मस्जिद से निकलने की दुआ | Masjid se nikalne ki dua

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Masjid se nikalne ki dua हेल्लो दोस्तों आज किस आर्टिकल में हम आप लोगों को मस्जिद से बाहर निकलने की दुआ के बारे में बताएंगे जैसा कि इससे पहले कि आर्टिकल में हमने आप लोगों को मस्जिद में दाखिल होने की दुआ के बारे में बताया है.

उसी तरह मस्जिद से बाहर निकलने की भी दुआ होती है जब कोई शख्स मस्जिद के अंदर दाखिल होने की दुआ पड़ता है और फिर इबादत करके मस्जिद से बाहर निकलने की दुआ पड़ता है.

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तो अल्लाह उससे बहुत खुश होता है कि मेरे बंदे ने मेरे घर आने से पहले भी मुझसे इजाजत ली और यहां से जाने पर भी इजाजत ले रहा है और दुआ कर रहा है।

आपको चाहिए कि मस्जिद से निकलते वक्त दुआ जरूर पढ़ लिया करें. और मस्जिद से घर तक आते वक्त कुछ कलमा हम आप लोगों को बताएंगे रास्ते में चलते वक्त आप उनको पढ़ लिया करें उन कलमो को पढ़ने से आप जितने कदम चलेंगे अल्लाह ताला उन कदमों के बदले आपको एक नेकी देगा.

इसका मतलब आप जितने भी ज्यादा कदम चलेंगे उतनी ही ज्यादा नेकी आपको मिलेंगे हमारे इस्लाम में  छोटे-छोटे आमाल करने से भी नेकियां मिलती हैं.

इसलिए हम आपसे कहना चाहेंगे कि छोटे-छोटे आमाल करके आप नेकियो को इकट्ठे कर सकते हैं और अपने लिए जन्नत का दरवाजा खोल सकते है.

बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो कभी भी मस्जिद नहीं जाते है घर पर रह कर ही इबादत करते है जो लोग मस्जिद नहीं जाते है हम उन्हें ये बताना चाहते हैं की मस्जिद में की गई इबादत घर में की गई इबादत से 10 गुना ज्यादा होती है.

इसलिए आप को चहिए की आप लोग ज्यादा से ज्यादा इबादत मस्जिद में किया करें। तो आइए दोस्तो बिना देर किए जानते है मस्जिद से बाहर निकलने की दुआ क्या होती है.

मस्जिद से बाहर निकलने की दुआ हिन्दी में | Masjid se nikalne ki dua hindi me

अल्लाहुम्मा इन्नी अस अलुका मिन फज़लिका

तर्जुमा

“ऐ अल्लाह! मैं तुझसे तेरा फज़ल मांगता हूं”

मस्जिद से बाहर निकलने की दुआ इंग्लिश में | Masjid se nikalne ki dua in english

“Allahumma inni as as’aluka min fadlika”

तर्जुमा

Ae Allah! Mai Tujhse Tera fazal mangta hu

मस्जिद से बाहर निकलने की दुआ अरबी में | Masjid se nikalne ki dua

اللهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ مِنْ فَضْلِكَ

मस्जिद से बाहर निकलते वक्त दुआ क्यों पढ़ते हैं ?

दोस्तों मस्जिद से निकलते वक्त दुआ इसलिए पढ़ते हैं क्योंकि इससे अल्लाह हमसे खुश होता है और उसे यह खुशी होती है कि मेरे बंदे ने मेरे ही घर से जाते वक्त मुझ से इजाजत लिए और मुझसे अपनी सलामती की दुआ की है।

उसने मेरी तारीफ की है जब कोई बंदा अल्लाह की तारीफ करता है तो अल्लाह उस बंदे से बहुत ज्यादा खुश होता है इसलिए मस्जिद से निकलते वक्त दुआ जरूर पढ़ा करें और दुआ पढ़ने के बाद जब रास्ते में चले तो इन को पढ़ा करे जो हमने आपको नीचे बताया है।

मस्जिद से बाहर निकलते वक्त ये पढ़ा करें

जब मस्जिद से बाहर निकले तो सबसे पहले अपने दाएं पैर को बाहर निकालने और मस्जिद से बाहर निकलने की दुआ पढ़े उसके बाद जब घर के लिए चले तो रास्ते में 3 मर्तबा दरूद शरीफ पढ़े. और 3 मर्तबा अल्हम्दु पड़े उसके बाद अल्लाह हू अकबर अल्लाह हू अकबर पढ़ते हुए रास्ते में चलते रहे और जब घर पहुंच जाएं तो घर में दाखिल होने की दुआ पढ़कर घर के अंदर कदम रखें.

निष्कर्ष

उम्मीद करते हैं दोस्तों हमारे द्वारा बताई गई जानकारी आप लोगों को पसंद आई होगी हमने आज इस आर्टिकल में आप लोगों को मस्जिद से बाहर निकलने की दुआ बताइए है और हमें उम्मीद है.

आप लोगों को यह तो बहुत ही आसानी से याद हो गई होगी क्योंकि इस आर्टिकल में हमने आप लोगों को हिंदी अरेबिक और इंग्लिश इन सभी भाषाओं में दुआ बताइ है ताकि जिन लोगों को अरबी या हिंदी नहीं आती होगी तो वह इंग्लिश में याद कर सके और जिन लोगों को इंग्लिश नहीं आती है.

वह हिंदी में इस दुआ को याद कर सके दोस्तों इस दुआ को याद करना बहुत ही जरूरी होता है। क्योंकि यह दुआ है तो बहुत छोटी सी लेकिन इस की फजीलत बहुत ज्यादा है और इस दुआ को पढ़ने वाले से अल्लाह बहुत ज्यादा खुश होता है.

जब कोई बंदा Masjid se nikalne ki dua पढ़ता है तो अल्लाह उससे बहुत खुश होता है। कि मेरे बंदे ने मेरे घर से जाते वक़्त मुझे इजाजत ली है.

अगर आप दुआ को पढ़ते हैं तो अल्लाह पूरे रास्ते आप की हिफाजत करता है और आपको सही सलामत घर तक पहुचाता है और आपको हर मुसीबत और हर बाला से महफूज रखता है इसलिए इस दुआ को पढ़ना बहुत ही जरूरी होता है.

कुछ लोगों के मन में यह सवाल होता है कि अगर मस्जिद में  दाखिल होते वक्त और मस्जिद से बाहर निकलते वक्त अगर दुआ ना पढ़ी जाए तो गुनाह तो नहीं मिलता है तो दोस्तों हम आप लोगों को बता दें.

कि मस्जिद में दाखिल होते वक्त और मस्जिद से बाहर निकलते वक्त अगर दुआ ना पढ़ी जाए तो कोई भी गुनाह नहीं है लेकिन इस छोटी सी दुआ को पढ़ने से सवाब बहुत ज्यादा मिलता है.

इसलिए हम आपसे कहना चाहेंगे. कि आप इस दुआ को जरूर से जरूर याद करें और मसजिद में दाखिल होते वक्त और मस्जिद से निकलते वक्त दुआ को जरूर पढ़ लिया करें.

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