शत्रु नाशक मंत्र | Shatru nashak kali mantra : हेलो दोस्तो नमस्कार स्वागत है आपका आज के हमारे नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से शत्रु नाशक मंत्र | शत्रु नाशक काली मंत्र के बारे में बताने वाले हैं वैसे हमारे हिंदू धर्म के अनुसार ऐसा बताया गया है कि जिस भी भक्तों के ऊपर काली माता का हाथ होता है.
उस भक्तों का कोई भी कार्य बिगड़ नहीं सकता है काली माता को शक्ति स्वरूपा देवी के नाम से जाना जाता है काली माता के सामने बड़े-बड़े शैतान की भी नहीं चलती है वैसे तो इस दुनिया में किसी ना किसी का कोई ना कोई शत्रु तो होता ही है जितना हम किसी अन्य समस्या से परेशान नहीं होते हैं.
उससे कहीं ज्यादा अधिक हम हमारे शत्रुओं से परेशान हो जाते हैं हमारा शत्रु हमें सभी कार्य करने से रोकता है उसमें अनेकों प्रकार की बाधाएं उत्पन्न करता है जिसके कारण ना तो हम सफल हो पाते हैं और ना ही हमारे जीवन में सुख की प्राप्ति होती है.
अगर आप भी अपने शत्रु से परेशान हैं तो हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होने वाला है क्योंकि आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से शत्रु नाशक मंत्र | शत्रु नाशक काली मंत्र के बारे में बताने वाले हैं और मां काली को खुश करने के उपाय भी बताने वाले हैं.
इसके अलावा इस टॉपिक से जुड़ी अन्य जानकारी भी देने वाले हैं इसीलिए आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें ताकि आप लोगों को इसकी संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके तो आइए हम आपको लोगों इसके बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे.
- 1. शत्रु नाशक मंत्र | Shatru nash mantra
- 1.1. इन मंत्रों का करें जाप
- 2. शत्रु नाशक काली मंत्र | Shatru nash kali mantra
- 2.1. मंत्र जाप विधि
- 3. शत्रु नाशक काली कवच | Shatru nash kali kavach
- 4. शत्रु नाशक मां काली चालीसा | Shatru nashak kali chalisa
- 5. दुश्मन का नाश करने के उपाय | Dushman ka nash karne ke upay
- 5.1. मन्त्र इस प्रकार है :
- 6. FAQ : शत्रु नाशक मंत्र | शत्रु नाशक काली मंत्र
- 6.1. शत्रु नाशक मंत्र कौन सा है?
- 6.2. दुश्मनों के लिए कौन सा मंत्र जाप?
- 6.3. शत्रु का नाश करने के लिए क्या करना चाहिए?
- 7. निष्कर्ष
शत्रु नाशक मंत्र | Shatru nash mantra
अगर आप लोग शत्रु नाशक मंत्र का प्रयोग करना चाहते हैं तो आपको शत्रु नाशक मंत्र की शुरुआत करने के लिए अमावस या फिर कृष्ण पक्ष की अष्टमी का दिन चुनना है.
उसके बाद गुरुवार या फिर शनिवार के दिन इस मंत्र की शुरुआत करनी है अगर आप लोग अपने शत्रु का पूरी तरह से असर समाप्त करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए मंत्र का उच्चारण एक सादे सफेद कागज पर लाल रंग की स्याही से शत्रु का नाम लिखना है.
इन मंत्रों का करें जाप
ऊं क्षों क्षों भैरवाय नम:
लेकिन आपको इस मंत्र की शुरुआत शनिवार या गुरुवार की दोपहर 1 बजे से अपने घर पर या फिर किसी भैरव मंदिर में जाकर करना है इस मंत्र का जाप आपको 21 दिन तक एक माला प्रतिदिन करनी है उसके बाद जिस कागज पर आपने उस शत्रु का नाम लिखा था उसे एक शहद की शीशी में डालकर भैरव मंदिर की मूर्ति के पीछे रख देना है.
शत्रु नाशक काली मंत्र | Shatru nash kali mantra
अगर आप लोग अपने शत्रु से बहुत अधिक परेशान है तो हमारे द्वारा दिए गए शत्रु नाशक काली मंत्र का जाप करके आप अपने शत्रु से अपना पीछा छुड़ा सकते हैं. इसके लिए हमने आपको नीचे मंत्र और उसकी विधि दी है.
ओम क्रीं कालिकैय नम:
मंत्र जाप विधि
- शत्रु नाशक काली मंत्र का जाप शुरू करने से पहले लाल रंग के वस्त्र धारण करके और लाल रंग के आसन पर बैठ जाएं.
- उसके बाद काली माता के सामने एक दीपक तथा गुग्गल जला देना है.
- उसके बाद मां काली को पेड़े का प्रसाद चढ़ाना है और उसके साथ में लौंग भी चढ़ाए.
- उसके बाद ऊपर दिए गए शत्रु नाशक काली मंत्र का 11 बार माला जाप करें.
- फिर काली माता के सामने शत्रु से मुक्ति के लिए उनसे प्रार्थना करें.
- जैसे ही आप का मंत्र जाप समाप्त हो जाता है उसके 15 मिनट तक आपको जल को स्पर्श करना है.
- इस प्रक्रिया को लगातार 27 दिन तक करनी है.
- जैसे ही आपके 27 दिन पूर्ण हो जाते हैं उसके पश्चात ही आपके बड़े से बड़े शब्दों से आपको मुक्ति मिल जाती है.
शत्रु नाशक काली कवच | Shatru nash kali kavach
भैरव्युवाच
कालीपूजा श्रुता नाथ भावाश्च विविध: प्रभो ।
इदानीं श्रोतुमिच्छामि कवचं पूर्वसूचितम् ।।
त्वमेव शरणं नाथ त्राहि मां दु:खसङ्कटात् ।
त्वमेव स्त्रष्टा पाता च संहर्ता च त्वमेव हि ।।
भैरव उवाच
रहस्यं शृणु वक्ष्यामि भैरवि प्राणवल्लभे ।
श्रीजगन्मंगलं नाम कवचं मंत्रविग्रहम् ।
पठित्वा धारयित्वा च त्रैलोक्यं मोहयेत् क्षणात् ।।
नारायणोऽपि यद्दृत्वा नारी भूत्वा महेश्वरम् ।
योगेशं क्षोभमनयद् य्दृत्वा च रघू्द्वहः ।
वरदृप्तान् जघानैव रावणादिनिशाचरान् ।।
यस्य प्रसादादीशोऽहं त्रैलोक्यविजयी प्रभु: ।
धनाधिपः कुबेरोऽपि सुरेशोऽभूच्छचीपतिः ।
एवं हि सकला देवा: सर्वसिद्धीश्वराः प्रिये ।।
श्रीजगन्मङ्गलस्यास्य कवचस्य ऋषि: शिवः ।
छन्दोऽनुषुप्देवता च कालिका दक्षिणेरिता ।।
जगतां मोहने दुष्टानिग्रहे भुक्तिमुक्तिषु ।
योषिदाकर्षणे चैव विनियोगः प्रकीर्त्तितः ।।
शिरो में कालिका पातु क्रीड्कारैकाक्षरी परा ।
क्रीं क्रीं क्रीं मे ललाटञ्च कालिका खड़गधारिणी ।।
हूँ हूँ पातु नेत्रयुग्मं ह्रीं ह्रीं पातु श्रुती मम ।
दक्षिणा कालिका पातु घ्राणयुग्मं महेश्वरी ।।
क्रीं क्रीं क्रीं रसनां पातु हुं हुं पातु कपोलकम् ।
वचनं सकलं पातु हरीं ह्री स्वाहा स्वरूपिणी ।।
द्वाविंशत्यक्षरी स्कन्धौ महाविद्या सुखप्रदा ।
खड्गमुण्डधरा काली सर्वाङ्गमभितोऽवतु ।।
क्रींहुंहहीं त्र्यक्षरी पातु चामुण्डा हृदयं मम ।
ऐंहुंओए स्तनद्वन्द्वं ह्रीं फट् स्वाहा ककुत्स्थलम् ।।
अष्टाक्षरी महाविद्या भुजौ पातु सकर्त्तका ।
क्रींक्रींहुंहुं ह्रींहीं करौ पातु षडक्षरी मम ।।
क्रीं नाभि मध्यदेशञ्च दक्षिणा कालिकाऽवतु ।
क्री स्वाहा पातु पृष्ठन्तु कालिका सा दशाक्षरी ।।
ह्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके हुंहीं पातु कटीद्वयम् ।
काली दशाक्षरी विद्या स्वाहा पातूरुयुग्मकम् ।।
ॐ हाँ क्रीं मे स्वाहा पातु कालिका जानुनी मम ।।
कालीहुन्नामविद्येयं चतुर्वर्गफलप्रदा ।
क्रीं ह्रीं ह्रीं पातु गुल्फं दक्षिणे कालिकेऽवतु ।
क्रीं हूं हरीं स्वाहा पदं पातु चतुर्दशाक्षरी मम ।।
खड्गमुण्डधरा काली वरदा भयहारिणी ।
विद्याभिः सकलाभिः सा सर्वाङ्गमभितोऽवतु ।।
काली कपालिनी कुल्वा कुरुकुल्ला विरोधिनी ।
विप्रचित्ता तथोग्रोग्रप्रभा दिप्ता घनत्विषः ।।
नीला घना बालिका च माता मुद्रामिता च माम् ।
एताः सर्वा खड्गधरा मुण्डमालाविभूषिताः।
रक्षन्तु मां दिक्षु देवी ब्राह्मी नारायणी तथा
माहेश्वरी च चामुण्डा कौमारी चापराजिता ।।
वाराही नारसिंही च सर्वाश्चामितभूषणाः ।
रक्षन्तु स्वायुधैर्दिक्षु मां विदिक्षु यथा तथा ।।
इत्येवं कथितं दिव्यं कवचं परमाद्भुतम् ।
श्रीजगन्मंगलं नाम महामन्त्रौघविग्रहम् ।
त्रैलोक्याकर्षणं ब्रह्मकवचं मन्मुमुखोदितम् ।
गुरुपूजां विधायाथ गृह्णीयात् कवचं ततः ।
कवचं त्रि:सकृद्वाऽपि यावजीवञ्च वा पुनः ।।
एतच्छतार्द्धमावृत्य त्रैलोक्यविजयी भवेत् ।
त्रैलोक्यं क्षोभयत्येव कवचस्य प्रसादतः ।।
महाकविर्भवेन्मासात्सर्वं सिद्धीश्वरो भवेत् ।।
पुष्पाञ्जलीन् कालिकायै मूलेनैव पठेत् सकृत् ।
शतवर्षसहस्राणां पूजायाः फलमाप्नुयात् ।।
भूर्जे विलिखितञ्चैव स्वर्णस्थं धारयेद्यदि ।
शिखायां दक्षिणे बाहौ कण्ठे वा धारयेद्यदि ।
त्रैलोक्यं मोहयेत् क्रोधात् त्रैलोक्यं चूर्णयेत् क्षणात् ।
बह्वपत्या जीववत्सा भवत्येव न संशयः ।।
न देयं परशिष्येभ्यो ह्यभक्तेभ्यो विशेषतः ।
शिष्येभ्यो भक्तियुक्तेभ्यश्चान्यथा मृत्युमाध्रुयात् ।।
स्पद्द्धामुद्भूय कमला वाग्देवी मन्दिरे मुखे ।
पौत्रान्तस्थैय्य्यमास्थाय निवसत्येव निश्चितम् ।।
इदं कवचमज्ञात्वा यो जपेत्कालिदक्षिणाम् ।
शतलक्षं प्रजप्यापि तस्य विद्या न सिध्यति ।
स शस्त्रघातमाप्नोति सोऽचिरान्मृत्युमाप्रुयात् ।।
शत्रु नाशक मां काली चालीसा | Shatru nashak kali chalisa
।।। अथ श्री महाकाली चालीसा ।।।
॥ दोह॥
मात श्री महाकालिका, ध्याऊँ शीश नवाय ।
जान मोहि निजदास सब, दीजै काज बनाय ॥
॥ चौपाई ॥
नमो महा कालिका भवानी । महिमा अमित न जाय बखानी ॥
तुम्हारो यश तिहुँ लोकन छायो । सुर नर मुनिन सबन गुण गायो॥
परी गाढ़ देवन पर जब जब । कियो सहाय मात तुम तब तब ॥
महाकालिका घोर स्वरूपा । सोहत श्यामल बदन अनूपा ॥
जिभ्या लाल दन्त विकराला । तीन नेत्र गल मुण्डन माला ॥
चार भुज शिव शोभित आसन। खड्ग खप्पर कीन्हें सब धारण॥
रहें योगिनी चौसठ संगा। दैत्यन के मद कीन्हा भंगा॥
चण्ड मुण्ड को पटक पछारा। पल में रक्तबीज को मारा॥
दियो सहजन दैत्यन को मारी। मच्यो मध्य रण हाहाकारी॥
कीन्हो है फिर क्रोध अपारा। बढ़ी अगारी करत संहारा॥
देख दशा सब सुर घबड़ाये। पास शम्भू के हैं फिर धाये॥
विनय करी शंकर की जा के। हाल युद्ध का दियो बता के॥
तब शिव दियो देह विस्तारी। गयो लेट आगे त्रिपुरारी॥
ज्यों ही काली बढ़ी अंगारी। खड़ा पैर उर दियो निहारी॥
देखा महादेव को जबही। जीभ काढ़ि लज्जित भई तबही॥
भई शान्ति चहुँ आनन्द छायो। नभ से सुरन सुमन बरसायो॥
जय जय जय ध्वनि भई आकाशा। सुर नर मुनि सब हुए हुलाशा॥
दुष्टन के तुम मारन कारण। कीन्हा चार रूप निज धारण॥
चण्डी दुर्गा काली माई। और महा काली कहलाई॥
पूजत तुमहि सकल संसारा। करत सदा डर ध्यान तुम्हारा॥
मैं शरणागत मात तिहारी। करौं आय अब मोहि सुखारी॥
सुमिरौ महा कालिका माई। होउ सहाय मात तुम आई॥
धरूँ ध्यान निश दिन तब माता। सकल दुःख मातु करहु निपाता॥
आओ मात न देर लगाओ। मम शत्रुघ्न को पकड़ नशाओ॥
सुनहु मात यह विनय हमारी। पूरण हो अभिलाषा सारी॥
मात करहु तुम रक्षा आके। मम शत्रुघ्न को देव मिटा को॥
निश वासर मैं तुम्हें मनाऊं। सदा तुम्हारे ही गुण गाउं॥
दया दृष्टि अब मोपर कीजै। रहूँ सुखी ये ही वर दीजै॥
नमो नमो निज काज सैवारनि। नमो नमो हे खलन विदारनि॥
नमो नमो जन बाधा हरनी। नमो नमो दुष्टन मद छरनी॥
नमो नमो जय काली महारानी। त्रिभुवन में नहिं तुम्हरी सानी॥
भक्तन पे हो मात दयाला। काटहु आय सकल भव जाला॥
मैं हूँ शरण तुम्हारी अम्बा। आवहू बेगि न करहु विलम्बा॥
मुझ पर होके मात दयाला। सब विधि कीजै मोहि निहाला॥
करे नित्य जो तुम्हरो पूजन। ताके काज होय सब पूरन॥
निर्धन हो जो बहु धन पावै । दुश्मन हो सो मित्र हो जावै ॥
जिन घर हो भूत बैताला । भागि जाय घर से तत्काला ॥
रहे नही फिर दुःख लवलेशा । मिट जाय जो होय कलेशा ॥
जो कुछ इच्छा होवें मन में । सशय नहिं पूरन हो क्षण में ॥
औरहु फल संसारिक जेते । तेरी कृपा मिलैं सब तेते ॥
॥ दोहा ॥
दोहा महाकलिका कीपढ़ै, नित चालीसा जोय ।
मनवांछित फल पावहि, गोविन्द जानौ सोय ॥
॥ इति श्री महाकाली चालीसा ॥
दुश्मन का नाश करने के उपाय | Dushman ka nash karne ke upay
अगर आप लोग अपने दुश्मन का नाश करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए कृष्ण पक्ष में द्वितीया को गुरुवार या फिर शनिवार के दिन या शत्रु नाशक टोटका कर सकते हैं लेकिन आपको इस टोटके को भैरव अष्टमी के दिन ही करना है.
अगर आप अपने शत्रुओं का प्रभाव पूरी तरह से समाप्त करना चाहते हैं और उसके प्रभाव से पूरी तरह से मुक्त होना चाहते हैं तो आपको इस उपाय का टोटका अवश्य करना होगा इसके लिए आपको नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करके एक छोटे से सफेद कागज पर अपने शत्रु का नाम लिखना है.
मन्त्र इस प्रकार है :
ॐ क्षौं क्षौ भैरवय स्वाहा !
उसके बाद आपको उस कागज को लेकर शहद की शीशी में रख देना है फिर सनी या भैरव मंदिर में जाकर गाढ़ दे. अगर आप इस प्रयोग को करते हैं तो आपको अपने शत्रु से छुटकारा अवश्य मिल जाता है यह शत्रु नाशक टोटका आपके लिए वरदान साबित होगा इसीलिए आप पूरे आत्मविश्वास के साथ इसका प्रयोग कर सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं.
FAQ : शत्रु नाशक मंत्र | शत्रु नाशक काली मंत्र
शत्रु नाशक मंत्र कौन सा है?
दुश्मनों के लिए कौन सा मंत्र जाप?
शत्रु का नाश करने के लिए क्या करना चाहिए?
निष्कर्ष
दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से शत्रु नाशक मंत्र | शत्रु नाशक काली मंत्र के बारे में बताया तथा मां काली को खुश करने के उपाय भी बताएं इसके अलावा इस टॉपिक से संबंधित अन्य जानकारी भी दी है हम उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी.