पितृ दोष के उपाय लाल किताब के अनुसार जाने छुटकारा कैसे पायें? | Pitra dosh ke upay lal kitab

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यदि आप पितृ दोष से पीड़ित हैं और आपके लाख कोशिशें के बावजूद पितृ दोष से आप मुक्त नहीं हो पा रहे हैं तो हम आपको पितृ दोष के उपाय लाल किताब के कुछ महत्वपूर्ण उपाय बताएंगे जो लाल किताब के द्वारा बताए गए हैं . लाल किताब के अनुसार जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र, बुद्ध और राहु दूसरे तथा पांचवें और नौवें अथवा 12वे भाव में होता है तो वह व्यक्ति पितृ ऋण और पितृ दोष से पीड़ित होता है .

कोई व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित है या नहीं इसका पता नौवें भाव से पता चलता है और जातक अपने पिछले जन्म में कौन से पाप और पुण्य करके आया है. इसके बारे में पता चलता है तथा यदि नौवें घर में शुक्र, बुध या राहु विराजमान होता है तो यह कुंडली पितृ दोष की होती है.पितृ दोष के उपाय लाल किताब, pitra dosh ke upay lal kitab, लाल किताब के अनुसार पितृ दोष के उपाय, lal kitab upay for pitra dosh in hindi, लाल किताब के टोटके व उपाय c.m. srivastava, pitra dosh upay-lal kitab in hindi, लाल किताब के रामबाण उपाय pdf download, लाल किताब के उपाय pdf,

लाल किताब के अनुसार  दशम भाव में बृहस्पति जी को श्रापित माना जाता है और सातवें भाव में बृहस्पति होने पर पितृ दोष होता है. यदि लग्न में राहु का वास है तो सूर्य जहां कहीं भी स्थिति हो उसे ग्रहण कर लेगा और फिर यहां भी पितृ दोष होता है  चंद्र के साथ केतु और सूर्य के साथ राहु होने पर पितृ दोष की उपस्थिति होती है.

इस प्रकार से पितृ दोष की उपस्थिति को लाल किताब के द्वारा बताया जाता है यदि आप पितृ दोष से पूर्ण रूप से मुक्त होना चाहते हैं. तो आप हमारे द्वारा लिखे गए इसलिए को अंत तक ध्यानपूर्वक अवश्य ही पढ़ें इसमें आपको पितृ दोष के उपाय लाल किताब के अनुसार बताए गए हैं.

पितृ दोष के उपाय लाल किताब | Pitra dosh ke upay lal kitab

यदि आपके ऊपर पितृ दोष है तो पितृ दोष दूर करने के कुछ उपाय बताएंगे जिससे आप पितृ दोष से हमेशा हमेशा के लिए मुक्त हो जाएंगे पितृ दोष दूर करने के मुख्य उपाय इस प्रकार हैं-

  1. सबसे पहले आप एक कपूर की टिकिया ले लीजिए और उसे पितृ मुक्ति के लिए जलाइए क्योंकि कपूर जलाने से पितृ दोष तथा देवदोष दोनों का ही पूर्ण रूप से समान हो जाता है .
  2. रोजाना सुबह और शाम की बेला में अपने घर पर संध्या वंदन के समय कपूर को जला लें ऐसा करना आपके लिए अत्यधिक लाभदायक साबित होगा.
  3. तेरस और चौदस तथा अमावस्या और पूर्णिमा के दिन घी तथा गुड़ को लेकर उसका मिश्रण तैयार कर ले उस मिश्रण को गोबर से बने हुए कांदे को जलाकर उसे पर वह मिश्रण जलाने के लिए छोड़ दें ऐसा करने से आपके पितृ दोष जल्द ही दूर हो जाते हैं.
  4. पितृ दोष दूर करने के लिए आप हनुमान जी का नाम ले सकते हैं इसके अलावा आप रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं हनुमान चालीसा का पाठ करने से आपके पितृ दोष अवश्य ही दूर हो जाएंगे.
  5. इसके अलावा यदि आपके पितृ दोष ऐसा करने से नहीं जाते हैं तो आप श्राद्ध पक्ष के दिनों में तर्पण आदि और पूर्वजों के प्रति मन में श्रद्धा रखकर स्वच्छ भाव रखें.
  6. कभी-कभी ऐसा होता है कि घर का वास्तु सही नहीं होता है तब भी पितृ दोष की आशंका बनी रहती है इसके लिए आप घर का वास्तु सुधार रहे हैं और ईशान कोण को मजबूत एवं वास्तु के अनुसार ही बनाएं.
  7. अपने क्रोध को दूसरों के प्रति शांत करें तथा यदि आप किसी नशे का शिकार है तो इसको भी आप जल्द से जल्द छोड़कर एक अच्छा जीवन यापन करें और अपने कर्म तथा परिवार के प्रति प्रेम की विवेचना करें.
  8. जातिवाद, हम प्रांत वाद, घृणा, छुआछूत आदि छोटी भावनाओं से मुक्त होकर देवताओं का पूजन करें और अपने पिता तथा अपने गुरु और बुजुर्गों का सम्मान करें.
  9. आपके परिवार में जितने भी लोग रह रहे हैं वह सभी बराबर मात्रा में सिक्के को इकट्ठा करके मंदिर में दान करें और चली आ रही परंपरा के अनुसार अपने कुल और अपने धर्म का पालन करें.
  10. ऐसा माना जाता है कि हमारा जीवन है जो हमारे पूर्वजों द्वारा वरदान और हमारे पूर्वजों ने हमारे कल को हमारे धर्म को आगे बढ़ते हुए आए हैं और हमें भी ऐसे भी संस्कार देकर गए हैं.
  11. जिसके वजह से बहुत हद तक पितृ दोष की संभावना कम होती है पितृ दोष का कारण एक प्रकार से और उत्पन्न हो सके जब हमने अपने पूर्व जन्म में अपने भाई ,बहन और किसी अन्य रेड लेकर उसका रेड पूर्ण रूप से न चुकाए हो तो उसे पर भी पितृ दोष होता है.
  12. एक तरह से पितृ दोष दूर करने के उपाय यह भी हो सकते हैं कि आप रोजाना कुत्ते, चिड़िया, कौवे, गाय आदि को रोजाना रोटी खिलायें तथा बरगदिया पीपल के वृक्ष पर रोजाना स्नान करके स्वच्छ होकर उसे पर जल चढ़ाएं.
  13. इसके अलावा केसर का तिलक भी लगाना चाहिए पितृ दोष वाले कुल के सभी लोग बराबर सिक्के लेकर मंदिर में दान करें दान करने से आपको पुण्य प्राप्ति होगी और इससे पितृ दोष भी दूर किये जा सकते हैं .
  14. यदि आपके ऊपर पितृ दोष की छाया है तो आपको कभी भी दक्षिण मुखी मकान में नहीं रहना चाहिए और इसके अलावा आपको विष्णु भगवान की मंत्र तथा पूजा करनी चाहिए और उनके मित्रों का जब करना चाहिए.
  15. श्रीमद् भागवत गीता का रोजाना स्वच्छ होकर पाठ करें और उनसे अपने पितृ दोष के मुक्ति के लिए प्रार्थना करें तथा एकादशी का व्रत पूर्ण रूप से भली भांति निभाना चाहिए.

पितृ दोष क्या है ? | Pitra dosh kya hai ?

पितृ दोष का अर्थ यह है कि जो लोग अपने पूर्वजों से अपेक्षा रखते हैं और अपने पूर्वजों के कर्म का ऋण का भुगतान कर रहे हैं यह हमारे पूर्वजों के कुल और परिवार के लोगों से पूर्ण रूप से जुड़ा हुआ होता है .

दीपक

क्योंकि वर्तमान समय में आपके कुल में आपके परिवार में जितने भी सदस्य हैं वह आपकी पूर्वजों की देन है ऐसा कहा जाता है कि पूर्वज कई तरह के थे जिससे आप आज कहीं और और कल कहीं और जन्म ले सकते हैं. सामान्य भाषा में समझे कि पितृ दोष का अर्थ आपके पिता या पूर्वजों में जो भी दुर्गुण रोग और कर्म थे वह आप में भी आ सकते हैं.

पितृ दोष के लक्षण और कारण | Pitra dosh ke lakshan aur karn

जो हमारे पूर्वज होते हैं उनके कारण यदि वंशजों को किसी भी प्रकार का कष्ट होता है या कोई भी दोस्त उनके ऊपर आता है तो यह पितृदोष माना जाता है और इसका कारण हमारे पूर्वज होते हैं. किसी भी प्रकार की आकस्मिक दुर्घटना दुख या फिर ज्यादातर धन का अभाव बना रहता है इसलिए पितृ बाधा पर विचार अवश्य ही डालना चाहिए.

पितृ दोष के कारण हमारे जीवन और संस्कारिक कर्तव्यों तथा आध्यात्मिक साधनों पर बहुत ही ज्यादा बढ़े उत्पन्न होती हैं जिससे कि जीवन में सुख शांति विलुप्त हो जाती है. आपको पाल-पाल यही लगेगा कि आपको कोई अदृश्य शक्ति भेद रही है और आप उससे परिचित नहीं है तो यह शक्ति पितृ दोष भी हो सकती है.

यज्ञोपवीत उपनयन संस्कार

पितृ ऋण तथा पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति अपने माता और पिता के अलावा अन्य परिवार के सदस्य या उनके रिश्तेदार या फिर उनसे स्नेहा करने वाले उनके जान पहचान के लोग पितृ दोष का कारण हो सकते हैं . ऐसा माना जाता है कि पितृ दोष मनुष्य के तरक्की तथा उसके जीवन में सुख शांति को छीन लेता है जैसे किसी का विवाह नहीं होता है या फिर कोई अच्छा कार्य करना चाह रहा है .

अपना रोजगार करना चाह रहा है उसके रोजगार में बार-बार रुकावटें आ रही हैं गृह में कलह बढ़ जाती है तथा जिंदगी में संघर्ष सही संघर्ष आ जाता है. कभी-कभी ऐसा होता है कि बहुत ज्यादा धन होने के बाद भी आप अपनी जिंदगी को सुकून से नहीं जी सकते हैं.

या फिर आपकी पढ़ाई लिखाई को लेकर शिक्षा में बाधा रही हो, परिवार के सदस्य बीमार हो ,संतान की प्राप्ति नहीं हो रही हो, छोटी-छोटी बातों पर क्रोध आ रहा हो तो इस प्रकार के कारण हो सकते है तथा पितृदोष के लक्षण होते है .

लाल किताब के अनुसार पितृ दोष के प्रकार | Lal kitab ke pitra dosh ke prakar

ज्योतिष के अनुसार पितृ दोष के प्रकार इस प्रकार हैं-

यदि आपके ऊपर पितृ दोष की छाया है तो कुंडली में पितृ दोष का सृजन दो ग्रहों से सूर्य और मंगल के पीड़ित होने से होता है क्योंकि देखा जाए तो सूर्य का संबंध पिता से और मंगल का संबंध रक्त से होता है. तो सूर्य के लिए पाप ग्रह शनि, राहु और केतु माने गए हैं तो जब सूर्य का इन ग्रहों के साथ संबंध होता है तो सूर्यकृत पितृ दोष का पूर्णता निर्माण होता है.

इस प्रकार यदि मंगल के साथ राहु और केतु है तो मंगल कृत पितृ दोष का निर्माण होता है सूर्य कृत पितृ दोष का निर्माण होने से अपने परिवार व जातक या फिर परिवार में बुजुर्ग या फिर अपने से बड़े व्यक्ति से विचार बिल्कुल भी नहीं मिलते हैं.

Pitra dosh

तो वही मंगल कृतित्व दोष होने से व्यक्ति के परिवार या कुटुंब में विचार और विवेचना नहीं मिलती है कुंडली में उपस्थित कुंडली का 9वां घर यह संकेत बताता है कि व्यक्ति अपने पूर्व जन्म में कौन सा पुण्य साथ लेकर आया है. यदि कुंडली के नौवें में राहु, बुद्ध और शुक्र है तो कुंडली में पितृ दोष की उपस्थित बताती है लाल किताब में कुंडली के दशम भाव में गुरु के होने को पूर्ण रूप से स्थापित माना जाता है.

कुंडली के सातवें घर में ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति के कुंडली में आंशिक पितृ दोष होता है लग्न में यदि राहु है तो सूर्य ग्रहण और पितृ दोष सूर्य केतु और चंद्र के साथ राहु भी है तो उसे कुंडली में पितृ दोष होता है . पंचम में राहु की उपस्थिति होने पर ज्योतिष उसे पितृ दोष मानते हैं जन्म पत्री में यदि सूर्य पर शनि और राहु केतु की दृष्टि होती है तो जातक की कुंडली में पितृ ऋण की उपस्थित होती है.

इसके अलावा हमारे जो विद्वान हैं उनके द्वारा पितृ दोष का संबंध बृहस्पति से बताया गया है यदि बृहस्पति ग्रह पर किसी अन्य बुरे ग्रह का प्रभाव होता है. तो बृहस्पति 4, 8, 12 वें भाव में हो या फिर नीचे राशि में हो और निधन हो तो या दोस्त पूर्ण रूप से घटता है और पितृ दोष पुराने पूर्वजों द्वारा चला आता है और यह पितृदोष सात पीढ़ियां तक व्यापक रूप से चलता रहता है.

इसके अलावा पितृ दोष जन्मपत्री में यदि सूर्य पर शनि, राहु, केतु आदि की दृष्टि होती है तो जातक की कुंडली में पितृ ऋण की स्थिति मानी जाती है.

Pitra Dosh

कुंडली का नौवां घर यह बताता है कि यदि व्यक्ति ने पिछले जन्म में कोई भी कर्म किया है या फिर किसी भी प्रकार का पुण्य लेकर आया है और उसके उसे भाग में राहु और बुध तथा शुक्र है तो उसे कुंडली में पितृ दोष है उपस्थित होता है .

लाल किताब में कुंडली के दशम भाव में गुरु के होने को शापित और बुरा मान गया है सातवें घर में गुरु होने पर आंशिक पितृ दोष होता है. पितृ ऋण विभिन्न प्रकार के होते हैं जो हमारे कर्मों पर हमारे धर्म पर, हमारे आत्मा का, पिता का, भाई का, बहन का, माता का ,पत्नी का, बेटा का आदि.

इसके अलावा कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो अपने कर्मों और अपने धर्म के विरुद्ध जाकर अपने ऊपर पितृ दोष की उत्पत्ति का कारण बन जाते हैं.

1. पूर्वजों का ऋण

इसके अलावा ऐसा माना जाता है कि जब हमारे पूर्वज धर्म विरोधिकारी जो किसी भी प्रकार का हो सकता है और उसी प्रकार वर्तमान में लिए हुए जन्म के बाद यदि आप अपनी किसी दुर्भावपूर्ण आदतों और संस्कारों को अपनाते हैं. या फिर उस बुरी आदत को फिर से आप दोहराते हैं तो उसके ऊपर पितृ दोष उत्पन्न हो जाता है धर्म विरोधी को सामान्य भाषा में समझने का प्रयास करें तो इसका अर्थ यह होता है .

कि भारत के प्राचीन धर्म हिंदू धर्म के प्रति किए गए विरोध और पूर्व जन्म के बुरे कर्म लेने वाले अगले जन्म में पीछा नहीं छोड़ते हैं ज्यादातर देखा जाए तो सभी लोगों पर यह दोष विद्यमान होता है.

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इसी प्रकार पितृ दोष की उत्पत्ति तब होती है जब किसी व्यक्ति द्वारा उसके धर्म और उसके पूर्वजों का अपमान किया जाए उसका विरोध किया जाए तो वहां पितृ दोष की उत्पत्ति होती है और उसे व्यक्ति पर पितृ दोष का साया होता है.

पितृ दोष के कारण मनुष्य के मान प्रतिष्ठा तथा अभाव को पर ठेस पहुंचता है और संतान की ओर से कष्ट, संतान भाव तथा संतान के स्वास्थ्य खराब रहने की चिंता रहती है और इन्हीं परेशानियों को झेलना पड़ता है इसके अलावा पितृ दोष का प्रभाव और भी प्रभावशाली होता है.

2. पितृ ऋण

इस तरह यदि हमारे पितृ धर्म को छोड़ने पर या पुरुषों का अपमान करने पर ऐसे किसी भी प्रकार के कारण आपके सामने आते हैं तो यह पितृदोष से संबंधित होते हैं.

यह दोष आप पर और आपके बच्चों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है इसके अलावा आप मातृ ऋण से कर्ज में दब जाते हैं और आपके ग्रह स्थिति बहुत ही अशांति हो जाती है और उसका जो भी धन होता है वह बर्बाद हो जाता है और कर्जदार हो जाता है.

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3. बहन का ऋण

उसके अलावा देखा जाए तो बहन के दिए हुए धन से किसी भी प्रकार का व्यापार स्थाई नहीं होता है और जीवन में संघर्ष बढ़ जाता है यदि आप अपने बहन से ऋण लेते हैं .

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तो आपके ऊपर 48 साल या संकट व्याप्त रहेगा और ऐसे में ना तो आपका कोई परिवार वाला और ना ही आपके दोस्त मित्र सहयोगी कोई भी आपका साथ नहीं देता है. इस बीच आपको बहुत ही कठिन परिस्थितियों के साथ संघर्ष करते हुए अपनी जिंदगी को आगे बढाते रहना होता है.

4. स्त्री का ऋण

यदि आपने किसी स्त्री को बुरी तरह से प्रताड़ित किया है तो इसका ऋण आपको पूर्व जन्म में या फिर इस जन्म में चुकाना होता है. इसके अलावा यदि आपने किसी स्त्री को धोखा दिया है, या फिर हत्या की है, या उसे जानवरों की तरह मारपीट किया है, और यदि किसी स्त्री के साथ विवाह करके उसे प्रताड़ित करके छोड़ दिया है तो इसका ऋण भुगतना होता है.

5. गुरु ऋण

अन्य ऋणों की तरह गुरु का ऋण ,शनि का ऋण,राहू ,केतु का ऋण का भी होता है जो व्यक्ति किसी का मकान ,भूमी पर अपना अधिकार कर लिया या हड़प कर लिया हो और अलग अलग तरीके से प्रताड़ित करता है तो उसे शनी देव के द्वारा बहुत ही दर्दनाक दंड देते है.

FAQ: पितृ दोष के उपाय लाल किताब

पितृ दोष कितने प्रकार के होते हैं?

पितृ दोष शास्त्रों के अनुसार 10 प्रकार के होते हैं इन दोषों का जातक के जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है और यह दोष स्त्रियों पर भी होता है इसको दूर करने के लिए भिन्न-भिन्न पूजा भी करनी चाहिए.

क्या महिलाओं को पितृ दोष लगता है?

आपके परिवार में चले आ रही कई पीढ़ियों से कोई रोग जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता ही आ रहा हो तो यह पितृ दोष का प्रभाव होता है पितृ दोषी का प्रभाव स्त्रियों पर भी होता है.

पितृ दोष खत्म करने का क्या उपाय है?

पूर्वजों के नियमित रूप से श्राद्ध करने के बाद काले तिल, नमक, गेहूं, चावल या फिर गाय का दान, सोना, वस्त्र, चांदी आदि का दान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है तथा किसी स्वच्छ स्थान पर पीपल का पेड़ लगाकर उसमें नियमित रूप से जल चढ़ाएं और रोजाना श्रीमद् भागवत गीता के सातवें अध्याय का पाठ करें इससे आपके ऊपर लगा हुआ पितृ दोष समाप्त हो जाएगा.

निष्कर्ष

इस लेख के माध्यम से आप लोगों को लाल किताब के द्वारा बताये जाने वाले पितृ दोष के उअपयों को विस्तार पूर्वक बताया गया है तथा साथ में पितृ दोष के कारण भी बताये गये है. जिससे पितृ दोष के कारणों का पता लगाया जा सके तथा उसके विभिन्न प्रकार के लक्षण भी बताये गये है और पितृ दोष किस कारण से होते है और क्या गलतियाँ होती है.

जो पुरोजों के द्वारा किये जाने पर भुगतना पड़ता है इसके बारे में भी बताया गया है तो अगर आपने हमारे इस लेख को ध्यान पूर्वक अंत तक पढ़ा होगा तो आपको लाल किताब के द्वारा बताये गये उपाय अवश्य ही लाभदायक साबित हुए होंगे.

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