Muladhara chakra मानव शरीर अथाह शक्तियों का भंडार है समस्त ब्रह्मांड की असीम शक्तियां मानव शरीर के अंदर स्थित होती हैं।यह शक्तियां योगाभ्यास द्वारा जागृत होती हैं,विभिन्न प्रकार की शक्तियां मनुष्य के शरीर में पाए जाने वाले चक्रों में निहित होती हैं। Manushya ke sharir ke chkr सात होते हैं जो समस्त ऊर्जा का केंद्र होते हैं जिसके माध्यम से ब्रह्मांड की उर्जा मानव शरीर में प्रवाहित होती है।
मनुष्य के शरीर में पाए जाने वाले चक्र ऊर्जा के केंद्र होते हैं जिसमें निश्चित प्रभाव और अधिकार नहीं होते हैं। यह सभी ऊर्जा केंद्र सुप्त अवस्था में होते हैं जिन्हें सक्रिय करने के लिए योगाभ्यास की आवश्यकता होती हैं। यही चक्र जागरण करना ही कुंडली जागरण कहलाता है।
- 1. मूलाधार चक्र क्या है | muladhara chakra
- 2. मूलाधार चक्र की स्थिति कहां होती है ? | Muladhara chakra kaha par hota hai
- 3. मूलाधार चक्र का बीज मंत्र | Muladhara chakra beej mantra
- 4. मूलाधार चक्र से जुड़े शरीर के अंग
- 5. मूलाधार चक्र को जागृत करने से फायदा | Muladhara chakra jagrat karne ke fayde
- 6. मूलाधार चक्र का असंतुलित होने से होने वाले प्रभाव
- 7. मूलाधार चक्र कैसे जागृत करें ? | muladhara chakra kaise jagrit kare | muladhara chakra activation
मूलाधार चक्र क्या है | muladhara chakra
मनुष्य के शरीर में पहला चक्र मूलाधार चक्र होता है जो समस्त केंद्रों का मूल आधार होता है। यह चक्र सुषुम्ना नाड़ी के मूल में स्थित होता है और शरीर का आधार होता है। समस्त चक्रों के मूल में यही सर्वप्रथम चक्र होता है। योग विद्या या कुंडलिनी की दृष्टि से यह चक्र बहुत अधिक महत्वपूर्ण और प्रमुख है कुंडलिनी शक्ति इसी चक्र में स्थित होती है।
एक बालक का प्रारंभिक 7 वर्ष का जीवन इसी चक्र के कारण प्रभावित होता है विभिन्न प्रकार के चेस्टाएं प्रभावित होती हैं। बालक स्वयं में रत रहता है और असुरक्षा बोध से ग्रस्त इसका प्रमाण होता है। मूलाधार चक्र से संबंधित होने के कारण मनुष्य 10 से 12 घंटे तक पेट के बल से होता है और वह क्रोध ईर्ष्या घृणा द्वेष स्वास्थ्य बल बुद्धि स्वच्छता और पाचन शक्तियां इसी से संबंधित होती हैं।
शरीर की धातुएं उपधातु और चेतन शक्ति को इसी से बल मिलता है इसी चक्र के प्रभाव के कारण मनुष्य को देवत्व की ओर अग्रसर होता है।
मूलाधार चक्र की स्थिति कहां होती है ? | Muladhara chakra kaha par hota hai
मूलाधार चक्र सुषुम्ना नाड़ी के मूल में गुदा से दो अंगुल ऊपर आगे व उपस्थ से दो अंगुल पीछे सिवनी के मध्य में है। मूलबंध लगाते समय इसी क्षेत्र को पैर की एड़ी से दबाया जाता है और नीचे की ओर चलने वाली अपान वायु का मुख्य स्थान होता है।
मूलाधार चक्र शरीर में उपस्थित पंचमहाभूत पृथ्वी आकाश जल वायु आग मैं पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। पृथ्वी तत्व से संबंधित होने के कारण मूलाधार का प्रधान ज्ञान और गुण गंध होता है इसकी कर्म इंद्री गुदा और ज्ञान इंद्री नासिका होती है।
इसका तत्व रूप चतुर्भुज है जो सुनहरे अथवा पीले रंग का होता है इसकी यंत्र आकृति पीत वर्ण चतुष्कोण है। यह रक्त वर्ण से प्रकाशित चार पंखुड़ियों बादलों से युक्त है सुरक्षा भोजन और शरण इस चक्र के प्रधान भौतिक गुण होते हैं।
मूलाधार चक्र का बीज मंत्र | Muladhara chakra beej mantra
मूलाधार चक्र का बीज तत्व “लं” है जो इसकी बीज ध्वनि का सूचक है। इस तत्व का बीज वाहन ऐरावत हाथी है तथा कमल दल ध्वनियाँ वं, शं,ष,सं हैं जो पंखुड़ियों के अक्षर हैं। यह चक्र शक्ति का सूचक है तथा इसके प्रमुख देवता गणेश हैं। इस चक्र पर ध्यान के समय प्रयुक्त होने वाली कर मुद्रा में अंगूठे तथा कनिष्ठा अंगुली के सिरों को दबाया जाता है।
मूलाधार चक्र से जुड़े शरीर के अंग
मूलाधार चक्र से शरीर के विभिन्न अंग संबंधित होते हैं जैसे रीड की हड्डी, पैर और घुटने रक्त परिसंचरण आदि। यदि इन अंगों में किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है तो सीधा तात्पर्य यह है कि मूलाधार चक्र में कुछ ना कुछ गड़बड़ है जिसकी वजह से घुटनों में दर्द या रीढ़ की हड्डी में दर्द होते हैं।
मूलाधार चक्र को जागृत करने से फायदा | Muladhara chakra jagrat karne ke fayde
मूलाधार चक्र को जागृत करने से व्यक्ति साहसी आत्म विश्वासी और जमीन से जुड़ता है। व्यक्ति को जीवन जीने की इच्छा को बढ़ा देता है तथा व्यक्ति में हिम्मत दूसरों पर विश्वास और फुर्तीला बना देता है।
मूलाधार चक्र का असंतुलित होने से होने वाले प्रभाव
मूलाधार चक्र पुरुषों में अधिकांश संतुलित होता है परंतु महिलाओं में असंतुलन की स्थिति ज्यादा होती है ऐसी स्थिति में महिलाओं को 40 साल के बाद घुटनों में दर्द, साहस की कमी, आत्महत्या करने जैसे विचार उत्पन्न होते हैं मूलाधार चक्र के असंतुलन से खून की कमी थकान महसूस होना तथा बनाओ और घबराहट जैसे लक्षण महसूस होते हैं। घबराहट सर्दी लगना हाथ पैर ठंडे होना तथा साठिका जैसे लक्षण होते हैं।
मूलाधार चक्र कैसे जागृत करें ? | muladhara chakra kaise jagrit kare | muladhara chakra activation
धार चक्र मूलाधार चक्र सिद्ध करने के लिए प्राणायाम स्थित में बैठकर मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करना होता है। मूलाधार चक्र को जागृत करते समय मूलाधार मंत्र का जाप करते रहना होता है धीरे धीरे मूलाधार चक्र जागृत होने लगता है। इसके जागृत होने के बाद व्यक्ति के अंदर लालच लोग मिट जाता है और व्यक्ति आत्मिक ज्ञान को प्राप्त कर लेता है तथा व्यक्ति गुणवान व अच्छा बन जाता है।
मूलाधार चक्र जागृत होने के बाद व्यक्ति के अंदर निर्णय लेने की क्षमता प्रबल हो जाती है मजबूत हौसलों के साथ शारीरिक क्षमता बढ़ जाती है। मूलाधार चक्र समस्त शक्तियों और संसार का प्रमुख चक्र होता है मनुष्य के अंदर अपार शक्तियां उत्पन्न हो जाती हैं।
कुंडलिनी जागरण इसी मूलाधार चक्र से होती है जो अपार शक्तियां उत्पन्न कर देती है कुंडलिनी में ही समस्त शक्तियां निहित होती हैं। मूलाधार चक्र जीवन का पालन पोषण, उत्पत्ति और नाश प्रमुख आधार होता है।
मूलाधार चक्र को जागृत करते समय नीचे दिए गए मंत्र को एक माला लेकर 108 बार प्रतिदिन जाप करना होता है जिससे मूलाधार चक्र जागृत हो जाता है। मूलाधार चक्र को जागृत करने के लिए यम और नियम का पालन करना आवश्यक है। इस चक्र को जागृत करने के लिए नियमित ध्यान लगाना जरूरी है जिससे मूलाधार चक्र जागृत होने में किसी प्रकार की बाधा ना हो और कोई नुकसान ना हो।
ॐ लं परम तत्वाय गं ॐ फट!
यह लेख पढने के बाद आप को muladhara chakra के बारे में जानकारी हो गयी होगी . अन्य लेख में हमने अन्य चक्रों के बारे में बताया है .