Mitti kitne prakar ki hoti hai ? नमस्कार दोस्तों भारत में पाई जाने वाली सभी प्रकार की मिट्टियों के बारे में आज हम आपको विस्तार से बताने वाले हैं हम आपको मिट्टी के गुरु धर्म व उससे संबंधित कई अन्य जानकारियां इस आर्टिकल में आपको देने वाले हैं.
मिट्टी क्या है और यह किस प्रकार होती है इसके बारे में भी आप से हम इस आर्टिकल में चर्चा करेंगे कुछ मिट्टियां खेती करने के लिए अत्यधिक उपयोगी होती हैं जिनके बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं.
और मिट्टी के कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थों का तत्व के बारे में भी विस्तार से आज आपको हमेशा निकल के माध्यम से बताएंगे पृथ्वी की ऊपरी सतह की मिट्टी व चट्टानों के से बनी मिट्टी और नदियों में बहा कर लाई जाने वाली मिट्टी कैसी होती है.
और इस बार फसल होती है या नहीं इन सब के बारे में आपको संपूर्ण जानकारी हम इस आर्टिकल में देने वाले हैं इसलिए आपको यह आर्टिकल पूरा पढ़ना है.
और mitti kitne prakar ki hoti hai यह भी जानना है तो अब बिना देर किए हुए चलिए जानते हैं कि mitti kitne prakar ki hoti hai ?
- 1. मृदा किसे कहते हैं ?
- 2. Mitti kitne prakar ki hoti hai ?
- 2.1. 1. जलोढ़ मिट्टी या दोमट मिट्टी
- 2.2. 2. लवणीय मृदा या क्षारीय मिट्टी
- 2.3. 3. लाल एवं पीली मिट्टी
- 2.4. 4. पीटमय मृदा तथा जैव मृदा
- 2.5. 5. काली मिट्टी
- 2.6. 6. शुष्क मृदा या मरुस्थलीय मिट्टी
- 2.7. 7. लैटेराइट मिट्टी
- 2.8. 8. वन मृदा या पर्वतीय मिट्टी
- 3. FAQ : Mitti kitne prakar ki hoti hai
- 3.1. Q. सबसे अच्छी मिट्टी कौन सी है?
- 3.2. Q. मिट्टी कितने प्रकार की होती है?
- 3.3. Q. सबसे खराब जल धारण क्षमता वाली मिट्टी कौन सी है?
- 4. निष्कर्ष | Conclusion
मृदा किसे कहते हैं ?
भूमि के सबसे ऊपरी सतह को मिट्टी कहते हैं भ्रष्ट का वह ऊपरी हिस्सा जो पौधों के प्रगति व अन्य जीव-जंतुओं के लिए एक अवयव जैसे खनिज जल पोषक तत्वों को प्रदान करने का कार्य करती है मृदा या मिट्टी कहलाती है.
वैसे तो मिट्टी की कई परतें होती हैं लेकिन मिट्टी की सबसे ऊपरी परत छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनी होती है इसमें सभी जीव जंतुओं के सड़े हुए अवशेष मिले हुए होते हैं यह यह परत पेड़ पौधों व अन्य फसलों और खेती के लिए लाभदायक होती है.
Mitti kitne prakar ki hoti hai ?
सर्वप्रथम 1879 ई० में डोक शैव ने भारत की मिट्टी का वर्गीकरण किया जिसमें उन्होंने मिट्टी को सामान्य और असामान्य तौर पर पांच भागों में बांटा था लेकिन फिर बाद में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मिट्टी को 8 भागों में विभाजित कर दिया.
इस प्रकार मिट्टी आठ भागों में बांट गई और सब की अलग अलग भूमिका होती है कई चट्टानों के विघटन से मिट्टी का निर्माण होता है
1. जलोढ़ मिट्टी या दोमट मिट्टी
दोमट मिट्टी भारत मैं सबसे अधिक क्षेत्रफल में फैली हुई होती है इसे जलोढ़ मिट्टी या दोमट मिट्टी कहते हैं यह भारत में लगभग 43% भाग दोमट मिट्टी का होता है इस मिट्टी का निर्माण नदियों के द्वारा होता है यह नदी में बहती हुई धारा के साथ अधिक क्षेत्रफल में फैल जाती है.
इस मिट्टी में नाइट्रोजन और फास्फोरस की बहुत कम मात्रा होती है यदि किसान इस मिट्टी पर फसल उगाता है तो उसको यूरिया की अधिक मात्रा अपने खेत में डालना आवश्यक है.
इस मिट्टी पर किसान आलू, गेहूं और धान आराम से उगा सकता है दोमट मिट्टी एक प्रकार से बलुई मिट्टी और चिकनी मिट्टी से बनी हुई होती है.
2. लवणीय मृदा या क्षारीय मिट्टी
जिस मिट्टी में कैल्शियम सोडियम और मैग्नीशियम की अधिक मात्रा पाई जाती है वह क्षारीय मिट्टी या लवणीय मृदा होती है इस मिट्टी को उसर मिट्टी भी कहते हैं जिस क्षेत्र में अधिक जलभराव होता है और वहां पर पानी के निकास का कोई विशेष समाधान नहीं होता है.
वहां पर क्षारीय मिट्टी अधिक पाई जाती है यह मिट्टी समुद्र के तटीय इलाकों में ज्यादा पाई जाती है जहां पर नारियल की अच्छी खेती की जाती है कई बार देखा होगा समुद्र के किनारों पर नारियल के पेड़ लगे होते हैं.
3. लाल एवं पीली मिट्टी
भारत में लाल मिट्टी क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से तीसरे स्थान पर है यह भारत के 5.18 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हुई है इस मिट्टी का निर्माण ग्रेनाइट चट्टान टूटने पर होता है तमिलनाडु लाल मिट्टी के लिए मशहूर है लाल मिट्टी सबसे ज्यादा खनिज पाए जाते हैं.
लाल मिट्टी में फास्फोरस व नाइट्रोजन की कम मात्रा पाई जाती है इस मिट्टी में आयरन ऑक्साइड उपस्थित होने के कारण इसका रंग लाल दिखाई देता है यह मिट्टी फसल के लिए ठीक नहीं होती है इस मिट्टी में अरहर ज्वार बाजरा मक्का आदि के लिए उपजाऊ मानी जाती है.
भारत के केरल राज्य में पीली मिट्टी अधिक मात्रा में पाई जाती है वास्तव में जहां पर लाल मिट्टी पाई जाती है लाल मिट्टी पर अधिक वर्षा होने पर इसके रासायनिक तत्व अलग अलग हो जाते हैं जिससे लाल मिट्टी का रंग ही पीला हो जाता है यही पीली मिट्टी का कहलाती है.
4. पीटमय मृदा तथा जैव मृदा
जिस क्षेत्र में अधिक दलदल पाया जाता है वहां पर जैव मिट्टी या पीट मिट्टी उपस्थित होती है यह मिट्टी जैसे केरल पश्चिम बंगाल एवं उत्तराखंड में अधिक दलदल होने के कारण वहां पर ज्यादा पाई जाती है.
जैविक मिट्टी में पोटाश और फास्फोरस की बहुत कम मात्रा पाई जाती है लेकिन इस मिट्टी में लवण अत्यधिक मात्रा में उपस्थित होते हैं यह मिट्टी फसल के लिए अत्यधिक उपयोगी मानी जाती है.
5. काली मिट्टी
क्षेत्रफल की दृष्टि से दोमट मिट्टी के बाद भारत में काली मिट्टी का दूसरा स्थान है काली मिट्टी को रेगुर मिट्टी भी कहा जाता है यह मिट्टी कपास की खेती के लिए अत्यधिक उपयोगी मानी जाती है इस मिट्टी का उपयोग सबसे ज्यादा गुजरात और महाराष्ट्र में किया जाता है.
वहां पर इसका खेती के लिए अत्यधिक उपयोग किया जाता है काली मिट्टी का निर्माण ज्वालामुखी के उदगार के कारण बेसाल्ट चट्टान के द्वारा होता है काली मिट्टी में पोटाश,नाइट्रोजन व फास्फोरस की कम मात्रा पाई जाती है.
इस मिट्टी में मैग्नीशियम,लोहा, चुना और एलुमिना अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है इस मिट्टी का उपयोग किसान धान मसूर व चना की खेती के लिए अधिक करते हैं.
6. शुष्क मृदा या मरुस्थलीय मिट्टी
यह मिट्टी फसलों के लिए सबसे अधिक उपयोगी होती है इसमें सरसों की फसल सबसे अच्छी होती है इस मिट्टी में कार्बनिक तत्व एवं नाइट्रोजन बहुत कम मात्रा में पाया जाता है लेकिन इस मिट्टी पर फसल उगाने के लिए पानी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए.
क्योंकि इस मिट्टी में पानी की कमी होती है और यह पानी सोखने में अत्यधिक सक्षम होती है मरुस्थलीय मिट्टी फसल के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती है मरुस्थलीय मिट्टी में तिलहन के अलावा ज्वार बाजरा आदि की अच्छी फसल उगाई जा सकती है.
7. लैटेराइट मिट्टी
क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से लैटेराइट मिट्टी भारत में चौथे स्थान पर है इसके क्षेत्रफल की बात करें तो इसका क्षेत्रफल लगभग 1.26 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है इस मिट्टी में एलुमिनियम ऑक्साइड और लौह ऑक्साइड अधिक मात्रा में पाए जाते हैं.
और कुछ ऐसे तत्व हैं जो इस लैटेराइट मिट्टी में बिल्कुल नहीं पाए जाते हैं जैसे पोटाश चूना नाइट्रोजन फास्फोरस व अन्य कार्बनिक तत्व बिल्कुल नहीं पाए जाते हैं.
लेटराइट मिट्टी का उपयोग चाय और कॉफी के लिए अत्यधिक किया जाता है या इसके लिए बेहद उपजाऊ जमीन होती है यह मिट्टी पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है.
8. वन मृदा या पर्वतीय मिट्टी
इस मिट्टी में कंकड़ पत्थर आदि अधिक मात्रा में उपस्थित होते है इस मिट्टी में पोटाश चूना और फास्फोरस की कम मात्रा पाई जाती है पर्वती मिट्टी आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में ज्यादा पाई जाती है.
इस मिट्टी पर चाय की खेती की जाती है यह मिट्टी नमी सूखने की अच्छी क्षमता रखती है इसी कारण यह खेती के लिए अत्यधिक उपयोगी मानी जाती है.
FAQ : Mitti kitne prakar ki hoti hai
Q. सबसे अच्छी मिट्टी कौन सी है?
Ans. यदि सबसे अच्छी मिट्टी की बात करें तो जलोढ़ या दोमट मिट्टी अत्यधिक उपयोगी और फसल के लिए बहुत उपजाऊ मानी जाती है.
Q. मिट्टी कितने प्रकार की होती है?
Ans. भारत में मिट्टी को सामान्य तौर पर आठ भागों में विभाजित किया गया है.
Q. सबसे खराब जल धारण क्षमता वाली मिट्टी कौन सी है?
Ans. रेतीली मिट्टी सबसे खराब जल धारण की क्षमता रखती है इसमें रेट और मिट्टी अधिक मात्रा में होती है यह मिट्टी खेती के लिए बिल्कुल उपयोगी नहीं है लेकिन इस पर जौ बाजरा मक्का व अन्य कुछ फसलें आसानी से उगा सकते हैं.
निष्कर्ष | Conclusion
हम आशा करते हैं कि आपने mitti kitne prakar ki hoti hai इसके बारे में अच्छे से जान लिया होगा यदि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों व अन्य जानने वालों के साथ अवश्य शेयर करें.
ताकि उनको भी ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी का लाभ प्राप्त हो सके यदि आपका इससे संबंधित कोई अन्य सवाल है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं हम आपके सवाल का जवाब जल्द से जल्द देने का प्रयत्न करेंगे.