ऊँ लोकमात्रे नमः।
  41. ऊँ पद्मप्रियायै नमः।
  42. ऊँ पद्महस्तायै नमः।
  43. ऊँ पद्माक्ष्यै नमः।
  44. ऊँ पद्मसुन्दर्यै नमः।
  45. ऊँ पद्मोद्भवायै नमः।
  46. ऊँ पद्ममुख्यै नमः।
  47. ऊँ पद्मनाभप्रियायै नमः।
  48. ऊँ रमायै नमः।
  49. ऊँ पद्ममालाधरायै नमः।
  50. ऊँ देव्यै नमः।
  51. ऊँ पद्मिन्यै नमः।
  52. ऊँ पद्मगन्धिन्यै नमः।
  53. ऊँ पुण्यगन्धायै नमः।
  54. ऊँ सुप्रसन्नायै नमः।
  55. ऊँ प्रसादाभिमुख्यै नमः।
  56. ऊँ प्रभायै नमः।
  57. ऊँ चन्द्रवदनायै नमः।
  58. ऊँ चन्द्रायै नमः।
  59. ऊँ चन्द्रसहोदर्यै नमः।
  60. ऊँ चतुर्भुजायै नमः।
  61. ऊँ चन्द्ररूपायै नमः।
  62. ऊँ इन्दिरायै नमः।
  63. ऊँ इन्दुशीतलायै नमः।
  64. ऊँ अह्लादजनन्यै नमः।
  65. ऊँ पुष्टयै नमः।
  66. ऊँ शिवायै नमः।
  67. ऊँ शिवकर्यै नमः।
  68. ऊँ सत्यै नमः।
  69. ऊँ विमलायै नमः।
  70. ऊँ विश्वजनन्यै नमः।
  71. ऊँ तुष्टयै नमः।
  72. ऊँ दारिद्र्यनाशिन्यै नमः।
  73. ऊँ प्रीतिपुष्करिण्यै नमः।
  74. ऊँ शान्तायै नमः।
  75. ऊँ शुक्लमाल्यांबरायै नमः।
  76. ऊँ श्रियै नमः।
  77. ऊँ भास्कर्यै नमः।
  78. ऊँ बिल्वनिलयायै नमः।
  79. ऊँ वरारोहायै नमः।
  80. ऊँ यशस्विन्यै नमः।
  81. ऊँ वसुन्धरायै नमः।
  82. ऊँ उदारांगायै नमः।
  83. ऊँ हरिण्यै नमः।
  84. ऊँ हेममालिन्यै नमः।
  85. ऊँ धनधान्य-कर्ये नमः।
  86. ऊँ सिद्धयै नमः।
  87. ऊँ स्त्रैणसौम्यायै नमः।
  88. ऊँ शुभप्रदायै नमः।
  89. ऊँ नृपवेश्मगतानन्दायै नमः।
  90. ऊँ वरलक्ष्म्यै नमः।
  91. ऊँ वसुप्रदायै नमः।
  92. ऊँ शुभायै नमः।
  93. ऊँ हिरण्यप्राकारायै नमः।
  94. ऊँ समुद्रतनयायै नमः।
  95. ऊँ जयायै नमः।
  96. ऊँ मंगलादेव्यै नमः।
  97. ऊँ विष्णुवक्षस्थलस्थितायै नमः।
  98. ऊँ विष्णुपत्न्यै नमः।
  99. ऊँ प्रसन्नाक्ष्यै नमः।
  100. ऊँ नारायणसमाश्रितायै नमः।
  101. ऊँ दारिद्र्यध्वंसिन्यै नमः।
  102. ऊँ देव्यै नमः।
  103. ऊँ सर्वोपद्रव-वारिण्यै नमः।
  104. ऊँ नवदुर्गायै नमः।
  105. ऊँ महाकाल्यै नमः।
  106. ऊँ ब्रह्माविष्णु-शिवात्मिकायै नमः।
  107. ऊँ त्रिकालज्ञान-संपन्नायै नमः।
  108. ऊँ भुवनेश्वर्यै नमः।

संपूर्ण लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली स्त्रोत | lakshmi ashtottara shatanamavali stotra

माता लक्ष्मी को सभी देवियों में सबसे श्रेष्ठ देवी माना जाता है क्योंकि सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने में सक्षम है माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन और सुख , वैभव प्राप्त होता है ऐसा कहा जाता है कि श्री दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का पाठ करने से माता रानी जल्द प्रसन्न हो जाती हैं.

Lakshmi

अगर आपने कभी भी मां दुर्गा की पूजा की होगी तो आपको दुर्गा सप्तशती के बारे में अवश्य ही जानकारी होगी दुर्गा सप्तशती के मंगलाचरण मंत्रों में से एक मंत्र दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र भी है इसमें मां दुर्गा के 108 नाम के बारे में बताया गया है मां दुर्गा के 108 नामों का वर्णन करते हुए भगवान शिव ने कहा है.

कि अगर दुर्गा या फिर सती को इन नामों से जोड़ा जाए तो हर एक मनोकामना पूर्ण हो सकती है तो चलिए अब हम आपको दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के बारे में जानकारी देते हैं ताकि आप इस स्त्रोत का प्रयोग करके काफी सारे लाभ उठा पाए।

दॆव्युवाच

देवदेव महादेव त्रिकालज्ञ महेश्वर।

करुणाकर देवेश भक्तानुग्रहकारक॥१॥
अष्टोत्तरशतं लक्ष्म्याः श्रोतुमिच्छामि तत्त्वतः॥

ईश्वर उवाच

देवि साधु महाभागे महाभाग्यप्रदायकम्।
सर्वैश्वर्यकरं पुण्यं सर्वपापप्रणाशनम्॥२॥
सर्वदारिद्र्यशमनं श्रवणाद्भुक्तिमुक्तिदम्।
राजवश्यकरं दिव्यं गुह्याद्गुह्यतमं परम्॥३॥
दुर्लभं सर्वदेवानां चतुःषष्टिकलास्पदम्।
पद्मादीनां वरान्तानां विधीनां नित्यदायकम्॥४॥
समस्तदेवसंसेव्यमणिमाद्यष्टसिद्धिदम्।
किमत्र बहुनोक्तेन देवी प्रत्यक्षदायकम्॥५॥
तव प्रीत्याद्य वक्ष्यामि समाहितमनाः शृणुम्।
अष्टोत्तरशतस्यास्य महालक्ष्मीस्तु देवता॥६॥
क्लीम्बीजपदमित्युक्तं शक्तिस्तु भुवनेश्वरी।
अङ्गन्यासः करन्यासः स इत्यादिः प्रकीर्तितः॥७॥

ध्यानम्

वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदाम्ह स्ताभ्यामभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम्।
भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिः सेविताम्पा र्श्वे पङ्कजशङ्खपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः॥
सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतमांशुकगन्धमाल्यशोभे।

भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्॥

स्तोत्रम्

प्रकृतिं विकृतिं विद्यां सर्वभूतहितप्रदाम्।

श्रद्धां विभूतिं सुरभिं नमामि परमात्मिकाम्॥१॥
वाचं पद्मालयां पद्मां शुचिं स्वाहां स्वधां सुधाम्।

धन्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं नित्यपुष्टां विभावरीम्॥२॥

अदितिं च दितिं दीप्तां वसुधां वसुधारिणीम्।

नमामि कमलां कान्तां कामां क्षीरोदसम्भवाम्॥३॥
अनुग्रहपदां बुद्धिमनघां हरिवल्लभाम्।

अशोकाममृतां दीप्तां लोकशोकविनाशिनीम्॥४॥
नमामि धर्मनिलयां करुणां लोकमातरम्।

पद्मप्रियां पद्महस्तां पद्माक्षीं पद्मसुन्दरीम्॥५॥
पद्मोद्भवां पद्ममुखीं पद्मनाभप्रियां रमाम्।

पद्ममालाधरां देवीं पद्मिनीं पद्मगन्धिनीम्॥६॥

पुण्यगन्धां सुप्रसन्नां प्रसादाभिमुखीं प्रभाम्।

नमामि चन्द्रवदनां चन्द्रां चन्द्रसहोदरीम्॥७॥
चतुर्भुजां चन्द्ररूपामिन्दिरामिन्दुशीतलाम्।

आह्लादजननीं पुष्टिं शिवां शिवकरीं सतीम्॥८॥

विमलां विश्वजननीं तुष्टिं दारिद्र्यनाशिनीम्।

प्रीतिपुष्करिणीं शान्तां शुक्लमाल्याम्बरां श्रियम्॥९॥
भास्करीं बिल्वनिलयां वरारोहां यशस्विनीम्।

वसुन्धरामुदाराङ्गां हरिणीं हेममालिनीम्॥१०॥

धनधान्यकरीं सिद्धिं सदा सौम्यां शुभप्रदाम्।

नृपवेश्मगतानन्दां वरलक्ष्मीं वसुप्रदाम्॥११॥
शुभां हिरण्यप्राकारां समुद्रतनयां जयाम्।

नमामि मङ्गलां देवीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम्॥१२॥

विष्णुपत्नीं प्रसन्नाक्षीं नारायणसमाश्रिताम्।

दारिद्र्यध्वंसिनीं देवीं सर्वोपद्रवहारिणीम्॥१३॥
नवदुर्गां महाकालीं ब्रह्मविष्णुशिवात्मिकाम्।

त्रिकालज्ञानसम्पन्नां नमामि भुवनेश्वरीम्॥१४॥

लक्ष्मीं क्षीरसमुद्रराजतनयां श्रीरङ्गधामेश्वरीं दासीभूतसमस्तदेववनितां लोकैकदीपाङ्कुराम्।
श्रीमन्मन्दकटाक्षलब्धविभवब्रह्मेन्द्रगङ्गाधराम्त्वां त्रैलोक्यकुटुम्बिनीं सरसिजां वन्दे मुकुन्दप्रियाम्॥१५॥

मातर्नमामि कमले कमलायताक्षि श्रीविष्णुहृत्कमलवासिनि विश्वमातः।
क्षीरोदजे कमलकोमलगर्भगौरि लक्ष्मि प्रसीद सततं नमतां शरण्ये॥१६॥
त्रिकालं यो जपेद्विद्वान् षण्मासं विजितेन्द्रियः।

दारिद्र्यध्वंसनं कृत्वा सर्वमाप्नोत्ययत्नतः॥१७॥
देवीनामसहस्रेषु पुण्यमष्टोत्तरं शतम्।

येन श्रियमवाप्नोति कोटिजन्मदरिद्रितः॥१८॥
भृगुवारे शतं धीमान् पठेद्वत्सरमात्रकम्।

अष्टैश्वर्यमवाप्नोति कुबेर इव भूतले॥१९॥

दारिद्र्यमोचनं नाम स्तोत्रमम्बापरं शतम्।

येन श्रियमवाप्नोति कोटिजन्मदरिद्रितः॥२०॥
भुक्त्वा तु विपुलान् भोगानस्याः सायुज्यमाप्नुयात्।

प्रातःकाले पठेन्नित्यं सर्वदुःखोपशान्तये॥२१॥

पठंस्तु चिन्तयेद्देवीं सर्वाभरणभूषिताम्॥

॥इति श्रीलक्ष्म्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥

लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्‌ का पाठ करने की विधि | lakshmi ashtottara shatanamavali ka path karne ki vidhi

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति माता लक्ष्मी के लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनाम का जाप करना चाहता है या फिर लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्‌ का जाप करना चाहता है तो उस व्यक्ति को इस स्त्रोत और नामों का जाप करने की विधि के बारे में जानकारी होनी चाहिए। तो चलिए अब हम आपको लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनाम और लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्‌ का जाप करने के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।

Ganesh Lakshmi

  1. लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनाम और लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्‌ का जाप करने के लिए प्रातः काल उठकर स्नान आदि से निश्चिंत हो जाए।
  2. उसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  3. उसके पश्चात अपने घर के मंदिर में जाकर मां लक्ष्मी की तस्वीर के सामने बैठे।
  4. उसके बाद मां लक्ष्मी की तस्वीर के सामने दीपक जलाएं और उनकी तस्वीर पर जल का छिड़काव करें।
  5. फिर माता रानी को रोली चावल का तिलक लगाएं और उनके मनपसंद खाने या फल का भोग लगाएं।
  6. उसके बाद ही लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनाम और लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्‌ का जाप प्रारंभ करें ।
  7. इस स्त्रोत का पाठ करने से शीघ्र ही माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ करने के लाभ | lakshmi ashtottara shatanamavali ka path karne ke labh

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  1. अगर आप मुझसे कोई भी व्यक्ति लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली का नियमित पाठ करता है तो उस व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती हैं।
  2. अगर आप अपने जीवन में धन जैसी समस्याओं से अधिक परेशान है और आप उस चीज से बाहर निकलना चाहते हैं तो आपको ऐसे में लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ करना चाहिए इसका पाठ करने से धन संबंधित सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

FAQ : lakshmi ashtottara shatanamavali

महालक्ष्मी का मंत्र कौन सा है ?

ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।

ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा।

लक्ष्मी जी का बीज मंत्र क्या है ?

यह मंत्र माता लक्ष्मी का बीज मंत्र है इस मंत्र का जाप करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं और धन से संबंधित समस्याएं दूर हो जाती हैं जिस समय आप इस मंत्र का जाप कर रहे होते हैं उस समय आपको कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जाप करना है।

ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः:।।

 

लक्ष्मी का दूसरा नाम क्या है?

शास्त्रों के मुताबिक कहा गया है कि माता लक्ष्मी का दूसरा नाम नंदिका है नंदी का नाम का मतलब सुखी और प्रसन्न है।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम lakshmi ashtottara shatanamavali के बारे में बताया इसके अलावा श्री लक्ष्मी अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्‌ का पाठ करने की विधि और लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ करने के लाभ के बारे में जानकारी दें अगर आपने हमारे स्लिप को अच्छे से पढ़ा है तो आपको इन सभी विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।

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