सम्पूर्ण शिव तांडव लिरिक्स हिंदी अर्थ सहित : विधि और लाभ | Shiv tandav lyrics in hindi

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Shiv tandav lyrics in hindi ? हेलो दोस्तों नमस्कार आज हम आप लोगों को Shiv tandav lyrics in hindi के बारे में बताएंगे और हमने आपको शिव तांडव का लिरिक्स भी इसमें दिया है जिसको पढ़ कर आप बोलना वह पढ़ना सीख जाएंगे और शिव तांडव किसने लिखा है.

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हमने यह भी इस लेख में बताया है तो आप सभी लोग जब कभी भी रेडियो या टेलीविजन पर शिव तांडव सुनते है तो आपको बहुत सी आनंद आता है क्योंकि इसके शब्दों में एक मधुर प्रवाह है जिसको सुनकर हमारे कानों को अत्यंत ही राहत मिलती है.

लेकिन जब कभी आप शिव तांडव स्तोत्रम सुनते हैं तो आपके मन में अवश्य एक सवाल उठता होगा कि आखिर जो भी यह हम सुनते हैं इसका हिंदी में अर्थ क्या है इसका हिंदी मतलब क्या है और इसकी महिमा क्या है.

तो आज हम आप लोगों को इसमें शिव तांडव का अर्थ क्या है बताएंगे और Shiv tandav lyrics in hindi भी देने वाले हैं तो आप इसे जरूर पढ़ें।

शिव तांडव का अर्थ | Shiv tandav ka arth

शिव तांडव का अर्थ शिव भगवान परम पराक्रमी, परम बलशाली , परम विद्वान , पंडित रावण , द्वारा रचित है यह शिव तांडव स्तोत्रम भगवान शिव शंभू को प्रसन्न करने के लिए लिखा था और यह सब सुनकर भगवान शिव शंभू प्रसन्न भी हुए और उन्होंने रावण को एक वर भी दिया। तो चलिए उसके बाद में हम आप को shiv tandav lyrics in hindi के बारे में बताएगे.

शिव तांडव लिरिक्स इन हिंदी | Shiv tandav lyrics in hindi

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌ ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥1॥

जिनकी जटाओं से वन से निकलती हुई गंगा प्रभावों से पवित्र किए गए गले की सर्प की माला विशाल माला को धारण किए हुए डमरू के डम डम शब्दों से प्रचंड तांडव करते हुए वे शिव को हमारा प्रणाम

जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी-
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्द्धनी ।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥2॥

 

जिसका मुख्य आरोपी बैग से घूमे हुए गंगा की चंचल तरंगों से सुशोभित है ललाट की अग्नि धक-धक जल रही है जिनके सिर पर चंद्रमा विराजमान है वह भगवान शिव में मेरा प्रतिदिन अनुराग हो

धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर-
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥

 जिनकी  गिरिराज किशोरी पर्वत के शिरोभूषण से समस्त दिशाओं में प्रकाश दिख रहा है जिनका मन आनंदित हो रहा है जिनके निरंतर कृपा दृष्टि से कठिन से कठिन आपत्तियों का निवारण हो जाता है ऐसे किसी दिगंबर तत्व में मेरा मन आनंद प्राप्त हो रहा है.

जटाभुजंगपिंगलस्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥

जिनके सिर पर जटाओं में रहने वाले सर्पों के फणों की मणियों का पहला हुआ अद्भुत दृश्य रूपी स्त्री के मुख पर कुमकुम का लेप कर रहा है चमड़े मतवाले हाथों से हिलाते हुए स्निग्ध वर्ण हुए उन भूतनाथ में मेरा चित्र अद्भुत अनंत है.

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर-
प्रसूनधूलिधोरणीविधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥5॥

जिनके चरणों में पादुकोण इंद्र आदि देवताओं के प्रणाम करने से उनके मस्तिष्क का विराजमान हूरों से कुमकुम से सुशोभित हो रहा है नागराज के हार से बनी हुई जटा वाले वे भगवान चंद्रशेखर मुझे चित्र स्थाई संपत्ति देने वाले हैं.

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा-
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम्‌ ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालि सम्पदे शिरो जटालमस्तु नः ॥6॥

जिनकी ललाट वेद पर जलती हुई अग्नि के तेज से कामदेव को नष्ट कर डालते थे जिन्हें इंद्रदेव नमस्कार किया करते थे सुधाकर यानी चंद्रमा की कला से सुशोभित मुकुट वाला वह उन्नत विशाल ललाट जटिल मस्तिष्क हमें संपत्ति प्रदान करने वाले हैं.

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥7॥

जिन्होंने अपने विकराल ललाट पर धक् धक् जलती हुई प्रचंड अग्नि में कामदेव को भस्म कर दिया था। गिरिराज किशोरी के स्तनों पर पत्रभंग रचना करने के एकमात्र कारीगर उन भगवान त्रिलोचन में मेरा मन लगा रहे।

नवीनमेघमण्डलीनिरुद्धदुर्धरस्फुर-
त्कुहूनिशीथिनीतमःप्रबन्धबद्धकन्धरः ।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरन्धरः ॥8॥

जिनके कंठ में नवीन मेघमाला से घिरी हुई अमावस्या की आधी रात के समय फैलते हुए अंधकार के समान कालिमा अंकित है। जो गजचर्म लपेटे हुए हैं, वे संसार भार को धारण करने वाले चन्द्रमा के समान मनोहर कांतिवाले भगवान गंगाधर मेरी संपत्ति का विस्तार करें।

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा-
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम्‌ ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदान्धकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥9॥

जिनका कंठ खिले हुए नील कमल समूह की श्याम प्रभा का अनुकरण करने वाली है तथा जो कामदेव, त्रिपुर, भव ( संसार ), दक्षयज्ञ, हाथी, अन्धकासुर और यमराज का भी संहार करने वाले हैं, उन्हें मैं भजता हूँ।

अखर्वसर्वमंगलाकलाकदम्बमञ्जरी-
रसप्रवाहमाधुरीविजृम्भणामधुव्रतम्‌ ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥10॥

जो अभिमान रहित पार्वती जी के कलारूप कदम्ब मंजरी के मकरंद स्रोत की बढ़ती हुई माधुरी के पान करने वाले भँवरे हैं तथा कामदेव, त्रिपुर, भव, दक्षयज्ञ, हाथी, अन्धकासुर और यमराज का भी अंत करनेवाले हैं, उन्हें मैं भजता हूँ।

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजंगमश्वस-
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिद्ध्वनन्मृदंगतुंगमंगल-
ध्वनिक्रमप्रवर्तितप्रचण्डताण्डवः शिवः ॥11॥

जिनके मस्तक पर बड़े वेग के साथ घूमते हुए साँपों के फुफकारने से ललाट की भयंकर अग्नि क्रमशः धधकती हुई फैल रही है। धीमे धीमे बजते हुए मृदंग के गंभीर मंगल स्वर के साथ जिनका प्रचंड तांडव हो रहा है , उन भगवान शंकर की जय हो।

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंगमौक्तिकस्रजो-
र्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समप्रवृत्तिकः कदा सदाशिवं भजाम्यहम् ॥12॥

पत्थर और सुन्दर बिछौनों में, सांप और मोतियों की माला में, बहुमूल्य रत्न और मिटटी के ढेले में, मित्र या शत्रु पक्ष में, तिनका या कमल के समान आँखों वाली युवती में, प्रजा और पृथ्वी के राजाओं में समान भाव रखता हुआ मैं कब सदाशिव को भजूँगा ?

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्‌
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमञ्जलिं वहन्‌ ।
विलोललोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मन्त्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥13॥

जिनकी ललाट अति सुंदर है वह भगवान चंद्रशेखर के मन को एकाग्र करके अपने को विचारों को त्याग कर गंगा जी के तट पर तटवर्तीके भीतर रहते हैं अपने सिर पर हाथ जोड़कर डबडबाई हुई विह्वल आँखों भगवान शिव के मंत्र का उच्चारण करते हुए मैं कब खुश हो जाऊं.

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन् स्मरन् ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेति सन्ततम्‌ ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशंकरस्य चिन्तनम् ॥14 ॥

जो भी व्यक्ति इस सर्वोत्तम स्त्रोत का नित्य करके पाठ करता है या स्मरण करता है उसे भगवान शिव सदा शुद्ध रखते है और वह व्यक्ति जल्द ही भगवान शिव की भक्ति प्रदान कर लेता है उस व्यक्ति को विरुद्ध गति भी प्राप्त नहीं होती है क्योंकि वह व्यक्ति सदाशिव की ध्यान चिंता में लगा होता है और भगवान शिव मोह का नाश कर देते हैं.

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं
यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरंगयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥15 ॥

जब संध्याकाल की पूजा समाप्त होती है तो रावण यह गाए हुए इस शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करता है इसीलिए भगवान शिव उस मनुष्य को रथ हाथी घोड़े से युक्त सदाय स्थिर रहने वाले संपत्ति प्रदान करते हैं.

शिव तांडव स्तोत्र की विधि | Shiv tandav stotra ki vidhi

  1. अगर आप लोग शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना चाहते हैं तो आपको उसकी विधि जानना बेहद आवश्यक है हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा गया है कि शिव तांडव का पाठ करने के लिए आपको प्रातकाल उठकर शिव तांडव का पाठ करना चाहिए शिव तांडव का पाठ करने के लिए आपको सबसे पहले स्नान आदि से निश्चिंत हो जाना है उसके पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  2. उसके बाद भगवान शिव को प्रणाम करें और धूप दीप और नैवेद्य शिव भगवान शिव की पूजा करें ऐसी मान्यता है कि रावण ने पीड़ा के कारण इस स्त्रोत को बहुत ही तेज स्वर में कहा था इसीलिए आप भी इस शिव तांडव स्त्रोत का पाठ उच्च स्वर में करें.
  3. हमारी धार्मिक मान्यताओं में ऐसा कहा गया है कि अगर नित्य के साथ इस शिव तांडव स्त्रोत का पाठ किया जाए तो यह सर्वोत्तम माना जाता है इस पाठ को केवल नृत्य के साथ पुरुष ही कर सकता है जैसे ही या पाठ संपूर्ण हो जाता है उसके बाद आपको भगवान शिव का ध्यान करना है और उनकी पूजा पाठ करनी है.

शिव तांडव स्तोत्र के फायदे | Shiv tandav stotra ke labh

  1. अगर कोई व्यक्ति शिव तांडव का पाठ करना चाहता है तो उसे यह जानना आवश्यक है कि उसके कौन-कौन से फायदे होते हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा गया है कि नियमित रूप से शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से आपके घर पर कभी भी धन-संपत्ति की कमी नहीं होती है बल्कि इस स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति का चेहरा तेज में हो जाता है और उसका आत्म बल भी बढ़ जाता है.
  2. शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है महादेव नृत्य, चित्रकला, लेखन, योग, ध्यान, समाधी आदि सिद्धियों को प्रदान करने वाले हैं। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करता है तो इन सभी विषयों में उसे सफलता प्राप्त होती है.
  3. लेकिन अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सर्प योग कालसर्प योग या पित्र दोष लगा हुआ है तो उस व्यक्ति को शिव तांडव का पाठ करना चाहिए अगर कोई व्यक्ति शिव तांडव का पाठ करता है तो उसके ऊपर से यह सारे दोस्त मिट जाते हैं.
  4. ऐसा भी कहा जाता है कि शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से शनि के जितने भी प्रकोप होते हैं उन से आपको छुटकारा मिल जाता है.

FAQ : Shiv tandav lyrics in hindi

शिव तांडव में कुल कितने श्लोक हैं?

शिव तांडव में कुल 17 श्लोक होते हैं जो रावण के द्वारा रचित किए गए हैं।

शिव तांडव स्तोत्र के रचयिता कौन हैं?

यह शिव तांडव स्तोत्रम भगवान शिव शंभू को प्रसन्न करने के लिए लिखा था और यह सब सुनकर भगवान शिव शंभू प्रसन्न भी हुए और उन्होंने रावण को एक वर भी दिया।

तांडव कितने प्रकार के होते हैं ?

तांडव 8 प्रकार के होते हैं जो इस प्रकार है आनंद तांडव , त्रिपुरा तांडव, संध्या तांडव, समारा तांडव, काली (कालिका) तांडव, उमा तांडव, शिव तांडव, कृष्ण तांडव और गौरी तांडव।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज मैंने आप लोगों को बताया कि Shiv tandav lyrics in hindi किसे कहते हैं और यह लिरिक्स मैंने आपको इस लेख में दिया है तो आप इस लिरिक्स को पढ़कर जान सकते हैं कि यह किस भगवान का है.

तो आप लोग इस Shiv tandav lyrics in hindi को जरूर पढ़ें यह लिरिक्स बहुत ही प्यारा व अच्छा है। इसमें शंकर भगवान के गुणों का वर्णन किया गया है तो आप इस लिरिक्स को जरूर पढ़ें।

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