दोस्तों आप ने कभी न कभी मंत्रो Mantra Sadhna के बारे में अवश्य सुना होगा पर क्या आप को पता है की ये beej mantra मंत्र क्या होते है ? इन्हें किस ने बनाया है ?
प्रमुखता से आदिकाल से ही शक्तियों को प्राप्त करने के लिए तंत्र मंत्र और यंत्र साधनों का प्रयोग किया जाता रहा है इसीलिए आज हम आपको मंत्रों के बारे में बताएंगे कि mantra साधना के लिए क्या-क्या आवश्यक है ?
और Mantra jaap कैसे करें ? हालांकि इससे पहले हमने तंत्र साधना के बारे में आपको बताया है यदि आपने अभी तक तंत्र साधना के बारे में नहीं पढ़ा है तो इस लिंक से जाकर आप उसे पढ़ सकते हैं,
आखिर इन मंत्रो का जन्मदाता कौन है ? इस पोस्ट में मंत्रो से जुड़ी सारी जानकारी आप को मिलेगी इस लिए अंत तक पढ़े और पसंद आये तो शेयर भी करे !
- 1. मंत्र क्या है ? | What is mantra
- 1.1. मंत्रों को अलग-अलग विद्वानों ने अलग-अलग रूप से परिभाषित किया है :-
- 2. मंत्र की उत्पत्ति कैसे हुई ?
- 3. बीज मंत्र क्या है ?
- 4. गुरुमंत्र क्या होता है ?
- 4.1. मंत्र साधना करने के लिए सर्वोतम समय
- 4.2. मंत्र जाप के लिए शुभ दिन
- 4.3. मंत्र जाप के लिए उत्तम नक्षत्र
- 4.4. मंत्र जाप के लिए उत्तम माह
- 4.5. मंत्र जाप के लिए उत्तम तिथि
- 4.6. मंत्र जाप के लिए उत्तम पक्ष
- 5. मंत्र साधना को किस आसन पर बैठ कर करे ?
- 6. मंत्र साधना के किये किस माला का प्रयोग करे ?
- 7. मंत्र जाप में मंत्रो की गड़ना कैसे करे ?
- 8. जप जाप कितने प्रकार का होता है ?
मंत्र क्या है ? | What is mantra
मंत्र प्रमुखता से कई शब्दों से बने वाक्य होते हैं , जिससे इष्ट को प्राप्त कर सकते हैं और अनिष्ट बाधाओं को नष्ट कर सकते हैं । मंत्र इस शब्द में ‘मन्’ का तात्पर्य मन और मनन से है और ‘त्र’ का तात्पर्य शक्ति और रक्षा से है ।
तंत्र शास्त्रानुसार मंत्र उसे कहते हैं जो शब्द पद या पद समूह जिस देवता या शक्ति को प्रकट करता है वह उस देवता या शक्ति का मंत्र कहा जाता है।
अगले स्तर पर मंत्र अर्थात जिसके मनन से व्यक्ति को पूरे ब्रह्मांड से उसकी एकरूपता का ज्ञान प्राप्त होता है । इस स्तर पर मनन भी रुक जाता है मन का लय हो जाता है और मंत्र भी शांत हो जाता है । इस स्थिति में व्यक्ति जन्म-मृत्यु के फेरे से छूट जाता है ।
मंत्रजप के अनेक लाभ हैं, उदा. आध्यात्मिक प्रगति, शत्रु का विनाश, अलौकिक शक्ति पाना, पाप नष्ट होना और वाणी की शुद्धि।
मंत्र जपने और ईश्वर का नाम जपने में भिन्नता है । मंत्रजप करने के लिए अनेक नियमों का पालन करना पडता है; परंतु नामजप करने के लिए इसकी आवश्यकता नहीं होती । उदाहरणार्थ मंत्रजप सात्त्विक वातावरण में ही करना आवश्यक है; परंतु ईश्वर का नामजप कहीं भी और किसी भी समय किया जा सकता है ।
मंत्रजप से जो आध्यात्मिक ऊर्जा उत्पन्न होती है उसका विनियोग अच्छे अथवा बुरे कार्य के लिए किया जा सकता है । यह धन कमाने समान है; धन का उपयोग किस प्रकार से करना है, यह धन कमाने वाले व्यक्ति पर निर्भर करता है ।
मंत्रों को अलग-अलग विद्वानों ने अलग-अलग रूप से परिभाषित किया है :-
मंत्र की उत्पत्ति कैसे हुई ?
ज्यादातर मंत्र गुरु महागुरु एवं देवताओं के द्वारा बनाए माने जाते हैं इनमें से काफी मंत्र अत्याधिक पुरातन है और उन्हें आदिकाल में बनाया गया था इन मंत्रों के बारे में जानकारी हमें हमारे धर्म ग्रंथों वेदों आदमी मिल जाती है हालांकि कुछ मंत्र शास्त्र जो कि बहुत से मंत्रों का संपुट है, उपलब्ध है|
मंत्र की उत्पत्ति विश्वास से और सतत मनन से हुई है। आदि काल में मंत्र और धर्म में बड़ा संबंध था। प्रार्थना को एक प्रकार का मंत्र माना जाता था। मनुष्य का ऐसा विश्वास था कि प्रार्थना के उच्चारण से कार्यसिद्धि हो सकती है। यह जानकारी आप osir.in वेबसाइट पर पढ़ रहे है, इसलिये बहुत से लोग प्रार्थना को मंत्र समझते थे।
जब मनुष्य पर कोई आकस्मिक विपत्ति आती थी तो वह समझता था कि इसका कारण कोई अदृश्य शक्ति है। वृक्ष का टूट पड़ना, मकान का गिर जाना, आकस्मिक रोग हो जाना और अन्य ऐसी घटनाओं का कारण कोई भूत या पिशाच माना जाता था और इसकी शांति के लिये मंत्र का प्रयोग किया जाता था। आकस्मिक संकट बार-बार नहीं आते। इसलिये लोग समझते थे कि मंत्र सिद्ध हो गया।
प्राचीन काल में वैद्य ओषधि और मंत्र दोनों का साथ-साथ प्रयोग करता था। ओषधि को अभिमंत्रित किया जाता था और विश्वास था कि ऐसा करने से वह अधिक प्रभावोत्पादक हो जाती है। कुछ मंत्रप्रयोगकर्ता (ओझा) केवल मंत्र के द्वारा ही रोगों का उपचार करते थे।
बीज मंत्र क्या है ?
एक बीजमंत्र, मंत्र का बीज होता है । यह बीज मंत्र के विज्ञान को तेजी से फैलाता है । किसी मंत्र की शक्ति उसके बीज में होती है । मंत्र का जप केवल तभी प्रभावशाली होता है जब योग्य बीज चुना जाए । बीज, मंत्र के देवता की शक्ति को जागृत करता है ।
गुरुमंत्र क्या होता है ?
गुरुमंत्र देवता का नाम, मंत्र, अंक अथवा शब्द होता है जो गुरु अपने शिष्य को जप करने हेतु देते हैं । गुरुमंत्र के फलस्वरूप शिष्य अपनी आध्यात्मिक उन्नति करता है और अंतत: मोक्ष प्राप्ति करता है । वैसे गुरुमंत्र में जिस देवता का नाम होता है, वही विशेष रूप से उस शिष्य की आध्यात्मिक प्रगति के लिए आवश्यक होते हैं ।
मंत्र साधना करने के लिए सर्वोतम समय
मंत्र जाप के लिए शुभ दिन
मंत्र जाप के लिए उत्तम नक्षत्र
मंत्र जाप के लिए उत्तम माह
मंत्र जाप के लिए उत्तम तिथि
मंत्र जाप के लिए उत्तम पक्ष
मंत्र साधना को किस आसन पर बैठ कर करे ?
मंत्र जाप के समय कुशासन, मृग चर्म, बाघम्बर और ऊन का बना आसन उत्तम होता है। किन्तु आसन की लालशा में किसी भी जिव की हत्या पूर्ण रूप से निषिद्ध (बाध्य) है .
मंत्र साधना के किये किस माला का प्रयोग करे ?
रुद्राक्ष, जयन्तीफल, तुलसी, स्फटिक, हाथीदाँत, लाल मूँगा, चंदन एवं कमल की माला मंत्र जाप के लिए उत्तम माने जाते है । रुद्राक्ष की माला सर्वश्रेष्ठ होती है।
मंत्र जाप में मंत्रो की गड़ना कैसे करे ?
जप करते समय हिलना, डोलना, बोलना, क्रोध न करें, मन में कोई गलत विचार या भावना न बनाएँ अन्यथा जप करने का कोई भी फल प्राप्त न होगा।
अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो वे मंत्र हमारे लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकते हैं। जैसे घर में जप करने से एक गुना, गौशाला में सौ गुना, पुण्यमय वन या बगीचे तथा तीर्थ में हजार गुना, पर्वत पर दस हजार गुना, नदी-तट पर लाख गुना, देवालय में करोड़ गुना तथा शिव के निकट अनंत गुना फल प्राप्त होता है।