अर्थ सहित श्री संपूर्ण सिद्ध कुंजिका स्तोत्र pdf डाऊनलोड लिंक और पाठ विधि | siddha kunjika stotram pdf

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सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पीडीएफ | Siddha kunjika stotram pdf : एक अचूक एवं शक्तिशाली महामंत्र इसकी सिद्धि से हर कोई मानेगा आपकी बात सिद्ध कुंजिका स्त्रोत मां दुर्गा को समर्पित किया गया है शास्त्रों के मुताबिक सिद्ध कुंजिका स्त्रोत दुर्गा सप्तशती का प्राण है बिना सिद्ध कुंजिका स्त्रोत के दुर्गा सप्तशती अधूरा माना जाता है अगर आप पूर्ण श्रद्धा के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ कर लेते हैं और सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ नहीं करते हैं तो आपको इसका संपूर्ण लाभ नहीं प्राप्त होगा।

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क्योंकि मां दुर्गा का यह सिद्ध कुंजिका स्त्रोत अपने आप में एक विशेष प्रभावशाली स्त्रोत है इस स्त्रोत का पाठ करने से समस्त समस्याएं दूर हो जाती हैं इसका पाठ करने से बहुत ही रहस्यमय चीजें खुल जाती हैं सिद्ध कुंजिका स्त्रोत के साथ दुर्गा सप्तशती, दुर्गा कवच , अर्गला स्त्रोत , आदि पाठ करना बहुत ही शुभ बताया गया है.

इसीलिए आज हम आप लोगों को siddha kunjika stotram pdf के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे और उसके साथ सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करने की विधि इसके लाभ एवं पीडीएफ डाउनलोड करने का लिंक भी देंगे तो अगर आप इस लेख को अंत तक पढ़ते हैं तो इसके बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाएगी।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र | Siddha Kunjika Stotram

सिद्ध कुंजिका स्त्रोत दुर्गा को समर्पित किया गया है इसका पाठ करना परम कल्याणकारी माना जाता है जो भी मनुष्य इस स्त्रोत का पाठ करता है उसके जीवन में आ रही समस्याएं और सभी प्रकार के विघ्न दूर हो जाते हैं। मां दुर्गा का यह सिद्ध कुंजिका स्त्रोत मनुष्य की विपरीत परिस्थितियों में वाचन करता है उसके पश्चात समस्त कष्टों को दूर कर देता है।

Durga

इसीलिए आज हम आपके सामने प्रस्तुत करने वाले हैं श्री रूद्रयामल के गौरी तंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से पुण्य मिलता है।

सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पीडीएफ | Siddha kunjika stotram pdf

इस लेख में हमने आपको सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पीडीएफ का डाउनलोड बटन भी दिया है उस लिंक पर जाकर आप आसानी से सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।

सिद्ध कुंजिका स्त्रोत पीडीएफ | Siddha kunjika stotram pdfDownload PDF

संपूर्ण सिद्ध कुंजिका स्त्रोत | siddha kunjika stotram

durgaशिव उवाच

श्रृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डिजाप: शुभो भवेत् ।।1।।

अर्थ – भगवान शिव बोले हे देवी सुनो मैं एक आपको उत्तम कुंजिका स्त्रोत का उपदेश करूंगा इस मंत्र के प्रभाव से देवी का जाप सफल होता है।

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ।।2।।

अर्थ – कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास यहाँ तक कि अर्चन भी आवश्यक नहीं है.

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ।।3।।

अर्थ – सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करने से दुर्गा सप्तशती का फल प्राप्त होता है कुंजिका स्त्रोत अत्यंत गुप्त एवं देवी के लिए भी दुर्लभ है ।

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
पाठमात्रेण संसिद्धयेत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।।4।।

अर्थ –हे माता पार्वती इसे स्वयोनि की भाँति प्रयत्नपूर्वक गुप्त रखना चाहिए. यह स्त्रोत उत्तम एवं मरण , मोहन , वशीकरण , स्तम्भन और उच्चाटन आदि आभिचारिक उद्देश्यों को सिद्ध करता है.

अथ मन्त्र

ऊँ ऎँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।।

ऊँ ग्लौं हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

ऎं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।

।।इति मन्त्र:।।

अर्थ – ऊपर जितने भी मंत्र दिए गए हैं उन सभी में बीजों का अर्थ जानना ना संभव है ना ही आवश्यक है और ना ही वांछनीय है इसे स्त्रोत का पाठ करना ही पर्याप्त है।

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ।।1।।

अर्थ – हे रुद्रस्वरुपिणी! तुम्हें नमस्कार! हे मधु दैत्य को मारने वाली! तुम्हें नमस्कार है. कैटभविनाशिनी को नमस्कार! महिषासुर को मारने वाली देवी! तुम्हें नमस्कार है

नमस्ते शुम्भहन्त्रयै च निशुम्भासुरघातिनि।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।।2।।

अर्थ – हे देवी शुम्भ का हनन करने वाली निशुंभ को मारने वाली तुम्हें प्रणाम हे महादेवी मेरे आपको जाग्रत और सिद्ध कीजिए।

ऎंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोsस्तु ते।।3।।

अर्थ – “ऎंकार” के रुप में सृष्टिस्वरूपिणी, “ह्रीं” के रूप में सृष्टि पालन करने वाली। “क्लीं” के रूप में कामरूपिणी (तथा निखिल ब्रह्माण्ड) – की बीजरूपिणी देवी! तुम्हें नमस्कार है.

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि।।4।।

अर्थ – चामुण्डा के रूप में चण्डविनाशिनी और “यैकार” के रूप में तुम वर देने वाली हो। “विच्चे” रूप में तुम नित्य ही अभय देती हो। (इस प्रकार “ऎं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”) तुम इस मन्त्र का स्वरुप हो.

धां धीं धूं धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु।।5।।

अर्थ – ‘धां धीं धूं’ के रुप में धूर्जटी (शिव) – की तुम पत्नी हो. ‘वां वीं वूं’ के रुप में तुम वाणी की अधीश्वरी हो. ‘क्रां क्रीं क्रूं’ के रूप में कालिका देवी, ‘शां शीं शूं’ के रुप में मेरा कल्याण करो.

हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नम:।।6।।

अर्थ – ‘हुं हुं हुंकार’ स्वरूपिणी, ‘जं जं जं’ जम्भनादिनी, ‘भ्रां भ्रीं भ्रूं’ के रुप में हे कल्याणकारिणी भैरवी भवानी! तुम्हें बार-बार प्रणाम.

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऎं वीं हं क्षं ।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।7।।

अर्थ – ‘अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऎं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं’ इन सबको तोड़ो और दीप्त करो, करो स्वाहा.

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धि कुरुष्व मे।।8।।

अर्थ – ‘पां पीं पूं’ के रूप में तुम पार्वती पूर्णा हो. ‘खां खीं खूं’ के रूप में तुम खेचरी (आकाशचारिणी) अथवा खेचरी मुद्रा हो. ‘सां सीं सूं’ स्वरूपिणी सप्तशती देवी के मन्त्र को मेरे लिए सिद्ध करो.

इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।

यस्तु कुंजिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुंजिकास्तोत्रं सम्पूर्णम् ।

अर्थ – इस स्त्रोत मंत्र को जगाने के लिए इसे भक्तिहीन पुरुष को नहीं देना चाहिए हे पार्वती माता स्त्रोत को गुप्त रखो हे देवी जो बिना कुंजिका के सब सती का पाठ करता है उसे उसी प्रकार सिद्धि नहीं मिलती जिस प्रकार वन में रोना व्यर्थ है। इस प्रकार श्रीरुद्रयामल के गौरीतन्त्र में शिव-पार्वती-संवाद में सिद्धकुंजिकास्तोत्र सम्पूर्ण हुआ।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने की विधि | Siddha kunjika stotram ka path karne ki vidhi

Durga

  1. सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करने के लिए शुभ समय और शुभ दिन होना अनिवार्य है।
  2. सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ नवरात्रि के महीने में भी किया जाता है।
  3. नवरात्रि के 9 दिनों तक सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करना शुभ माना गया है।
  4. इस स्त्रोत का पाठ अत्यंत सावधानी के साथ किया जाता है।
  5. इस स्त्रोत का पाठ करने के लिए प्रतिदिन सुबह की पूजा करें।
  6. उसके पश्चात सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करने का संकल्प लें।
  7. सिद्ध कुंजिका पढ़ने से पहले हाथ में अक्षत , पुष्प और जल लेकर संकल्प लें।
  8. उसके पश्चात इस स्त्रोत को पढ़ने के लिए लाल आसन पर बैठकर मन ही मन में अपनी इच्छा अनुसार देवी का मनन करते हुए ( 1,2,3,5,7,11) बार स्त्रोत का पाठ करें ।
  9. उसके पश्चात अनुष्ठान के समय माला अपने सामने रखें कभी एक कभी दो अभी 3 बार इस स्त्रोत का जाप करें।
  10. सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करते समय ब्रम्हचर्य का पालन अवश्य करें प्रतिदिन अनार का भोग लगाएं लाल पुष्प मां दुर्गा को समर्पित करें।
  11. इस स्त्रोत में दशा महाविद्याए हैं सिद्ध कुंजिका स्त्रोत में नौ देवियों की आराधना करने का विधान बताया गया है।
  12. यदि आप शाम के समय पूजा करने के बाद आरती समाप्त होने के बाद इस स्त्रोत का पाठ करते हैं तो यह बहुत असर करता है इस स्त्रोत का पाठ रात्रि के समय भी किया जा सकता है।
  13. इस स्त्रोत का पाठ करने के लिए देवी के समक्ष दीपक जलाएं और लाल रंग का आसन बिछाकर पाठ को प्रारंभ करें।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के फायदे | Siddha kunjika stotram benefits

Durga

  1. सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
  2. सिद्ध कुंजिका स्त्रोत को करने से पहले मां दुर्गा के सभी भक्तों माता के इस मंत्र का अर्थ अवश्य समझे ताकि उन्हें आसानी से प्रसन्न कर पाए।
  3. सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करके आप माता रानी को प्रसन्न कर सकते हैं।
  4. सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करने से घर में सुख समृद्धि आती है।
  5. इस स्त्रोत का पाठ करने से धन लाभ आदि की प्राप्ति कर सकते हैं।
  6. सौभाग्य की प्राप्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करना लाभकारी माना जाता है।
  7. सिद्ध कुंजिका स्त्रोत इतना ज्यादा शक्तिशाली है कि इस का पाठ करने से दंपति जीवन में सुख – समृद्धि आती है।

FAQ : siddha kunjika stotram pdf

सिद्ध कुंजिका स्त्रोत कितनी बार पढ़ना चाहिए ?

सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ दिन में एक बार 108 बार करना चाहिए उसके तत्पश्चाप क्लीं ह्रीं क्लीं मंत्र का जाप करें और साथ ही जल से सिद्ध कुंजिका को अभिमंत्रित करें।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कब पढ़ना है ?

अगर आप में से कोई भी व्यक्ति या जानना चाहता है कि सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ कब करना चाहिए तो हमारे हिंदू धर्म के अनुसार कहा गया है कि सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ रात्रि के समय किया जा सकता है इस स्त्रोत का पाठ देवी के समक्ष बैठकर दीपक जलाकर लाल रंग का आसन दिखाकर पाठ करना चाहिए शाम की आरती के बाद करे तो ज्यादा असर करता है।

सिद्ध कुंजिका मंत्र कौन सा है ?

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।''

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इसलिए इसके माध्यम से siddha kunjika stotram pdf के बारे में बताया इसके अलावा सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ कैसे करें सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करने के लाभ क्या है इन सभी विषयों के बारे में विस्तार से जानकारी दी अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको सिद्ध कुंजिका स्त्रोत के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।

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