छठी इंद्री जागृत होने के लक्षण | Six senses kaise jagrit kare : दोस्तों आपको इंद्रियों के विषय में तो बहुत अच्छे से पता होगा कि मनुष्य के शरीर में दो प्रकार की इंद्रियां पाई जाती हैं जिनमें से एक पहली कर्म इंद्री होती है और दूसरी ज्ञान इंद्रियां होती है इन दोनों इंद्रियों के अंतर्गत पांच कर्म इंद्रियों में हाथ पैर मुंह गुदा मूत्र मार्ग आते हैं और ज्ञान इंद्रियों में त्वचा आंख कान जीभ नाक इंद्रियां आती है।
इन्हीं ज्ञान इंद्री और कर्म इंद्रियों के बीच में एक छठी इंद्री भी आती है जिसे ब्रह्मरंध्र के नाम से भी जाना जाता है। हमारे कपड़ों के नीचे एक कोमल क्षेत्र के रूप में ब्रह्मरंध्र पाया जाता है जो सुषुम्ना नाड़ी से होती हुई मूलाधार चक्र तक जाती है शरीर में पाई जाने वाली इड़ा पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी होती है।
इडा नारी शरीर के बाएं हिस्से से होती हुई पिंगला नाड़ी दाएं हिस्से की तरफ होती है सुषुम्ना नाड़ी बीच में स्थित होती हैं यही नाड़ी छठी इंद्री का केंद्र बिंदु होती हैं छठी इंद्री हमेशा सुप्त अवस्था में रहती है जिसे अलग-अलग तरीकों से लोग जागृत करते हैं।
- 1. छठी इंद्री जागृत होने से क्या होता है ? | Chhathi indri jagrit hone se kya hota hai ?
- 2. छठी इंद्री को कैसे जागृत करें ? | छठी इंद्री जागृत करने का तरीका | Chhathi indri kaise jagrit kare ? | Chhathi indri jagrit karne ka tarika
- 3. मन एकाग्र करके छठी इंद्री कैसे जागृत करें ? | man ekagra karke chhathi indri kaise jagrit kare ?
- 4. कुंडली जागरण से छठी इंद्री कैसे जागृत करें ? | Kundali Jagran se chhathi indri kaise jagrit kare ?
- 5. प्राणायम के अभ्यास से छठी इंद्री कैसे जागृत करें ? | pranayam ke abhyas chhathi indri kaise jagrit kare ?
- 6. ध्यान के अभ्यास से छठी इंद्री कैसे जागृत करें ? | dhyan ke abhyas se chhathi indri kaise jagrit kare ?
- 7. त्राटक क्रिया से छठी इंद्री कैसे जागृत करें ? Tratak kriya se chhathi indri kaise jagrit kare ?
- 8. छठी इंद्री कहां होती है ? | Chhathi indri kahan hoti hai ?
- 9. सिक्सथ सेंस जागृत होने के लक्षण | छठी इंद्री जागृत होने के लक्षण |Sixth sense jagrit hone ke lakshan | Chhathi indri jagrit hone ke lakshan
- 9.1. 1. भविष्य की घटनाओं का पूर्वानुमान होना
- 9.2. 2. अतीत की घटनाओं की सच्चाई बताना
- 9.3. 3. मन में उठने वाले विचारों को जानना
- 9.4. 4. दुनिया की संपूर्ण जानकारी होती है
- 9.5. 5. ईश्वरत्व की प्राप्ति हो जाती है
- 9.6. 6. भविष्यवक्ता के रूप में व्यक्ति होता है
छठी इंद्री जागृत होने से क्या होता है ? | Chhathi indri jagrit hone se kya hota hai ?
छठी इंद्री जब व्यक्ति की जाग जाती है तो व्यक्ति के अंदर अभूतपूर्व क्षमता प्राप्त हो जाती है ऐसे में व्यक्ति भविष्य में होने वाली विभिन्न प्रकार की समस्त घटनाओं की जानकारी पहले से ही प्राप्त कर लेता है बहुत से व्यक्तियों की छठी हिंदी पहले से ही जागृत होती है लेकिन वे संवेदनशील होते हैं।
छठी इंद्री को तीसरा नेत्र भी कहा जाता है जब व्यक्ति किसी भी प्रकार से भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्व अनुमान लगाने लगता है तो यह मान लिया जाता है कि उसके अंदर छठी इंद्री जागृत हो गई है क्योंकि छठी इंद्री जागृत होने पर ही व्यक्ति के अंदर भविष्य के प्रति पूर्व अनुमान होता है और जो सही सटीक होता है।
छठी इंद्री को कैसे जागृत करें ? | छठी इंद्री जागृत करने का तरीका | Chhathi indri kaise jagrit kare ? | Chhathi indri jagrit karne ka tarika
छठी इंद्री जागृत करना इतना आसान नहीं है जितना लोग समझ बैठे हैं क्योंकि छठी इंद्री जागृत करना महान तपस्या का परिणाम होता है. छठी इंद्री जागृत करने के पीछे त्याग तपस्या बहुत अधिक करनी पड़ती हैं यदि कोई भी व्यक्ति छठी इंद्री जागृत करना चाहता है तो वह छठी इंद्री कैसे जागृत करें आइए हम इस विषय पर जानते हैं.
मन एकाग्र करके छठी इंद्री कैसे जागृत करें ? | man ekagra karke chhathi indri kaise jagrit kare ?
छठी इंद्री जागृत करने के लिए व्यक्ति कोई योग को अपनाना पड़ता है अर्थात योग के माध्यम से और उनके विभिन्न चरणों में क्रमशः पालन करते हुए किया जाता है तो व्यक्ति की छठी इंद्री जागृत हो जाती है।
यदि व्यक्ति अपने जीवन में अपने ध्यान से मन पर काबू प्राप्त कर लेता है तो उसके अंदर अभूतपूर्व क्षमता पैदा होने लगती हैं। जिसकी वजह से वह किसी भी प्रकार की घटनाओं के विषय में पूर्ण जानकारी कर लेता है और ध्यान के अलावा कई माध्यम है जिनके माध्यम से छठी इंद्री को जाग्रत किया जा सकता है।
कुंडली जागरण से छठी इंद्री कैसे जागृत करें ? | Kundali Jagran se chhathi indri kaise jagrit kare ?
कोई भी व्यक्ति यदि अपनी छठी इंद्री जागृत करना चाहता है तो उसको अपने शरीर के विषय में पूरी जानकारी होना जरूरी है हमारे शरीर में सात चक्र पाए जाते हैं जिन के विषय में व्यक्ति को जानकारी होना जरूरी है।
जो व्यक्ति इस दुनिया में अपने को सर्वश्रेष्ठ और ईश्वर के गुणों से भरपूर करना चाहता है तू उस व्यक्ति को अपने शरीर में उपस्थित कुंडली को जागृत करना आवश्यक होता है।जब व्यक्ति की कुंडली जागृत हो जाती है तो व्यक्ति के अंदर भूत भविष्य और वर्तमान जानने की क्षमता मिल जाती है त्रिकालदर्शी हो जाता है तथा भविष्य में होने वाली सभी प्रकार की घटनाओं के विषय में वह तुरंत जन्म लेता है.
इसके अलावा वर्तमान में क्या हो रहा है और क्या होने वाला है इसके विषय में भी वह पूर्व अनुमान लगा देता है तथा अतीत में बीती हुई घटनाओं से संबंधित कारणों को भी स्पष्ट कर देता है.
यदि कोई व्यक्ति अपनी कुंडली जागरण करना चाहता है तो कुंडली जागरण कैसे करें इस विषय में हमारे अन्य आर्टिकल आपको मिल जाएंगे जिनको पढ़ने के बाद आपको कुंडली जागरण करना आसान हो जाएगा.
प्राणायम के अभ्यास से छठी इंद्री कैसे जागृत करें ? | pranayam ke abhyas chhathi indri kaise jagrit kare ?
छठी इंद्री जागृत करने के लिए प्राणायाम एक उत्तम उपाय है छठी इंद्री हमारे मस्तिष्क में दोनों भावों के बीच होती है जब सुषुम्ना नाड़ी सामान्य रूप से जागृत हो जाती है तो छठी इंद्री भी अपने आप में जागृत होने लगते हैं इसे प्राणायाम के माध्यम से जागृत किया जा सकता है छठी इंद्री जागृत करने के लिए आपको एकांत वासी होना जरूरी है अर्थात दुनियादारी से दूर होना पड़ेगा.
प्राणायाम के अंतर्गत अनुलोम विलोम प्राणायाम सबसे महत्वपूर्ण होता है सर्वप्रथम साफ और स्वच्छ वातावरण में अपने को अनुलोम विलोम से प्राणायाम को प्रारंभ करें.
ध्यान के अभ्यास से छठी इंद्री कैसे जागृत करें ? | dhyan ke abhyas se chhathi indri kaise jagrit kare ?
भृकुटी के मध्य निरंतर और नियमित ध्यान करने से हमारा आज्ञा चक्र भी जागृत हो जाता है जिसके कारण हमारी छठी इंद्री जागृत होने में आसानी हो जाती है यदि व्यक्ति प्रतिदिन कम से कम 40 मिनट तक एकाग्र चित्र होकर ध्यान साधना में रहता है तो धीरे-धीरे भृकुटी के पास स्थित छठी इंद्री जागृत होने लगती है.
ध्यान साधना में यह ध्यान रखना जरूरी है कि मन और मस्तिष्क में किसी भी प्रकार के अन्य विचार नहीं चलनी चाहिए जिसकी वजह से आपको किसी प्रकार की परेशानी ना हो और ध्यान साधना के अच्छे से हो सके.
क्योंकि हमारे मन मस्तिष्क में हजारों कल्पनाशील विचार चलते रहते हैं जिससे मस्तिष्क और मन एकाग्र नहीं हो पाता है इसलिए ध्यान साधना बहुत ही शुद्ध और सात्विक मन से मौन होकर करें.
त्राटक क्रिया से छठी इंद्री कैसे जागृत करें ? Tratak kriya se chhathi indri kaise jagrit kare ?
त्राटक क्रिया के माध्यम से भी आप छठी इंद्री को जाग्रत कर सकते हैं इसके लिए आप किसी प्रकार का त्राटक क्रमशः कर सकते हैं जैसी ज्योति त्राटक बिंदु त्राटक सूर्य त्राटक आदि कई प्रकार के त्राटक के माध्यम से हम अपनी छठी इंद्री को जागृत करने में सफल हो जाते हैं
छठी इंद्री कहां होती है ? | Chhathi indri kahan hoti hai ?
मस्तिष्क के अंदर कपाल के नीचे एक छेद होता है जिसे ब्रह्मरंध्र कहा जाता है वहीं से सुषुम्ना नाड़ी से निकलकर मूलाधार चित्र तक जाती हैं और सुषुम्ना नाड़ी सहस्त्र कार चक्र से जुड़ी होती हैं हिरा नारी शरीर के बाएं तरफ से और पिंगला नाड़ी स्थाई तरफ से निकलती है पीड़ा नारी में चंद्र स्वर और पिंगला नाड़ी में सूर्य स्वर स्थित होते हैं।
इड़ा और पिंगला नाड़ी के मध्य सुषुम्ना नाड़ी स्थित होती है जब हमारी नाक के दोनों स्वर बराबर चलते हैं तो सुषुम्ना नाड़ी सक्रिय रहती है सुषुम्ना नाड़ी के सक्रिय होने से छठी इंद्री जागृत हो जाती है। हमारे शरीर में कई प्रकार की हजारों में नाड़ियां होती हैं इन सभी नाड़ियों को शुद्ध करने के लिए प्राणायाम किया जाता है प्राणायाम के माध्यम से नाड़ियों को श्रद्धा और सशक्तिकरण करके नाड़ियों को जागृत किया जाता है।
छठी इंद्री कुछ व्यक्तियों में अपने आप जागृत हो जाती है ऐसे व्यक्ति कुछ विशेष व्यक्ति होते हैं।
सिक्सथ सेंस जागृत होने के लक्षण | छठी इंद्री जागृत होने के लक्षण |Sixth sense jagrit hone ke lakshan | Chhathi indri jagrit hone ke lakshan
व्यक्ति के अंदर छठी इंद्री एक ऐसी इंद्री है जो जागृत हो जाने के बाद व्यक्ति में ऐसी अभूतपूर्व क्षमताएं पैदा कर देती है जिससे व्यक्ति जीवन में होने वाली विभिन्न प्रकार की घटनाओं को पहले ही जान लेता है तथा किसी के भविष्य के विषय में पूर्व भविष्यवाणी कर देता है।
छठी इंद्री जागृत होने से बहुत से लाभ प्राप्त हो जाते हैं आइए हम जानते हैं कि छठी इंद्री जागृत होने पर कौन-कौन से विशेष लाभ मिलते हैं
1. भविष्य की घटनाओं का पूर्वानुमान होना
जब छठी इंद्री व्यक्ति की जागृत हो जाती है तो व्यक्ति निकट भविष्य में होने वाली सभी प्रकार की घटनाओं के विषय में पहले से ही जानकारी दे देता है।
घटनाएं चाहे व्यक्ति के ऊपर घट रही हूं या फिर देश के भविष्य की बात हो या फिर किसी अन्य दैहिक दैविक आपदाओं के विषय में इन सभी की जानकारी व्यक्ति पहले से ही बता देता है।
2. अतीत की घटनाओं की सच्चाई बताना
छठी इंद्री जागृत होने के बाद व्यक्ति अपने अतीत में होने वाली समस्त घटनाओं के विषय में पता लगा लेता है तथा भूतपूर्व हुई किसी भी प्रकार की घटनाओं से संबंधित कारणों को भी स्पष्ट कर देता है.
किसी भी व्यक्ति के जीवन में अतीत में कौन सी घटना किस लिए घटी है उसके पीछे कौन से कारण थे इन सभी विषयों को वह स्पष्ट जानकारी दे देता है जो सटीक और सही होती है. दूरदराज के विषय में जानकारी प्राप्त होती है जब व्यक्ति की छठी इंद्री जागृत हो जाती है तो व्यक्ति दुनिया के किसी कोने में हो रही किसी भी प्रकार की बातों को तत्काल जान लेता है और दूरदराज होने वाली बातें बड़ी आसानी से सुन लेता है
3. मन में उठने वाले विचारों को जानना
जब व्यक्ति के अंदर छठी इंद्री जागृत हो जाती है तो व्यक्ति किसी भी व्यक्ति के मन में उठने वाले विचारों को पहले ही भाग लेता है वह पहले से ही उसके मन के अंदर उठने वाली हलचल को पढ़ लेता है और आवश्यकता पड़ने पर कह देता है अर्थात उसे पूरी तरह से पूर्व अनुमान होता है
4. दुनिया की संपूर्ण जानकारी होती है
छठी इंद्री जागृत हो जाने के बाद व्यक्ति अभूतपूर्व क्षमताओं से परिपूर्ण हो जाता है जिसकी वजह से दुनिया के किसी भी कोने में किसी भी प्रकार की खबर को पल भर में हासिल कर लेता है
दूरदराज दुनिया के किसी भी देश में होने वाली तमाम घटनाओं के विषय में जानकारी और उसके पीछे छिपी कारणों को भी जान लेता है
5. ईश्वरत्व की प्राप्ति हो जाती है
छठी इंद्री एक ऐसी इंद्री होती है जो जागृत हो जाने के बाद व्यक्ति के अंदर ईश्वरत्व के गुण आ जाते हैं जिसकी वजह से ही वह दुनिया मैं होने वाली किसी भी प्रकार की घटना से अवगत हो जाता है.
हमारे ऋषि मुनि इसी विद्या के प्रयोग से दूसरों के मन की बात को समझ जाते थे और उसी के माध्यम से दुनिया भर को पहले से ही चेतावनी के रूप में अवगत करा देते थे.
6. भविष्यवक्ता के रूप में व्यक्ति होता है
छठी इंद्री जागृत हो जाने के बाद व्यक्ति भविष्य वक्ता के रूप में स्थापित हो जाता है उससे किसी भी बात यदि जानकारी करना है तो पूछने पर वह सभी प्रकार की भविष्यवाणी कर देता है और उसके पीछे के कारणों को भी स्पष्ट कर देता है।