संपूर्ण महाकाली धन प्राप्ति मंत्र एवं कष्ट निवारण मंत्र विधि और लाभ | महाकाली धन प्राप्ति मंत्र : Maa kali dhan prapti mantra

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महाकाली धन प्राप्ति मंत्र | Mahakali dhan prapti mantra : हेलो दोस्तों नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से महाकाली धन प्राप्ति मंत्र बताने वाले हैं वैसे तो मां काली को सभी देवियों में से सबसे ज्यादा शक्तिशाली देवी माना जाता है  काली मां के नाम से हमारे जीवन की काफी सारी समस्याएं दूर हो जाती है अगर आप लोगों को मां काली का स्मरण करते हैं.

तो आपके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं लेकिन आपको इसके लिए मां काली को प्रसन्न करना पड़ेगा लेकिन अगर आप यह जानना चाहते हैं कि महाकाली धन प्राप्ति का मंत्र कौन सा है तो हम बता दे आपको कि जब तक आप मां काली को प्रसन्न नहीं कर पाएंगे तब तक आप किसी भी चीज को नहीं पा सकते हैं.

महाकाली धन प्राप्ति मंत्र

इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से मां काली को प्रसन्न करने का मंत्र उसके बाद महाकाली धन प्राप्ति मंत्र के बारे में बताने वाले हैं और मां काली के टोटके ही बताएंगे अगर आप लोग इन सब विषयों की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें ताकि आप लोगों को इसकी सपोर्ट में जानकारी प्राप्त हो सके और आप महाकाली धन प्राप्ति का मंत्र पता कर सके और उसकी विधि क्या है यह भी जान सके।

महाकाली धन प्राप्ति मंत्र | Mahakali dhan prapti mantra

अगर आप लोग महाकाली धन प्राप्ति मंत्र जाप करना चाहते हैं या फिर साधना करना चाहते हैं तो महाकाली धन प्राप्ति मंत्र की साधना करने के लिए आपको शुक्ल पक्ष के मंगलवार के दिन आप इस साधना को शुरू कर सकते हैं या फिर 1 वर्ष में चार नवरात्रि आती हैं.

आप किसी भी नवरात्रि में इस साधना को नवरात्रि के पहले दिन से ही शुरु कर सकते हैं इस साधना को शुरू करने से पहले आपको स्नानादि से निश्चिंत हो जाना है उसके बाद लाल रंग के वस्त्र धारण करना है और लाल रंग के आसन पर बैठ जाना है आसन पर बैठते समय आपको उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना है.

आपके सामने मां काली की मूर्ति होनी चाहिए या फिर आप उसी समय भी स्थापित कर सकते हैं इस साधना को करने के लिए आप रुद्राक्ष की माला या फिर कालेहकीक की माला , लाल चंदन की माला से का प्रयोग भी कर सकते हैं अब आपको मां काली की तस्वीर के सामने लाल रंग के आसन पर बैठ जाना है.

मां काली की तस्वीर के सामने एक दीपक जलाना है और उस दीपक की बत्ती कलावे की होनी चाहिए और उस दीपक के नीचे आपको थोड़े से चावल रख देना है उसके बाद आपको मां काली के सामने धूपबत्ती लगाना है उसके बाद आप को भोग लगाना है.

महाकाली

भोग में आप मिठाई या फिर बतासे किसी भी चीज का भोग लगा सकते हैं जितने भी दिन आप इस पूजा का संकल्प लेंगे इतने दिन आपको यह सारी पूजा करनी है और माता रानी को भोग लगाना है अगर आप लोग मंगलवार से महाकाली का मंत्र जाप शुरू करते हैं तो आपको 41 दिन का संकल्प लेना है.

अगर आप नवरात्रि के दिनों में मां काली का मंत्र जाप करते हैं तो आप 9 दिनों का संकल्प ले सकते हैं अगर आप संकल्प लेकर पूजा शुरु करते हैं तो आपको पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना है उसके बाद आपको रात के समय 9 बजे के बाद इस मंत्र का माला जप करना है.

इसमें आप तीन प्रकार की मालाओं का प्रयोग कर सकते हैं रुद्राक्ष की माला , चंदन की माला , काले हकीक की माला जितनी माला आप पहले दिन जब करते हैं आखरी दिन तक आपको उतने ही माला का जाप करना है।

उसके बाद आपको मां काली के सामने पीतल की थाली या तांबे की थाली रखना है और पंचोपचार की पूजा करनी है और गणेश भगवान की पूजा करनी है अपने गुरु की पूजा करें अगर आपके पास आपका कोई भी गुरु नहीं है तो आप भगवान भोलेनाथ की पूजा भी कर सकते हैं.

फिर मां काली का पंचोपचार पूजन कीजिए और मां काली के सामने लाल रंग के पुष्प अर्पित करें उसके बाद पहले दिन आपको एक माला जाप गणेश भगवान की करनी है ” ओम गं गणपतये नमः “ उसके बाद अपने गुरु की एक माला जाप करनी है.

उसके बाद भगवान भोलेनाथ की एक माला ” ओम नमः शिवाय ” प्रथम दिन और आखिरी दिन आपको गणेश भगवान भोलेनाथ और अपने गुरु की एक माला जाप करनी है उसके बाद आपको महाकाली धन प्राप्ति मंत्र साधना शुरू करनी है।

                  ओम हीम ह्रीं क्रीं परमेश्वरी कालिके स्वाहा।।

मंत्र का आपको जाप करना है प्रतिदिन आपको 11 माला 108 जितने भी आप निकाल पाए उतना आपको जाप करना है।

महाकाली धन प्राप्ति मंत्र के लाभ | Mahakali dhan prapti mantra ke labh

  1. मां काली धन प्राप्ति के इस मंत्र का जाप करने से आप धन की समस्या से छुटकारा पा जाते हैं।
  2. इस मंत्र का जाप करने से आपको जमीन जा जात जैसी समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाता है।
  3. यह मंत्र बहुत ही प्रभावशाली मंत्र है अगर आपकी दुकान किसी ने तंत्र मंत्र के द्वारा बांध दी है तो आप इस मंत्र के द्वारा अपनी दुकान को भी उस बंधन से मुक्त करा सकते हैं।
  4. अगर आप धन कमा रहे हैं और आपको उसमें थोड़ी भी बरकत नहीं हो रही है आप उस धन को बचा नहीं पा रहे हैं तो आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए इस मंत्र के जाप से आप कमाए हुए धन को जुटा कर रख सकते हैं।

मां काली का कष्ट निवारण मंत्र | Maa kaali ki peeda nivarana mantra

आज हम आप लोगों को महाकाली धन प्राप्ति मंत्र के बारे में बताने वाले हैं वैसे तो मां भगवती काली और भगवान शिव को प्रसन्न करने का यह तांत्रिक मंत्र एक बहुत ही गुप्त मंत्र है या मंत्र हर किसी व्यक्ति को नहीं दिया जाता है केवल उन्हीं व्यक्तियों को दिया जाता है.

योग तथा समर्थ शिष्यों को ही गुरु द्वारा प्रदान किया जाता है अगर आप लोग इस मंत्र का प्रयोग करना चाहते हैं तो आपको मां काली के 1000 नामों का उच्चारण करते हुए आवाहन करना होगा इस मंत्र का आवाहन करने से मां भगवती प्रसन्न होकर अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं को पूर्ण करती हैं.

महाकाली

इसीलिए मां काली के इस मंत्र को काली सहस्त्रनाम भी कहा जाता है इस मंत्र का प्रयोग केवल रात को ही किया जाता है इस मंत्र का प्रयोग करने के लिए आपको सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ करना है अगर आप पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस मंत्र का उच्चारण करते हैं तो आपको एक रात में ही इसका असर दिखाई देने लगता है।

अगर आप लोग इस सहस्त्रनाम मंत्र का प्रयोग करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए काली मां का सहस्त्रनाम का प्रयोग करने के लिए आपको रात के समय स्नान आदि से निश्चिंत होने के बाद लाल रंग के वस्त्र धारण करके माता काली जी की तस्वीर को लाल रंग के कपड़े पर स्थापित करें उसके बाद स्वयं भी लाल आसन पर बैठ जाएं.

उसके बाद अपने हाथों में किसी भी प्रकार का लाल रंग का फूल लेना है उसके बाद अपने मन में अपनी कामना बोलना है उसके बाद उन पुष्पों को माता रानी के चरणों में अर्पित कर देना है उसके बाद रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का ” ऊँ क्रीं कालिके स्वाहा ऊँ “ जाप करें उसके बाद अंत में सहस्त्रनाम पाठ करें इस पाठ से आपको शीघ्र ही सफलता प्राप्त होती है।

सम्पूर्ण मां काली मंत्र | Maa kali mantra

विनियोग

अस्य श्री श्मशानकालिका सहस्त्रनाम स्तोत्रस्य
महाकाल भैरव ऋषिस्त्रिष्टुप छन्द: श्मशानजाली देवता,
धर्मार्थ-काम-मोक्षार्थे ,अर्थ संतान सुख प्राप्त्यर्थे जपे विनियोग:।
इस प्रकार हाथ में जल लें और उपरोक्त विनियोग बोलकर उसे जमीन पर छोड़ दें

काली-सहस्रनाम

श्मशान-कालिका काली भद्रकाली कपालिनी ।

गुह्य-काली महाकाली कुरु-कुल्ला विरोधिनी ।।1।।
कालिका काल-रात्रिश्च महा-काल-नितम्बिनी ।

काल-भैरव-भार्या च कुल-वत्र्म-प्रकाशिनी ।।2।।
कामदा कामिनी कन्या कमनीय-स्वरूपिणी ।

कस्तूरी-रस-लिप्ताङ्गी कुञ्जरेश्वर-गामिनी।।3।।
ककार-वर्ण-सर्वाङ्गी कामिनी काम-सुन्दरी ।

कामार्ता काम-रूपा च काम-धेनु: कलावती ।।4।।
कान्ता काम-स्वरूपा च कामाख्या कुल-कामिनी ।

कुलीना कुल-वत्यम्बा दुर्गा दुर्गति-नाशिनी ।।5।।
कौमारी कुलजा कृष्णा कृष्ण-देहा कृशोदरी ।

कृशाङ्गी कुलाशाङ्गी च क्रींकारी कमला कला ।।6।।
करालास्या कराली च कुल-कांतापराजिता ।

उग्रा उग्र-प्रभा दीप्ता विप्र-चित्ता महा-बला ।।7।।
नीला घना मेघ-नादा मात्रा मुद्रा मिताऽमिता ।

ब्राह्मी नारायणी भद्रा सुभद्रा भक्त-वत्सला ।।8।।
माहेश्वरी च चामुण्डा वाराही नारसिंहिका ।

वज्रांगी वज्र-कंकाली नृ-मुण्ड-स्रग्विणी शिवा ।।9।।
मालिनी नर-मुण्डाली-गलद्रक्त-विभूषणा ।

रक्त-चन्दन-सिक्ताङ्गी सिंदूरारुण-मस्तका ।।10।।
घोर-रूपा घोर-दंष्ट्रा घोरा घोर-तरा शुभा ।

महा-दंष्ट्रा महा-माया सुदन्ती युग-दन्तुरा ।।11।।
सुलोचना विरूपाक्षी विशालाक्षी त्रिलोचना ।

शारदेन्दु-प्रसन्नस्या स्फुरत-स्मेताम्बुजेक्षणा ।।12।।
अट्टहासा प्रफुल्लास्या स्मेर-वक्त्रा सुभाषिणी ।

प्रफुल्ल-पद्म-वदना स्मितास्या प्रिय-भाषिणी ।।13।।
कोटराक्षी कुल-श्रेष्ठा महती बहु-भाषिणी ।

सुमति: कुमतिश्चण्डा चण्ड-मुण्डाति-वेगिनी ।।14।।
प्रचण्डा चण्डिका चण्डी चर्चिका चण्ड-वेगिनी ।

सुकेशी मुक्त-केशी च दीर्घ-केशी महा-कचा ।।15।।
प्रेत-देहा -कर्ण-पूरा प्रेत-पाणि-सुमेखला ।

प्रेतासना प्रिय-प्रेता प्रेत-भूमि-कृतालया ।।16।।
श्मशान-वासिनी पुण्या पुण्यदा कुल-पण्डिता ।

पुण्यालया पुण्य-देहा पुण्य-श्लोका च पावनी ।।17।।
पूता पवित्रा परमा परा पुण्य-विभूषणा ।

पुण्य-नाम्नी भीति-हरा वरदा खङ्ग-पाशिनी ।।18।।
नृ-मुण्ड-हस्ता शस्त्रा च छिन्नमस्ता सुनासिका ।

दक्षिणा श्यामला श्यामा शांता पीनोन्नत-स्तनी ।।19।।
दिगम्बरा घोर-रावा सृक्कान्ता-रक्त-वाहिनी ।

महा-रावा शिवा संज्ञा नि:संगा मदनातुरा ।।20।।
मत्ता प्रमत्ता मदना सुधा-सिन्धु-निवासिनी ।

अति-मत्ता महा-मत्ता सर्वाकर्षण-कारिणी ।।21।।
गीत-प्रिया वाद्य-रता प्रेत-नृत्य-परायणा ।

चतुर्भुजा दश-भुजा अष्टादश-भुजा तथा ।।22।।
कात्यायनी जगन्माता जगती-परमेश्वरी ।

जगद्-बन्धुर्जगद्धात्री जगदानन्द-कारिणी ।।23।।
जगज्जीव-मयी हेम-वती महामाया महा-लया ।

नाग-यज्ञोपवीताङ्गी नागिनी नाग-शायनी ।।24।।
नाग-कन्या देव-कन्या गान्धारी किन्नरेश्वरी ।

मोह-रात्री महा-रात्री दरुणाभा सुरासुरी ।।25।।
विद्या-धारी वसु-मती यक्षिणी योगिनी जरा ।

राक्षसी डाकिनी वेद-मयी वेद-विभूषणा ।।26।।
श्रुति-स्र्मृतिर्महा-विद्या गुह्य-विद्या पुरातनी ।

चिंताऽचिंता स्वधा स्वाहा निद्रा तन्द्रा च पार्वती ।।27।।
अर्पणा निश्चला लीला सर्व-विद्या-तपस्विनी ।

गङ्गा काशी शची सीता सती सत्य-परायणा ।।28।।
नीति: सुनीति: सुरुचिस्तुष्टि: पुष्टिर्धृति: क्षमा ।

वाणी बुद्धिर्महा-लक्ष्मी लक्ष्मीर्नील-सरस्वती ।।29।।
स्रोतस्वती स्रोत-वती मातङ्गी विजया जया ।

नदी सिन्धु: सर्व-मयी तारा शून्य निवासिनी ।।30।।
शुद्धा तरंगिणी मेधा लाकिनी बहु-रूपिणी ।

सदानन्द-मयी सत्या सर्वानन्द-स्वरूपणि ।।31।।
स्थूला सूक्ष्मा सूक्ष्म-तरा भगवत्यनुरूपिणी ।

परमार्थ-स्वरूपा च चिदानन्द-स्वरूपिणी ।।32।।
सुनन्दा नन्दिनी स्तुत्या स्तवनीया स्वभाविनी ।

रंकिणी टंकिणी चित्रा विचित्रा चित्र-रूपिणी ।।33।।
पद्मा पद्मालया पद्म-मुखी पद्म-विभूषणा ।

शाकिनी हाकिनी क्षान्ता राकिणी रुधिर-प्रिया ।।34।।
भ्रान्तिर्भवानी रुद्राणी मृडानी शत्रु-मर्दिनी ।

उपेन्द्राणी महेशानी ज्योत्स्ना चन्द्र-स्वरूपिणी ।।35।।
सुय्र्यात्मिका रुद्र-पत्नी रौद्री स्त्री प्रकृति: पुमान् ।

शक्ति: सूक्तिर्मति-मती भक्तिर्मुक्ति: पति-व्रता ।।36।।
सर्वेश्वरी सर्व-माता सर्वाणी हर-वल्लभा ।

सर्वज्ञा सिद्धिदा सिद्धा भाव्या भव्या भयापहा ।।37।।
कत्र्री हत्र्री पालयित्री शर्वरी तामसी दया ।

तमिस्रा यामिनीस्था च स्थिरा धीरा तपस्विनी ।।38।।
चार्वङ्गी चंचला लोल-जिह्वा चारु-चरित्रिणी ।

त्रपा त्रपा-वती लज्जा निर्लज्जा ह्रीं रजोवती ।।39।।
सत्व-वती धर्म-निष्ठा श्रेष्ठा निष्ठुर-वादिनी ।

गरिष्ठा दुष्ट-संहत्र्री विशिष्टा श्रेयसी घृणा ।।40।।
भीमा भयानका भीमा-नादिनी भी: प्रभावती ।

वागीश्वरी श्रीर्यमुना यज्ञ-कत्र्री यजु:-प्रिया ।।41।।
ऋक्-सामाथर्व-निलया रागिणी शोभन-स्वरा ।

कल-कण्ठी कम्बु-कण्ठी वेणु-वीणा-परायणा ।।42।।
वंशिनी वैष्णवी स्वच्छा धात्री त्रि-जगदीश्वरी ।

मधुमती कुण्डलिनी शक्ति: ऋद्धि: सिद्धि: शुचि-स्मिता ।।43।।
रम्भोर्वशी रती रामा रोहिणी रेवती रमा ।

शङ्खिनी चक्रिणी कृष्णा गदिनी पद्मनी तथा ।।44।।
शूलिनी परिघास्त्रा च पाशिनी शान्र्ग-पाणिनी ।

पिनाक-धारिणी धूम्रा सुरभि वन-मालिनी ।।45।।
रथिनी समर-प्रीता च वेगिनी रण-पण्डिता ।

जटिनी वज्रिणी नीला लावण्याम्बुधि-चन्द्रिका ।।46।।
बलि-प्रिया महा-पूज्या पूर्णा दैत्येन्द्र-मन्थिनी ।

महिषासुर-संहन्त्री वासिनी रक्त-दन्तिका ।।47।।
रक्तपा रुधिराक्ताङ्गी रक्त-खर्पर-हस्तिनी ।

रक्त-प्रिया माँसप्त रुधिरासवासक्त-मानसा ।।48।।
गलच्छोणित-मुण्डालि-कण्ठ-माला-विभूषणा ।

शवासना चितान्त:स्था माहेशी वृष-वाहिनी ।।49।।
व्याघ्र-त्वगम्बरा चीर-चेलिनी सिंह-वाहिनी ।

वाम-देवी महा-देवी गौरी सर्वज्ञ-भाविनी ।।50।।
बालिका तरुणी वृद्धा वृद्ध-माता जरातुरा ।

सुभ्रुर्विलासिनी ब्रह्म-वादिनि ब्रह्माणी मही ।।51।।
स्वप्नावती चित्र-लेखा लोपा-मुद्रा सुरेश्वरी ।

अमोघाऽरुन्धती तीक्ष्णा भोगवत्यनुवादिनी ।।52।।
मन्दाकिनी मन्द-हासा ज्वालामुख्यसुरान्तका ।

मानदा मानिनी मान्या माननीया मदोद्धता ।।53।।
मदिरा मदिरोन्मादा मेध्या नव्या प्रसादिनी ।

सुमध्यानन्त-गुणिनी सर्व-लोकोत्तमोत्तमा ।।54।।
जयदा जित्वरा जेत्री जयश्रीर्जय-शालिनी ।

सुखदा शुभदा सत्या सभा-संक्षोभ-कारिणी ।।55।।
शिव-दूती भूति-मती विभूतिर्भीषणानना ।

कौमारी कुलजा कुन्ती कुल-स्त्री कुल-पालिका ।।56।।
कीर्तिर्यशस्विनी भूषां भूष्या भूत-पति-प्रिया ।

सगुणा-निर्गुणा धृष्ठा कला-काष्ठा प्रतिष्ठिता ।।57।।
धनिष्ठा धनदा धन्या वसुधा स्व-प्रकाशिनी ।

उर्वी गुर्वी गुरु-श्रेष्ठा सगुणा त्रिगुणात्मिका ।।58।।
महा-कुलीना निष्कामा सकामा काम-जीवना ।

काम-देव-कला रामाभिरामा शिव-नर्तकी ।।59।।
चिन्तामणि: कल्पलता जाग्रती दीन-वत्सला ।

कार्तिकी कृत्तिका कृत्या अयोध्या विषमा समा ।।60।।
सुमंत्रा मंत्रिणी घूर्णा ह्लादिनी क्लेश-नाशिनी ।

त्रैलोक्य-जननी हृष्टा निर्मांसा मनोरूपिणी ।।61।।
तडाग-निम्न-जठरा शुष्क-मांसास्थि-मालिनी ।

अवन्ती मथुरा माया त्रैलोक्य-पावनीश्वरी ।।62।।
व्यक्ताव्यक्तानेक-मूर्ति: शर्वरी भीम-नादिनी ।

क्षेमंकरी शंकरी च सर्व- सम्मोहन-कारिणी ।।63।।
उध्र्व-तेजस्विनी क्लिन्न महा-तेजस्विनी तथा ।

अद्वैत भोगिनी पूज्या युवती सर्व-मङ्गला ।।64।।
सर्व-प्रियंकरी भोग्या धरणी पिशिताशना ।

भयंकरी पाप-हरा निष्कलंका वशंकरी ।।65।।
आशा तृष्णा चन्द्र-कला निद्रिका वायु-वेगिनी ।

सहस्र-सूर्य संकाशा चन्द्र-कोटि-सम-प्रभा ।।66।।
वह्नि-मण्डल-मध्यस्था च सर्व-तत्त्व-प्रतिष्ठिता ।

सर्वाचार-वती सर्व-देवप्त कन्याधिदेवता ।।67।।
दक्ष-कन्या दक्ष-यज्ञ नाशिनी दुर्ग तारिणी ।

इज्या पूज्या विभीर्भूति: सत्कीर्तिब्र्रह्म-रूपिणी ।।68।।
रम्भीरुश्चतुरा राका जयन्ती करुणा कुहु: ।

मनस्विनी देव-माता यशस्या ब्रह्म-चारिणी ।।69।।
ऋद्धिदा वृद्धिदा वृद्धि: सर्वाद्या सर्व-दायिनी ।

आधार-रूपिणी ध्येया मूलाधार-निवासिनी ।।70।।
आज्ञा प्रज्ञा-पूर्ण-मनाश्चन्द्र-मुख्यानुकूलिनी ।

वावदूका निम्न-नाभि: सत्या सन्ध्या दृढ़-व्रता ।।71।।
आन्वीक्षिकी दंड-नीतिस्त्रयी त्रि-दिव-सुन्दरी ।

ज्वलिनी ज्वालिनी शैल-तनया विन्ध्य-वासिनी ।।72।।
अमेया खेचरी धैर्या तुरीया विमलातुरा ।

प्रगल्भा वारुणीच्छाया शशिनी विस्फुलिङ्गिनी ।।73।।
भुक्ति सिद्धि सदा प्राप्ति: प्राकाम्या महिमाणिमा ।

इच्छा-सिद्धिर्विसिद्धा च वशित्वीध्र्व-निवासिनी ।।74।।
लघिमा चैव गायित्री सावित्री भुवनेश्वरी ।

मनोहरा चिता दिव्या देव्युदारा मनोरमा ।।75।।
पिंगला कपिला जिह्वा-रसज्ञा रसिका रसा ।

सुषुम्नेडा भोगवती गान्धारी नरकान्तका ।।76।।
पाञ्चाली रुक्मिणी राधाराध्या भीमाधिराधिका ।

अमृता तुलसी वृन्दा कैटभी कपटेश्वरी ।।77।।
उग्र-चण्डेश्वरी वीर-जननी वीर-सुन्दरी ।

उग्र-तारा यशोदाख्या देवकी देव-मानिता ।।78।।
निरन्जना चित्र-देवी क्रोधिनी कुल-दीपिका ।

कुल-वागीश्वरी वाणी मातृका द्राविणी द्रवा ।।79।।
योगेश्वरी-महा-मारी भ्रामरी विन्दु-रूपिणी ।

दूती प्राणेश्वरी गुप्ता बहुला चामरी-प्रभा ।।80।।
कुब्जिका ज्ञानिनी ज्येष्ठा भुशुंडी प्रकटा तिथि: ।

द्रविणी गोपिनी माया काम-बीजेश्वरी क्रिया ।।81।।
शांभवी केकरा मेना मूषलास्त्रा तिलोत्तमा ।

अमेय-विक्रमा क्रूरा सम्पत्-शाला त्रिलोचना ।।82।।
सुस्थी हव्य-वहा प्रीतिरुष्मा धूम्रार्चिरङ्गदा ।

तपिनी तापिनी विश्वा भोगदा धारिणी धरा ।।83।।
त्रिखंडा बोधिनी वश्या सकला शब्द-रूपिणी ।

बीज-रूपा महा-मुद्रा योगिनी योनि-रूपिणी ।।84।।
अनङ्ग मदनानङ्ग लेखनङ्ग कुशेश्वरी ।

अनङ्ग-मालिनि-कामेशवरी देवि सर्वार्थ-साधिका ।।85।।
सर्व-मन्त्र-मयी मोहिन्यरुणानङ्ग-मोहिनी ।

अनङ्ग-कुसुमानङ्ग-मेखलानङ्ग रूपिणी ।।86।।
वज्रेश्वरी च जयिनी सर्व-द्वन्द -क्षयंकरी ।

षडङ्ग-युवती योग-युक्ता ज्वालांशु-मालिनी ।।87।।
दुराशया दुराधारा दुर्जया दुर्ग-रूपिणी ।

दुरन्ता दुष्कृति-हरा दुध्र्येया दुरतिक्रमा ।।88।।
हंसेश्वरी त्रिकोणस्था शाकम्भर्यनुकम्पिनी ।

त्रिकोण-निलया नित्या परमामृत-रञ्जिता ।।89।।
महा-विद्येश्वरी श्वेता भेरुण्डा कुल-सुन्दरी ।

त्वरिता भक्त-संसक्ता भक्ति-वश्या सनातनी ।।90।।
भक्तानन्द-मयी भक्ति-भाविका भक्ति-शंकरी ।

सर्व-सौन्दर्य-निलया सर्व-सौभाग्य-शालिनी ।।91।।
सर्व-सौभाग्य-भवना सर्व सौख्य-निरूपिणी ।

कुमारी-पूजन-रता कुमारी-व्रत-चारिणी ।।92।।
कुमारी-भक्ति-सुखिनी कुमारी-रूप-धारिणी ।

कुमारी-पूजक-प्रीता कुमारी प्रीतिदा प्रिया ।।93।।
कुमारी-सेवकासंगा कुमारी-सेवकालया ।

आनन्द-भैरवी बाला भैरवी वटुक-भैरवी ।।94।।
श्मशान-भैरवी काल-भैरवी पुर-भैरवी ।

महा-भैरव-पत्नी च परमानन्द-भैरवी ।।95।।
सुधानन्द-भैरवी च उन्मादानन्द-भैरवी ।

मुक्तानन्द-भैरवी च तथा तरुण-भैरवी ।।96।।
ज्ञानानन्द-भैरवी च अमृतानन्द-भैरवी ।

महा-भयंकरी तीव्रा तीव्र-वेगा तपस्विनी ।।97।।
त्रिपुरा परमेशानी सुन्दरी पुर-सुन्दरी ।

त्रिपुरेशी पञ्च-दशी पञ्चमी पुर-वासिनी ।।98।।
महा-सप्त-दशी चैव षोडशी त्रिपुरेश्वरी ।

महांकुश-स्वरूपा च महा-चक्रेश्वरी तथा ।।99।।
नव-चक्रेश्वरी चक्रेश्वरी त्रिपुर-मालिनी ।

राज-राजेश्वरी धीरा महा-त्रिपुर-सुन्दरी ।।100।।
सिन्दूर-पूर-रुचिरा श्रीमत्त्रिपुर-सुन्दरी ।

सर्वांग-सुन्दरी रक्ता रक्त-वस्त्रोत्तरीयिणी ।।101।।
जवा-यावक-सिन्दूर -रक्त-चन्दन-धारिणी ।

जवा-यावक-सिन्दूर -रक्त-चन्दन-रूप धृक 77102 77
चामरी बाल-कुटिल-निर्मला-श्याम-केशिनी ।

वज्र-मौक्तिक-रत्नाढ्या-किरीट-मुकुटोज्ज्वला ।।103।।
रत्न-कुण्डल-संसक्त-स्फुरद्-गण्ड-मनोरमा ।

कुञ्जरेश्वर-कुम्भोत्थ-मुक्ता-रञ्जित-नासिका ।।104।।
मुक्ता-विद्रुम-माणिक्य-हाराढ्य-स्तन-मण्डला ।

सूर्य-कान्तेन्दु-कान्ताढ्य-स्पर्शाश्म-कण्ठ-भूषणा ।।105।।
वीजपूर-स्फुरद्-वीज -दन्त पंक्तिरनुत्तमा ।

काम-कोदण्डकाभुग्न-भ्रू-कटाक्ष-प्रवर्षिणी ।।106।।
मातंग-कुम्भ-वक्षोजा लसत्कोक-नदेक्षणा ।

मनोज्ञ-शष्कुली-कर्णा हंसी-गति-विडम्बिनी ।।107।।
पद्म-रागांगद-ज्योतिर्दोश्चतुष्क-प्रकाशिनी ।

नाना-मणि-परिस्फूर्जच्दृद्ध-कांचन-कंकणा ।।108।।
नागेन्द्र-दन्त-निर्माण-वलयांचित-पाणिनी ।

अंगुरीयक-चित्रांगी विचित्र-क्षुद्र-घण्टिका ।।109।।
पट्टाम्बर-परीधाना कल-मञ्जीर-शिंजिनी ।

कर्पूरागरु-कस्तूरी-कुंकुम-द्रव-लेपिता ।।110।।
विचित्र-रत्न-पृथिवी-कल्प-शाखि-तल-स्थिता ।

रत्न-द्वीप-स्फुरद-रक्त-सिंहासन-विलासिनी ।।111।।
षट्-चक्र-भेदन-करी परमानन्द-रूपिणी ।

सहस्र-दल पद्यान्तश्चन्द्र मण्डल-वर्तिनी ।।112।।
ब्रह्म-रूप-शिव-क्रोड-नाना-सुख-विलासिनी ।

हर-विष्णु-विरिंचिन्द्र-ग्रह नायक-सेविता ।।113।।
शिवा शैवा च रुद्राणी तथैव शिव-वादिनी ।

मातंगिनी श्रीमती च तथैवानन्द-मेखला ।।114।।
डाकिनी योगिनी चैव तथोपयोगिनी मता ।

माहेश्वरी वैष्णवी च भ्रामरी शिव-रूपिणी ।।115।।
अलम्बुषा वेग-वती क्रोध-रूपा सु-मेखला ।

गान्धारी हस्ति-जिह्वा च इडा चैव शुभंकरी ।।116।।
पिंगला ब्रह्म-सूत्री च सुषुम्णा चैव गन्धिनी ।

आत्म-योनिब्र्रह्म-योनिर्जगद-योनिरयोनिजा ।।117।।
भग-रूपा भग-स्थात्री भगनी भग-रूपिणी ।

भगात्मिका भगाधार-रूपिणी भग-मालिनी ।।118।।
लिंगाख्या चैव लिंगेशी त्रिपुरा-भैरवी तथा ।

लिंग-गीति: सुगीतिश्च लिंगस्था लिंग-रूप-धृक ।।119।।
लिंग-माना लिंग-भवा लिंग-लिंगा च पार्वती ।

भगवती कौशिकी च प्रेमा चैव प्रियंवदा ।।120।।
गृध्र-रूपा शिवा-रूपा चक्रिणी चक्र-रूप-धृक ।

लिंगाभिधायिनी लिंग-प्रिया लिंग-निवासिनी ।।121।।
लिंगस्था लिंगनी लिंग-रूपिणी लिंग-सुन्दरी

लिंग-गीतिमहा-प्रीता भग-गीतिर्महा-सुखा ।।122।।
लिंग-नाम-सदानंदा भग-नाम सदा-रति: ।

लिंग-माला-कंठ-भूषा भग-माला-विभूषणा ।।123।।
भग-लिंगामृत-प्रीता भग-लिंगामृतात्मिका ।

भग-लिंगार्चन-प्रीता भग-लिंग-स्वरूपिणी ।।124।।
भग-लिंग-स्वरूपा च भग-लिंग-सुखावहा ।

स्वयम्भू-कुसुम-प्रीता स्वयम्भू-कुसुमार्चिता ।।125।।
स्वयम्भू-पुष्प-प्राणा स्वयम्भू-कुसुमोत्थिता ।

स्वयम्भू-कुसुम-स्नाता स्वयम्भू-पुष्प-तर्पिता ।।126।।
स्वयम्भू-पुष्प-घटिता स्वयम्भू-पुष्प-धारिणी ।

स्वयम्भू-पुष्प-तिलका स्वयम्भू-पुष्प-चर्चिता ।।127।।
स्वयम्भू-पुष्प-निरता स्वयम्भू-कुसुम-ग्रहा ।

स्वयम्भू-पुष्प-यज्ञांगा स्वयम्भूकुसुमात्मिका ।।128।।
स्वयम्भू-पुष्प-निचिता स्वयम्भू-कुसुम-प्रिया ।

स्वयम्भू-कुसुमादान-लालसोन्मत्त मानसा ।।129।।
स्वयम्भू-कुसुमानन्द-लहरी-स्निग्ध देहिनी ।

स्वयम्भू-कुसुमाधारा स्वयम्भू-कुसुमा-कला ।।130।।
स्वयम्भू-पुष्प-निलया स्वयम्भू-पुष्प-वासिनी ।

स्वयम्भू-कुसुम-स्निग्धा स्वयम्भू-कुसुमात्मिका ।।131।।
स्वयम्भू-पुष्प-कारिणी स्वयम्भू-पुष्प-पाणिका ।

स्वयम्भू-कुसुम-ध्याना स्वयम्भू-कुसुम-प्रभा ।।132।।
स्वयम्भू-कुसुम-ज्ञाना स्वयम्भू-पुष्प-भोगिनी ।

स्वयम्भू-कुसुमोल्लासा स्वयम्भू-पुष्प-वर्षिणी ।।133।।
स्वयम्भू-कुसुमोत्साहा।

स्वयम्भू-कुसुमोन्मादा स्वयम्भू पुष्प-सुन्दरी ।।134।।
स्वयम्भू-कुसुमाराध्या स्वयम्भू-कुसुमोद्भवा ।

स्वयम्भू-कुसुम-व्यग्रा स्वयम्भू-पुष्प-पूर्णिता ।।135।।
स्वयम्भू-पूजक-प्रज्ञा स्वयम्भू-होतृ-मातृका ।

स्वयम्भू-दातृ-रक्षित्री स्वयम्भू-रक्त-तारिका ।।136।।
स्वयम्भू-पूजक-ग्रस्ता स्वयम्भू-पूजक-प्रिया ।

स्वयम्भू-वन्दकाधारा स्वयम्भू-निन्दकान्तका ।।137।।
स्वयम्भू-प्रद-सर्वस्वा स्वयम्भू-प्रद-पुत्रिणी ।

स्वम्भू-प्रद-सस्मेरा स्वयम्भू-प्रद-शरीरिणी ।।138।।
सर्व-कालोद्भव-प्रीता सर्व-कालोद्भवात्मिका ।

सर्व-कालोद्भवोद्भावा सर्व-कालोद्भवोद्भवा ।।139।।
कुण्ड-पुष्प-सदा-प्रीतिर्गोल-पुष्प-सदा-रति: ।

कुण्ड-गोलोद्भव-प्राणा कुण्ड-गोलोद्भवात्मिका ।।140।।
स्वयम्भुवा शिवा धात्री पावनी लोक-पावनी ।

कीर्तिर्यशस्विनी मेधा विमेधा शुक्र-सुन्दरी ।।141।।
अश्विनी कृत्तिका पुष्या तैजस्का चन्द्र-मण्डला ।

सूक्ष्माऽसूक्ष्मा वलाका च वरदा भय-नाशिनी ।।142।।
वरदाऽभयदा चैव मुक्ति-बन्ध-विनाशिनी ।

कामुका कामदा कान्ता कामाख्या कुल-सुन्दरी ।।143।।
दु:खदा सुखदा मोक्षा मोक्षदार्थ-प्रकाशिनी ।

दुष्टादुष्ट-मतिश्चैव सर्व-कार्य-विनाशिनी ।।144।।
शुक्राधारा शुक्र-रूपा-शुक्र-सिन्धु-निवासिनी ।

शुक्रालया शुक्र-भोग्या शुक्र-पूजा-सदा-रति:।।145।।
शुक्र-पूज्या-शुक्र-होमा-सन्तुष्टा शुक्र-वत्सला ।

शुक्र-मूर्ति: शुक्र-देहा शुक्र-पूजक-पुत्रिणी ।।146।।

 

मां काली को प्रसन्न करने का मंत्र | Maan kali ko prasan karne ka mantra

माता काली को प्रसन्न करने के लिए आपको कुछ मंत्र का जाप और उनकी विधि करना होगा और उसके साथ कुछ टोटके भी अपनाने होंगे इसीलिए हमने आपको माता काली को प्रसन्न करने के कुछ मंत्र और उनकी विधि नीचे दी है :

क्रीं हूं हूं ह्रीं हूं हूं क्रीं स्वाहा।
क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।

नमः ऐं क्रीं क्रीं कालिकायै स्वाहा।
नमः आं आं क्रों क्रों फट स्वाहा कालिका हूं।

क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा।

मां काली को प्रसन्न करने का मंत्र जाप विधि | Maa kali ko prasan karne ka mantra jaap vidhi

अगर आप लोग मां काली को प्रसन्न करना चाहते हैं तो ऊपर दिए गए मंत्र का जाप करें और माता रानी को प्रसन्न करें इसमें से मां काली के जा पांचों मंत्र बहुत ही शक्तिशाली है इन मंत्रों का जाप करने के लिए आपको सबसे पहले अपने घर पर मां काली की मूर्ति को स्थापित करना होगा उसके बाद बिना खाना और पानी पिए 2 घंटे से 5 घंटे तक रोजाना इन मंत्रों का जाप करना है.

महाकाली

उसके बाद माता रानी को जवां फूल अर्पित करना है इस प्रक्रिया को आप लगातार करते रहे फिर जब आप की कठोर तपस्या समाप्त हो जाएगी उसके बाद माता काली आपसे प्रसन्न हो जाएंगी और आपको दर्शन देंगे और आपको उनका आशीर्वाद प्राप्त हो जाएगा।

धन लाभ व कर्ज मुक्ति के लिये माँ काली का शाबर मंत्र | Dhan labh va karj mukti ke liye maa kaali ka shabar mantra

अगर आप लोग धन लाभ और कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं तो आपको मां काली के इस शाबर मंत्र का प्रयोग करना चाहिए मां काली को आदिशक्ति का रौद्र रूप माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि मां काली की उत्पत्ति उस समय हुई थी जब प्रजापति दक्ष ने भगवान शिव को यज्ञ में आमंत्रित किया था ऐसा कहा गया है कि यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे दी थी.

तभी भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए थे और भगवान शिव ने जटा को सर से अखाड़ा और एक पत्थर पर दे मारा इसीलिए उनकी जटा के दो टुकड़े हो गए थे वैसे देखा जाए तो एक हिसाब से भगवान शिव के रौद्र रूप वीर भद्र पैदा हुए और दूसरे हिसाब से मां काली की उत्पत्ति हुई थी इसीलिए मां काली को एक ऐसी देवी के रूप में पूजा जाता है जोकि अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर कर देती है वैसे क्या आप जानते हैं कि मां काली का रौद्र रूप अंतिम विकराल था।

इसीलिए अगर आप धन लाभ व कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं तो आपको इसके लिए इस मंत्र का केवल सुबह के समय 30 मिनट तक जाप करना है।

मंत्र

ओम नमो चंडी चंडी महा चंडी काली काली महाकाली
दुर्गे दुर्गे महादुर्गे संकट हरो रक्षा करो मनोकामना पूर्ण करो
जो न करो तो दुहाई गुरु गोरख नाथ की
दुहाई ईश्वर महादेव गोरा पार्वती की
महाबलीभैरव की दुहाई

अगर आप लोग इस मंत्र का जाप करते हैं और इस मंत्र का जाप करते ही पहले दिन ही या मंत्र काम करना शुरू कर देता है तो सबसे पहले आपके पापों को नष्ट करता है तो  देवी मां की शक्ति आपके पापा को ही नष्ट करने में खत्म हो जाती है लेकिन जैसे ही आप के पाप नष्ट हो जाते हैं आपके अंदर एक अलौकिक तेज एवं आध्यात्मिक शक्ति और सिध्दि प्राप्त हो जाता है.

लेकिन आपको इस मंत्र का जाप अपने गुरु जी की निगरानी में ही करना है अगर आप ऐसे करते हैं तो यह आपके लिए घातक हो सकता है क्योंकि अगर आप किसी भी मंत्र का फल प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको उस मंत्र को जागृत करने की आवश्यकता होती है जो कि आप गुरुजी के द्वारा ही करा सकते हैं।

इस साधना का प्रयोग सभी भक्तों को ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए इस साधना को करने से सभी प्रकार की आत्माएं शांत हो जाती हैं और समय थम सा जाता है कोई भी व्यक्ति फालतू का शोर-शराबा नहीं करता है इस साधना के द्वारा भगवान का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है और शादी देवी देवता जागृत हो जाते हैं.

लेकिन आपको इसके लिए एक श्रद्धा भरी पुकार की आवश्यकता होती है कोई व्यक्ति इस वक्त यह साधना करता है तो उसकी यह साधना कभी भी विफल नहीं जाती है बल्कि 100 गुना ज्यादा फायदेमंद होती है अगर आप अपने आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत करना चाहते हैं तो यह उत्तम समय है.

FAQ : महाकाली धन प्राप्ति मंत्र

कौन से मंत्र से धन की प्राप्ति होती है ?

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।।

मां काली को बुलाने का मंत्र क्या है?

अचानक धन प्राप्ति के लिए कौन सा उपाय करें?

अगर आप लोगों को अचानक से धन लाभ की आवश्यकता लग जाती है तो आपको रविवार के दिन रात को सोने से पहले अपने पास एक ग्लास दूध रखने दूध गिरना नहीं चाहिए फिर सुबह उठकर यानी कि सोमवार के दिन आपको स्नानादि करने के बाद उस दूध को बबूल के पेड़ में उनकी जड़ों में डाल देना है अगर आप यह प्रक्रिया करते हैं तो आपको अचानक धन लाभ होता है और आपकी बिगड़े काम बन जाते हैं.

निष्कर्ष

जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से महाकाली धन प्राप्ति मंत्र मां काली को प्रसन्न करने का मंत्र बताया मां काली के टोटके बताएं मंत्रों के साथ हमने आपको उसकी विधि भी बताई और यह भी बताया कि इस मंत्र का जाप करके आप मां काली को प्रसन्न कर सकते हैं इसके अलावा हमने कुछ टोटके भी बताए हैं.

जो आपके जीवन की परेशानियों को दूर करने में आपकी मदद करेंगे अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको इसकी संपूर्ण जानकारी हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।

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