Narsingh Kavach : संपूर्ण सुरक्षा चमत्कारी नरसिंह कवच अर्थ लाभ और मंत्र

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नरसिंह कवच : Narsingh kavach : प्रणाम गुरुजनों आज हम आप लोगों को नरसिंह कवच के बारे में बताएंगे नरसिंह कवच संरक्षण पाने के लिए बहुत शक्तिशाली कवच है नरसिंह कवच एक सुरक्षित कवच के रूप में माना जाता है नरसिंह कवच किसका अवतार है नरसिंह कवच भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और यह कवच बहुत ही ज्यादा चमत्कारी प्रभाव दिखाता है.

नरसिंह कवच के द्वारा आप किसी भी बुरी आत्माओं से सुरक्षा और भौतिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए और साथ-साथ भक्ति और शांति में वृद्धि के लिए इस मंत्र का उपयोग कर सकते हैं। अगर आपको इस नरसिंह कवच का जाप करना है तो एक व्यक्ति की व्यक्तिगत कुंडली के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा और कर्म संरचनाओं को शुद्ध करता है और आपके सभी प्रकार की शुभता को प्रकट करता है.

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क्या आप जानते हैं कि नरसिंह कवच एक बहुत ही पवित्र कवच है क्योंकि यह सभी प्रकार की बाधाओं को खत्म कर देता है और सभी व्यक्तियों को सुरक्षा भी प्रदान करता है जो भी व्यक्ति इसका नियमित रूप से बात करता है वह काले जादू , तंत्र , मंत्र ,भूत , आत्माओं नकारात्मक विचारों और अन्य हानिकारक चीजों से छुटकारा पा सकता है.

चलिए आज हम आप लोगों को नरसिंह कवच के बारे में बताएंगे और नरसिंह कवच क्या है इसके बारे में बताएंगे के फायदे बताएंगे जिससे आपको भी इसका लाभ मिल सके अगर आपको नरसिंह कवच के लाभ या फिर फायदे उठाने है तो आपको इस लेख को पूरा पढ़ना होगा जब आप इस लेख को पूरा पड़ेंगे तभी आपको पता चलेगा कि इस का मेन कारण यह फिर मेन मकसद क्या है ?

नरसिंह भगवान का बीज मंत्र

‘श्रौं’/ क्ष्रौं (नृसिंहबीज)।
ॐ श्री लक्ष्मीनृसिंहाय नम:।।
ॐ नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः ।

1. संपत्ति बाधा नाशक नरसिंह मंत्र

“ॐ नृम मलोल नरसिंहाय पूरय-पूरय”

2. ऋण मोचक नरसिंह मंत्र ।

“ॐ क्रोध नरसिंहाय नृम नम:”

3. शत्रु नाशक नरसिंह मंत्र

“ॐ नृम नरसिंहाय शत्रुबल विदीर्नाय नमः”

4. नरसिंह यश रक्षक मंत्र

“ॐ करन्ज नरसिंहाय यशो रक्ष”

5. नरसिंह गायत्री मंत्र

ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि | तन्नो नरसिंह प्रचोदयात ||

6. आपत्ति निवारक नरसिंह मंत्र

ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥

7. संकटमोचन नरसिंह मंत्र

ध्याये न्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।
अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।

नरसिंह कवच का अर्थ

नरसिंह कवच का अर्थ है सुरक्षा का कवच यह एक आध्यात्मिक कवच है इस कवच को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार का या कवच अत्यंत चमत्कारी प्रभाव दिखाता है अगर अगर आप इस कवच का पाठ करते हैं तो नरसिंह भगवान बुरी आत्माओं से सुरक्षा और भौतिक इच्छाओं की पूर्ति के साथ-साथ लाभकारी होता है।

नरसिंह कवच क्या है ?

नरसिंह कवच

नरसिंह कवच ब्रह्मनंद पुराण का एक ऐसा शक्तिशाली कवच या फिर मंत्र माना जाता है जिसे महाराजा प्रसाद महाराज द्वारा लिखा किया गया था जो भी व्यक्ति इस मंत्र का जाप करता है उसे सभी प्रकार के गुड प्राप्त होते हैं और उसे हमेशा स्वर्ण के ग्रहों के ऊपर स्थान दिया जाता है ऐसा कहा जाता है कि नरसिंह कवच सभी मंत्रों का राजा होता है अगर आप इस कवच का उच्चारण सही शब्दों में करते हैं तो यह आपके लिए अति शुभ और अति शीघ्र फल देने वाला होता है।

नरसिंह कवच  | Narasimha Kavacha

विनयोग

ॐ अस्य श्रीलक्ष्मीनृसिंह कवच महामंत्रस्य
ब्रह्माऋिषः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीनृसिंहोदेवता, ॐ
क्षौ बीजम्, ॐ रौं शक्तिः, ॐ ऐं क्लीं कीलकम्
मम सर्वरोग, शत्रु, चौर, पन्नग,
व्याघ्र, वृश्चिक, भूत-प्रेत, पिशाच, डाकिनी-
शाकिनी, यन्त्र मंत्रादि, सर्व विघ्न निवाराणार्थे
श्री नृसिहं कवचमहामंत्र जपे विनयोगः।।
एक आचमन जल छोड़ दें।

अथ ऋष्यादिन्यास

ॐ ब्रह्माऋषये नमः शिरसि।
ॐ अनुष्टुप् छन्दसे नमो मुखे।
ॐ श्रीलक्ष्मी नृसिंह देवताये नमो हृदये।
ॐ क्षौं बीजाय नमोनाभ्याम्।
ॐ शक्तये नमः कटिदेशे।
ॐ ऐं क्लीं कीलकाय नमः पादयोः।
ॐ श्रीनृसिंह कवचमहामंत्र जपे विनयोगाय नमः सर्वाङ्गे॥

अथ करन्यास

ॐ क्षौं अगुष्ठाभ्यां नमः।
ॐ प्रौं तर्जनीभ्यां नमः।
ॐ ह्रौं मध्यमाभयां नमः।
ॐ रौं अनामिकाभ्यां नमः।
ॐ ब्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
ॐ जौं करतलकर पृष्ठाभ्यां नमः।

अथ हृदयादिन्यास

ॐ क्षौ हृदयाय नमः।
ॐ प्रौं शिरसे स्वाहा।
ॐ ह्रौं शिखायै वषट्।
ॐ रौं कवचाय हुम्।
ॐ ब्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्।
ॐ जौं अस्त्राय फट्।

नृसिंह ध्यान

ॐ सत्यं ज्ञान सुखस्वरूप ममलं क्षीराब्धि मध्ये स्थित्।
योगारूढमति प्रसन्नवदनं भूषा सहस्रोज्वलम्।
तीक्ष्णं चक्र पीनाक शायकवरान् विभ्राणमर्कच्छवि।
छत्रि भूतफणिन्द्रमिन्दुधवलं लक्ष्मी नृसिंह भजे॥

कवच पाठ

ॐ नमोनृसिंहाय सर्व दुष्ट विनाशनाय सर्वंजन मोहनाय सर्वराज्यवश्यं कुरु कुरु स्वाहा।
ॐ नमो नृसिंहाय नृसिंहराजाय नरकेशाय नमो नमस्ते।
ॐ नमः कालाय काल द्रष्ट्राय कराल वदनाय च।
ॐ उग्राय उग्र वीराय उग्र विकटाय उग्र वज्राय वज्र देहिने रुद्राय रुद्र घोराय भद्राय भद्रकारिणे ॐ ज्रीं ह्रीं नृसिंहाय नमः स्वाहा !!
ॐ नमो नृसिंहाय कपिलाय कपिल जटाय अमोघवाचाय सत्यं सत्यं व्रतं महोग्र प्रचण्ड रुपाय।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं ॐ ह्रुं ह्रुं ह्रुं ॐ क्ष्रां क्ष्रीं क्ष्रौं फट् स्वाहा।
ॐ नमो नृसिंहाय कपिल जटाय ममः सर्व रोगान् बन्ध बन्ध,

सर्व ग्रहान बन्ध बन्ध, सर्व दोषादीनां बन्ध बन्ध,

सर्व वृश्चिकादिनां विषं बन्ध बन्ध, सर्व भूत प्रेत, पिशाच, डाकिनी शाकिनी, यंत्र मंत्रादीन् बन्ध बन्ध,

कीलय कीलय चूर्णय चूर्णय, मर्दय मर्दय, ऐं ऐं एहि एहि,

मम येये विरोधिन्स्तान् सर्वान् सर्वतो हन हन, दह दह, मथ मथ, पच पच, चक्रेण, गदा, वज्रेण भष्मी कुरु कुरु स्वाहा।
ॐ क्लीं श्रीं ह्रीं ह्रीं क्ष्रीं क्ष्रीं क्ष्रौं नृसिंहाय नमः स्वाहा।
ॐ आं ह्रीं क्ष्रौं क्रौं ह्रुं फट्।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन नृसिंहाय मम विजय रुपे कार्ये ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल असाध्यमेनकार्य शीघ्रं साधय साधय एनं सर्व प्रतिबन्धकेभ्यः सर्वतो रक्ष रक्ष हुं फट् स्वाहा।
ॐ क्षौं नमो भगवते नृसिंहाय एतद्दोषं प्रचण्ड चक्रेण जहि जहि स्वाहा।
ॐ नमो भगवते महानृसिंहाय कराल वदन दंष्ट्राय मम विघ्नान् पच पच स्वाहा।
ॐ नमो नृसिंहाय हिरण्यकश्यप वक्षस्थल विदारणाय त्रिभुवन व्यापकाय भूत-प्रेत पिशाच डाकिनी-शाकिनी कालनोन्मूलनाय मम शरीरं स्तम्भोद्भव समस्त दोषान् हन हन, शर शर, चल चल, कम्पय कम्पय, मथ मथ, हुं फट् ठः ठः।
ॐ नमो भगवते भो भो सुदर्शन नृसिंह ॐ आं ह्रीं क्रौं क्ष्रौं हुं फट्।
ॐ सहस्त्रार मम अंग वर्तमान ममुक रोगं दारय दारय दुरितं हन हन पापं मथ मथ आरोग्यं कुरु कुरु ह्रां ह्रीं ह्रुं ह्रैं ह्रौं ह्रुं ह्रुं फट् मम शत्रु हन हन द्विष द्विष तद पचयं कुरु कुरु मम सर्वार्थं साधय साधय।
ॐ नमो भगवते नृसिंहाय ॐ क्ष्रौं क्रौं आं ह्रीं क्लीं श्रीं रां स्फ्रें ब्लुं यं रं लं वं षं स्त्रां हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमः भगवते नृसिंहाय नमस्तेजस्तेजसे अविराभिर्भव वज्रनख वज्रदंष्ट्र कर्माशयान् रंधय रंधय तमो ग्रस ग्रस ॐ स्वाहा।
अभयमभयात्मनि भूयिष्ठाः ॐ क्षौम्।
ॐ नमो भगवते तुभ्य पुरुषाय महात्मने हरिंऽद्भुत सिंहाय ब्रह्मणे परमात्मने।
ॐ उग्रं उग्रं महाविष्णुं सकलाधारं सर्वतोमुखम्।
नृसिंह भीषणं भद्रं मृत्युं मृत्युं नमाम्यहम्।

Narsingh kavach pdf

नीचे दिये गये लिंक से आप narsingh kavach pdf in hindi को आसानी से download कर सकते है :

 

Narsingh kavach pdf Download link
Narsingh kavach english pdfDownload link

नरसिंह कवच के लाभ | Narsingh kavach ke labh

नरसिंह कवच

  1. अगर आप नरसिंह भगवान का कवच पाठ करते हैं तो यह आपके लिए बहुत ही लाभकारी होता है।
  2. अगर आप कुछ दिन तक नरसिंह कवच का पाठ करते हैं तो आप अपने शत्रु के ऊपर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
  3. यह कवच बहुत ही ज्यादा चमत्कारी माना जाता हैं।
  4. अगर आप इस कवच का पाठ करते हैं तो यह कवच को किसी भी प्रकार के टोने टोटके व जादू से छुटकारा दिलाता है।
  5. अगर आप इस चमत्कारी पाठ को करते हैं तो यह आपको किसी भी प्रकार के शारीरिक रोग से दूर रखता है।
  6. इस बात का ध्यान हमेशा रखें कि नरसिंह कवच का पाठ हमेशा शनिवार , मंगलवार और वीरवार को ही किया जाता है
  7. यह एक ऐसा चमत्कारी पाठ है जिसको करने से आपके मन की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

नरसिंह कवच मंत्र के फायदे

  1. नरसिंह कवच के अनेकों फायदे हैं पैसे की नरसिंह कवच का पाठ दुनिया में हर प्रकार की बुराई और अत्याचार के खिलाफ अंतिम सुरक्षा कवच होता है अगर कोई भी भक्त इस नरसिंह कवच का स्मरण करता है तो उसको कभी भी कोई नुकसान नहीं पहुंच सकता है और यह एक सुरक्षित स्वस्थ और शांत और सामान्य जीवन प्रदान करता है।
  2. अगर आप इस नरसिंह कवच मंत्र का जाप करते हैं तो यह आप के कल्याण के लिए और आपकी रक्षा के लिए एक सुरक्षित कवच के रूप में कार्य करता है अगर आप इस मंत्र का जाप करते हैं तो जाप करते समय आपको ब्राह्मण के भगवान नरसिंह का ध्यान करना चाहिए जो कि एक स्वर्ण सिंहासन पर बैठे रहते हैं जो भी व्यक्ति एक कवच का पाठ करता है वह हमेशा विजई होने की इच्छा रखता है और आ जाए तो वास्तव में वह एक विजेता बन जाता है।
  3. अगर आपके ऊपर ग्रहों का उल्टा असर होता है तो आप इसे कवच का पाठ करते हैं तो उन ग्रहों के ऊपर से यह उल्टा असर खत्म कर देता है जहां कवच एक ऐसा कवच हैं कि अगर आपको कभी भी कोई नाग या फिर बिच्छू के जहरो का प्रभाव हो रहा है तो आपको सर्वोत्तम उपाय के लिए इस कवच का पाठ करने से इन बिच्छू और नागों का प्रभाव भी खत्म हो जाता है.
  4. अगर आप के ऊपर कोई भूत प्रेत जैसी समस्या है तो आप इस कवच का पाठ करिए और फिर देखिए आपको किसके कितने अच्छे लाभ प्राप्त होते हैं। अगर आप नियमित रूप से इस प्रार्थना का जाप करते हैं चाहे फिर वह 1 दिन में दो या तीन बार क्यों ना हो वह व्यक्ति हमेशा विजय को प्राप्त होता है चाहे वह राक्षसों से लड़ रहा हो या दुश्मनों से या फिर मनुष्य के बीच हो हर प्रकार की समस्याओं से निकल आता है और यह एक प्रकार का रक्षा कवच है।
  5. वह व्यक्ति जो इस मंत्र का पाठ करता है भगवान नरसिंह हमेशा उस पर अपनी कृपा बनाए रहते हैं और उस पर हमेशा अपना ध्यान रखते हैं चाहे फिर उस व्यक्ति के पेट में दर्द हो रहा हो तो वह उससे भी उसको निजात दिलाते हैं।

Narasimha Kavacham in English – śrī-nṛsiṁha-kavacaṁ

narasimha-kavacaṁ vakṣye prahlādenoditaṁ purā |
sarva-rakṣā-karaṁ puṇyaṁ sarvopadrava-nāśanam || 1 ||

sarva-sampat-karaṁ caiva svarga-mokṣa-pradāyakam |
dhyātvā nṛsiṁhaṁ deveśaṁ hema-siṁhāsana-sthitam || 2 ||

vivṛtāsyaṁ tri-nayanaṁ śarad-indu-sama-prabham |
lakṣmyāliṅgita-vāmāṅgam vibhūtibhir upāśritam || 3 ||

catur-bhujaṁ komalāṅgaṁ svarṇa-kuṇḍala-śobhitam |
śriyāsu-śobhitoraskaṁ ratna-keyūra-mudritam || 4 ||

tapta-kāncana-sankāśaṁ pīta-nirmala-vāsasam |
indrādi-sura-mauliṣṭha sphuran māṇikya-dīptibhiḥ || 5 ||

virājita-pada-dvandvaṁ śaṅkha-cakrādi-hetibhiḥ |
garutmatā chavinayāt stūyamānam mudānvitam || 6 ||

sva-hṛt-kamala-saṁvāsaṁ kṛtvā tu kavacaṁ pathet |
nṛsiṁho me śirah pātu loka-raksātma-sambhavah || 7 ||

sarvago ’pi stambha-vāsaḥ phālaṁ me rakṣatu dhvanim |
nṛsiṁho me dṛśau pātu soma-sūryāgni-locanaḥ || 8 ||

smṛtiṁ me pātu nṛhariḥ muni-varya-stuti-priyaḥ |
nāsāṁ me siṁha-nāśas tu mukhaṁ lakṣmī-mukha-priyaḥ || 9 ||

sarva-vidyādhipaḥ pātu nṛsiṁho rasanām mama |
vaktraṁ pātv indu-vadanaḥ sadā prahlāda-vanditaḥ || 10 ||

nṛsiṁhah pātu me kaṇṭhaṁ skandhau bhū-bharaṇānta-kṛt |
divyāstra-śobhita-bhujo nṛsiṁhaḥ pātu me bhujau || 11 ||

karau me deva-varado nṛsiṁhaḥ pātu sarvataḥ |
hṛdayaṁ yogi-sādhyaś ca nivāsaṁ pātu me hariḥ || 12 ||

madhyaṁ pātu hiraṇyāksa-vakṣaḥ-kukṣi-vidāraṇaḥ |
nābhiṁ me pātu nṛhariḥ sva-nābhi-brahma-saṁstutaḥ || 13 ||

brahmāṇḍa-koṭayaḥ kaṭyāṁ yasyāsau pātu me kaṭim |
guhyaṁ me pātu guhyānāṁ mantrāṇām guhya-rūpa-dhṛk || 14 ||

ūrū manobhavaḥ pātu jānunī nara-rūpa-dhṛk |
jaṅghe pātu dharā-bhāra-hartā yo ’sau nṛ-keśarī || 15 ||

sura-rājya-pradaḥ pātu pādau me nṛharīśvaraḥ |
sahasra-śīrṣā-puruṣaḥ pātu me sarvaśas tanum || 16 ||

mahograḥ pūrvataḥ pātu mahā-vīrāgrajo ’gnitaḥ |
mahā-viṣṇuḥ dakṣiṇe tu mahā-jvālas tu nairṛtau || 17 ||

paścime pātu sarveśo diśi me sarvatomukhaḥ |
nṛsiṁhaḥ pātu vāyavyāṁ saumyāṁ bheeṣaṇa-vigrahaḥ || 18 ||

īśānyāṁ pātu bhadro me sarva-maṅgala-dāyakaḥ |
saṁsāra-bhayadaḥ pātu mṛtyor mṛtyur nṛ-keśarī || 19 ||

idaṁ nṛsiṁha-kavacaṁ prahlāda-mukha-maṅḍitam |
bhaktimān yaḥ paṭhennityam sarva-pāpaiḥ pramucyate || 20 ||

putravān dhanavān loke dīrghāyur upajāyate |
yaṁ yaṁ kāmayate kāmaṁ taṁ taṁ prāpnoty asaṁśayam || 21 ||

sarvatra jayam āpnoti sarvatra vijayī bhavet |
bhūmy antarīkṣa-divyānāṁ grahānāṁ vinivāraṇam || 22 ||

vṛścikoraga-sambhūta-viṣāpaharaṇaṁ param |
brahma-rākṣasa-yakṣāṇāṁ dūrotsāraṇa-kāraṇam || 23 ||

bhūrje vā tālapatre vā kavacaṁ likhitaṁ śubham |
kara-mūle dhṛtaṁ yena sidhyeyuḥ karma-siddhayaḥ || 24 ||

devāsura-manuṣyeṣu svaṁ svaṁ eva jayaṁ labhet |
eka-sandhyaṁ tri-sandhyaṁ vā yaḥ paṭhen niyato naraḥ || 25 ||

sarva-maṅgala-māṅgalyaṁ bhuktiṁ muktiṁ ca vindati |
dvā-triṁśati-sahasrāṇi paṭhechhuddhātmabhir nribhih || 26 ||

kavacasyāsya mantrasya mantra-siddhiḥ prajāyate |
anena mantra-rājena kṛtvā bhasmābhi maṅtraṇam || 27 ||

tilakaṁ bibhriyād yas tu tasya gṛaha-bhayaṁ haret |
tri-vāraṁ japamānas tu dattaṁ vāryābhimantrya ca || 28 ||

prāśaye dyam naram mantraṁ nṛsiṁha-dhyānamācaret |
tasya rogāḥ praṇaśyanti ye ca syuḥ kukṣi-sambhavāḥ || 29 ||

kimatra bahunoktena nṛsimha sadṛśo bhavet |
manasā cintitam yattu sa tacchāpnotya samśayaṁ || 30 ||

garjantaṁ garjayantam nija-bhuja-patalaṁ sphoṭayantaṁ hatantaṁ
dipyantaṁ tāpayantaṁ divi bhuvi ditijaṁ kṣepayantam kṣipantam |
krandantaṁ roṣayantaṁ diśi diśi satataṁ saṁharantaṁ bharantaṁ
vīkṣantaṁ ghūrṇayantaṁ kara-nikara-śataiḥ divya-siṁhaṁ namāmi ||

iti śrī-brahmāṇḍa-purāṇe prahlādoktaṁ śrī-nṛsiṁha-kavacaṁ sampūrṇam ||

FAQ : नरसिंह कवच

नरसिंह देवता विष्णु जी के कौन से अवतार है?

विष्णु जी के कौन से अवतार को नरसिंह का अवतार कहा जाता है विष्णु जी के चौथे अवतार को नरसिंह देवता का अवतार कहा जाता है।

नरसिंह देवता किसके अवतार है?

नरसिंह देवता को किसका अवतार माना जाता है नरसिंह देवता को विष्णु जी का अवतार माना जाता है।

नरसिंह शब्द का क्या मतलब है?

नरसिंह शब्द को आधा पुरुष और आधा सिंह का अवतार माना जाता है।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आपको नरसिंह कवच के बारे में बताया तो अब आप लोगों को नरसिंह कवच के बारे में पता चल गया होगा क्योंकि आज हमने आपको नरसिंह कवच के फायदे बताए हैं जैसे कि नरसिंह कवच से आपके शरीर का रोग खत्म हो जाता है और आपके दुश्मनों से राक्षसों से या फिर यमदूत क्यों ना हो उनसे भी लड़ने में आपकी मदद करता है.

यह कवच बहुत ही प्रभावशाली कवच है के अनेकों प्रकार के फायदे हैं उन फायदो को आप ऊपर पढ़ सकते हैं उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख अच्छा लगा होगा क्योंकि आज हमने आपको इसमें नरसिंह कवच के बारे में बताया है नरसिंह किस भगवान का अवतार है नरसिंह विष्णु भगवान का अवतार है।

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