Mahalaxmi vrat katha : प्रणाम गुरुजनों आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से mahalaxmi vrat katha के बारे में बताएंगे और यह भी बताएंगे कि महालक्ष्मी की पूजा कैसे की जाती है ऐसा माना जाता है कि जहां एक तरफ इस समय शुभ कार्य वर्जित होते हैं.
वहीं पर दूसरी तरफ इसी दौरान पढ़ने वाली अष्टमी की दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है इसे गज लक्ष्मी व्रत कहा जाता है जो भी व्यक्ति इस दिन सोना खरीदता है उसका बहुत ही बड़ा महत्व होता है ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति सोना खरीदता है उसका सोना 8 गुना बढ़ जाता है.
महालक्ष्मी व्रत के साथ-साथ हाथी की पूजा भी करते हैं महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष से शुरू होता है और इसकी समाप्ति अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को समाप्त होता है. 16 दिनों की व्रत में जो भी व्यक्ति मां लक्ष्मी की पूजा सुबह और शाम श्रद्धा पूर्वक उनकी पूजा-अर्चना करता है उस व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन सब संपत्ति सुख और समृद्धि की कोई कमी नहीं होती है अगर आप भी अपने जीवन में धन संपत्ति और सुख समृद्धि की कमी नहीं होने देना चाहते हैं.
तो महालक्ष्मी व्रत कथा तथा महालक्ष्मी का पूजन अवश्य करें तो चलिए आज आप लोगों को सबसे mahalaxmi vrat katha के बारे में बताएंगे उसके बाद उनकी पूजा कैसे की जाती है या अभी बताएंगे अगर आपको महालक्ष्मी व्रत कथा सुनना चाहते हैं और उनकी पूजा के बारे में विशेष चीजें प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
- 1. laxmi vrat katha pdf
- 2. महालक्ष्मी की कहानी
- 3. महालक्ष्मी पूजा सामग्री
- 4. महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि | Mahalaxmi vrat puja vidhi
- 5. महालक्ष्मी व्रत कथा | Mahalaxmi vrat katha pdf
- 6. महालक्ष्मी व्रत के नियम | Mahalaxmi vrat niyam
- 7. महालक्ष्मी व्रत कथा | Mahalaxmi vrat katha
- 8. महालक्ष्मी व्रत का महत्व | Mahalaxmi vrat mahatv
- 9. महालक्ष्मी जी आरती | Mahalaxmi Ji Aarti
- 10. FAQ : Mahalaxmi vrat Katha
- 10.1. महालक्ष्मी का व्रत क्यों रखा जाता है?
- 10.2. महालक्ष्मी व्रत कैसे रखें ?
- 10.3. लक्ष्मी पूजा के लिए कौन सा दिन सबसे अच्छा है?
- 11. निष्कर्ष
laxmi vrat katha pdf
PDF Name | महालक्ष्मी व्रत कथा | Mahalaxmi Vrat Katha PDF |
No. of Pages | 3 |
PDF Size | 0.40 MB |
Language | Hindi |
Category | आध्यात्म और मंत्र |
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महालक्ष्मी की कहानी
महालक्ष्मी की कहानी एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था वह ब्राह्मण पति दिन नियमित रूप से भगवान विष्णु की पूजा करता था भगवान विष्णु उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उस ब्राह्मण को दर्शन दिए दर्शन देने के बाद भगवान विष्णु ने कहा अपनी मनोकामना मांगो ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी का निवास अपने घर में मांगने की इच्छा की यह सुनकर भगवान विष्णु ने लक्ष्मी की प्राप्ति का सरल मार्ग ब्राह्मण को।
महालक्ष्मी पूजा सामग्री
महालक्ष्मी का पूजन करने के लिए आपको कुछ सामग्री की आवश्यकता होती है तो उसमें आपको अगरबत्ती , कपूर , फूल , दूब , इत्र , रोली , गुलाल, अमीर , अक्षत , लॉन्ग , इलायची , बादाम , पान सुपारी , कलावा , मेहंदी , हल्दी , बिछिया , वस्त्र , मौसम का फल फूल , पंचामृत , मेवा का प्रसाद और सोलह सिंगार लेकर मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि | Mahalaxmi vrat puja vidhi
- अगर आप माता लक्ष्मी की पूजा करना चाहते हैं और उनका व्रत रखना चाहते हैं तो उसके लिए आपको उसकी पूजा विधि जानने की आवश्यकता होती है माता लक्ष्मी का व्रत करने के लिए आपको सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कार्यों से और स्नानादि से संपन्न होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके।
- उसके बाद माता लक्ष्मी की चौकी को अच्छे तरीके से सजा लेना है और उस चौकी पर महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित कर देना है जैसी कि आप महालक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित कर देते हैं उसके बाद आपको पंचामृत से महालक्ष्मी का स्नान करवाना है।
- उसके बाद महालक्ष्मी को सिंदूर कुमकुम आदि लगाकर धूप , दीप को जला दें।
- उसके बाद माता रानी को फूल की माला अर्पित करें और माता रानी का सोलह सिंगार करके उनकी सारी सामग्री अर्पित करें।
- एक पान में लौंग, बताशा, 1 रुपए, छोटी इलायची रखकर चढ़ा अर्पित करें.
- उसके बाद माता रानी को भोग लगाएं।
- फिर उसके बाद महालक्ष्मी की व्रत कथा को पढ़ें या फिर अपने फोन में वीडियो चलाकर उसे सुने जैसे ही आप की व्रत कथा समाप्त हो जाती है उसके बाद में आपको महालक्ष्मी की आरती पढ़ना है आरती पढ़ने के बाद अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए महालक्ष्मी से प्रार्थना करना है।
महालक्ष्मी व्रत कथा | Mahalaxmi vrat katha pdf
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महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि PDF | Mahalaxmi vrat puja vidhi PDF | Download link |
महालक्ष्मी व्रत के नियम | Mahalaxmi vrat niyam
- अगर आप महालक्ष्मी का व्रत रखते हैं तो आपको रोज 16 दिन तक हर सुबह देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और देवी लक्ष्मी के 8 रूपों की पूजा करनी चाहिए।
- जब आप महालक्ष्मी की पूजा करते हैं तो आपको उसके बाद 16 दूर्वा घास को एक साथ बांधकर रख देना है उसके बाद इसे पानी में डुबोकर रख दें थोड़ी देर बाद इसे अपने पूरे शरीर में लगा ले जैसे ही पूजा समाप्त हो जाती है उसके बाद आपको महालक्ष्मी व्रत कथा का पाठ अवश्य करना है।
- व्रत के दौरान जो लोग मांस मदिरा का सेवन नहीं करते हैं उनके लिए जागृत बहुत फलदाई होता है 16 दिन की अवधि में मांस मदिरा का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
- फिर आखरी दिन आपको कलश की पूजा करना है आपका वह कलश पानी से और कुछ सिक्के और कुछ अक्षतों से भरा होता है। और उस कलर्स पर आपको एक आम का पत्ता रखना है और उसके ऊपर नारियल रखा जाता है।
- उस कलश पर हल्दी कुमकुम चंदन लगा कर रख दिया जाता है और उस कलश पर एक नया कपड़ा का टुकड़ा बांध दिया जाता है।
महालक्ष्मी व्रत कथा | Mahalaxmi vrat katha
प्राचीन काल की बात है, एक गाँव में एक ब्राह्मण रहता था। वह ब्राह्मण नियमानुसार भगवान विष्णु का पूजन प्रतिदिन करता था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिये और इच्छा अनुसार वरदान देने का वचन दिया।
ब्राह्मण ने माता लक्ष्मी का वास अपने घर मे होने का वरदान मांगा।
ब्राह्मण के ऐसा कहने पर भगवान विष्णु ने कहा यहाँ मंदिर मैं प्रतिदिन एक स्त्री आती है और वह यहाँ गोबर के उपले थापति है। वही माता लक्ष्मी हैं, तुम उन्हें अपने घर में आमंत्रित करो। देवी लक्ष्मी के चरण तुम्हारे घर में पड़ने से तुम्हारा घर धन-धान्य से भर जाएगा।
ऐसा कहकर भगवान विष्णु अदृश्य हो गए। अब दूसरे दिन सुबह से ही ब्राह्मण देवी लक्ष्मी के इंतजार मे मंदिर के सामने बैठ गया। जब उसने लक्ष्मी जी को गोबर के उपले थापते हुये देखा, तो उसने उन्हे अपने घर पधारने का आग्रह किया। ब्राह्मण की बात सुनकर लक्ष्मी जी समझ गयीं कि यह बात ब्राह्मण को विष्णुजी ने ही कही है। तो उन्होने ब्राह्मण को महालक्ष्मी व्रत करने की सलाह दी।
लक्ष्मी जी ने ब्राह्मण से कहा कि तुम 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत करो और व्रत के आखिरी दिन चंद्रमा का पूजन करके अर्ध्य देने से तुम्हारा व्रत पूर्ण हो जाएगा। ब्राह्मण ने भी महालक्ष्मी के कहे अनुसार व्रत किया और देवी लक्ष्मी ने भी उसकी मनोकामना पूर्ण की। उसी दिन से यह व्रत श्रद्धा से किया जाता है।
महालक्ष्मी व्रत का महत्व | Mahalaxmi vrat mahatv
हिंदू धर्म में महालक्ष्मी की पूजा को बहुत विशेष महत्व दिया जाता है जो भी व्यक्ति 16 दिन तक महालक्ष्मी का व्रत रखता है उसको कभी भी कोई दुख और धन की कमी नहीं होती है महालक्ष्मी व्रत की महिमा भगवान श्री कृष्ण के पांडवों भाइयों में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर को बताई गई थी जो भी व्यक्ति इस व्रत को करता है.
उसे धन-संपत्ति और सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है ऐसा माना जाता है कि महालक्ष्मी का यह व्रत करने से माता लक्ष्मी जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं और उनका आशीर्वाद आपके ऊपर हमेशा बना रहता है और इस समय जो भी व्यक्ति व्रत पूजा और उपाय करता है वह शीघ्र ही असर करने लगता है।
महालक्ष्मी जी आरती | Mahalaxmi Ji Aarti
ओउम् जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हर विष्णु विधाता।।
उमा रमा ब्रहमाणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि पाता।
तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की त्राता।।
जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।।
तुम बिन यज्ञ न होवे, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ।।
शुभगुण मंदिर सुंदर, श्रीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता।।
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता ।
बोलो भगवती महालक्ष्मी की जय।।
FAQ : Mahalaxmi vrat Katha
महालक्ष्मी का व्रत क्यों रखा जाता है?
महालक्ष्मी व्रत कैसे रखें ?
लक्ष्मी पूजा के लिए कौन सा दिन सबसे अच्छा है?
निष्कर्ष
दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से महालक्ष्मी व्रत कथा | mahalaxmi vrat katha बताने का प्रयास किया है और हमने महालक्ष्मी का व्रत कैसे किया जाता है इसके बारे में भी बताया है.
अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा होगा तो आपको माता लक्ष्मी का व्रत करना आ गया होगा और महालक्ष्मी के पूजन में कौन सी व्रत कथा कही जाती है इसके बारे में भी पता चल गया होगा उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।