हेलो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे रोजा रखने की दुआ के बारे में दोस्तों जैसा कि आप लोगों को पता होगा कि रमजान के महीने में रोजा रखे जाते हैं और रोजा रखने के समय दुआ पढ़ी जाती हैं.
और जब रोजा खोला जाता है तब भी दुआ पढ़ी जाती है आज इस आर्टिकल में हम आप लोगों को Roza rakhne ki dua के बारे में बताएंगे रोजा रखने के फायदे और रोजा रखने की दुआ रोजा रखने पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए.
इन सब के बारे में बहुत ही विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे दोस्तो हर मुस्लिम को रमजान के रोजे रखने चाहिए यह महीना हर मुसलमान के लिए बहुत खास महीना होता है इस महीने की फजीलत बहुत ज्यादा होती है.
यह महीना मुसलमानो के लिए किसी ने नेमत से कम नहीं होता है. रोजा रखने की दुआ की बहुत ज्यादा फजीलत होती है इसलिए आपको चाहिए कि आप रोजा रखने के बाद दुआ जरूर पढ़ लिया करें.
आपको चाहिए, कि आप रात में सोने से पहले ही यह नियत कर ले की हम को कल रोजा रखना है इससे आपको बहुत सवाब मिलता है और अल्लाह खुश होता है कि मेरे बंदे ने रोजा रखने से पहले ही यह तय कर लिया है कि मुझे रोजा रखना है.
बहुत से लोग ऐसे होते हैं जिन्हें यही पता नहीं होता है की उन्हें रोजा रखना है या नहीं रखना है तो इसलिए आप पहले से ही नियत कर ले कि हमको रोजा रखना है.
आइए जानते हैं रोजा रखने की दुआ क्या होती है बहुत से लोगों को रोजा रखने की दुआ याद नहीं होती है अगर आपको भी रोजा रखने की दुआ याद नहीं है.
तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है आज के इस आर्टिकल में हम आप लोगों को इसके बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से जानकारी देने वाले हैं जिसे पढ़ने के बाद आपको रोजे से जुड़ी काफी जानकारी हासिल हो जाएगी.
और आप आसानी से रोजा रख सकेंगे जो इंसान रमजान के महीने में रोजा रखकर अपनी गलतियों की माफी मांगता है अल्लाह उसकी गलतियों को माफ करता है.
- 1. रोजा रखने की दुआ हिंदी
- 1.1. तर्जुमा :
- 2. Roza rakhne ki dua english
- 2.1. Tarjuma :
- 3. Roza Rakhne ki Dua in Arabic
- 3.1. हिंदी में दुआ का मतलब
- 4. रमजान में रोजा रखने का तरीका
- 5. रोजे की हालत में क्या करना चाहिए और क्या नहीं
- 5.1. 1. कानों का रोजा
- 5.2. 2. आंखों का रोजा
- 5.3. 3. जुबान का रोजा
- 5.4. 4. हाथों का रोजा
- 5.5. 5. पैरों का रोजा
- 6. रोजा ना रखने की छूट किसे होती है
- 7. निष्कर्ष
रोजा रखने की दुआ हिंदी
‘’व बि सोमि गदिन नवई तु मिन शहरि रमजान’’
तर्जुमा :
या, अल्लाह! मैंने तुम्हारे लिए रोज़ा रखा और मुझे तुम पर भरोसा है और मैंने तुम पर अपना भरोसा रखा है।
Roza rakhne ki dua english
“Wa bisawmi ghadin nawaitu min shahri Ramzan”
Tarjuma :
Ya Allah Maine Tumhare Liye Roza Rakha Aur Mujhe Tum Par bharosa Hain Aur Miane Tum Par Bharosa Rakha Hain.
Roza Rakhne ki Dua in Arabic
وَبِصَوْمِ غَدٍ نَّوَيْتُ مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ
हिंदी में दुआ का मतलब
मैंने रमजान के कल के रोजे की नीयत की है।
रमजान में रोजा रखने का तरीका
दोस्तो रमजान के रोजा रखना बहुत ही आसान काम होता है इसमें सिर्फ आपको सच्चे दिल से सुबह फज्र से पहले उठकर सहरी करनी होती है, और सच्चे दिल से रोजे की नियत करनी होती है.
और फिर उसके बाद रोजा रखने की दुआ पढ़े और फिर जब फजर की अज़ान हो तो फिर फजर की नमाज अदा करें और फिर पूरे दिन भूखे प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत करें.
रोजा रखने के दरमियान आपको कुछ चीजों का ख्याल रखना चाहिए जिससे आपका रोजा ना टूटे और आप अपने रोजे को पूरा कर सकें। जी हां दोस्तों Roza rakhne ka Tarika बस इतना ही नहीं होता है.
रोजा रखने का तरीका आप लोगों को जितना आसान लग रहा है उतना होता रही है इसमें आप लोगों को बहुत सी सावधानियां बरतनी पड़ती है रोजे की हालत में आपको ऐसे काम करने से बचना चाहिए जिनकी वजह से रोजा टूट जाता है.
रोजे की हालत में क्या करना चाहिए और क्या नहीं
दोस्तों ऐसे बहुत से काम होते है जो रोज़े की हालत में नहीं करना चाहिए तो आईये जानते है रोज़े की हालत में क्या करना चाहिए और क्या नहीं दोस्तों रोजा हमारे पूरे जिस्म का होता है रोजे की हालत में आप लोगों को झूठ बोलने से बचना चाहिए रोजा हमारे पूरे शरीर का होता है.
आईये जानते है किन किन चीजो का रोजा होता है.
1. कानों का रोजा
दोस्तों जो इंसान रोजे की हालत में हो उसे कुछ भी गलत सुनना नहीं चाहिए जैसे अगर कही पर कोई बुराई कर रहा तो उसे वहा से अलग हट जाना चाहिए नही अगर आप वहा से नहीं हट रहे है और उनकी बुराई सुनते रहते है तो आपका रोजा टूट जाता है।
2. आंखों का रोजा
जो लोग रोजा रखते है उनके लिए आंखो का रोजा बेहद जरूरी होता है. रोजे की हालात में किसी भी गलत चीज को देखने से बचना चाहिए अगर आप रोजे की हालत में किसी पराई औरत को देखते हैं.
तो इससे आप का रोजा मकरु हो जाता है और यही औरतों के लिए भी है अगर वह रोजे की हालत में किसी पराए मर्द को देखती हैं तो उनका रोजा भी टूट जाता है इसलिए रोजे की हालत में अपनी आंखों को काबू में रखें सिर्फ और सिर्फ इबादत करें.
3. जुबान का रोजा
अगर आप रोजे की हालत में है तो यह आपके लिए बहुत ही जरूरी है कि आप किसी को भी गलत ना कहें और ना ही किसी के बारे में गलत बोले सबसे ज्यादा गुनाह हमारी जुबान से ही होते हैं जो इन्सान अपनी जुबान को काबू में रखता है वह शक्स कभी भी परेशान नहीं होता है.
सारी परेशानियां उसे से दूर रहती है मुंह का रोजा रखने का यही मतलब होता है कि किसी की बुराई और चुगली करने से बचें क्योंकि इनका गुनाह बहुत ज्यादा होता है.
रोजे की हालत में आप झूठ तो बिल्कुल ना बोले अगर आप ऐसा कुछ करते हैं तो इससे आप का रोजा टूट जाता है और अल्लाह भी आपसे नाराज हो जाता है.
4. हाथों का रोजा
हाथों के रोजे से मतलब यह है कि आपको अपने हाथों से किसी भी गलत काम को नहीं करना है किसी के ऊपर जुल्म नहीं करना है और ऐसा कोई काम नहीं करना है.
जिसकी वजह से किसी दूसरे को तकलीफ हो और ना ही आप ऐसा कोई काम करें जो इस्लाम में हराम माना जाता हो जैसे हाथों का जिना करना और किसी को बेवजह अपने हाथों से बे वजह मारना यह सब गलत माना जाता है.
5. पैरों का रोजा
पैरों के रोजे से यह मतलब है कि आप अपने पैरों का गलत इस्तेमाल ना करें जैसे किसी भी बुरी चीज की तरफ अपने पैरों को ना बढ़ाएं बुरे कामों से खुद को दूर रखें और रोजे की हालत में किसी भी जगह ना जाएं जहां जाने से गुनाह मिलता हो.
रोजा ना रखने की छूट किसे होती है
रमजान में रोजा रखने की छूट सबको नहीं होती है अल्लाह ने कुछ लोगों पर रोजा ना रखने की छूट दी है अगर वह लोग नहीं रखते हैं तो अल्लाह उन्हें माफ कर देता है.
आइए जानते हैं कि वह कौन से लोग होते हैं जिन पर रोजा ना रखने की छूट होती है ऐसे तो इस्लाम को मानने वाले हर शख्स पर रोजा रखना फर्ज है.
तब तक उस पर रोजा और नमाज की छूट रहती है लेकिन अगर बच्चा 7 साल से ज्यादा का है तो उस पर रोजा भी फर्ज है और नमाज भी फर्ज है अगर बच्चा 7 साल के बाद भी नमाज नहीं पड़ता है.
तो बच्चे के साथ-साथ मां बाप गुनाह में भी शामिल होंगे क्योंकि बच्चे को 7 साल के बाद नमाज और रोजे के लिए कहना चाहिए दोस्तों वही जो औरतें पीरियड की वजह से रोजा नहीं रखती है तो पीरियड के दरमियान जितने रोजे छूटे है.
उनको चाहिए कि वह बाद में वह रोजे रखे ऐसा माना जाता है, क्योंकि जब तक यह छूटे हुए रोजे नहीं रखे जाते हैं तब तक आपको उन रोजो का सवाब नहीं मिलता है जो अपने पहले रखें है.
उनका सवाब हासिल नहीं होता है इसलिए पहले आप अपने छूटे हुए रोजे रखे उसके बाद ही आपको रमजान के रोजे रखने का सवाब मिलेगा जो लोग बीमारी की हालत में भी रोजा रखना चाहते हैं और वह रोजा रखते भी है.
तो उनके लिए यह छूट है कि वह रोजे की हालत में अपनी जांच के लिए ब्लड दे सकते हैं और अगर ज्यादा जरूरत पड़े तो इंजेक्शन लगवाने की भी छूट होती है.
लेकिन रोजे की हालत में दवा खाने के लिए मना होता है आप रोजे की हालत में दवा नहीं खा सकते हैं अगर आपको दवा खानी है तो आप सहरी या इफ्तारी के टाइम खा सकते हैं.
निष्कर्ष
उम्मीद करते हैं दोस्तों आज का हमारा यह आर्टिकल आप लोगों को बहुत पसंद आया होगा इस आर्टिकल में हमने आप लोगों को रोजा रखने की दुआ और रोजा रखने का तरीका बताया है.
इस आर्टिकल में हमने आप लोगों को यह भी बताया है कि किन लोगों पर रोजा ना रखना माफ है यानी कि वह कौन से लोग होते हैं. जो अगर रोजा ना रखें तो उन पर रोजा माफ़ होता है.
और आप लोगों को रोजे की हालत में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इसके बारे में भी जानकारी दी है तो दोस्तों ऐसे ही और आर्टिकल के साथ मिलते हैं अगले आर्टिकल में तब तक के लिए अल्लाह हाफिज.