हेलो दोस्तों नमस्कार आज हम आप लोगों को महालक्ष्मी अष्टकम के बारे में बताएंगे Mahalaxmi Ashtakam संस्कृत में देवी लक्ष्मी को समर्पित ना है.
इस महालक्ष्मी अष्टकम को पद्म पुराण से लिया गया है और यह Mahalaxmi Ashtakam का पाठ और प्रार्थना भगवान इंद्र द्वारा भक्ति पूर्ण प्रार्थना की गई है देवी लक्ष्मी का अर्थ है हिंदुओं को शुभ मनोकामनाएं लक्ष्मी का शब्द हाय लक्ष्य शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है “लक्ष्य” “लक्ष्य” और वह धन और समृद्धि की देवी है.
दोनों सामग्री और हिंदी पुराण को कथाओं में देवी लक्ष्मी जिन्हें श्री भी कहा जाता है भगवान विष्णु जी के दिव्य जीवन साथी और जिन्हें सर्जन के रखरखाव और रक्षा के लिए धन प्रदान करते हैं अगर आपको भी इस स्त्रोत का लाभ लेना है तो आप रोज श्री महालक्ष्मी अष्टकम का जाप जरूर करें.
तभी आपको इसका लाभ प्राप्त हो सकेगा। तो चलिए आज हम आपको महालक्ष्मी अष्टकम बताएंगे और उसका अर्थ भी बताएंगे जिसका पाठ करके आप धन-धान्य और सुख समृद्धि को पा सकती है।
PDF Name | महालक्ष्मी अष्टक | Mahalakshmi Ashtakam |
PDF No | of Pages 3 |
PDF Size | 0.51 MB |
Language | Hindi |
PDF Category | आध्यात्म |
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- 1. श्री लक्ष्मी महामंत्र | Shri Mahalaxmi maha mantra
- 2. महालक्ष्मी अष्टकम क्या है ? | Mahalaxmi Ashtakam
- 3. महालक्ष्मी अष्टक pdf | Mahalakshmi Ashtakam pdf
- 4. महालक्ष्मी अष्टकम | Mahalakshmi Ashtakam
- 5. महालक्ष्मी अष्टक के लाभ | Mahalaxmi Ashtakam ke labh
- 6. FAQ : Mahalaxmi Ashtakam
- 6.1. लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए कौन सा मंत्र?
- 6.2. महालक्ष्मी मंत्र कौन सा है?
- 6.3. लक्ष्मी जी का मूल मंत्र क्या है?
- 7. निष्कर्ष
श्री लक्ष्मी महामंत्र | Shri Mahalaxmi maha mantra
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:।।
पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्
।। ऊं ह्रीं त्रिं हुं फट।।
अगर आप शुक्रवार के दिन इस मंत्र का जाप करते और उनकी पूजा अर्चना करते हैं तो आपके जीवन में हमेशा ही मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।
महालक्ष्मी अष्टकम क्या है ? | Mahalaxmi Ashtakam
महालक्ष्मी अष्टकम देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनकी भक्ति पूजा-पाठ और प्रार्थना करने के लिए इस मंत्र का पाठ किया जाता है अगर आपको सुख समृद्धि और धन की प्राप्ति करनी है तो यह सबसे अच्छा शक्तिशाली मंत्र महालक्ष्मी मंत्र है अगर आप इस श्लोक का पाठ करते हैं.
तो आपको मन के ज्ञान के लिए बुद्धि के साथ-साथ सौभाग्य धन की प्राप्ति का आशीर्वाद ही प्राप्त होता है इस पाठ को आठ दोहों में लिखा गया है इसीलिए इसे महालक्ष्मी अष्टकम Mahalaxmi Ashtakam कहा जाता है.
अगर आप नियमित रूप से महालक्ष्मी अष्टकम Mahalaxmi Ashtakam का पाठ करते हैं तो आपको सांसारिक सुख और सफलता की प्राप्ति होती है अगर आप इस पाठ को दिन में एक बार जाप करते हैं तो आपको आपके सभी पापों से छुटकारा मिल जाएगा अगर आप दिन में दो बार इस मंत्र का जाप करते हैं.
तो आपको धन की प्राप्ति होती है और सुख समृद्धि भी आपके घर में हमेशा बनी रहती है और अगर आप इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करते हैं तो आप के सबसे बड़े शत्रु का अहंकार नष्ट हो जाता है और वह आपसे बात भी करने लगता है।
महालक्ष्मी की पूजा करने के लिए आपको भगवान विष्णु के गतिशील रूप देवी की पूजा धन भाग्य समृद्धि के लिए की जाती है अगर आपको भगवान विष्णु के गतिशील रूप यानी कि महालक्ष्मी की पूजा करनी है तो आपको उसके लिए एक लाल कपड़ा लेना होगा.
उसके बाद उस लाल कपड़े को गहनों से सुशोभित रखने वाली देवी यानी कि मां लक्ष्मी जो शांत भाव रखती हैं जिनके हाथों में सौंदर्य का प्रतीक पुष्प यानी कि कमल रहता है उनकी हथेलियों हमेशा खुली रहती हैं और उन हथेलियों से जो स्वर्ण के सिक्के निकलते रहते हैं.
ऐसा माना जाता है कि सुंदरता और सौभाग्य की देवी धन के जितने भी दुख होते हैं वह सब दूर कर देती हैं अगर आपको धन की प्राप्ति नहीं हो रही है या फिर आपके पास धन नहीं है तो आप लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं अगर आप महालक्ष्मी की पूजा करते हैं.
तो आपको धन की प्राप्ति अवश्य होगी अगर आप महालक्ष्मी अष्टकम देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपको धन की प्राप्ति अवश्य होगी।
महालक्ष्मी अष्टक pdf | Mahalakshmi Ashtakam pdf
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संपूर्ण महालक्ष्मी अष्टक का पीडीएफ | Mahalakshmi Ashtakam PDF | Download link |
महालक्ष्मी अष्टकम | Mahalakshmi Ashtakam
।। श्री महालक्ष्मी अष्टकम ।।
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते । शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोस्तुते ।।१।।
मैं उस महामाया कहीं जाने वाली देवी महालक्ष्मी को प्रणाम करती हूं श्री पीठ में देवता जिनकी पूजा करते हैं जिनके हाथ में शंख चक्र और गदा सुशोभित है उन महालक्ष्मी देवी को मैं प्रणाम और नमस्कार करती हूं।
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि ।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते ॥२॥
मैं उन महालक्ष्मी देवी को नमस्कार करती हूं जो गरुड़ और आरूढ़ दोनों पर विराजमान हैं और कोलासुर के लिए जो भयंकर प्रतीत होते हैं उनके सभी पापों को हरने वाली महालक्ष्मी देवी को मैं प्रणाम करती हूं।
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि ।
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते ।।३।।
जो इस संसार के सारे दुखों को जानती हैं जो सब कुछ जानती है और सभी वरदान देने वाली जो सभी दुखों को हर लेती हैं उन महालक्ष्मी को मेरा शत शत नमस्कार है।
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भक्तिमुक्तिप्रदायिनी।
मन्त्रमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते ।।४।।
जो भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धि और बुद्धि प्रदान करती हैं तथा मोक्ष प्रदान करती हैं जो सदैव मंत्र के सूक्ष्म रूप में विद्यमान रहती हैं महालक्ष्मी को मैं नमस्कार करती हूं।
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि ।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोस्तुते ।।५।।
वे देवी जो आदि और अंत से रहित हैं जो आदिशक्ति हैं उन्हीं योगी से जन्मी और योग से जुड़ी हुई महालक्ष्मी देवी को नमस्कार करती हूं।
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्ति महोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते ।।६।।
जो सूक्ष्मा और स्थूल दोनों रूपों से विराजमान है जो रुद्राणी देवी का भयंकर रूप मानी जाती हैं जो महाशक्ति के उधार में स्थित हैं उन सभी महा पापों को हरने वाली महालक्ष्मी देवी को नमस्कार करती हूं।
पद्मासनस्थिते देवि परब्रम्हस्वरूपिणी ।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोस्तुते ।।७।।
जो बरसों से कमल के आसन पर विराजमान हैं और जिन्होंने पार ब्रह्म का रूप धारण किया हुआ है संपूर्ण जगत की माता महालक्ष्मी को नमस्कार है
श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते । जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोस्तुते ॥८॥
जो हमेशा सफेद वस्त्र पहनती हैं और जो अनेक आभूषणों से सुशोभित है उन महालक्ष्मी देवी को नमस्कार है।
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम् ।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः ।।९।।
भी व्यक्ति इस महालक्ष्मी स्त्रोत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पड़ता है उस व्यक्ति की सभी सिद्धियों और समृद्धियों को प्राप्त कर लेता है
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः।।१०।।
जो भी व्यक्ति प्रतिदिन एक बार इस स्त्रोत का पाठ करता है उसके सभी महा पापों का नाश हो जाता है जो भी व्यक्ति इस मंत्र का पाठ दिन में दो बार करता है उसे धन धान्य की प्राप्ति अवश्य होती है।
त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्। महालक्ष्मिर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ।।११।।
जो भी व्यक्ति इस स्त्रोत का पाठ दिन में तीन बार करता है उसके शत्रु का नाश हो जाता है और महालक्ष्मी देवी सदैव उससे प्रसन्न रहती हैं।
॥ इतिंद्रकृत श्रीमहालक्ष्म्यष्टकस्तवः संपूर्णः ॥
महालक्ष्मी अष्टक के लाभ | Mahalaxmi Ashtakam ke labh
क्या आप जानते हैं कि महालक्ष्मी की पूजा हिंदू धर्म में धन और सुख समृद्धि के लिए इनकी पूजा की जाती है क्या आप जानते हैं कि यह स्त्रोत महालक्ष्मी देवी की शक्तियों और महिमा का गुणगान करता है.
अगर आप इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपको भौतिक सुख के साथ साथ आध्यात्मिक सुख भी प्राप्त होता है आपको हमेशा आपके जीवन में सफलता ही प्राप्त होती है और आपका जीवन कभी भी असफल नहीं होता है.
अगर आप एक निश्चित समय से इस महा लक्ष्मी उत्तम का पाठ करते हैं तो आपकी सारी समस्याएं और बड़े-बड़े महा पापों का विनाश हो जाता है आप दिन में दो बार नियमित रूप से इस पाठ को करते हैं तो धन और धान्य वैभव और खान पान की समृद्धि आती रहती है।
महालक्ष्मी अष्टकम का जाप अगर नियमित रूप से कोई व्यक्ति करता है तो वह धन-धान्य की कमी कभी भी महसूस नहीं करेगा और वह संसार के सभी सुखों को प्राप्त भी कर सकता है महालक्ष्मी अष्टकम के पाठ से आपके जीवन में हमेशा खुशहाली बनी रहती है.
व्यक्ति को बुद्धि और विवेक की प्राप्ति भी अवश्य होती है जो भी व्यक्ति इस रकम का दिन में तीन बार पाठ करता है उसके महा शत्रु नष्ट होते हैं और अगर आप तीनों समय में इस अष्टकम का पाठ करते हैं तो महालक्ष्मी सदा प्रसन्न रहती हैं और आपको शुभ वरदान देती रहती हैं।