Period mein guruvar ka vrat karna chahiye ya nahi पीरियड में गुरुवार का व्रत करना चाहिए या नहीं : हेलो दोस्तों नमस्कार आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से पीरियड में गुरुवार का व्रत रखना चाहिए या नहीं इसके बारे में बताएंगे क्या आप जानते हैं कि हमारे हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए पीरियड के दौरान कई तरह के नियम बनाए गए हैं नियमों का पालन महिलाओं को पीरियड के दिनों में पूजा पाठ करने मंदिर जाने की मनाही रहती है ऐसे में महिलाओं के मन में एक ऐसा सवाल उठता है कि जो सकती एक महिला को सर्जन करने की क्षमता देती है.
वह आखिरकार अपवित्र क्यों मानी जाती है वहीं पर अगर कोई महिला पूरी श्रद्धा के साथ व्रत को रखती है और बीच में उसे पीरियड आ जाते हैं तो वह क्या करें क्या ऐसी स्थिति में वह स्त्री व्रत को नहीं रख सकती है या फिर व्रत रखने के बाद भी वह माना जाता है या नहीं जो भी महिला इस सवाल को लेकर बहुत बेचैन है और जानना चाहती है कि पीरियड में गुरुवार का व्रत रखना चाहिए या नहीं या फिर और कोई व्रत रखना चाहिए या नहीं.
तो इसके बारे में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से बताने वाले हैं पीरियड में गुरुवार का व्रत रखना चाहिए या नहीं | period me guruvar ka vrat karna chahiye ya nahi और जितने भी पूजा किए जाते हैं उम्र में पीरियड के दौरान पूजा किया जाता है या नहीं। इसीलिए आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें ताकि आप लोगों को इसके बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।
- 1. पीरियड में गुरुवार का व्रत करना चाहिए या नहीं | Period mein guruvar ka vrat karna chahie ya nahin
- 2. क्या पीरियड में पूजा कर सकते हैं ? | Kya Period me puja kar sakte hai ?
- 3. माहवारी में व्रत का पालन कैसे करें ? | Mahwari me vrat ka palan kaise kare ?
- 4. मासिक धर्म में कितने दिन तक पूजा नहीं करनी चाहिए ?
- 5. FAQ : पीरियड में गुरुवार का व्रत करना चाहिए या नहीं
- 5.1. गुरुवार के व्रत में कौन सा फल खाना चाहिए?
- 5.2. गुरुवार व्रत कब से शुरू करना चाहिए ?
- 5.3. गुरुवार का व्रत कितने दिनों तक करना चाहिए ?
- 6. निष्कर्ष
पीरियड में गुरुवार का व्रत करना चाहिए या नहीं | Period mein guruvar ka vrat karna chahie ya nahin
जिन भी महिलाओं का यह सवाल है कि पीरियड में गुरुवार का व्रत रखना चाहिए या नहीं तो हमारे इस लेख को अंत तक वह अवश्य पढ़ें क्या आप जानते हैं कि हमारे हिंदू धर्म के नियमों अनुसार मासिक धर्म या फिर महावरी के दिनों में महिलाओं को धार्मिक कार्य नहीं करने चाहिए गेट के दौरान कई ऐसे विचार हैं जिनको महिलाएं नहीं करती हैं जैसे कि पीरियड में महिलाओं को मंदिर जाने की इजाजत नहीं होती है तथा पूजा पाठ में शामिल होने की इजाजत नहीं होती है.
क्योंकि वह अशुभ माना जाता है जी हां यह सही है कि अगर किसी महिला को मासिक धर्म की समस्या हो गई है तो उसे पूजा पाठ इत्यादि काम नहीं करना चाहिए क्या आप जानते हैं कि हमारे पुराने जमाने में जब भी महिलाओं को मासिक धर्म आता था उस समय महिलाओं को जमीन पर चटाई बिछाकर सोने को दिया जाता था और किसी भी कार्य में वह महिलाएं भाग नहीं ले सकती थी रसोई के अंदर भी जाना माना होता था बदलते जमाने के साथ साथ कुछ व्यक्तियों की सोच भी बदली है.
जिसके कारण अब समाज में इन चीजों को लेकर जागरूकता फैली है महिलाएं अपने परिवार की उत्पत्ति के लिए सब कुछ कर सकती हैं अगर महिलाएं कड़े व्रत रखना और उनका पालन करना यह सब अपने परिवार के लिए कर सकती हैं तो वह अपने घर की सुख शांति के लिए सोलह सोमवार व्रत भी रख सकती हैं और गुरुवार व्रत को भी महिलाएं सुख समृद्धि के लिए रख सकती हैं अब एक सवाल यह उठता है कि अगर व्रत के बीच में अगर किसी महिला को मासिक धर्म आ जाता है.
तो उस समय वह क्या करें जैसा कि हमने आप लोगों को बताया कि बताया या बेहद साधारण सी समस्या है क्योंकि महिलाओं को या फिर लड़कियों को महीने के अंदर कभी ना कभी तो मासिक धर्म आता ही है जब वह महिलाएं पूरा दिन भूखे रहती है और वृत्त के सारे नियमों का पालन करती है उसके बाद शाम को पूजा करने के समय उन्हें मासिक धर्म की समस्या हो जाती है तो वह बहुत ही निराश हो जाती हैं।
ऐसे में उनके मन में यह सवाल उठने लगता है कि आखिर यह क्या करें क्या या व्रत भंग करना सही है बिल्कुल भी नहीं इसीलिए आज हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि ऐसे में क्या करना चाहिए। अगर व्रत के बीच में किसी भी महिला को मासिक धर्म आ जाता है तो उन्हें अपना व्रत भंग नहीं करना चाहिए।
पीरियड के दौरान भी उन महिलाओं को पूरे मन और श्रद्धा के साथ भगवान के प्रति आस्था रखनी चाहिए और शुद्ध मन से उनकी पूजा करनी चाहिए उसमें भी सबसे ज्यादा जरूरी है अपने शरीर को साफ रखना अपने पूरे शरीर को साफ करने के बाद ही भगवान के प्रति श्रद्धा और भाव से उनकी पूजा करें।
क्या पीरियड में पूजा कर सकते हैं ? | Kya Period me puja kar sakte hai ?
अगर किसी भी पूजा के बीच में महिलाओं को मासिक धर्म की समस्या उत्पन्न हो जाती है तो उपवास या फिर व्रत तोड़ने की कोई भी आवश्यकता नहीं होती है बस आप मंदिर से दूरी बनाकर और नियमों का पालन करके पूजा पाठ करना है उन्हीं नियमों का पालन करना है जब आप सामान्य दिनों में करते हैं अगर आप नियमों का पालन करते हैं तो आपको व्रत का उतना ही फल प्राप्त होता है।
वैसे या एक प्रकृति का चक्र है इसमें किसी भी व्यक्ति के कोई गलती नहीं होती है क्योंकि ईश्वर के प्रति आस्था व्यक्ति के मन में विचारों से जुड़े होते हैं शरीर को तो महज एक जरिया कहा जाता है अगर आप पूरी मोहम्मद और श्रद्धा से माहवारी के दिनों में पूरे नियमों का पालन करते हुए पूजा पाठ करते हैं तो आपको कुछ ना ही फल मिलता है।
माहवारी में व्रत का पालन कैसे करें ? | Mahwari me vrat ka palan kaise kare ?
अगर आप कोई भी व्रत रख सकते हैं और उसके बीच में मासिक धर्म की समस्या उत्पन्न हो जाती है तो आप उस व्रत को छोड़े नहीं वैसे तो हर स्त्री के मन में शंका और भय होता हैं। जब आप किसी विशेष व्रत का संकल्प लेते हैं तो उस समय प्रतिमाह आने वाले एकादशी, संकष्टी चतुर्थी, प्रदोष व्रत आदि हैं यह सारे व्रत आपको एक ऐसे संकट में डाल देते हैं उस समय आपको अत्यधिक पीड़ा होती है।
अगर आपने किसी विशेष कामना के लिए सोलह सोमवार व्रत या फिर 16 शुक्रवार व्रत रखा है और उस समय आप को मासिक धर्म की समस्या उत्पन्न हो जाती है तो शास्त्रों में इसका व्यवहारिक रूप से इसका उपाय बताया गया है किसी भी व्रत के दौरान अगर आपको मासिक धर्म की समस्या उत्पन्न हो जाती है तो आपको नियमों का पालन करना चाहिए।
व्रत के पालन को लेकर संयम दूरी रखनी चाहिए जिस दिन आप व्रत रखते हैं उस दिन को ना गिने लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि किसी भी तरह से भगवान की उपासना और देव पूजा में शामिल ना हो शास्त्रों के अनुसार मासिक और सोलह सिंगार आदि संकल्प व्रतों में ऐसा बताया गया है जो भी व्यक्ति ऐसा करता है उसका व्रत भंग नहीं होता है उसे व्रत भंग का दोस्त नहीं लगता है लेकिन जो भी व्यक्ति ऐसा करता है उसकी व्रत की अवधि बढ़ जाती है।
जैसे कि आपको सोलह सोमवार व्रत करना है आपको सत 16 की जगह मासिक धर्म वाला दिन नहीं गिनना है इस व्रत की अवधि 17 दिन तक हो जाती है अगर किसी स्त्री को व्रत के दिन ही मासिक धर्म की समस्या उत्पन्न हो जाती है तब उसे ऊपर लिखी गई बात का ही पालन करें यानी कि जब आपको मासिक धर्म की समस्या हो जाए तो आपको देव का आज और पूजन से अलग हो जाएं किंतु व्रत रख सकती हैं।
मासिक धर्म में कितने दिन तक पूजा नहीं करनी चाहिए ?
वैसे तो यह माना जाता है कि जब भी महिला को मासिक धर्म की समस्या उत्पन्न होती है तो उस महिला को 4 दिन तक पूजा नहीं करनी चाहिए 4 दिन के बाद वह पूजा कर सकती है पूजा इसलिए नहीं की जाती है क्योंकि उनकी पूजा में कोई विघ्न ना आए और उनकी पूजा सफल हो सके लेकिन जो भी महिलाएं इस के दौरान पूजा करती हैं प्रसाद या फिर पूजा सामग्री को तैयार करती है तो यह बहुत गलत माना जाता है।
FAQ : पीरियड में गुरुवार का व्रत करना चाहिए या नहीं
गुरुवार के व्रत में कौन सा फल खाना चाहिए?
गुरुवार व्रत कब से शुरू करना चाहिए ?
गुरुवार का व्रत कितने दिनों तक करना चाहिए ?
निष्कर्ष
जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से बताया पीरियड में गुरुवार का व्रत करना चाहिए या नहीं | period me guruvar ka vrat karna chahiye ya nahi बताया है इसके अलावा कौन से व्रत में कैसे पूजा करनी चाहिए क्या मासिक धर्म के दौरान पूजा करना चाहिए या नहीं इसके बारे में बताया है अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको इसकी संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।