रावण संहिता | ravan samhita | Ravan sanhita : दोस्तों लंकापति दशानन रावण के विषय में कौन नहीं जानता है महान पंडित कुशल राजनीतिज्ञ चारों वेदों का ज्ञाता तीनो लोग का अधिपति रावण विद्वान और शिव भक्त था। रावण एक महान पंडित ही नहीं बल्कि तंत्र मंत्र ज्योतिष और अनेक विद्याओं का जानकार भी था।
त्रेता युग में रावण से बड़ा विद्वान शिवभक्त कोई और नहीं था। 10 सिर होने के कारण उसे दशानन भी कहा जाता है। रावण भगवान शिव का महान भक्त होने के कारण उसने शिव तांडव, शिव संहिता और रावण संहिता जैसे महान ग्रंथों की रचना की। जहां शिव संहिता में भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया वही रावण संहिता में रावण ने गुप्त विद्याओं और तंत्र मंत्र के बारे में लिखा।
कहा जाता है कि रावण एक असुर सम्राट था और संपूर्ण ब्रह्मांड को अपने इशारों पर न जाता था मृत्युलोक से लेकर देवलोक तक कोई भी देवी देवता ग्रह रावण के विरुद्ध कार्य नहीं कर सकते थे।
बाल्मीकि द्वारा रची गई रामायण के प्रमुख पात्रों में रावण और राम का वर्णन है जहां रावण एक राक्षस सम्राट और नकारात्मक पात्र है वही राम को एक आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम पात्र बताया गया है। संपूर्ण रामायण में देखा जाए तो रावण ने एक ही बहुत बड़ी गलती की जिसकी वजह से उसे अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
रामायण के अनुसार रावण ने सीता हरण करके ग्राम से शत्रुता लिया और कहा जाता है कि रावण एक विद्वान होने के कारण वह जानता था कि राम स्वयं विष्णु का अवतार है जिनके हाथों से उसकी मुक्ति का द्वार खुलेगा और वह बैकुंठ धाम को प्राप्त करेगा।
इसीलिए उसने जानबूझकर राम से शत्रुता लिया। वह अपने उद्धार के साथ-साथ परिवार का भी उद्धार किया।
- 1. रावण संहिता | Ravan sanhita | ravan samhita
- 2. रावण संहिता के अनुसार धन प्राप्ति के उपाय | Ravan sanhita ke anusar dhan prapti ke upay
- 2.1. 1. व्यापार में लाभ के लिए उपाय
- 2.2. 2. गड़ा हुआ धन प्राप्त करने के लिए
- 2.3. 3. कर्ज से छुटकारें के लिए
- 2.4. 4. उधार और खोया हुआ धन पाने के लिए उपाय
- 2.5. 5. धन प्राप्ति में रुकावट को दूर करने का उपाय
- 2.6. 6. भौतिक सुख सुविधाओं के लिए उपाय
- 2.7. 7. धन संबंधी समस्या दूर करने के लिए उपाय
- 2.8. 8. लोगों को आकर्षित करने के लिए उपाय
- 2.9. 9. सभी काम में सफलता का उपाय
- 3. रावण संहिता की प्रमुख बातें | Ravan sanhita ki pramukh bate
- 4. FAQ : रावण संहिता
- 4.1. रावण कौन से मंत्र का जाप करता था ?
- 4.2. रावण संहिता किस विषय पर लिखी गई है ?
- 4.3. रावण का मंत्र क्या है ?
- 5. निष्कर्ष
रावण संहिता | Ravan sanhita | ravan samhita
त्रेता युग का महान पंडित रावण वेद और शास्त्रों का ज्ञाता श्रेष्ठ विद्वान भले ही रामायण में एक नकारात्मक चरित्र माना जाता है लेकिन रावण ने अपने पुरुष के बल पर संपूर्ण ब्रह्मांड को अपने अधीन करने की क्षमता रखता था।
तंत्र मंत्र ज्योतिष में पारंगत रावण ने कई ग्रंथों की रचना किया जिसमें रावण संहिता भी एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है
रावण ने रावण संहिता में धन प्राप्ति के अचूक और शक्तिशाली उपाय बताया। रावण संहिता में धन उपाय के साथ-साथ भगवान शिव के ऊपर अर्पित किए जाने वाले बिल्वपत्र के महत्व और पूजन के विधि विधान का वर्णन किया।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार रावण संहिता के चौथे अध्याय में बेलपत्र से संबंधित कई ऐसे उपाय बताए गए हैं जिससे अपार धन प्राप्त किया जा सकता है।
रावण संहिता में खगोल विज्ञान ज्योतिष विज्ञान का भी रावण ने वर्णन किया जिन के सिद्धांतों को आज स्वीकार किया गया है। रावण संहिता में ऐसे मंत्रों को रावण ने पारित किया जिससे जीवन का उद्धार किया जा सकता है। आइए हम आज रावण संहिता के बारे में जानकारी देते हैं।
रावण संहिता के अनुसार धन प्राप्ति के उपाय | Ravan sanhita ke anusar dhan prapti ke upay
दोस्तों हर व्यक्ति अपने जीवन में सबसे ज्यादा धन का महत्व देता है और वह धन कमाने के लिए दिन रात एक कर देता है फिर भी कहीं ना कहीं उसे धन की कमी के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अगर रावण संहिता में लिखे गए यह उपाय कोई भी व्यक्ति करता है तो उसके जीवन में धन की कमी नहीं आएगी।
1. व्यापार में लाभ के लिए उपाय
जब भी कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार का व्यापार करता है तो उसकी पहली इच्छा लाभ कमाने की होती है परंतु वह लाभ नहीं कमा पा रहा है बल्कि दिन पर दिन उसका नुकसान होता जा रहा है तो ऐसे में रावण संहिता में वर्णित इस कुबेर मंत्र का जाप करें और व्यापार में लाभ करें।
‘ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवाणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।
उपरोक्त मंत्र को प्रतिदिन 108 बार किसी शांत वातावरण में बैठकर जाप करना चाहिए।
2. गड़ा हुआ धन प्राप्त करने के लिए
दोस्तों बहुत से पुराने जमाने के लोग जमीन में धन गाड़ देते थे और किसी से नहीं बताते थे जिसकी वजह से उनके मरने के बाद उस धन का कोई अता पता नहीं मिलता था। यदि ऐसे रावण संहिता के अनुसार गड़े हुए धन को प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें।
‘ओम नमो विघ्नविनाशाय निधि दर्शन कुरु कुरु स्वाहा।’
इस मंत्र को 10000 बार जाप करके सिद्ध कर लें इसके बाद जहां आपको महसूस होता है कि धन गड़ा है वहां पर धतूरे के बीज, जहर, सफेद घूंची गंधक तथा पका हुआ तेल लेकर उस स्थान पर रख दें तथा धूप दीप कर दे इससे आपको गड़े हुए धन की जानकारी हो जाएगी।
3. कर्ज से छुटकारें के लिए
इमिमन्त्रस्य च जप सहस्त्रस्यमंत्र: ओम क्लीं ह्रीं ऐं ओं श्रीं महा यक्षिण्ये सर्वैश्वर्यप्रदात्र्यै नमः॥
च सम्मितम् कुर्यात् बिल्वसमारुढो मासमात्रमतन्द्रितः॥’
जप पूरा होने के बाद ब्राह्मणों और कन्याओं को भोजन खिलाए।
4. उधार और खोया हुआ धन पाने के लिए उपाय
अगर आपका धन किसी प्रकार से कहीं खो गया है या किसी को उधार दे दिया है और नहीं मिल रहा है तो अपने धन को वापस पाने के लिए रावण संहिता के अनुसार इस मंत्र का जाप करें।
‘ओम नमो विघ्नविनाशाय निधि दर्शन कुरु कुरु स्वाहा।’
इस मंत्र को सवा महीने तक 10000 बार जाप करने से आपका खोया हुआ या उधार दिया हुआ धन वापस मिल जाता है।
5. धन प्राप्ति में रुकावट को दूर करने का उपाय
कई बार लोगों को धन प्राप्त होते होते रुक जाता है जिससे उन्हें कई प्रकार के समस्याओं का सामना करना पड़ता है रावण संहिता के अनुसार नीचे दिए जा रहे मंत्र को 40 दिन तक जाप करने से धन संबंधी रुकावटें दूर हो जाती हैं।
‘ॐ सरस्वती ईश्वरी भगवती माता क्रां क्लीं श्रीं श्रीं मम धनं देहि फट् स्वाहा’
यह मंत्र महालक्ष्मी मंत्र है जो एक तांत्रिक मंत्र भी कहा जाता है इसका प्रतिदिन जाप करने से कुछ ही दिनों बाद धन संबंधी रुकावटें दूर हो जाती है और धन प्राप्ति होती है।
6. भौतिक सुख सुविधाओं के लिए उपाय
बताया जाता है कि रावण ने अपनी रावण संहिता में इस मंत्र को स्वयं लिखा था और इस मंत्र को जाप करने से व्यक्ति को भौतिक सुख सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं.
लां लां लां लंकाधिपतये लीं लीं लीं लंकेशं लूंलूंलूं लोह जिव्हां, शीघ्रं आगच्छ आगच्छ चद्रंहास खडेन मम शश्रुन विरदारय विदारय मारय मारय काटय काटय हूं फट स्वाहा’
इस मंत्र को विजयदशमी के दिन रावण दहन के समय 108 बार जाप किया जाता है।
7. धन संबंधी समस्या दूर करने के लिए उपाय
रावण संहिता धन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए नीचे दिए गए मंत्र को 1000 बार जाप करें।
‘ॐ क्लीं ह्रीं ऐं ओं श्रीं महा यक्षिण्ये सर्वैश्वर्यप्रदात्र्यै नमः॥
इमिमन्त्रस्य च जप सहस्त्रस्य च सम्मितम्।
कुर्यात् बिल्वसमारुढो मासमात्रमतन्द्रितः॥’
उपरोक्त मंत्र को बेल के वृक्ष पर चढ़कर 1 महीने तक जाप किया जाता है तथा जाप पूरा होने के बाद ब्राह्मणों और कन्याओं को भोजन खिलाया जाता है जिससे धन संबंधित सभी प्रकार की समस्याएं समाप्त होती है।
इसके अलावा रावण संहिता के अनुसार नीचे दिए गए मंत्र को किसी शुभ अवसर जैसे दीपावली, होली आदि पर रुद्राक्ष की माला या कमलगट्टे की माला के साथ जाप करने से धन संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी, महासरस्वती ममगृहे आगच्छ-आगच्छ ह्रीं नम:’ लिखें।
8. लोगों को आकर्षित करने के लिए उपाय
रावण संहिता में लोगों को और समाज को अपनी और आकर्षित करने के लिए भी उपाय बताया गया है इस उपाय के अंतर्गत बिल्वपत्र और बिजौरा नींबू को बकरी के दूध में मिलाकर प्रतिदिन तिलक लगाएं जिससे आपके अंदर आकर्षण बढ़ जाएगा और लोग आप की ओर आकर्षित होंगे।
उपरोक्त उपाय के साथ-साथ दूसरा उपाय आप सफेद आक के फूल से कर सकते हैं इसके लिए आपको सफेद आक के फूल को छांव में सुखाकर सफेद गाय के दूध में मिलाकर रोज तिलक लगाएं धीरे-धीरे हर व्यक्ति आप की ओर खींचने लगेगा तथा समाज में मान सम्मान बढ़ जाएगा।
9. सभी काम में सफलता का उपाय
रावण संहिता के अनुसार अगर आपके किसी भी प्रकार के काम में कोई बाधा आती है और आप सफल नहीं होते तो सफेद दूर्वा को महीन पीसकर सफेद गाय के दूध में मिलाकर प्रतिदिन तिलक लगाएं उसके बाद ही काम करें जिससे आपको सभी काम में सफलता मिलेगी।
रावण संहिता की प्रमुख बातें | Ravan sanhita ki pramukh bate
त्रेता युग में रावण एक विद्वान महाबली राक्षस जाति का सम्राट था जिसने रावण संहिता जैसे ग्रंथ की रचना किया और उसमें मनुष्य के कल्याण के लिए कई सारी बातों का उद्धरण किया। कहा जाता है कि रावण संहिता की यह बातें अगर कोई व्यक्ति मान लेता है तो उसका जीवन सफल हो जाता है। रावण संहिता में कुछ मानव उद्धार की बातें इस प्रकार से हैं।
1. रावण संहिता में रावण ने लिखा है कि जो व्यक्ति अपनी प्रशंसा सुनने का आदी हो जाता है वह व्यक्ति जीवन में कभी सफलता नहीं प्राप्त कर पाता है।
2. जो व्यक्ति विषम परिस्थितियों में अपने गुरु का साथ छोड़ देता है उस व्यक्ति का कल्याण कभी नहीं होता है।
3. जो व्यक्ति दूसरों की संपत्ति देखकर ईर्ष्या करने लगता है वह वक्त इस दुनिया का सबसे गरीब व्यक्ति होता है और जन्म जन्म तक मुसीबतों को झेलता है।
4. रावण संहिता में रावण लिखता है कि हमेशा अपने को विजेता नहीं मानना चाहिए क्योंकि दुश्मन छोटा हो या बड़ा उस एकदम शक्तिशाली ना समझें।
5. हर व्यक्ति को अपने बड़े बुजुर्गों और पूर्वजों का मान सम्मान करना चाहिए जो व्यक्ति किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में अपने पूर्वजों का ध्यान रखते हैं वह जीवन में कभी असफल नहीं होते हैं।
6. विवाहित पुरुषों को अपनी पत्नी को कभी भी अत्यधिक कठोर वचन नहीं बोलने चाहिए। पत्नी जीवन का आधा हिस्सा हो जाती है और शुभचिंतक भी होती हैं. इसलिए दुर्भाग्य से भी कड़वे वचन ना बोले।
FAQ : रावण संहिता
रावण कौन से मंत्र का जाप करता था ?
यह मंत्र रावण ने स्वयं लिखा था और प्रतिदिन जाप करता था इस मंत्र को एक ही स्थान पर बैठकर जाप किया जाता है।'ॐ सरस्वती ईश्वरी भगवती माता क्रां क्लीं, श्रीं श्रीं मम धनं देहि फट् स्वाहा। '
रावण संहिता किस विषय पर लिखी गई है ?
रावण का मंत्र क्या है ?
निष्कर्ष
दोस्तों यह हम सभी जानते हैं कि रावण एक महान विद्वान पंडित था जो रामायण काल में विष्णु के अवतार राम से शत्रुता किया और उसके जीवन का अंत हुआ। हम सभी यह जानते हैं कि रावण वेद शास्त्रों का ज्ञाता था तंत्र मंत्र ज्योतिष आदि के विषय में पारंगत था.
इसीलिए उसने अपनी संपूर्ण विद्वता का परिचय रावण संहिता में दिया। रावण संहिता आज के समय की एक बहुत ही प्रासंगिक पुस्तक है जिसमें लिखे गए अनेकों मंत्र टोने टोटके जीवन जीने में सफल बनाते हैं।