माँ पार्वती के 108 नाम और उनका हिंदी अर्थ एवं उनके 9 अवतार | Parvati names

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पार्वती नाम | Parvati names : हेलो दोस्तो नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से parvati names के बारे में बताने वाले हैं वैसे तो आप सभी में से किसी ना किसी को या जानकारी अवश्य होगी कि पार्वती कौन है जिस संसार में आप जीवित हैं उस पर कृपा बरसाने वाले हमारे पूरे संसार पर अपने महिमा बनाए रखने वाले भगवान शिव और शिव में आधा अंश उनकी पत्नी देवी पार्वती का है.

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क्या आप जानते हैं कि माता पार्वती यानी कि भगवान शिव की अर्धांगिनी के बहुत से नाम बनाए गए हैं माता पार्वती को कई नामों से जाना जाता है अगर आप उनके सभी नामों के बारे में जानकर उन नामों को अपनी बेटी का नाम देना चाहते हैं तो यह बहुत ही अच्छी बात है आप अपनी बेटी को देवी पार्वती का नाम देखकर आप उसमें देवी मां के गुणों या फिर उनका आशीर्वाद पा सकते हैं।

इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख में माता पार्वती के कुछ ऐसे नाम बताएंगे जो लोकप्रिय और बहुत ही सुंदर नाम है उन नामों में से आप अपनी लड़कियों के नाम भी रख सकती हैं हम आपको जो भी नाम देंगे उसमें से आप देवी माता का नाम चुनकर अपनी बेटी का नाम रख सकते हैं.

अगर आप माता पार्वती के उन सभी नामों के बारे में जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें ताकि आप लोगों को माता पार्वती के सभी नामों के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके और उसके साथ आप अपनी लड़की का नाम माता पार्वती के नाम से रख सके।

पार्वती नाम | Parvati names

अपने से कुछ लोगों को या जानकारी नहीं होगी कि माता पार्वती को भगवान शिव की शक्ति कहा गया है माता पार्वती भगवान शिव का आधा अंग यानी कि उनकी आधी शक्ति है कहते हैं अगर भगवान भोलेनाथ के साथ मात्र माता पार्वती का स्मरण कर लिया जाए तो मनुष्य के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं और उस व्यक्ति को भय से मुक्ति मिल जाती है. पार्वती के कुछ नाम इस प्रकार हैं. आद्य , अभव्या, भद्राकाली, ब्राह्मी,बुद्धि,कात्यायनी आदि प्रकार के नाम है.

mata parvati

मेरी रिसर्च के मुताबिक माता पार्वती के 9 अवतार हैं जिनमें से उन्होंने अपने सभी भक्तों के कष्ट दूर करने के लिए उनके दुष्टों का संहार करने के लिए यहां पर अलग-अलग शक्ति और अलग-अलग नाम दिए गए हैं इसीलिए हम माता पार्वती के 108 नामों का वर्णन करने वाले हैं इन नामों का अगर श्रद्धा पूर्वक और सच्चे मन के साथ जांच किया जाए तो व्यक्ति को हर प्रकार की खुशी प्राप्त हो सकती है तो चलिए माता पार्वती के 108 नाम और उनके अर्थ के बारे में जानकारी पता करते हैं।

माँ पार्वती के 108 नाम | 108 names of Maa parvati

क्रमांक संख्यापार्वती नाम पार्वती नाम के अर्थ 
1.आद्यअसलियत
2. आर्यायह देवी का नाम है
3. अभव्यायह नाम डर का प्रतीक है
4. अएंदरीभगवान इंद्र की शक्ति
5. अग्निज्वाला अग्नि का प्रतीक
6. अहंकारागौरव का प्रतीक
7. अमेयायह नाम उपाय से परे का प्रतीक है
8. अनंता यह नाम अनंत का एक प्रतीक है
9. अनंतायह नाम आपार का प्रतीक है

10. अनेकशस्त्रहस्ता – विभिन्न हथियारों को रखने वाली देवी
11. अनेकास्त्रधारिणी – वे देवी जो विभिन्न हथियारों को धारण करती हैं
12. अनेकावारना – कई रंगों की देवी
13. अपर्णा – यह नाम उस मनुष्य के लिए है जो उपवास के दौरान कुछ नहीं करता है।
14. अप्रौधा – यह नाम उस व्यक्ति का प्रतीक है जो उम्र नहीं लेता है।
15. बहुला – अनेक रूपों वाली
16. बहुलप्रेमा- समस्त प्राणियों से प्यार करने वाली
17. बलप्रदा –देवी पार्वती का यह नाम उत्साह का दाता है।
18. भाविनी – यह नाम औरत की खूबसूरती का प्रतीक है।
19. भव्य – अनागत का प्रतीक
20. भद्राकाली – यह नाम काली देवी के रूपों में से एक है।
21. भवानी – यहां नाम ब्राह्मण की निवासी है।
22. भवमोचनी – ब्रह्मांड की समालोचक का प्रतीक
23. भवप्रीता – ब्राह्मणों में हर प्राणी से प्यार पाने वाली देवी।
24. भव्य – यह नाम सुंदरता का प्रतीक है
25. ब्राह्मी – वह देवी जो भगवान ब्रह्मा की शक्ति है
26. ब्रह्मवादिनी – हर जगह उपस्थित देवी
27. बुद्धि – विद्वान देवी
28. बुध्हिदा – विवेकी की दात्री देवी
29. चामुंडा – यह चंड मुंड राक्षसों की हत्या करने वाली देवी है।
30. चंद्रघंटा – यह नाम ताकतवर घंटी का प्रतीक है।
31. चंदामुन्दा विनाशिनी – जिसने चंड और मुंड की हत्या की वह देवी
32. चिन्ता – तनाव का प्रतीक
33. चिता – मृत्यु-बिस्तर का प्रतीक
34. चिति – सोच मन का प्रतीक
35. चित्रा – सुरम्य का प्रतीक
36. चित्तरूपा – सोच या विचारशील राज्य का धोतक
37. दक्शाकन्या – दक्ष की बेटी का नाम
38. दक्शायाज्नाविनाशिनी – दक्ष के बलिदान को टोकने वाला
39. देवमाता – वह जो देवी माँ है
40. दुर्गा – अपराजेय देवी
4. एककन्या – बालिका का प्रतीक
42. घोररूपा – भयंकर रूप का प्रतीक
43. ज्ञाना – ज्ञान का प्रतीक
44. जलोदरी – ब्रह्मांड में निवास करने वाली देवी
45. जया – विजयी का प्रतीक
46. कालरात्रि – वह देवी जो काली है और रात के समान दिखाई देती है।
47. किशोरी – किशोर का प्रतीक
48. कलामंजिराराजिनी – संगीत पायल का प्रतीक
49. कराली – हिंसक का प्रतीक
50. कात्यायनी – बाबा कत्यानन इस नाम को पूजते है
51. कौमारी- किशोर का प्रतीक
52. कोमारी- सुंदर किशोर का प्रतीक
53. क्रिया – युद्ध का प्रतीक
54. क्र्रूना- बेदर्द का प्रतीक
55. लक्ष्मी – वह जो धन की देवी है
56. महेश्वारी – वह जो भगवान शिव की शक्ति है
57. मातंगी – वह जो मतंगा की देवी
58. मधुकैताभाहंत्री – वह देवी जिसने राक्षस और मधु और कैटभ को मार दिया
59. महाबला – बल का प्रतीक
60. महातपा – साधना का प्रतीक
61. महोदरी – एक विशाल पेट में ब्रह्मांड में रखने वाली
62. मनः – मन का प्रतीक
63. मतंगामुनिपुजिता – बाबा मतंगा द्वारा पूजी जाने वाली
64. मुक्ताकेशा – खुले बाल वाली
65. नारायणी – भगवान नारायण विनाशकारी विशेषताएँ
66. निशुम्भाशुम्भाहनानी – देवी जिसने शुम्भ, निशुम्भ को मारा है
67. महिषासुर मर्दिनी – जिस देवी ने महिषासुर को मार है
68. नित्या – असीम का प्रतीक
69. पाताला – रंग लाल का प्रतीक
70. पातालावती – लाल और सफेद घारण करने वाली
71. परमेश्वरी – अंतिम देवी
72. पत्ताम्बरापरिधान्ना – चमड़े से बना हुआ एक प्रकार का कपडा
73. पिनाकधारिणी – शिव का त्रिशूल का नाम
74. प्रत्यक्ष – असली
75. प्रौढ़ा – पुराना
76. पुरुषाकृति – आदमी का रूप लेने वाली देवी
77. रत्नप्रिया – सजी देवी श्रृंगार करने वाली
78. रौद्रमुखी – विनाशक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा वाली
79. साध्वी – आशावादी देवी
80. सदगति – मोक्ष कन्यादान
81. सर्वास्त्रधारिणी – मिसाइल हथियारों के स्वामिनी
82. सर्वदाना वाघातिनी -सभी राक्षसों को मारने के लिए योग्य
83. सर्वमंत्रमयी – सोच के उपकरण
84. सर्वशास्त्रमयी – वह जो चतुर है सभी सिद्धांतों में
85. सर्ववाहना – सभी वाहनों की सवारी
86. सर्वविद्या – जानकार सब जानने वाली
87. सती – वह देवी जो अपने पति के अपमान पर अपने आप को जला दे
88. जगतजननी – सारे संसार की माँ
89. सत्ता – सब से ऊपर
90. सत्य – सत्य
91. सत्यानादास वरुपिनी – सदैव , आनंद
92. सावित्री – यह नाम सूर्य भगवान की बेटी का प्रतीक हैं
93. शाम्भवी – शंभू की पत्नी
94. शिवदूती – भगवान शिव के राजदूत
95. शूलधारिणी – वह जो त्रिशूल धारण करता है
96. सुंदरी – भव्य
97. सुरसुन्दरी – बहुत सुंदर
98. तपस्विनी – तपस्या में लगी हुई
99. त्रिनेत्र – तीन आँखों का व्यक्ति
100. वाराही – जो व्यक्ति वाराह पर सवारी करता हुआ
101. वैष्णवी – अपराजेय
102. वनदुर्गा – जंगलों की देवी
103. विक्रम – हिंसक
104. विमलौत्त्त्कार्शिनी – प्रसन्नता प्रदान करना
105. विष्णुमाया – भगवान विष्णु का मंत्र
106. वृधामत्ता – माँ का पुराना स्वरूप
107. यति – समस्त संसार का त्याग करने वाली
108. युवती – नारी

पार्वती नाम जपने की विधि | Parvati Naam japne ki vidhi

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति माता पार्वती के नामों का जाप करना चाहता है तो उसके लिए व्यक्ति को सबसे पहले सोमवार के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना है उसके बाद भगवान शिव के मंदिर में जाकर या फिर पार्वती माता की तस्वीर को अपने घर पर स्थापित करके उनकी विधि विधान पूर्वक पूजा करनी है.

Parvati

उसके साथ माता पार्वती के अन्य रूपों की पूजा करनी है और नव रूपों के अनुसार उनके मंत्रों का जाप करना है पूजा समाप्त होने के बाद माता पार्वती के 108 में से कुछ मंत्रों का जाप करना है या फिर आप चाहे तो 108 नामों का 108 बार जाप कर सकते हैं. माता पार्वती के 108 नामों का जाप करने से कई प्रकार के लाभ होते हैं जो हमने आपको नीचे बताए हैं.

पार्वती नाम जपने के लाभ | Parvati Naam japne Ke Labh

  1. पार्वती माता के किसी भी नाम का जाप करना बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है उनके नाम का जाप करना आंतरिक शक्ति और संकल्प को आकर्षित करना होता है.
  2. इनके मंत्रों का जाप करने से आपकी सभी प्रकार की इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं.
  3. माता पार्वती के नाम का जाप करने से महत्वाकांक्षी और लक्ष्य को प्राप्त करने की क्षमता प्राप्त होती है।
  4. अगर आपके जीवन में किसी भी प्रकार की समस्याएं होती हैं तो पार्वती माता के नाम का जाप करने से तत्कालीन लाभ प्राप्त होता है.
  5. किसी भी व्यक्ति का वैवाहिक जीवन खराब गुजरने पर उस व्यक्ति को माता पार्वती के नामों का जाप करना चाहिए.

माँ पार्वती के कितने अवतार है ? | Maa parvati ke kitne avtar hai ?

माता पार्वती के विभिन्न अवतार हैं माता पार्वती भगवान भोलेनाथ की पत्नी है इन्हें भोलेनाथ की अर्धांगिनी कहां गया है क्योंकि माता पार्वती भोलेनाथ का आधा अंग है माता पार्वती के 9 अवतार हैं वह सभी नव अवतार भक्तों के कष्टों को दूर करने के लिए उनके दुखों को उबारने के लिए सभी प्रकार के बुरी चीजों का नाश करने के लिए किए गए हैं जो निम्न प्रकार से हैं।

1. शैलपुत्री

शैलपुत्री

माता पार्वती का पहला रूप शैलपुत्री का है जिन्हें राजा दक्ष की कन्या कहा जाता है शैलपुत्री सती के नाम से जानी जाती है शास्त्रों के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि माता शैलपुत्री ने अग्नि के हवन कुंड में कूदकर अपनी जान दे दी थी।माता शैलपुत्री पूजा मंत्र समर्पित किया गया है इस मंत्र का जाप करने से अनेकों प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं मंत्र इस प्रकार है।

वन्दे वंछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् |
वृषारूढाम् शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ||

पार्वती का एक रूप शैलपुत्री जिन्हें सती के नाम से जाना जाता है शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है शैलपुत्री पूर्व जन्म में राजा दक्ष की पुत्री थी। शैलपुत्री का विवाह भगवान भोलेनाथ के साथ हुआ था।

2. ब्रह्मचारिणी

माता पार्वती का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है ब्रह्मचारिणी देवी ने भगवान भोलेनाथ को प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के पर्व पर की जाती है नवरात्रि के दूसरे दिन इनकी पूजा की जाती है इस दिन माता के सभी भक्तों अपने मन को मां के चरणों में समर्पित कर देते हैं.

ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी इसका संपूर्ण अर्थ तपस्या का आचरण करने वाली देवी जिन के दाहिने हाथ माला है और बाएं हाथ में कमंडल लिए हुए है ब्रह्मचारिणी माता का मंत्र इस प्रकार है उनकी पूजा में विशेष रूप से इस मंत्र का प्रयोग किया जाता है।

दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु |
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||

3. चंद्रघंटा

नवरात्रि के 9 दिनों में से तीसरा दिन चंद्रघंटा माता का होता है मां दुर्गा की तीसरी शक्ति के रूप में इन्हें माना जाता है चंद्रघंटा माता के मस्तिष्क पर चंद्र के आकार का तिलक होता है उन्हें ही चंद्रघंटा कहते है चंद्रघंटा माता की उपासना नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है अगर आप में से कोई भी व्यक्ति माता चंद्रघंटा की कृपा को प्राप्त करना चाहता है.

तो इनकी कृपा अलौकिक वस्तुओं के दर्शन में होता है इनकी पूजा विधिवत रूप से की जाती है माता चंद्रघंटा छठ साधक के लिए अत्यंत सावधान करने वाली माता है। माता चंद्रघंटा की पूजा में इस श्लोक का जाप किया जाता है। यह मंत्र इस प्रकार है।

पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता |

प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ||

4. कूष्मांडा

मां दुर्गा का चौथा रूप कूष्मांडा है नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा करने का विधान है अगर इस दिन कोई भी व्यक्ति इनके लिए व्रत रखता है तो उसका मन अनाहत चक्र में रहता है इस दिन हर एक साधक को पूरी पवित्रता और मन के साथ ध्यानपूर्वक कूष्मांडा की पूजा और उपासना करनी चाहिए शास्त्रों के मुताबिक ऐसा कहा जाता है.

parvati

कि जब सृष्टि का कोई भी अस्तित्व नहीं था तब देवी कूष्मांडा ने ब्राह्मण की रचना की थी कूष्मांडा को सृष्टि कि आदि शक्ति देवी के रूप में माना जाता है कूष्मांड का अर्थ हैं जो देवी ब्राह्मण की उत्पत्ति करने की शक्ति रखती है उन्हें कूष्मांड देवी कहा जाता है। कूष्मांड देवी का मंत्र इस प्रकार है।

सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥

5. स्कंदमाता

मां दुर्गा का पांचवा रूप स्कंदमाता का है नवरात्रि की पांचवी दिन स्कंदमाता माता का पूजन किया जाता है स्कंदमाता माता मोक्ष के द्वारा खोलने वाली माता परम सुखदाई है जो भी व्यक्ति इनकी पूजा और उपासना करता है उसकी समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती है।स्कंदमाता देवी इस रूप में वह कार्तिकेय की माता का प्रतिनिधित्व करती हैं। इनकी पूजा में विशेष रूप से इस श्लोक का पाठ किया जाता है जो कि इस प्रकार है।

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया ।
शुभदाऽस्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ।।

6. कात्यायिनी

मां दुर्गा का छठा रूप कात्यायिनी माता का रूप है कात्यायिनी देवी के संस्कृत शब्दों में कई नाम बताए गए हैं जैसे कि गौरी , काली , हेमावती , उमा , ईश्वरी अन्य नामों से जाना जाता है शास्त्रों के मुताबिक ऐसा कहा गया है कि कात्यानी माता का जन्म कात्य गोत्र में जन्मे ऋषि कात्यायन के कठोर तप करने पर माता पार्वती ने स्वयं इनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया था.

इसीलिए महर्षि कात्यायन की पुत्री हेतु इनका नाम कात्यायनी पड़ गया था इसी अवतार ने देवी ने महिषासुर का वध किया था। कात्यायनी देवी की पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है इनकी पूजा में प्रयोग किए जाने वाला मंत्र इस प्रकार है।

चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन ।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ॥

कात्यायनी देवी की महिमा

ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई भी व्यक्ति कात्यायनी देवी की विधि विधान पूर्वक और सच्चे मन से पूजा करता है या फिर उन्हें याद करता है तो उस व्यक्ति के रोग , शोक , भय, संताप आदि नष्ट हो जाते हैं कात्यायनी देवी जन्मो जन्मों के पापों को दूर कर देती है।

7. कालरात्रि

काली

नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि की पूजा की जाती है मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है इस दिन जातक का मन सहस्त्रार चक्र में रहता है इसके लिए ब्राह्मण की समस्त सिद्धियों के द्वारा इसे खोला जा सकता है कालरात्रि के अनेकों नाम उपलब्ध है जैसे कि महाकाली , भद्रकाली , चामुंडा आदि प्रकार के नाम है कालरात्रि मां सभी प्रकार के कष्टों को नष्ट कर देती हैं। कालरात्रि की पूजा करने में इस मंत्र का प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है जो कि इस प्रकार है।

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता |

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी ||

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा |

वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि ||

8. सिद्धिदात्री

नवरात्रि के आठवें दिन सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है माता दुर्गा देवी की आठवीं शक्ति सिद्धिदात्री देवी है सिद्धिदात्री देवी सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली है नवरात्रि के दिनों में इनकी पूजा नवे दिन की जाती है विधि विधान पूर्वक इनकी उपासना करने से सभी साधकों की सिद्धियां प्राप्त हो जाती है.

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमसुरैरपि |

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ||

9. महागौरी

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यह माँ पार्वती का आठवाँ अवतार है, यह बात उस समय कि है जब भगवान शिव शंकर को पाने के लिए माँ पार्वती ने कठोर तप किया था, इसलिए उनका रंग काला पड़ गया था। लेकिन भगवान शंकर उनकी तपस्या से प्रसन्न हो गए और उनके शरीर को गंगाजी के पवित्र जल धोया, उस समय से उनका शरीर विद्युत प्रभा के समान अत्यंत कांतिमान-गौर हो उठा। तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा।

श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः |

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा ||

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।। पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।

FAQ : parvati names

पार्वती का एक अन्य नाम क्या है?

माता पार्वती के अन्य नाम कुछ इस प्रकार दिए गए हैं पार्वती, प्रेम, सौंदर्य, सद्भाव , उमा या गौरी मातृत्व, शक्ति, विवाह, संतान की देवी हैं।

पार्वती का असली नाम क्या है?

माता पार्वती का असली नाम सती कहां जाता है.

महादेव में पार्वती का क्या नाम है?

माता पार्वती के अनेकों नाम है उमा, मां गौरी तथा सती सहित इनके अनेकों नाम जाने जाते हैं माता पार्वती का विवाह भगवान भोलेनाथ के साथ हुआ था इनके यही नाम भोलेनाथ में यह जाते हैं.

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से parvati names के बारे में बताया इसके अलावा पार्वती माता के 108 नाम और माता पार्वती के कितने अवतार हैं इन सारे विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको इन सारे विषयों के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।

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